कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान नागालैंड की राजधानी कोहिमा में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। राहुल गांधी ने इस दौरान सरकार पर निशाना साधा। राहुल गांधी ने पहली बार राम मंदिर पर बात की है। उन्होंने कहा कि आरएसएस और बीजेपी ने 22 जनवरी के समारोह को पूरी तरह से राजनीतिक नरेंद्र मोदी समारोह बना दिया है। यह आरएसएस-बीजेपी का कार्यक्रम है और मुझे लगता है कि इसीलिए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि वह इस समारोह में नहीं जाएंगे। हम सभी धर्मों, सभी प्रथाओं के लिए खुले हैं। यहां तक कि हिंदू धर्म के सबसे बड़े अधिकारियों ने भी 22 जनवरी के समारोह के बारे में अपनी राय सार्वजनिक कर दी है कि वे 22 जनवरी के समारोह के बारे में क्या सोचते हैं कि यह एक राजनीतिक समारोह है। इसलिए हमारे लिए ऐसे राजनीतिक समारोह में जाना मुश्किल है जो भारत के प्रधान मंत्री के इर्द-गिर्द बनाया गया हो और आरएसएस के इर्द-गिर्द बनाया गया हो।
आपको बता दें कि कांग्रेस ने राम मंदिर समारोह के लिए मिले निमंत्रण को ठुकरा दिया है। इसके बाद से भाजपा कांग्रेस पर जमकर निशाना साध रही है। उन्होंने कहा कि यह भारत जोड़ो न्याय यात्रा है। इसका लक्ष्य सामाजिक न्याय, आर्थिक न्याय और राजनीतिक न्याय जैसे मुद्दों को उठाना है। हमने मणिपुर से शुरुआत की, इसके पीछे एक सोच थी कि मणिपुर के साथ घोर अन्याय हुआ है। पहली बार, भारत के किसी राज्य में महीनों तक हिंसा होती रही और प्रधानमंत्री और भाजपा के लोग वहां देखने तक नहीं गए। फिर हम नागालैंड गए। पीएम ने नागालैंड के लोगों से भी प्रतिबद्धता जताई थी। वह प्रतिबद्धता भी पूरी नहीं हुई।
राहुल गांधी ने कहा कि मैं चाहता था कि यह पैदल यात्रा हो। लेकिन वो बहुत लंबा हो गया होगा और ज्यादा समय नहीं था। तो, यह एक मिश्रित यात्रा है। उन्होंने कहा कि मैं कई नागा नेताओं से बात कर रहा हूं और वे इस बात से हैरान हैं कि कोई प्रगति क्यों नहीं हुई। हम इस बारे में भी स्पष्ट नहीं हैं कि समाधान के संदर्भ में प्रधान मंत्री ने क्या कल्पना की है। यह एक सतही दस्तावेज़ है…यह स्पष्ट नहीं है कि वास्तव में उनका क्या मतलब है…स्पष्ट रूप से, एक समस्या है जिसके समाधान की आवश्यकता है और यह एक ऐसी समस्या है जिसके लिए बातचीत की आवश्यकता होगी, एक-दूसरे को सुनना और समाधान लागू करने पर काम करना होगा।
कांग्रेस नेता ने कहा कि जहां तक प्रधानमंत्री का सवाल है, इसमें कमी है…मुझे यह समझ में आता है कि प्रधानमंत्री चीजों पर बिना सोचे-समझे वादे कर देते हैं…मुझे यह समझ में आता है कि लोग इस बात से परेशान हैं कि प्रधानमंत्री की विश्वसनीयता दांव पर है और 9 साल के लिए कुछ नहीं हुआ है।