Rajasthan Lok Sabha Election 2024 : निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए तारीखों का एलान कर दिया है. इसके साथ ही राजस्थान में चुनावी सरगर्मी तेज हो गई. राजस्थान की भजनलाल सरकार ने वोटों को साधने के लिए करीब आधे दर्जन निशानेबाज तैयार किये है जो अलग-अलग बीजेपी के प्रत्याशियों के वोटों पर सटीक निशाना लगाएंगे.
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए आचार संहिता लगने से पहले रही भजनलाल सरकार ने राजनीतिक बिसात बिछा दी है. इसके लिए सीएम भजनलाल ने आधा दर्जन से बोर्ड, निगम और आयोग में ये नियुक्तियां की गई हैं. इनमें किसान आयोग, जीव जंतु कल्याण बोर्ड, सैनिक कल्याण, एससी आयोग, देवनारायण बोर्ड, माटी कला बोर्ड शामिल हैं. इन सभी नियुक्तियों को तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है.
जसवन्त विश्नोई जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष मनोनीत किए गये. ये जोधपुर में गजेन्द्र सिंह शेखावत के लिए वोट साधेंगे. वहीं आस-पास के ज़िलों में भी बीजेपी के लिए माहौल बनाएंगे. तो पूर्व सांसद सीआर चौधरी को किसान आयोग अध्यक्ष बनाया गया है. चौधरी पर नागौर-चूरू-झूंझुनूं-सीकर में वोट साधने की बड़ी ज़िम्मेदारी रहेगी.
इन ज़िलों में जाट वोटों को साधने के लिए आरपीएससी के पूर्व चैयरमेन को लगाया गया है. ज्योति मिर्धा, देवेन्द्र झाझड़िया की विशेष मदद की ज़िम्मेदारी रहेगी.
लेकिन बड़ा सवाल है और पार्टी में दबी जुबान से चर्चा है कि क्या वाकई दिल से ये मदद होगी ? अजमेर में वोट साधने का ज़िम्मा ओमप्रकाश भड़ाना पर है. भड़ाना को देवनारायण बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया है. इसके साथ ही अजमेर से बीजेपी का टिकट गैर-गुर्जर को जाना तय है, क्योंकि भड़ाना खुद भी टिकट पर दादेदारी कर रहे थे.
जाट-विश्नोई और गुर्जर चेहरों के साथ राजपूत भी निशानेबाज होंगे. प्रेम सिंह बाजौर को सैनिक कल्याण समिति अध्यक्ष बनाया गया है. समाज के वोटों को साधने में बाजौर को बड़ी भूमिका निभानी होगी. प्रह्लाद टांक माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष बनाए गये है. टांक पर कुमावत और अन्य ओबीसी वोट साधने का ज़िम्मा होगा.
राजेन्द्र नायक को एससी वित्त एवं विकास आयोग अध्यक्ष बनाया गया है. रामगोपाल सुथार को विश्वकर्मा कौशल विकास बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया है. सुथार पर जांगिड़-खाती और अन्य ओबीसी को साधने की ज़िम्मेदारी रहेगी.
सैनिक कल्याण समिति में तो दो सदस्य भी नियुक्त कर दिए गये है. कप्तान हनुमान सिंह और सूबेदार जेठाराम पूनिया को सदस्य बनाया गया है. ऐसे में सरकार ने बड़े वोटर वर्ग से आने वाले चेहरों को आगे किया है. अब चुनाव में ये नेता नये पद से रिचार्ज होंगे.
मोदी सरकार को रिपीट करने के लिए इन नेताओं के कंधों पर भी बड़ी ज़िम्मेदारी होगी. अलग-अलग जाति-वर्ग और समाज में वोट साधने होंगे. जातिगत के साथ क्षेत्रीय संतुलन भी साधने की कोशिश होगी. हालांकि बीजेपी में कुछ नेता इन नेताओं के नाम पूछते देखे गये.