मीर तक़ी मीर के क़लाम से लिया गया था फिल्म एक नजर का यह गाना, आज भी रहता है जुबां पर
मुकेश चंद माथुर (Mukesh Chand Mathur) उर्फ मुकेश को यूं ही दिग्गज नहीं कहा जाता है. एक शादी में मुकेश को दूर के संबंधी और अभिनेता मोतीलाल घर ले आए, इस शर्त पर कि सिर पर छत, कपड़े और गुरू तुम्हें दिए जाएंगे लेकिन पैसे खुद कमाने होंगे. मुकेश (Mukesh) की कहानी यहीं से शुरू हुई. मुकेश उस समय के मशहूर गायक कुंदन लाल सहगल यानी के. एल. सहगल के फैन थे. उन्हें जिस गाने से पहचान मिली वो गाना था दिल जलता है तो जलने दे. इस गाने को मुकेश ने के.एल. सहगल साहब की तरह ही गाया था और इसे रेडियो पर सुनकर खुद के.एल. (K.L. Saigal) सहगल सोचने लगे थे कि उन्होंने यह गाना कब गाया. इसके बाद से मुकेश साहब ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
मुकेश साहब की जिंदगी का हर एक पहलू प्रभावशाली है और प्रेरणास्त्रोत से कम नहीं है. वहीं, मुकेश साहब के गीतों की बात करें तो उन्होंने हिंदी सिनेमा को ऐसे कितने ही गाने दिए जो आज भी सदाबहार हैं. दिल जलता है तो जलने दे, एक दिन बिक जाएगा माटी के मोल, हम छोड़ चले हैं महफिल को, एक प्यार का नगमा है, सजन रे झूठ मत बोलो, यह मेरा दीवानापन है, चंदन सा बदन, फूल तुम्हें भेजा है खत में, आवारा हूं, कभी-कभी मेरे दिल में जैसे कितने ही गानों को मुकेश साहब ने अपनी आवाज़ दी थी.
मुकेश ने उस समय के बड़े कलाकारों के लिए प्लेबैक सिंगिंग की थी जिनमें दिलीप कुमार भी थे तो अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) और मनोज कुमार भी, लेकिन जिस कलाकार की वह आवाज़ बन गए थे वे थे राज कपूर. राज कपूर का कहना था, मैं तो सिर्फ एक जिस्म हूं, हाड़-मांस मास का पुतला हूं, रूह अगर कोई है मुझमे तो वो मुकेश चंद है.
राज कपूर ने अपनी शुरूआती फिल्मों में खुद गाने गाए थे लेकिन जब उन्होंने मुकेश की आवाज़ सुनी तो कहने लगे कि यह तो मेरी आवाज़ है. इसके बाद तो दोनों ने साथ इतिहास रच दिया. जाने कहां गए वो दिन, मेरा जूता है जापानी, जीना यहां मरना यहां, आवारा हूं, जीना इसी का नाम है, चले जाना ज़रा ठहरो, दिल लगाकर आपसे और जोश ए जवानी हाय रे हाय कुछ ऐसे गाने हैं जिन्हें राजकपूर के लिए मुकेश साहब ने गाया था. कहते हैं जब मुकेश साहब दुनिया से रुख्सत हुए तो राज कपूर ने कहा था कि मेरी आवाज़ चली गई.