
काजी अब्दुल सत्तार
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उर्दू के मशहूर उपन्यासकार काजी अब्दुल सत्तार की पुण्यतिथि 29 अक्तूबर को है। शिकस्त की आवाज, मज्जू भैया, दारा शिकोह, ग़ालिब सहित कई बेहतरीन उपन्यास के लिए उन्हें 41 वर्ष की आयु में पद्मश्री सम्मान मिला था। उनके उपन्यासों के भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया में लोग उनके मुरीद हैं।
सीतापुर जिले के गांव मछरेटा में जमींदार परिवार में 8 फरवरी 1933 को जन्मे काजी अब्दुल सत्तार एएमयू में वर्ष 1957 में ‘उर्दू शायरी में कुनूतियात’ विषय पर पीएचडी की डिग्री हासिल की। वह उर्दू के प्रवक्ता नियुक्त हुए। वर्ष 1967 में रीडर, वर्ष 1981 में प्रोफेसर, 1987 में विभाग के चेयरमैन बने और 1992 में सेवानिवृत्त हुए। 29 अक्तूबर 2018 में काजी सत्तार ने अंतिम सांस ली।
काजी सत्तार को मिले सम्मान
1973 : प्रथम गालिब पुरस्कार
1974 : पद्मश्री
1977 : मीर अवॉर्ड
1977 : यूपी उर्दू अकादमी पुरस्कार
1987 : अल्मी पुरस्कार
1987 : राष्ट्रीय पुरस्कार यूपी सरकार
1996 : निशान-ए-सर सैयद पुरस्कार
1998 : ज्ञानेंद्र पुरस्कार
2002 : बहादुर शाह जफर पुरस्कार
2005 : अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार दोहा (कतर)
2006 : राष्ट्रीय इकबाल पुरस्कार
2008 : आईएसटी विश्वविद्यालय उर्दू शिक्षक पुरस्कार
2011 : यूपी हिंदी संस्थान का प्रथम पुरस्कार