काशी विद्यापीठ के छात्र ऋषिकेश विश्कर्मा द्वारा बनाए गए राम अयोध्या की चित्र
– फोटो : स्वयं
विस्तार
जाति-पाति पूछे न कोई। हरि को भजै सो हरि का होई… का संदेश पूरी दुनिया में फैलाने वाले रामानंद संप्रदाय ने कई दशक पहले अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण की पहल की थी। न्यायालय से बाहर इस मसले को हल करने के लिए रामानंद संप्रदाय के अलग-अलग प्रतिनिधियों को जोड़कर 1994 में रामालय ट्रस्ट का गठन किया गया था। काशी के पंचगंगा घाट के श्रीमठ के पीठाधीश्वर रामनरेशाचार्य को ही अयोध्या के राम मंदिर निर्माण के लिए समन्वय की जिम्मेदारी भी सौंपी गई। हालांकि तत्कालीन तंत्राचार्य स्वामी चंद्रास्वामी को ट्रस्ट में शामिल किए जाने के प्रस्ताव पर विवाद हो गया और फिर रामालय ट्रस्ट मंदिर निर्माण के अभियान को गति नहीं दे पाया।
अयोध्या में बन रहे भव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होनी है। ऐसे में रामानंद संप्रदाय के प्रमुख केंद्र काशी के पंचगंगा घाट स्थित श्रीमठ की चर्चा होना लाजिमी है। यहां से ही शैव और वैष्णव के बीच चल रहे अंतरद्वंद्व को समाप्त करते हुए 12वीं सदी में रामानंदाचार्य ने संप्रदाय परंपरा का रूप दिया।
श्रीमठ से जुड़े अरुण शर्मा बताते हैं कि काशी के इस केंद्र से ही भगवान राम की भक्ति को अभियान का रूप दिया गया। तत्कालीन नरसिम्हा राव की सरकार में रामालय ट्रस्ट का गठन हुआ था और रामनरेशाचार्य को इसका समन्वयक बनाया गया था। अयोध्या का हनुमान गढ़ी और राम मंदिर रामानंद संप्रदाय का ही है।