लखेश्वर यादव/ जांजगीर चांपा : हिन्दू धर्म में जन्म से लेकर मृत्यु तक 16 संस्कार किए जाते हैं, और इन 16 संस्कारों में सबसे प्रमुख विवाह को माना गया है. पंडित बसंत शर्मा महाराज ने बताया कि शादी में कई रस्में, रीति रिवाजों से होती हैं. उनमें से वर द्वारा वधु को मांग में सिंदूर भरना, मंगल सूत्र पहनाना और दोनों एक साथ सात फेरे के साथ सात वचन भी प्रमुख हैं. हिंदू धर्म में विवाह में सात फेरे लेने का अपना एक महत्व है, और ऐसा माना जाता है कि ये सात फेरे सात जन्म, सात लोक और सप्ताह के सात दिन से जुड़े होते हैं.
विवाह में वर-वधु दोनों के द्वारा अग्नि को साक्षी मानकर और देव, गुरुजन एवं अपने माता-पिता के समक्ष सात फेरे लेते हैं. और दोनों एक दूसरे के अपने रिस्ते को सात जन्मों तक तन, मन से पति-पत्नि के रूप में निभाने का वादा करते हैं. इस दौरान वधू वर से 7 वचन मांगती हैं और वर द्वारा बदले में केवल एक वचन मांगा जाता है, उसके बाद ही विवाह संपूर्ण माना जाता है.
वधु द्वारा मांगे जाते हैं ये 7 वचन
- पहले वचन में वधु वर से कहती है, कि यदि आप कोई व्रत-उपवास या अन्य कोई धार्मिक काम या तीर्थयात्रा पर जाएं तो मुझे भी अपने साथ लेकर जाएं. यदि आप इसे स्वीकार करते हैं, तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं.
- दूसरे वचन में वधु वर से कहती है, कि आप अपने माता-पिता की तरह ही मेरे माता-पिता का भी सम्मान करेंगे और परिवार की मर्यादा का पालन करेंगे. यदि आप इसे स्वीकार करते हैं, तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं.
- तीसरे वचन में वधु वर से कहती है, कि आप जीवन की तीनों अवस्थाओं (युवावस्था, प्रोढ़ावस्था और वृद्धावस्था) में मेरा पालन करेंगे. यदि आप इसे स्वीकार करते हैं, तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं.
- चौथे वचन में वधु वर से कहती है, कि अब हम विवाह बंधन में बंध रहे हैं, तो भविष्य में परिवार की सभी आवश्यकताओं की पूर्ति की जिम्मेदारी आपके कंधों पर है. अगर आप इसे स्वीकार करें, तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं.
- पांचवें वचन में वधु वर से कहती है, कि आप घर के कामों में, विवाह आदि, लेन-देन और अन्य कोई खर्च करते समय आप मेरी राय लिया करेंगे. अगर आप इसे स्वीकार करते है तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं.
- छठवां वचन में वधु वर से कहती है, कि यदि मैं कभी सहेलियों के साथ रहूं तो आप सबके सामने कभी मेरा अपमान नहीं करेंगे. और जुआ या अन्य किसी भी तरह की बुराइयां अपने आप से दूर रखेंगे. अगर आप इसे स्वीकार करते है, तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं.
- सातवां और आखिरी वचन में वधु वर से कहती है, कि आप पराई स्त्रियों को मां समान समझेंगे और पति-पत्नी के आपसी प्रेम के बीच अन्य किसी को भी नहीं आने देंगे. यदि आप यह वचन दें, तो ही मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं.
इन 7 वचन के बदले वर द्वारा वधु के केवल एक वचन मांगा जाता है, कि आपको धर्म के अनुसार चलना होना पतिवत्रता धर्म का पालन करना, मेरे चित्त (आज्ञा) के अनुसार, आपको चलना होगा. यह वचन वर मांगता है.
(Disclaimer: इस खबर में पंडित बसंत शर्मा के द्वारा जानकारी दी गई है, यह सामान्य जानकारी है. local 18 इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
यह भी पढ़ें : सिर्फ 21 दिन करें इस पौधे के रस का सेवन…नपुंसकता हो जाएगी दूर, डायबिटीज और पीलिया में भी कारगर
.
Tags: Chhattisgarh news, Local18, Religion 18
FIRST PUBLISHED : December 13, 2023, 14:56 IST