हंगरी को नाटो का एक अहम सदस्य माना जाता है। लेकिन जंग की शुरुआत से हंगरी यूक्रेन को विध्वंसक हथियार देने के खिलाफ रहा है। लेकिन जैसे-जैसे अब युद्ध लंबा खिंच रहा है तो हंगरी का सब्र जवाब देता जा रहा है।
नाटो में एक बहुत बड़ी फूट की खबर है। नाटो के एक देश ने बगावत तक कर डाली है। ये बहुत बड़ा झटका नाटो के लिए भी है। जेलेंस्की और अमेरिका के लिए भी ये झटका है वहीं रूस के लिए बड़ी राहत की खबर है। नाटो देश हंगरी ने बगावत कर दी है। हंगरी ने जर्मनी पर धमकी तक दे दी है। हंगरी को नाटो का एक अहम सदस्य माना जाता है। लेकिन जंग की शुरुआत से हंगरी यूक्रेन को विध्वंसक हथियार देने के खिलाफ रहा है। लेकिन जैसे-जैसे अब युद्ध लंबा खिंच रहा है तो हंगरी का सब्र जवाब देता जा रहा है। उसने अपने देश की बिगड़ती अर्थव्यवस्था का ठीकड़ा नाटो के सिर पर फोड़ दिया है।
हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ऑर्बेन ने बयान में कहा है कि अगर हंगरी की ऊर्जा सप्लाई पर हमला हुआ तो इसके गंभीर नतीजे देखने को मिलेंगे। 18 महीने की जंग में ये तो तय हो चुका है कि यूक्रेन रूस से किसी भी हालत में युद्ध नहीं जीत पाएगा। अगर नाटो देश अमेरिका और जर्मनी इसी तरह अंधाधुंध अरबों डॉलर डॉलर के हथियार यूक्रेन को देते रहे तो मजबूरी में हंगरी रूस की तरफ से जंग करेगा और जर्मनी पर हमला कर देगा।
हंगरी का साफ कहना है कि रूस पर कड़े प्रतिबंधों के चलते हंगरी को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। जबकि एडवांस से एडवांस हथियार देने के बाद भी यूक्रेन युद्ध का कोई भी हल नहीं निकलता दिखाई दे रहा है। हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर आर्बन ने अपने बयान में ऐसी कई बातें कहीं जो नाटो को बुरी लग सकती है। उन्होंने कहा कि पूरा नाटो मिलकर भी रूस को हरा नहीं पाएगा। बाइडेन को हटाकर ट्रंप आएंगे तभी युद्ध रुक सकता है।
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