राजस्थान में गुर्जर मतदाता काफी बड़ी मात्रा में है। गुर्जर समाज से ही सचिन पायलट तालुक रखते हैं। हालांकि इस बार ऐसा लग रहा है कि गुर्जर मतदाता कांग्रेस से दूरी बनाते हुए दिखाई दे रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि जिस तरीके से कांग्रेस ने सचिन पायलट को पहले तो मुख्यमंत्री नहीं बनाया।
कांग्रेस के दिग्गज नेता सचिन पायलट रविवार को पहले दौर की गिनती में मामूली झटके के बाद अपने टोंक विधानसभा क्षेत्र में आगे चल रहे हैं, जिसमें वह शुरूआत में पीछे चल रहे थे। पायलट ने 2018 में बीजेपी उम्मीदवार यूनुस खान को 54,179 वोटों के अंतर से हराकर सीट जीती थी। सचिन पायलट राजस्थान के एक प्रमुख गुर्जर नेता हैं जो लगातार गहलोत सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर करते रहे हैं। हालांकि इस अंदरूनी कलह के कारण राज्य में कांग्रेस परेशानी में दिख रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक यह पार्टी के लिए सचिन पायलट को अधिक जिम्मेदारी देने का मौका बन सकता है। 2018 में, सचिन पायलट पार्टी के अध्यक्ष थे जब उन्होंने राज्य को भाजपा से छीन लिया था।
राजस्थान में गुर्जर मतदाता काफी बड़ी मात्रा में है। गुर्जर समाज से ही सचिन पायलट तालुक रखते हैं। हालांकि इस बार ऐसा लग रहा है कि गुर्जर मतदाता कांग्रेस से दूरी बनाते हुए दिखाई दे रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि जिस तरीके से कांग्रेस ने सचिन पायलट को पहले तो मुख्यमंत्री नहीं बनाया। बाद में उन्हें उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष पद से भी हटा दिया गया जिससे वह नाराज हैं। 2018 में जब कांग्रेस को जीत मिली थी तो गुर्जरों को लगा था कि सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ जिसकी वजह से इस बार के चुनाव में कांग्रेस के लिए मुश्किलें होती दिखाई दे रही हैं। फिलहाल राज्य में भाजपा ने जबर्दस्त बहुमत बना ली है। भाजपा कार्यकर्ताओं में जहां जश्न का माहौल है तो वहीं कांग्रेस में थोड़ी खामोशी देखी जा रही है।
भाजपा ने जहां 10 गुर्जर उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है तो वहीं कांग्रेस ने 11 को टिकट दिया है। 2018 में कांग्रेस के 8 गुर्जर विधायक चुने गए थे। भाजपा कहीं ना कहीं गुर्जर समाज के वोट बैंक को लेकर पूरी तरीके से सक्रिय नजर आ रही है। साथ ही साथ सचिन पायलट को भी उनके गढ़ में घेरने की तैयारी में है। इस वक्त देखे तो गुर्जर समाज खुलकर भाजपा का समर्थन कर रहे हैं और यह खुद कांग्रेस पार्टी के नेताओं को भी पता चलने लगा है। यही कारण है कि कहीं ना कहीं भाजपा के बड़े नेताओं के निशाने पर सचिन पायलट की तुलना में अशोक गहलोत ज्यादा है। इस बार गुर्जर बेल्ट में खासकर पूर्वी राजस्थान में बीजेपी की उम्मीदें ज्यादा बढ़ी हुई हैं। भाजपा की ओर गुर्जर के झुकाव का एक कारण यह भी है कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस साल जनवरी में गुर्जरों के देवता देवनारायण के 1,111वें ‘अवतरण महोत्सव’ के असवर पर भीलवाड़ा में एक कार्यक्रम को संबोधित किया था।
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