Sanatana Dharma Remark Row । हिंदू आस्था के अपमान पर शीर्ष नेतृत्व चुप्पी साधे हुए है, Ravi Shankar Prasad ने Congress पर साधा निशाना

रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पर तमिलनाडु के उनके सहयोगी द्रमुक के अलावा विपक्षी गठबंधन के अन्य नेताओं द्वारा हिंदू आस्था के बारे में की गई विवादास्पद टिप्पणियों पर चुप्पी साधे रखने का आरोप लगाया।

पटना। भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने बृहस्पतिवार को कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पर तमिलनाडु के उनके सहयोगी द्रमुक के अलावा विपक्षी गठबंधन के अन्य नेताओं द्वारा हिंदू आस्था के बारे में की गई विवादास्पद टिप्पणियों पर चुप्पी साधे रखने का आरोप लगाया। यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, पूर्व केंद्रीय मंत्री ने यह भी पूछा कि क्या कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की हाल ही में हुई बैठक में हिंदुओं को अपमानित करने का निर्णय लिया गया था।’’ उन्होंने आरोप लगाया, “यह अकारण नहीं है कि गठबंधन को घमंडिया कहा गया है।’’ रविशंकर ने आरोप लगाया, इंडिया’ गठबंधन के सदस्यों में घमंड के कारण भारत की संवेदनाओं को समझने के प्रति वे बहुत कम सम्मान दिखाते हैं।’’

तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन द्वारा सनातन धर्म की तुलना मलेरिया और डेंगू से करने का जिक्र करते हुए रविशंकर ने कहा, अब एक और द्रमुक नेता ए राजा ने हिंदू धर्म की तुलना कुष्ठ रोग और एचआईवी/एड्स से की है। उन्होंने आरोप लगाया, “इतना ही नहीं, कर्नाटक के गृह मंत्री (जी परमेश्वर) जैसे कांग्रेस के भीतर के लोग हिंदू धर्म की उत्पत्ति पर सवाल उठा रहे हैं। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का बेटा (मल्लिकार्जुन खरगे का बेटा प्रियांक खरगे) आए दिन सनातन धर्म के बारे में अपमानजनक बयान देता है।” यह कहते हुए कि भाजपा हिंदू आस्था के इस तरह के अपमान को कभी स्वीकार नहीं करेगी , रविशंकर ने कहा, कांग्रेस को आगे बढ़ाने वाली सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाद्रा की चुप्पी लोगों को चकित करती है। उन्होंने इस बात पर जोर देने के लिए एक संस्कृत सूत्र का पाठ भी किया कि चुप्पी स्वीकृति के समान है।

पटना साहिब से सांसद रविशंकर ने कहा, भगवान राम, देवी सीता और भगवान हनुमान जैसे हिंदू देवताओं को संविधान की मूल प्रति में अंकित किया गया है, जिस पर संविधान सभा के सदस्यों के हस्ताक्षर हैं। उन्होंने कहा, “मैं सोनिया गांधी से इस देश की समृद्ध परंपरा के बारे में कुछ समझ विकसित करने के लिए कहूंगा। हस्ताक्षरकर्ताओं में न केवल प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद, बल्कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी शामिल हैं।

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