Seat Analysis: 2018 में भाजपा ने बगावत से गंवाया अपना गढ़, कांग्रेस के खाते में गई सीट, देखें आंकड़े

MP Assembly Election: साल 1977 से अस्तित्व में आई ग्वालियर दक्षिण विधानसभा सीट एक समय पर भाजपा का गढ़ मानी जाती थी.  मगर भाजपा को उस समय बड़ा झटका लगा जब एंटी इनकम्बेंसी की लहर में 2018 विधानसभा चुनाव में भाजपा के हाथों से यह सीट निकल गई. इस बार ग्वालियर दक्षिण विधानसभा सीट के परिणाम किस पार्टी के पक्ष में होंगे. यह जनता तय करेगी, लेकिन इससे पहले आपको इस सीट का राजनीतिक इतिहास, जातीय समीकरण और अंतिम चुनाव के नतीजों पर नजर डालते हैं…

ग्वालियर दक्षिण विधानसभा सीट पर आखिरी बार 2018 में विधानसभा चुनाव हुए. इस चुनाव में कांग्रेस के युवा नेता प्रवीण पाठक ने ओबीसी कोटा से आने वाले भाजपा के पूर्व मंत्री नारायण सिंह कुशवाह को शिकस्त दी. हालांकि, जीत का अंतर का महज 121 वोट था. पाठक को इस दौरान 56,369 वोट मिले, जबकि कुशवाहा को 56,248 वोट मिले. तीसरे नंबर पर ग्वालियर की पूर्व महापौर और भाजपा से बगावत करके निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरी समीक्षा गुप्ता रहीं. 30,745 वोट मिले. इस सीट पर 2018 में भाजपा की हार की वजह समीक्षा गुप्ता को ही माना जा रहा था.  

सीट का राजनीतिक इतिहास
ग्वालियर दक्षिण विधानसभा सीट को 2008 के परिसीमन से पहले ग्वालियर लश्कर पश्चिम सीट के नाम से जाना जाता था. सीट के सियासी इतिहास पर नजर डालें तो 1990 में बीजेपी के शीतला सहाय ने कांग्रेस के इस्माइल खान पठान को 10,478 वोट से हराया था. 1993 में कांग्रेस के भगवान सिंह यादव ने शीतला सहाय को 12,316 वोट से हराकर पार्टी को जीत दिला दी. फिर 1998 में पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के भांजे अनूप मिश्रा ने कांग्रेस के भगवान सिंह यादव को हराया. 2003 के चुनाव में बीजेपी के नारायण सिंह ने भगवान सिंह को फिर हराया. 2008 में एक बार फिर नारायण सिंह जीते और कांग्रेस की रश्मि पवार को हराया. 2013 में बीजेपी की नारायण सिंह को कांग्रेस के रमेश अग्रवाल को हराया. हालांकि, 2018 में लगातार जीत तिलिस्म टूट गया और प्रवीण पाठक ने कांटे की टक्कर में नारायण सिंह कुशवाह को हराया.

वोटर्स और जातिगत समीकरण
2018 के आंकड़ों के मुताबिक ग्वालियर दक्षिण विधानसभा सीट पर कुल 2 लाख 48 हजार 404 मतदाता थे, जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 30 हजार 83 थी जबकि महिलाओं की संख्या 1 लाख 18 हजार 312 थीं. जातिगत समीकरण की बात करें तो यह क्षेत्र कुशवाहा समाज बाहुल्य क्षेत्र हैं. यही वजह है कि यहां से नारायण सिंह कुशवाह लंबे समय तक विधायक रहे. इस विधानसभा सीट में मुस्लिम वोटर्स भी जीत-हाल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

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