
राजू ठेहट की हत्या का लाइव
राजू ठेहठ हत्याकांड में वायरल हो रहे सीसीटीवी फुटेज में देखा जा सकता है कि सीकर शहर में उद्योग नगर पुलिस थाना इलाके में पिपराली रोड पर राजू ठेहट घर के बाहर खड़ा था। तभी वहां हमलावर भी पहुंचते हैं। एक हमलावर राजू ठेहट से बातचीत करता है। ऐसे लगता है कि जैसे वो उसकी जान पहचान का हो। इसी दौरान वहां से पत्थरों से भरे दो ट्रैक्टर गुजरत हैं। एक ट्रैक्टर तो सीधा निकल जाता है। लेकिन दूसरा ट्रैक्टर का चालक ट्रैक्टर को उसके घर के सामने सड़क पर थामकर नीचे उतर जाता है। तभी हमलावरों को ट्रैक्टर की अच्छी खासी आड़ मिल जाती है और राजू ठेहट पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसानी शुरू कर देते हैं। गोली लगने से राजू ठेहट नीचे गिर जाता है। तब भी उस पार ताबड़तोड़ फायरिंग होती है। यह देख ट्रैक्टर चालक वहां से भाग जाता है। फिर हमलावर भी भागने लगते हैं, मगर एक बार दुबारा आकर राजू ठेहट के नजदीक से और गोलियां मारते हैं। गोलियों की आवाज सुनकर घर से लोग बाहर भी निकलते हैं। हमलवरों को पकड़ने की कोशिश भी करते हैं, मगर हमलावर वहां से भागने में सफल हो जाते हैं।

लॉरेंस बिश्नोई गैंग के गुर्गे ने ली जिम्मेदारी
सीकर में राजू ठेहट की गोली मारकर हत्या करने वालों का पता नहीं चल पाया है, मगर राजू ठेठ हत्याकांड की जिम्मेदारी लेने वाली एक पोस्ट सोशल मीडिया में वायरल हो रही है। Rohit Godara Kapurisar नाम से फेसबुक पर बनी प्रोफाइल पर एक पोस्ट में लिखा कि ‘राम राम सभी भाइयों को आज ये जो राजू ठेठ की हत्या हुई है। उसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी मैं लॉरेंस बिश्नोई गैंग का रोहित गोदारा लेता हूं। ये हमारे बड़े भाई आनंदपाल व बलबीर बानूड़ा की हत्या में शामिल था जिसका बदला आज हमने इसे मारकर पूरा किया है। रही बात हमारे और दुश्मनों की तो उनसे भी जल्द मुलाकात होगी। जय बजरंग बली’
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कौन था राजू ठेहट, कैसे बना गैंगस्टर?
बता दें कि राजू ठेहट का जन्म सीकर जिले के दांतारामगढ़ उपखंड में गांव जीणमाता धाम के पास स्थित गांव ठेहट में हुआ। साल 1995 में राजू ठेहट ने अपराध की दुनिया में कदम रख लिया था। उस समय शेखावाटी में सीकर के एसके कॉलेज की छात्र राजनीति सुर्खियों में रहा करती थी। सीकर का गोपाल फोगावट शराब के धंधे से जुड़ा था। राजू ठेहठ से उसके साथ अवैध शराब बेचने लगा था।

राजू ठेहट व बलबीर बानूड़ा की जोड़ी
गोपाल फोगावट के साथ काम करते हुए राजू ठेहठ की मुलाकात सीकर के गांव बानूड़ा के बलबीर बानूड़ा से हुई। बलबीर बानूड़ा दूध बेचा करता था। ज्यादा पैसा कमाने की ख्वाहिश ने राजू ठेहट व बलबीर बानूड़ा को एक साथ मिलकर शराब के कारोबार में उतार दिया। साल 1998 से लेकर 2004 तक राजू ठेहट और बलबीर बानूड़ा ने शराब के अवैध धंधे में खूब पैसा कमाया। कुख्यात भी हुए। दोनों ने मिलकर सीकर में भेभाराम हत्याकांड को अंजाम दिया। यह शेखावाटी में गैंगवार की शुरुआत थी।

जीणमाता में विजयपाल की हत्या
वक्त बीता और साल 2004 में राजस्थान में शराब के ठेकों का लॉटरी से आवंटन हुआ। राजू ठेहट व बलबीर बानूड़ा के जीणमाता में शराब का ठेका निकला। शराब की इस दुकान पर बलबीर बानूड़ा का साला विजयपाल सेल्समैन था। राजू ठेहट को लगता था कि विजयपाल शराब ब्लैक में बेचता है। इसी बात को लेकर राजू ठेहट और विजयपाल में कहासुनी हो गई, जो बाद में दुश्मनी में बदल गई। राजू ठेहट और उसके साथियों ने विजयपाल की हत्या कर दी।

विजयपाल की हत्या के बाद बलबीर बानूड़ा हुआ खून का प्यासा
राजू ठेहट अपराध के दलदल में फंसता चला गया। साले विजयपाल की हत्या के बाद बलबीर बानूड़ा राजू ठेहट के खून का प्यासा हो गया था। वह राजू ठेहट से बदला लेना चाहता था। राजू ठेहट पर उस पर गोपाल फोगावट का हाथ था। ऐसे में बलबीर बानूड़ा ने नागौर जिले के लाडनू के गांव सावराद के गैंगस्टर आनंदपाल सिंह से हाथ मिला लिया। आनंदपाल व बलबीर बानूड़ा माइनिंग और शराब का कारोबार करते थे। धीरे धीरे राजू ठेहट और आनंदपाल सिंह की गैंग बनती गई और दोनों के बीच दुश्मीन भी।

गोपाल फोगावट हत्याकांड सीकर
राजू ठेहट से बदला लेने के लिए बलबीर बानूड़ा और आनंदपाल ने जून 2006 में राजू के संरक्षक गोपाल फोगावट की हत्या कर दी। सीकर के कल्याण सर्किल के पास एक दुकान में गोपाल फोगावट को गोलियों से भून दिया गया था। गोपाल फोगावट हत्याकांड के छह साल तक राजू ठेहट और आनंदपाल सिंह गैंग अंडरग्राउंड रही। फिर साल 2012 में बलबीर बानूड़ा और आनंदपाल पुलिस के हत्थे चढ़ गए। राजू ठेहट भी सलाखों के पीछे पहुंच गया।

सीकर जेल में राजू ठेहट पर हमला , बानूड़ा की हत्या
बलबीर बानूड़ा के दोस्त सुभाष बराल ने 26 जनवरी 2013 को सीकर जेल में बंद राजू ठेहट पर हमला किया। हालांकि हमले में राजू ठेहट बच गया था। राजू ठेहट के जेल जाने के बाद पूरी गैंग की कमान भाई ओमा ठेहट ने संभाली। उधर, आनंदपाल सिंह व बलबीर बानूड़ा को बीकानेर में भेज दिया गया था। ओम ठेहट का साला जेपी व रामप्रकाश भी बीकानेर जेल में ही बंद थे। ठेहट गैंग ने जेल में आनंदपाल व बलबीर बानूड़ा से बदला लेने के लिए उन तक हथियार सप्लाई किए। 24 जुलाई 2014 को बीकानेर जेल में बलबीर बानूड़ा की हत्या कर दी गई। हमले में आनंदपाल बच गया था।