Ram Mandir: प्राण प्रतिष्ठा..कहानी काशी से, वरुणा की मुट्ठी भर रेत से प्रकट हुए थे प्रभु श्रीराम के रामेश्वर

Ram Mandir: Rameshwar of Lord Shri Ram appeared from a handful of sand of Varuna

Ram Mandir
– फोटो : सोशल मीडिया

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मान्यताओं और पौराणिकताओं वाली काशी में भगवान राम ने अपने इष्ट की नगरी में उनकी प्रतिकृति गढ़ी थी। लंका विजय के बाद मर्यादा पुरुषोत्तम ने पाप से मुक्ति की कामना के साथ सपरिवार पंचक्रोशी परिक्रमा की। परिक्रमा मार्ग पर संध्या तर्पण में एक मुट्ठी रेत से उन्होंने शिवलिंग की स्थापना की थी। वहीं शिवलिंग पंचक्रोशी परिक्रमा के तीसरे पड़ाव पर रामेश्वर महादेव के रूप में विराजमान हैं।

प्रभु श्रीराम और त्रिपुरारी के मिलन के स्थल रामेश्वर के लिए यह मान्यता है कि यहां दर्शन-पूजन से ऋषि ऋण और गुरु ऋण से मुक्ति मिल जाती है। रामेश्वर महादेव के इसी महात्म्य को देखते हुए पर्यटन मंत्रालय की ओर से इस क्षेत्र को विकसित किया जा रहा है।

प्रभु श्रीराम के काशी में पंचक्रोशी परिक्रमा का विस्तृत वर्णन स्कंदपुराण में वर्णित काशी खंड में है। इसके अलावा गीता प्रेस से प्रकाशित काशी वैभव में भी मणिकर्णिका से संकल्प लेकर पंचकोष का विस्तार से उल्लेख है। त्रेता युग में प्रभु श्रीराम अयोध्या से काशी पहुंचे थे और पापों से मुक्ति की कामना के साथ पंचक्रोशी की परिक्रमा की थी। इसमें मणिकर्णिका तीर्थ पर संकल्प के बाद कर्दमेश्वर, भीमचंडी होेते हुए रामेश्वर तीर्थ पर प्रभु श्रीराम ने शिवलिंग स्थापित किया और यहां वे अपने इष्ट भगवान शिव के साथ विराजते हैं।

रामेश्वर महादेव मंदिर के महंत अनु त्रिपाठी ने बताया कि पुराणों में वर्णन के अनुसार भगवान श्रीराम के कुलगुरु वशिष्ठ ने कहा कि प्रभु आपकी इस मुहूर्त में अपने इष्टदेव शिव की स्थापना कर दें तो पाप से मुक्ति मिल जाएगी। तब भगवान श्रीराम ने भक्त हनुमान को शिवलिंग लाने को कहा, लेकिन शिवलिंग लाने में विलंब होने लगा, तब प्रभु श्रीराम ने वरुणा नदी से एक मुट्ठी रेत लाकर शिवलिंग की स्थापना की थी। भगवान शिव प्रकट हुए और प्रभु श्रीराम के साथ इस शिवलिंग में लीन हुए।

रामेश्वर महादेव में रात्रि विश्राम की है मान्यता

शिव की नगरी में रामेश्वर तीर्थ ही वह स्थल है, जहां भगवान राम ने रात्रि विश्राम किया है। रामेश्वर महादेव मंदिर के महंत ने बताया कि रामेश्वर में रात्रिवास का बहुत महत्व है। इसलिए मंदिर प्रांगण में साधु गुरुओं को भी स्थान दिया गया है। तीर्थधाम में भगवान राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, हनुमान के हाथों स्थापित शिवलिंग भी हैं। तुलजा भवानी का मंदिर भी यहीं है।

 

भगवान शिव और प्रभु श्रीराम एक दूसरे के आराध्य हैं। जहां शिव हैं वहां राम को रहना ही है। भगवान राम की काशी में पंचक्रोशी परिक्रमा का उल्लेख पुराण और अन्य पुस्तकों में है। इन्हीं मान्यताओं के आधार पर हर साल हजारों की संख्या में भक्त काशी की पंचक्रोशी परिक्रमा कर पापों से मुक्त होते हैं। – प्रो विश्वंभर नाथ मिश्र, महंत, संकट मोचन मंदिर।

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