Sanjay Gandhi Hospital के लाइसेंस के निलंबन पर Allahabad HC ने लगायी रोक, विपक्ष ने उठाए थे सवाल

Allahabad High Court

ANI

ऑपरेशन के बाद एक महिला की मौत के कुछ दिनों बाद 18 सितंबर को अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया था। संजय गांधी अस्पताल का संचालन कांग्रेस नेता सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाले संजय गांधी मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा किया जाता है। पार्टी नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाद्रा उसके सदस्य हैं।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने आज (4 अक्टूबर) उत्तर प्रदेश सरकार के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें अमेठी के संजय गांधी अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया था। न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति मनीष कुमार की खंडपीठ ने कहा कि अस्पताल के खिलाफ जांच जारी रहेगी। पीठ ने राज्य को अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने को भी कहा। ऑपरेशन के बाद एक महिला की मौत के कुछ दिनों बाद 18 सितंबर को अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया था। संजय गांधी अस्पताल का संचालन कांग्रेस नेता सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाले संजय गांधी मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा किया जाता है। पार्टी नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाद्रा उसके सदस्य हैं।

संजय गांधी अस्पताल की सभी सेवाओं पर रोक लगाए जाने के खिलाफ 400 से अधिक कर्मचारियों का धरना भी देखने को मिला। राम शाहपुर गांव की रहने वाली 22 वर्षीय दिव्या शुक्ला की मौत की जांच के बाद 17 सितंबर को अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर दिया था और इसके बाह्य रोगी विभाग व आपातकालीन सेवाओं पर रोक लगा दी थी। महिला रोगी को 14 सितंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसके पति ने दावा किया था कि दिव्या के इलाज में लापरवाही की गई जिसकी वजह से अंतत: उसकी मौत हो गई। विपक्षी दलों ने दावा किया था कि अमेठी से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सांसद स्मृति ईरानी ने अस्पताल बंद कराया है। 

भाजपा ने अस्पताल पर गंभीर आरोप लगाया है, जबकि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी समेत विपक्षी दलों ने आंदोलकारी अस्पताल कर्मचारियों को अपना समर्थन दिया है। स्वास्थ्य विभाग के फैसले के विरोध में भाजपा सांसद वरुण गांधी ने भी आवाज उठायी थी। वरुण गांधी ने लिखा कि सवाल संजय गांधी अस्पताल के 450 कर्मचारियों और उनके परिवार का ही नहीं, रोज सैकड़ों की संख्या में इलाज कराने वाले सूबे की आम जनता का भी है। उनकी पीड़ा के साथ न्याय ‘मानवता की दृष्टि’ ही कर सकती है, ‘व्यवस्था का अहंकार’ नहीं। कहीं ‘नाम’ के प्रति नाराजगी लाखों का ‘काम’ न बिगाड़ दे।

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