RBI MPC मीट: डिजिटल लेनदेन, आधार-सक्षम भुगतान प्रणाली पर RBI गवर्नर ने दिया ये बयान

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बृहस्पतिवार को लगातार छठी बार नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा। महंगाई को चार प्रतिशत पर लाने और वैश्विक अनिश्चितता के बीच आर्थिक वृद्धि को गति देने के मकसद से नीतिगत दर को यथावत रखा गया है। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को घोषणा की है।

इसके साथ ही ये भी तय हुआ है कि केंद्रीय बैंक डिजिटल भुगतान लेनदेन के प्रमाणीकरण के लिए सिद्धांत-आधारित ढांचे के लिए दिशानिर्देश जारी करेगा। मौद्रिक नीति समिति की ब्रीफिंग के दौरान गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि बैंक ने डिजिटल भुगतान की सुरक्षा को प्राथमिकता दी है। खासतौर से प्रमाणीकरण के अतिरिक्त कारक की आवश्यकता को प्राथमिकता मिली है। हालाँकि आरबीआई ने कोई विशेष एएफए निर्धारित नहीं किया है, लेकिन भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र ने बड़े पैमाने पर एसएमएस-आधारित वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) को अपनाया है।

प्रौद्योगिकी में नवाचारों के साथ, हाल के वर्षों में वैकल्पिक प्रमाणीकरण तंत्र उभरे हैं। डिजिटल सुरक्षा के लिए ऐसे तंत्रों के उपयोग को सुविधाजनक बनाने के लिए, एक सिद्धांत-आधारित “डिजिटल भुगतान लेनदेन के प्रमाणीकरण के लिए रूपरेखा” अपनाने का प्रस्ताव है। इस संबंध में निर्देश अलग से जारी किए जाएंगे। शक्तिकांत दास ने कहा किआधार सक्षम भुगतान प्रणाली (एपीईएस) ग्राहकों को सहायता प्राप्त मोड में डिजिटल भुगतान लेनदेन करने की अनुमति देती है।

वर्ष 2023 में 37 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ताओं ने AePS लेनदेन किया, जो वित्तीय समावेशन में AePS द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका की ओर इशारा करता है। उन्होंने कहा कि एईपीएस लेनदेन की सुरक्षा बढ़ाने के लिए, बैंकों द्वारा पालन की जाने वाली एईपीएस टचपॉइंट ऑपरेटरों के लिए अनिवार्य उचित परिश्रम सहित ऑनबोर्डिंग प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि अतिरिक्त धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन आवश्यकताओं पर भी विचार किया जाएगा। इस संबंध में निर्देश शीघ्र ही जारी किए जाएंगे। आरबीआई ने लगातार छठी बार नीतिगत दर को अपरिवर्तित रखने का फैसला किया क्योंकि यह मुद्रास्फीति पर कड़ी निगरानी रखता है।

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