उधव कृष्ण/पटना. समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता नहीं दिए जाने के बाद इसपर प्रतिक्रिया भी आनी शुरू हो गई है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ट्रांसजेंडर रेशमा प्रसाद सहित कई समलैंगिक इस फैसले से नाखुश हैं. तो वहीं इसके विरोध में वकालत करने वाले लोग कोर्ट के फैसले का समर्थन कर रहे हैं. कई आम लोगों का कहना है कि कोर्ट ने सही किया है. समलैंगिक शादी सामाजिक मूल्यों के खिलाफ़ है. बताते दें कि इससे संबंधी 21 याचिकाओं पर मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने आज सुनवाई की. मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायालय इस संबंध में कानून नहीं बना सकता. बल्कि, इसकी व्याख्या कर सकता है और विशेष विवाह अधिनियम में बदलाव करना संसद का काम है.
रेशमा प्रसाद ने कहा-अभी जारी रहेगा संघर्ष
विवाह समानता मामले के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बिहार की ट्रांस एक्टिविस्ट रेशमा प्रसाद ने कहा कि हम आधे अधूरे तरीके से इस फैसले को स्वीकार करने की स्थितियों में हैं. हालांकि, समलैंगिक लोगों को भले ही विवाह का अधिकार नहीं दिया गया है लेकिन सीजेआई ने कहा है कि भारत के संविधान के आधार पर जो अधिकार सामान्य लोगों को दिए गए हैं, वही अधिकार LGBTQIA+ समुदाय को भी दिए जाने चाहिए. इसलिए हमें उम्मीद है कि जल्द संसद में इसके लिए बिल लाया जाएगा. रेशमा ने ये भी बताया कि ये हमारी कम्युनिटी के लोगों का पिछले 30 सालों का संघर्ष है, जो अब धीरे- धीरे सफ़ल होता दिख रहा है.
पीठ में ये पांच न्यायाधीश थे शामिल
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ के अलावा समलैंगिक विवाह मामले की सुनवाई में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति हिमा कोहली शामिल थे. बता दें कि प्रधान न्यायाधीश ने केंद्र, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि समलैंगिक समुदाय के साथ मतभेद नहीं किया जाए.
किसने क्या कहा?
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि समलैंगिकता प्राकृतिक होती है जो सदियों से जानी जाती है और इसका केवल शहरी या अभिजात्य वर्ग से संबंध नहीं है. वहीं, न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि वह समलैंगिक जोड़ों को कुछ अधिकार दिए जाने को लेकर प्रधान न्यायाधीश से सहमत हैं. न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि समलैंगिक संबंधों को कानूनी मान्यता देना वैवाहिक समानता की दिशा में एक कदम है.न्यायमूर्ति भट्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि वह प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ के कुछ विचारों से सहमत और कुछ से असहमत हैं.
प्रधान न्यायाधीश ने इस अहम मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा कि विशेष विवाह अधिनियम की व्यवस्था में बदलाव की आवश्यकता है या नहीं, इसका निर्णय संसद करे. उन्होंने कहा, ‘‘यह अदालत कानून नहीं बना सकती, वह केवल उसकी व्याख्या कर सकती है और उसे प्रभावी बना सकती है’’.
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FIRST PUBLISHED : October 17, 2023, 17:17 IST