Rajasthan- BT Cotton के नकली बीजों से बर्बाद हुए श्री गंगानगर के किसान, 2 लाख हेक्टर से ज्यादा नरमे -कपास की फसल हुई तबाह

Sriganganagar News: श्री गंगानगर में किसान के लिए इस बार कपास की फसल घाटे का सौदा साबित हुई है. बिजाई से लेकर अब तक किसान जितना पैसा खर्च कर चुका है, उससे खर्च की भरपाई भी पूरी होने की उम्मीद नहीं है. कपास की बिजाई के समय ओलावृष्टि होने के कारण किसान को 3 से 4 बार कपास की बिजाई करनी पड़ी. एक बार बिजाई करने में लगभग 2500 रुपये का खर्च आता है, लेकिन इस बार बिजाई करनी किसान को 7 से 10 हजार प्रति हेक्टर पड़ी है और अब जब फसल तैयार होने पर आई तो गुलाबी सुंडी और मौसम की मार ने किसान की कमर तोड़ कर रख दी है.

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 80 प्रतिशत से ज्यादा नरमे-कपास की फसल बर्बाद
बता दें कि श्री गंगानगर में कपास की 2 लाख हेक्टर से ज्यादा नरमे-कपास की फसल को गुलाबी सुंडी ने अपने कब्जे में लिया है और जो फसल बची थी, उसको बारिश की चपेट में आकर बर्बाद हो गई. हालात यह है की 80 प्रतिशत से ज्यादा नरमे-कपास की फसल बर्बाद हो चुकी हैं और जो बची है वो काली पड़ चुकी हैं जिसका दाम आधा रह गया है.

मुआवजे की गुहार
 कपास की फसल में खराबा होने के बाद किसान संघर्ष समीतियों ने सरकार से आचार संहिता लगने से पहले -पहले पटवारियों से सर्वे करवा कर उचित मुआवजा दिलवाने की मांग की है.इसे लेकर श्री करनपुर विधायक गुरमीत सिंह कुन्नर ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर जल्द से जल्द रिपोर्ट बनाने को लेकर गुहार लगाई है. 

विधायक का बीटी कॉटन को लेकर केंद्र पर निशाना
विधायक ने सरकार से कहा है क्योंकि सरकार के पास समय कम है इसलिए कोई कानूनी अड़चन ना आए. कपास की फसल खराब होने से किसान खून के आंसू रोने को मजबूर हो चुका है. वही दूसरी तरफ गुरमीत सिंह कुन्नर ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा की गुजरात और महाराष्ट्र में बीटी कॉटन बीज फैल होने की वजह से बन्द कर दिया गया है तो राजस्थान में क्यों बेचा जा रहा है. ये केंद्र सरकार की साजिश है.

बीटी कॉटन पर राज्य सरकार को घेरा
राजस्थान में चुनावों का समय बहुत कम बचा होने से विपक्षी पार्टियां अब कपास के खराबे को चुनावी मुद्दा बनाने पर उतर आई है. कामरेड स्योपत राम मेघवाल ने कहा सरकार सब जानते हुए भी कुछ नहीं कर पा रही है. वही भाजपा के पूर्व खनन मंत्री सुरेद्र पाल सिंह टीटी बीटी को सुंडी रहित बीज बता बीज कम्पनियों पर दोष लगा रहे हैं

 इस मामले में जब पेस्टीसाइड बेचने वालों और खेतीबाड़ी के जानकारी रखने वाले लोगों से बात की गई तो उन्होंने कहा की पिछली बार भी गुलाबी सुंडी का अटेक हुआ था. बीटी कॉटन बीज बनाने वाली कम्पनियों और केंद्र सरकार को पता था फिर भी बीटी कॉटन  मार्किट में किसानों को दिया गया. जिसके बाद वही हुआ जिसका डर था.

 कृषि जानकर बताते हैं की विदेशों में बीटी 03 या बीटी 04 बिक रहा है, जिसको सुंडी या तेला मच्छर नहीं लगता है पर सरकार उनको भारत मे मंजूरी नहीं दे रही पर पाकिस्तान में बीटी 04 इस्तेमाल किया जा रहा है. जानकर साफ तौर पर ये कहते हैं कि अगर सरकार ने भारत मे बीटी 04 की परमिशन नहीं देगी तो लोग इसको पैदा करना बंद कर देंगे.

क्या है गुलाबी सुंडी 
 जानकर मानते हैं कि गुलाबी सुंडी का एक लार्वा होता है, जो लंबे समय तक जमीन में पड़ा रहता है और जब कपास के पौधे पर फूल लगता है ये उसी वक्त फसलों पर अटैक करता है और कपास के टिंडे में चला जाता है और टिंडे को खत्म कर देता है, जिस पर कीटनाशक स्प्रे भी असर नहीं कर पाते क्योंकि कीड़ा अपना रजिस्टेंस बहुत बड़ा लेता है.

राजस्थान में कपास की फसल को किसान पैदा करना धीरे-धीरे बन्द करता जा रहा है, अगर सरकार जल्द नहीं चेती तो किसान इस फसल से तौबा कर लेगा जिसका कपड़ा उद्योग पर बहुत बड़ा असर पड़ेगा.

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