शेषनाथ सिंह।
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हिंदू संगठनों ने 30 अक्तूबर 1990 को अयोध्या में रामजन्म भूमि पर कारसेवा करने का ऐलान कर प्रदेश सरकार को खुली चुनौती दी थी। मुलायम सिंह यादव प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने हिंदू संगठनों और भाजपा की चुनौती को स्वीकार करते हुए कहा था कि बाबरी ढांचे को कारसेवकों के छूने की बात कौन कहे परिंदा भी पर नहीं मार पाएगा। उसके बाद कारसेवकों ने वहां जाने की रणनीति बनाई।
एक जत्था जब उरूवा ब्लाॅक के ढेबरा गांव के कन्हैया सिंह के घर पहुंचा तो उनकी बहू का निधन हो गया था। दरवाजे पर लाश पड़ी थी। फिर भी उन्होंने कारसेवकों को रोक। उन्हें भोजन कराया। रात में कुआनो नदी को नाव से पार कराया। साथ ही बस्ती जिले में एक गांव में रुकने की व्यवस्था की। कौड़ीराम ब्लॉक के गंभीरपुर गांव निवासी शेषनाथ सिंह ने कारसेवा की अपनी यादें साझा की।
शेषनाथ सिंह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बड़े पदाधिकारी रहे हैं। वह बताते हैं कि उनके गांव के ही रामनिधि सिंह संघ से लंबे समय से जुड़े रहे। वह मिडिल स्कूल के मास्टर थे। सेवानिवृत्त होने के बाद वह अयोध्या में एक मंदिर में रहने लगे। वह आरएसएस का काम देख रहे थे। जब आडवाणी सोमनाथ से रथ लेकर अयोध्या के लिए चले तो वह अयोध्या में ही रामजानकी मंदिर में रह रहे थे।
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