दरअसल, पश्चिम यूपी में प्रभाव रखने वाले RLD और समाजवादी पार्टी के अलग होने की आधिकारिक घोषणा तो नहीं हुई है, लेकिन इसके आसार पूरे नजर आ रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक, BJP ने RLD को 2 लोकसभा सीटें, एक राज्यसभा की सीट के साथ यूपी में 2 मंत्री पद का ऑफर दिया है. सूत्रों का ये भी कहना है कि NDA में शामिल होने के लिए RLD ने भी शर्तें रखी हैं. RLD यूपी में कम से कम 5 लोकसभा सीट, एक राज्यसभा सीट, केंद्र में एक मंत्रीपद, राज्य में 2 मंत्री पद के अलावा चौधरी चरण सिंह को ‘भारत रत्न’ देने की मांग कर रही है.
NDA और INDIA में कौन-कौन से दल?
वर्तमान में NDA में BJP के साथ अनुप्रिया पटेल की अपना दल (सोनेलाल), ओम प्रकाश राजभर की ‘सुभासपा’ और संजय निषाद की ‘निषाद पार्टी’ है. वहीं, INDIA अलायंस में कांग्रेस के साथ, सपा, जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोकदल और कृष्णा पटेल की अपना दल (कमेरावादी) शामिल है. अपना दल (कमेरावादी) को फिलहाल गठबंधन में रहकर भी शायद ही कोई सीट दी जाए. सपा ने कांग्रेस को 11 और RLD को 7 सीटें देने की घोषणा कर रखी है. साथ ही 18 सीटों पर सपा के प्रत्याशी भी घोषित किये जा चुके हैं. अब अगर RLD, NDA में चली जाती है, तो BJP के लिए पश्चिम में एक साथी मिल जाएगा. वहीं, INDIA अलायंस की ताकत यूपी में कुछ कमजोर होगी.
जयंत चौधरी समझदार हैं, कहीं नहीं जा रहे- अखिलेश यादव
इसी बीच अखिलेश यादव से बुधवार को यूपी विधानसभा के बाहर इस बारे में सवाल पूछा गया. अखिलेश यादव ने जवाब दिया, “जयंत चौधरी पढ़े-लिखे और समझदार हैं. वह कहीं नहीं जा रहे हैं. वह बहुत सुलझे हुए इंसान हैं. राजनीति को जयंत चौधरी समझते हैं. मुझे उम्मीद है कि किसानों की लड़ाई को वह कमजोर नहीं होने देंगे.”
NDA में कौन आएगा कौन नहीं… फैसला आलाकमान का- भूपेंद्र चौधरी
यूपी BJP के अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने RLD के NDA में आने के सवाल पर कहा, “गठबंधन में कौन आएगा कौन नहीं? इसका फैसला पार्टी आलाकमान करता है. केंद्र जो तय करेगा, राज्य इकाई उस फैसले को स्वीकार करेगी.” उन्होंने कहा कि हम सभी के साथ काम करने को तैयार हैं. भूपेंद्र चौधरी ने कहा कि राजनीति संभावनाओं का खेल है.
RLD क्यों जा सकती है NDA के साथ?
2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में सपा और RLD के गठबंधन ने 8 सीटें जीतीं. फिर उपचुनाव में RLD ने खतौली सीट जीत ली. इससे उनके विधायकों की संख्या 9 हो गई. सपा ने जयंत चौधरी को राज्यसभा भी भेजा है. 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए सपा ने RLD को 7 सीटें भी दी हैं. ऐसे में सवाल है कि RLD इसके बाद भी BJP के साथ क्यों जा सकती है?
इसके पीछे सीट शेयरिंग फॉर्मूले को वजह बताया जा रहा है. सपा ने जो 7 सीटें RLD को लोकसभा चुनाव में दी हैं, उन पर कहा जा रहा है कि 4 उम्मीदवार सपा के होंगे, जो RLD के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ेंगे. सपा चाहती है कि कैराना, मुजफ्फरनगर और बिजनौर में प्रत्याशी सपा का हो, जो RLD के चुनाव चिह्न पर मैदान में उतरे.
RLD नेताओं ने कैराना और बिजनौर सीट सपा के बताए प्रत्याशियों को देने पर सहमति भी दे दी थी. मुजफ्फरनगर और हाथरस सीट को लेकर दोनों दलों के बीच दूरियां बन गई. बताया जा रहा है कि BJP इसी दूरी का फायदा उठाना चाहती है.
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