RBI Governor शक्तिकांत दास ने जताई उम्मीद, कहा- वित्त वर्ष में 8 फीसदी रह सकती है GDP…

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास के बयान से देश भर में खुशी आ गई है। उन्होंने कहा है कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती इकॉनोमी है। देश में चालू वित्त वर्ष में ग्रोथ रेट यानी जीडीपी आठ प्रतिशत पर पहुंच सकती है। शक्तिकांत दास ने हाल ही में ये बयान दिया है।

उन्होंने ईटी नाऊ को दिए इंटरव्यू में ये बयान दिया है। उन्होंने कहा कि चौथी तिमाही में ग्रोथ रेट 5.9 फीसदी हो सकता है। अगर चौथी तिमाही में ये रेट रहा तो वित्त वर्ष 2024 में ग्रोथ रेट आठ फीसदी के आसपास रह सकती है। ये रेट 7.6 फीसदी हो जाएगी। बता दें कि तीसरी तिमाही में देश की आर्थिक स्थिति 8.4 फीसदी की रफ्तार से बढ़ी थी।

गवर्नर शक्तिकांत दास ने भारत की ग्रोथ के स्तर की तुलना स्वदेश में विकसित फाइटर तेजस से भी की है। उन्होंने कहा कि तीसरी तिमाही में 8.4 फीसदी की रफ्तार से बढ़ोतरी हुई थी जो कि अर्थशास्त्रियों की उम्मीद से भी काफी अधिक था। उनका कहना है कि सुधार के संकेत ग्रामिण इलाकों में दिख रहे है वहीं शहरी इलाकों में भी स्थिति मजबूत है। अन्य आर्थिक मेट्रिक्स जैसे निजी निवेश, कैपेसिटी यूटिलाइजेशन, बैंक क्रेडिट ग्रोथ में तेजी देखने को मिल रही है।

पेटीएम पर भी दिया बयान

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को कहा कि पेटीएम वॉलेट का उपयोग करने वाले 80-85 प्रतिशत उपयोगकर्ताओं को नियामकीय कार्रवाई के कारण किसी भी बाधा का सामना नहीं करना पड़ेगा। वहीं शेष उपयोगकर्ताओं को अपने ऐप को अन्य बैंकों से जोड़ने की सलाह दी गई है। रिजर्व बैंक ने 31 जनवरी को पेटीएम पेमेंट्स बैंक लि. (पीपीबीएल) को किसी भी ग्राहक खाते में जमा या ‘टॉप-अप’ स्वीकार करने से रोक दिया। दास ने कहा कि पेटीएम पेमेंट्स बैंक से जुड़े वॉलेट को अन्य बैंकों के साथ जोड़ने की समयसीमा 15 मार्च तय की गई है।

उन्होंने समयसीमा आगे बढ़ाये जाने की संभावना से इनकार किया। उन्होंने कहा कि 15 मार्च तक का दिया गया समय पर्याप्त है और इसे आगे बढ़ाने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि 80-85 प्रतिशत पेटीएम वॉलेट अन्य बैंकों से जुड़े हुए हैं और शेष 15 प्रतिशत को अन्य बैंकों से जुड़ने की सलाह दी गई है। दास ने कहा कि आरबीआई ने अपने नियमन के दायरे में आने वाली इकाई…पीपीबीएल के खिलाफ कार्रवाई की है। इसमें वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनियों के खिलाफ कुछ भी नहीं है। 

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