![Ram Mandir: मूर्तियां गढ़ शिल्पियों के सपने हो रहे साकार...कठिन आचार-व्यवहार, संयम का पालन कर तैयार की प्रतिमा Ayodhya Ram Mandir Craftsmen dreams are coming true by making sculptures](https://staticimg.amarujala.com/assets/images/2024/01/16/ayodhya-ram-mandir_1705377518.jpeg?w=414&dpr=1.0)
Ayodhya Ram Mandir
– फोटो : अमर उजाला
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रामलला के भव्य मंदिर का भूतल तैयार है। मंदिर को दिव्य, भव्य और सुंदर बनाने में गिलहरी समान योगदान देने वाले शिल्पी अपने भाग्य पर इतरा रहे हैं। सबके अपने सपने थे और ये कैसे साकार हुए, इनकी बड़ी ही दिलचस्प कहानियां हैं।
आइए जानते हैं, रामलला की मूर्ति गढ़ने वाले तीन मूर्तिकारों में से एक सत्यनारायण पांडे और मंदिर के अन्य हिस्सों में लगी मूर्तियों को बनाने वाले पूर्णचंद्र महाराणा की कहानियां। महेंद्र तिवारी से खास बात में इन मूर्तिकारों ने कहा…हमने जो सपने देखे वे साकार हो रहे।
स्वप्न में आए हनुमान और रामलला की मूर्ति को गढ़ने में जुट गए सत्यनारायण
राजस्थान के सत्यनारायण पांडेय ने रामलला के बाल स्वरूप की तीन में से एक मूर्ति तैयार की है। इन्होंने मंदिर के लिए गरुण व हनुमानजी सहित अन्य मूर्तियां भी बनाई हैं, जिन्हें स्थापित कर दिया गया है। इनका दावा है कि रामलला की मूर्ति बनाने से पहले इन्हें हनुमानजी ने स्वप्न में दर्शन दिए। इतना ही नहीं मूर्ति जब तैयार हो गई तो वेदपाठ सुनाने वाले युवा ब्राह्मण को भगवान ने स्वप्न में दर्शन देते हुए और अपने लिए पानी की मांग की।
करोड़ों पत्थरों में एक निकलता है, जिससे बनी है मूर्ति
सत्यनारायण बताते हैं, मैं 2022 में दीपावली के समय अयोध्या आया था। कारसेवकपुरम में विहिप के एक नेता से मिला। मैं रामलला की दो छोटी मूर्तियां सीएम योगी आदित्यनाथ को भेंट करने के लिए लाया था। वहां दोनों मूर्तियां भेंट की। उनसे रामलला की मूर्ति बनाने पर बात हुई। वह जयपुर आए तो पिताजी के समय के पुराने पत्थर दिखाए। 10 फुट लंबा, चार फुट चौड़ा व तीन फुट मोटा अत्यंत सुंदर पत्थर था। ऐसा करोड़ों पत्थरों में एक निकलता है। वह उस पत्थर का एक टुकड़ा लेकर चले गए। चंपत राय व अन्य ने उसे पंसद किया। संदेश मिलते ही पत्थर भेज दिया। फिर मुझे बुलाया। निर्देश हुआ कि कनक भवन में भगवान के दर्शन कर आएं। वहां देखा कि श्रीराम सरकार की मूर्ति जिस पत्थर से बनी है, मेरा पत्थर भी उसी खान का है। राजस्थान के मकराना में पाड़कुआं बेल्ट का यह पत्थर है। कनक भवन में भगवान की 15 वर्ष उम्र वाली मूर्ति है। राम-सीता की शादी 14-15 वर्ष की उम्र में हुई थी। उसी मूर्ति का 5 वर्ष का बाल स्वरूप अवतरित करना था।