राजस्थान के कोटा में चंबल ‘रिवरफ्रंट’ में धातु का एक भारी घंटा लटकाने के दौरान रविवार को हुए हादसे में एक अभियंता और उनके सहायक गंभीर रूप से घायल हो गए तथा इलाज के दौरान शाम में उनकी मौत हो गई। पुलिस ने यह जानकारी दी।
मृतक अभियंता के बेटे धनंजय आर्य ने शहरी विकास और आवास मंत्री एवं स्थानीय विधायक शांति धारीवाल और मुख्य वास्तुकार अनूप बरतारिया पर 27 ढलाई सांचों से निर्धारित समयसीमा से पहले घंटा निकालने के लिए दबाव बढ़ाने का आरोप लगाया।
मृतकों की पहचान धातु के घंटे के ढलाई इंजीनियर जोधपुर निवासी देवेन्द्र आर्य (62) और उनके सहायक धौलपुर निवासी छोटू सिंह (20) के रूप में हुई है।
पुलिस के मुताबिक, दुर्घटना उस समय हुई, जब दोनों हाइड्रोलिक क्रेन की मदद से भारी घंटा लटकाने की प्रक्रिया में जुटे हुए थे।
कुन्हारी पुलिस थाने के प्रभारी महेंद्र मीणा ने कहा कि दुर्घटना में सिंह और आर्य गंभीर रूप से घायल हो गए और उन्हें एक निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां सहायक को मृत घोषित कर दिया गया, जबकि आर्य की इलाज के दौरान मौत हो गई।
मीणा ने बताया कि दोनों शवों का सोमवार सुबह पोस्टमार्टम किया जाएगा।
तेरह धातुओं से बनी और लगभग 75 किलोग्राम वजनी इस घंटा के बारे में दावा किया गया था कि यह दुनिया का सबसे बड़ा घंटा है और इसे चंबल ‘रिवरफ्रंट’ में लटकाया जाना था। यह भी दावा किया गया है कि इस घंटे की आवाज आठ किलोमीटर के दायरे में सुनाई देगी।
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