Elon Musk Spacex Mars Mission: चंद्रयान-3 की सफलता के बाद स्पेस साइंस में लोगों की रूचि बढ़ने लगी है. चंद्रयान-3 की चांद पर सफल लैंडिग के बाद प्रज्ञान रोवर चांद की सतह को कुरेद-कुरेद कर इसके रहस्यों को खंगाल रहा है. प्रज्ञान रोवर अब तक चांद से जुड़ी कई जानकारी इसरो को दे चुका है. चांद के तापमान और इसकी जलवायु के बारे में चंद्रयान-3 का शाध जारी है. अंतरिक्ष में इस बड़ी सफलता के बाद इस दिशा में योजनाबद्ध कई मिशन की चर्चा जोरों पर होने लगी है. आज हम आपको मंगल ग्रह से जुड़े उस मिशन के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके तहत 10 लाख लोगों को लाल ग्रह पर भेजने की तैयारी है.
मंगल ग्रह पर 10 लाख लोगों को पहुंचाने की परिकल्पना दुनिया के सबसे अमीर कारोबारी एलन मस्क की है. स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क ने अपने इस प्लाका खुलासा 2020 में ही कर दिया था. उन्होंने अपने इस मिशक के तहत 2050 तक 10 लाख लोगों को मंगल ग्रह पर भेजने का लक्ष्य निर्धारित किया है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि एलन मस्क इस चुनौतीपूर्ण कार्य को कैसे हासिल करेंगे.
अपने मिशन के तहत स्पेसएक्स नासा से उसे लाल ग्रह पर संभावित लैंडिंग साइट प्रदान करने का अनुरोध भी कर चुका है. स्पेसएक्स स्टारशिप (जिसे पहले बीएफआर के नाम से जाना जाता था) का निर्माण कर रहा है, जो पूरी तरह से पुन: प्रयोज्य वाहन है जिसे मंगल ग्रह पर इंसानों और आपूर्ति को ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है. मस्क ने अनुमान लगाया है कि यदि मंगल ग्रह पर एक आत्मनिर्भर शहर बनाने के लिए दस लाख टन कार्गो की आवश्यकता होगी, तो लागत लगभग 100 अरब डॉलर होगी.
आप एलन मस्क की लाल ग्रह को लेकर योजना के बारे में तो जान गए. लेकिन दशकों से मंगल मिशन का मूलभूत प्रश्न बना हुआ है कि क्या उस ग्रह पर जीवन है? कई देश वर्तमान में लाल विशाल की खोज में लगे हुए हैं क्योंकि यह एक के बाद एक चुनौतियां पेश करता रहता है.
नासा के वैज्ञानिकों का मानना है कि उन्हें अभी तक मंगल ग्रह पर जीवन का कोई सबूत नहीं मिला है. लेकिन मंगल ग्रह इतना बड़ा है कि यह कहना मुश्किल है कि वर्तमान बंजर, दुर्गम दुनिया पर कभी कोई जीवन मौजूद नहीं था. ऐसे बहुत से साक्ष्य हैं जो कहते हैं कि मंगल ग्रह पर कभी एक विशाल महासागर था और ऐसा वातावरण था जो जीवन का समर्थन कर सकता था. लेकिन, मंगल ग्रह पर अभी भी बहुत कुछ खोजा जाना बाकी है. ऐसे स्थान हैं जिनमें तरल पदार्थ हो सकते हैं या जीव रह सकते हैं और वे रेडिएशन से सुरक्षित रहेंगे जो सतह पर बहुत हानिकारक है.
अब आपको बताते हैं मंगल ग्रह पर इंसान के जाने को लेकर NASA का क्या कहना है? नासा ने इस बारे में सोचा भी नहीं है. लाल ग्रह की दूरी ही सबसे बड़ी चुनौती है. यह पृथ्वी से 34 मिलियन मील दूर है. दूरी की बात करें तो यह चालक दल के अस्तित्व और उनके सुरक्षित वापसी के लिए बहुत बड़ी चुनौती है. इसके बाद मान लीजिए अगर इंसान वहां पहुंच भी जाता है तो मंगल ग्रह पर खतरनाक रेडिएशन इंसान को मार देगा. सौर ज्वालाओं और कोरोनल मास इजेक्शन (CME) से निकलने वाली रेडिएशन, इंसान को वहां पहुंचने से पहले ही मार देगी और इससे बचने की तकनीक अभी तक इजाद नहीं हुई है.
मंगल ग्रह से जुड़े मिशन के बारे में बात करें तो फिलहाल, तीन रोवर इसकी सतह पर सक्रिय हैं और मंगल ग्रह के रहस्यों का जवाब ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं. इनमें नासा के पर्सीवरेंस और क्यूरियोसिटी रोवर्स और चीन के ज़ुरोंग रोवर शामिल हैं.