Sardarshahar Bypoll Voting 2022 updates in Hindi: सरदारशहर उपचुनाव में बीजेपी, कांग्रेस और आरएलपी के प्रत्याशी राजनीति में दम रखने वाले हैं। इसलिए प्रदेशभर के लोगों की नजर इन तीन प्रत्याशियों पर ही है। हालांकि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशी पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष हैं और युवा नेतृत्व है लेकिन तीन बड़े प्रत्याशियों के सामने टक्कर लेना काफी कठिन होगा।

हाइलाइट्स
- सरदार शहर उपचुनावों में 10 प्रत्याशी मैदान में डटे
- उपचुनाव के नतीजे 8 दिसंबर को, 3 दिन बाद प्रत्याशियों की खुलेगी किस्मत
- सबसे ज्यादा चर्चा बीजेपी, कांग्रेस और आरएलपी प्रत्याशियों की
अनिल शर्मा – कांग्रेस ने अनिल शर्मा को चुनावी मैदान में उतारा है। अनिल शर्मा 7 बार विधायक रहे स्वर्गीय भंवरलाल शर्मा के पुत्र हैं। पिता के निधन के बाद सहानुभूति के तौर पर अनिल शर्मा को कांग्रेस ने टिकट दिया है। अनिल शर्मा राजनैतिक पृष्टभूमि वाले परिवार से हैं। वे खुद सरदार शहर नगर निगम के चेयरमैन भी रह चुके हैं। अनिल शर्मा लम्बे समय से ब्राह्मण महासभा के उपाध्यक्ष हैं। वे अपने पिता के चुनावों में पूरा मैनेजमेंट संभालते थे। ऐसे में उन्हें चुनावी गणित के सारे गुणा भाग आते हैं। अनिल शर्मा सबसे मजबूत प्रत्याशियों में माने जा रहे है। स्थानीय मतदाताओं के मुताबिक सरदार शहर की सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी अनिल शर्मा की जीत तय है।
अशोक कुमार पिंचा – भाजापा ने एक बार फिर अशोक कुमार पिंचा पर दांव खेला है। पिंचा को बीजेपी पूर्व में भी 5 बार विधानसभा चुनाव के टिकट दे चुकी है। इन 5 बार में से केवल एक बार वर्ष 2008 के विधानसभा चुनावों में अशोक कुमार पिंचा ने जीत दर्ज की थी। पार्टी में लम्बे समय से सक्रिय होने के कारण बीजेपी ने पिंचा को टिकट दिया। पिंचा जाट समाज से हैं और सरदार शहर में सर्वाधिक मतदाता जाट हैं। वे लम्बे समय से राजनीति में हैं लेकिन अन्य दलों और निर्दलीय प्रत्याशियों के कारण जातिगत वोट बंट जाते हैं। इस वजह से पिंचा को पूर्व में हार का सामना करना पड़ा। इस बार भी आरएलपी ने एक जाट प्रत्याशी को चुनावी मैदान में उतारा है जो सीधे तौर पर पिंचा को नुकसान पहुंचा रहे हैं। बीजेपी के तमाम सीनियर नेताओं ने केम्पेनिंग की है। अब देखना यह है कि पिंचा सीट जीतने में कामयाब होते हैं या नहीं।
लालचंद मूंड – हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने लालचंद मूंड को चुनाव मैदान में उतारा है। लालचंद मूंड जाट समाज से हैं और समाज में इनकी काफी अच्छी पकड़ है। मूंड पूर्व में सरपंच रह चुके हैं और वर्तमान में इनकी पत्नी सरपंच हैं। लालचंद मूंड का सरदार शहर में अच्छा प्रभाव है। वे चुरू जिला दुग्ध उत्पादक संघ के चेयरमैन हैं। इससे पहले भी मूंड दो बार चेयरमैन रह चुके हैं। हनुमान बेनीवाल ने मूंड के लिए काफी मेहनत की है। जाट वोटों के भरोसे मूंड चुनावी समीकरण बदलने में काफी कामयाब हो सकते हैं।
सांवरमल मेघवाल – बीजेपी, कांग्रेस और आरएलपी के बाद मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशी सांवरमल मेघवाल काफी मेहनती प्रत्याशी बताए जा रहे हैं। मेघवाल छात्रसंघ अध्यक्ष रहे हैं और स्टुडेंट फैडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) में लम्बे समय से सक्रिय हैं। वंचित वर्ग की आवाज उठाने के लिए और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए सांवरमल मेघवाल आन्दोलन करते रहते हैं। उनकी छवि साफ सुथरे युवा नेता के रूप में है। छात्रसंघ अध्यक्ष रहने के कारण युवा वर्ग में इनकी काफी अच्छी पकड़ बताई जा रही है। उपचुनाव में ये अपना भाग्य आजमा रहे हैं और इसी पार्टी के जरिए वे अपना राजनैतिक भविष्य भी तलाश रहे हैं।
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ये 6 प्रत्याशी भी आजमा रहे हैं किस्मत – बीजेपी, कांग्रेस, आरएलपी और सीपीआई के प्रत्याशियों के साथ इंडियन पीपल्स ग्रीन पार्टी के बेनरतले परमाना राम भी चुनाव मैदान में उतरे हैं। इनके साथ निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विजय पाल श्योराण, सुभाष चंद, उमेश साहू, प्रेम सिंह और सुरेन्द्र सिंह भी मैदान में डटे हैं। स्थानीय मतदाताओं के मुताबिक इन 6 प्रत्याशियों में युवा प्रत्याशी उमेश साहू ज्यादा वोट हासिल करने में कामयाब रह सकते हैं। 5 दिसंबर की शाम तक सभी प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो जाएगी। इनकी किस्मत का ताला 8 दिसंबर को खुलेगा।
रिपोर्ट – रामस्वरूप लामरोड़
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