
राठौड़ खुद ही कर रहे पैरवी
राजेंद्र राठौड़ की याचिका पर सुनाई करते हुए जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और विनोद कुमार भारवानी की बेंच ने मंगलवार को सामूहिक इस्तीफा केस में नोटिस जारी किए हैं। अपने केस की पैरवी खुद कर रहे राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस के 91 विधायकों के इस्तीफे विधानसभा स्पीकर के पास पेंडिंग हैं। उन पर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ। विधायकों के सामूहिक त्याग पत्र में वर्तमान सरकार सदन में विश्वास खो चुकी है। इसके बावजूद कैबिनेट की बैठक में नीतिगत फैसले लिए जा रहे हैं।

विधानसभा अध्यक्ष को कई बार पत्र लिखे- राठौड़
मीडिया से बातचीत में राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि राजस्थान में 25 सितम्बर 2022 को आए संवैधानिक संकट पर स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए। कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे स्वीकार नहीं करने से घोर संवैधानिक विफलता की स्थिति पैदा हो रही है। इसे रोकने के लिए कानूनी दखल जरूरी है। अब ये मामला ज्यूडिशियल रिव्यू में आ गया है। मैं समझता हूं, अब उचित निर्णय होगा। कांग्रेस विधायकों के इस्तीफों पर तत्काल प्रभाव से निर्णय लेने के संबंध में भाजपा विधायक दल और बाद में मेरे द्वारा विधानसभा अध्यक्ष को कई बार पत्र लिखे गए। उसके बाद भी इस्तीफे स्वीकार नहीं करने से इस्तीफों को स्वीकार कर लेने की धमकी की आड़ में अशोक गहलोत जबरन मुख्यमंत्री बने रहे।

राजस्थान में इस्तीफा केस क्या है?
राजस्थान विधायकों के सामूहिक इस्तीफे के पूरे मामले को समझने से पहले राजस्थान कांग्रेस की गुटबाजी जाननी जरूरी है। दरअसल, राजस्थान कांग्रेस दो खेमों में बंटी हुई है। एक अशोक गहलोत का और दूसरा सचिन पायलट का खेमा। कांग्रेस ने राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 जीता तब सचिन पायलट पीसीसी चीफ थे। पायलट समर्थक विधायकों ने तब उनको सीएम बनाने के लिए ताल भी ठोकी, मगर सीएम अशोक गहलोत व डिप्टी सीएम सचिन पायलट बने।

सचिन पायलट गुट ने क्यों की बगावत?
फिर साल 2020 ने सचिन पायलट खेमे ने अशोक गहलोत सरकार में उनके काम नहीं होने की बात कहकर बगावत कर दी थी और सचिन पायलट खेमे के विधायक हरियाणा के होटलों में आकर बैठ गए। तब आलाकमान के दखल के बाद सचिन पायलट को डिप्टी व पीसीसी चीफ दोनों पद खोने खड़े। पायलट सिर्फ टोंक से विधायक रह गए।

कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव से पहले फिर बवाल क्यों?
अब साल 2022 में कांग्रेस ने राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए चुनाव का ऐलान किया और राजस्थान सीएम अशोक गहलोत को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की चर्चाएं शुरू हुई तो इधर, राजस्थान में कई विधायकों ने सचिन पायलट को सीएम बनाने की मांग फिर से उठा दी। तब फिर बवाल मचा। राजस्थान कांग्रेस संकट को लेकर नई दिल्ली से कांग्रेस नेता अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे जयपुर भेजे गए।

गहलोत गुट के विधायकों ने क्यों सौंपे थे इस्तीफे?
जब माकन और खड़गे जयपुर आए और विधायक दल की बैठक लेकर पूरे सियासी मसले का कोई हल निकालने की बात कही तो अशोक गहलोत गुट के विधायकों ने यह कहकर बगावत कर दी कि माकन और खड़गे एक लाइन का प्रस्ताव पास करवाना चाहते हैं, ताकि अशोक गहलोत के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने पर पायलट को राजस्थान सीएम बनाया जा सके। इस पर संभावित फैसले के विरोध में अशोक गहलोत गुट के 91 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफे सौंप दिए थे। इतनी बड़ी बगावत से कांग्रेस आलाकमान पीछे हट गया और गहलोत ने भी राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव नहीं लड़ा। खड़गे नए कांग्रेस अध्यक्ष बने। राजस्थान में स्थिति साल 2020 के बाद की जैसी ही है।