Rajasthan: अविनाश पांडे के बाद अजय माकन की भी हुई छुट्टी, गहलोत और पायलट की सियासी जंग की भेंट चढ़े दोनों प्रभारी

जयपुर: राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी रहे अजय माकन (ajay maken) की आखिरकार छुट्टी हो ही गई। गहलोत और पायलट गुट के बीच चल रहे सियासी युद्ध के चलते दूसरे प्रभारी को भी हटाना पड़ा है। इससे पहले कांग्रेस आलाकमान ने अविनाश पांडे (avinash pandey) को भी हटाना पड़ा था। गहलोत और पायलट गुट के बीच सामंजस्य नहीं बैठा पाने और बगावत को भांप नहीं पाने के कारण हटाया गया था। पांडे पर यह भी आरोप था कि वे अशोक गहलोत का पक्ष ले रहे थे जबकि अजय माकन पर सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की साजिश रचने के गंभीर आरोप लगाए गए थे। अब पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा (Sukhjinder Singh Randhawa) को राजस्थान कांग्रेस प्रभारी बनाया गया है।

पहले जानिए अविनाश पांडे की छुट्टी कैसे हुई?

जैसा कि आप जानते हैं गहलोत और पायलट के बीच मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर चार साल से जंग चल रही है। जुलाई 2020 में सचिन पायलट और उनके समर्थित विधायकों ने बगावत कर दी थी। पायलट सहित कुल 19 विधायक मानेसर जा बैठे थे। सरकार बचाने के लिए गहलोत को 34 दिन तक होटलों में रहना पड़ा। आखिर में प्रियंका गांधी की दखल के बाद सुलह हुई और पायलट राजी हुए। इसके बावजूद भी 14 अगस्त 2020 को गहलोत को सदन में बहुमत साबित करना पड़ा। एक महीने से ज्यादा समय तक चले बवंडर को रोकने में नाकाम होने की गाज तत्कालीन प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे पर गिरी। कांग्रेस आलाकमान ने 16 अगस्त 2020 को पांडे को प्रदेश प्रभारी पद से हटा दिया।

गहलोत का समर्थन करने के आरोप लगे थे अविनाश पांडे पर

उस दौरान सचिन पायलट और उनके समर्थित विधायकों द्वारा कांग्रेस आलाकमान से शिकायतें की गई कि प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे पायलट गुट की अनदेखी कर रहे हैं और गहलोत गुट का समर्थन कर रहे हैं। पायलट गुट का कहना था कि अगर अविनाश पांडे उनकी बात कांग्रेस आलाकमान तक पहुंचा देते तो बगावत की नौबत नहीं आती। पांडे पर गहलोत के प्रति पक्षपात करने के भी आरोप लगे थे। बाद में जब बगावत का बवंडर उठा तो कांग्रेस हाईकमान ने अविनाश पांडे की छुट्टी कर दी।
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पांडे की छुट्टी के बाद आए अजय माकन, दो साल ठीक गुजरे

अविनाश पांडे की छुट्टी के बाद कांग्रेस आलाकमान ने अजय माकन को राजस्थान कांग्रेस का नया प्रभारी बनाया। राजस्थान में माकन का जोर शोर से स्वागत किया गया। माकन के प्रभारी रहते राजस्थान में 5 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए। इन उपचुनावों के दौरान औपचारिक रूप से गहलोत और पायलट को बड़ी सभाओं में साथ देखा गया। एक ही हेलीकॉप्टर में साथ बैठकर चुनावी दौरे किए गए और एक बार को गहलोत की गाड़ी के पायलट भी सचिन पायलट बने थे। लेकिन दो साल बाद ऐसा नौबत आई कि अजय मकान पर भी गंभीर आरोप लगे। उन पर सचिन पायलट का समर्थन करने और साजिश के तहत पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के आरोप लगे।
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गहलोत गुट के ऐसे निशाने पर आए अजय माकन

25 सितंबर को राजस्थान प्रदेश कांग्रेस में हुए बवाल से पहले सचिन पायलट गुट के कई विधायकों ने पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की मांग प्रमुखता से उठाई। मांग के साथ समर्थक विधायकों ने सब्र टूटने और पार्टी को खामियाजा भुगतने की चेतावनी भी दी थी। जब मामला ज्यादा बढ गया तो कांग्रेस हाईकमान ने मल्लिकार्जुन खरगे और अजय माकन को ऑब्जर्वर बनाकर भेजा। 25 सितंबर 2022 की शाम को मुख्यमंत्री निवास पर कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई गई लेकिन गहलोत गुट के विधायकों ने बैठक का बहिष्कार कर दिया। उन्हें लगा कि विधायक दल की बैठक में जो प्रसताव पास किया जाएगा, उसके बाद मुख्यमंत्री बनाने का अधिकार आलाकमान के पास चला जाएगा और आलाकमान कहीं सचिन पायलट को मुख्यमंत्री ना बना दे। इसी वजह से गहलोत गुट के विधायकों ने ना केवल विधायक दल की बैठक का बहिष्कार किया बल्कि 25 सितंबर की आधी रात को विधानसभा अध्यक्ष के आवास पर जाकर सामुहिक रूप से इस्तीफा दे दिया।
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ये गंभीर आरोप लगे अजय माकन पर

25 सितंबर से शुरू हुए पॉलिटिकल ड्रामे से कांग्रेस से खलबली मच गई। कांग्रेस की कलह सड़क पर आ गई थी और पूरे देश में पार्टी को फजीहत झेलनी पड़ी। 29 सितंबर 2022 को अशोक गहलोत को इस पूरे घटनाक्रम पर माफी मांगनी पड़ी। इसी दरमियान गहलोत गुट के शांति धारीवाल ने तत्कालीन प्रदेश प्रभारी अजय माकन पर गभीर आरोप लगाए। धारीवाल ने सार्वजनिक रूप से कहा बीजेपी से मिलीभगत करके एक साजिश के तहत सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने का षड़यंत्र रचा गया था। अजय माकन खुद इस साजिश का हिस्सा है। अजय माकन का नाम लेकर आरोप लगाकर शांति धारीवाल ने माकन को खुली चुनौती दे दी। बाद में अजय माकन ने कांग्रेस के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को अपना इस्तीफा भेजा। अब माकन का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया और सुखजिन्दर रंधावा को नया प्रभारी बनाया गया है।
रिपोर्ट – रामस्वरूप लामरोड़

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