महंगाई के मोर्चे पर आम जनता को राहत देने के लिए भारत सरकार लगातार कई कदम उठा रही है। देश में चावल की कीमत में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। सर्वाधिक उपयोग में आने वाले चावलों की कीमत पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार कई कदम उठा रही है। बीते कुछ महीनों में केंद्र सरकार ने कई ऐसे कदम उठाए हैं जिन्होंने जनता को राहत देने में मदद की है।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चावल की कीमत लगातार बढ़ती जा रही है। चावल की बढ़ती कीमत को देखते हुए केंद्र सरकार इसके निर्यात पर लगाए गए बैन को हटाने की स्थिति में नहीं दिख रही है। चावल के निर्यात से जुड़े सभी प्रतिबंधों को अगले साल तक जारी रखने की संभावना है। भारत सरकार का यह फैसला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चावलों की कीमतों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चावलों की कीमती वर्ष 2008 के बाद सर्वाधिक महंगी हो सकती है।
भारत है चावल का सबसे बड़ा निर्यातक देश
दुनिया भर में चावल निर्यात करने में भारत का सबसे पहला नंबर है। भारत विश्व भर में 40 फ़ीसदी से अधिक चावल निर्यात करता है। अफ्रीकी जैसी कई देशों में भारत के चावल जाते हैं। इससे पहले केंद्र सरकार ने टूटे हुए चावलों के निर्यात पर एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाई थी। गैर बासमती चावल के निर्यात को भी केंद्र सरकार ने बना कर दिया था। गैर बासमती चावल के निर्यात को बैन करने का फैसला इस वर्ष जुलाई में लिया गया था। केंद्र सरकार किसी फैसले के बाद अगस्त 2023 में चावल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई थी जो बीते 15 वर्षों में सर्वाधिक थी।
चावल के दामों में हुआ इजाफा
अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है। संयुक्त राष्ट्र का खाद एवं कृषि संगठन की रिपोर्ट की माने तो बीते 1 वर्ष में चावल के दाम 24% तक बढ़ गए हैं। चावल की कीमतों के बढ़ने में कई कारण शामिल है जिसमें कर मौसम और कम बारिश के कारण चावल की कम पैदावार प्रमुख कारण है।