Saudi Crown Prince Mohammed Bin Salman Changed Saudi Arabia: रूढ़िवादी सऊदी में बदलाव के वाहक बने MBS, महिलाओं को अधिकार देकर कट्टर छवि बदलने की कोशिश, पढ़ें पूरा विश्लेषण

Saudi Crown Prince Mohammed Bin Salman Changed Saudi Arabia: सऊदी अरब के वास्तविक प्रशासक मोहम्मद बिन सलमान 38 साल के हैं। क्राउन प्रिंस सलमान तेल समृद्ध अर्थव्यवस्था वाले देश सऊदी के सबसे बड़े सामाजिक सुधारक भी है। पूरे चेहरे पर दाढ़ी और पारंपरिक अरब पोशाक के साथ सैंडल पहने हुए सलमान आधुनिक सऊदी के संस्थापक माने जाते हैं। हालांकि इस दौरान उनका विवादों से भी गहरा नाता रहा है।

जी-20 सम्मेलन में भाग लेने दिल्ली आए मोहम्मद बिन सलमान फिलहाल आधिकारिक तौर पर भारत के राजकीय दौरे पर हैं। उन्होंने आज नई दिल्ली स्थित हैदराबाद हाउस में पीएम मोदी के साथ द्विपक्षीय सहयोग के प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की। इस अवसर पर जी-20 शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए उन्होंने भारत को बधाई देते हुए कहा कि हम दोनों देशों के लिए महान भविष्य के निर्माण के लिए साथ मिलकर काम करेंगे।

सऊद विवि से कानून में स्नातक हैं

मोहम्मद बिन सलमान को 2015 में उनके पिता किंग सलमान द्वारा डिप्टी क्राउन प्रिंस नियुक्त किया गया था। मोहम्मद बिन सलमान सऊद विवि से कानून में स्नातक हैं। पिछले 6 वर्षों के शासनकाल में उन्होंने अपने आप को प्रभावी बनाते हुए इस रूढ़िवादी देश में काफी बदलाव किए हैं। इस दौरान उन्होंने सऊदी को उदारवादी सऊदी बनाने का काम किया है। क्राउन प्रिंस विदेशी निवेशकों को विजन 2030 में निवेश करने के लिए कहते हैं। वे सऊदी को तेल अर्थव्यवस्था के तमगे से बाहर निकालना चाहते हैं।

बदलाव के वाहक बने क्राउन प्रिंस

सऊदी में उनके नेतृत्व में एक फिल्म महोत्सव, ओपेरा, एक फाॅर्मूला वन ग्रांड प्रिक्स और एक पेशेवर कुश्ती का कार्यक्रम का आयोजन किया जा चुका है। इस्लामी धार्मिक पुलिस को भी समाप्त कर दिया है। इतना ही नहीं विदेशी पर्यटकों को लुभाने के लिए सऊदी में अब सिनेमाघर फिर से खोल दिए गए हैं। इतना ही नहीं प्रिंस मोहम्मद ने महिलाओं के अधिकारों में बढ़ोतरी करते हुए उन्हें गाड़ी चलाने, पुरूषों के साथ धार्मिक और संगीत कार्यक्रमों में जाने की अनुमति दे दी है। इतना ही नहीं अब महिलाएं अपने पुरूष अभिभावक की सहमति के बिना भी पासपोर्ट के लिए आवेदन कर सकती है।

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विवादों से जुड़ चुका नाम

हालांकि इस दौरान कई विवादों से उनका नाम जुड़ा। अपने आलोचकों को जेल भेजने और देश में अभिजात वर्ग के सफाये और पत्रकार जमाल खगोशी की हत्या के लिए उन्हें काफी आलोचना का सामना करना पड़ा। 2017 में उन्होंने भ्रष्टाचार रोधी अभियान के तहत सऊदी अभिजात वर्ग के 200 से अधिक सदस्यों को रिट्र्ज कार्लटन की जेल में तब तक बंद रखा गया जब तक उन्होंने अपनी अरबों डाॅलर की संपत्ति सरकार को नहीं सौंप दी।

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