Putin के बाद जिनपिंग ने भी G20 बैठक से क्यों बनाई दूरी? नक्शे वाली गलती से मुंह छिपा रहे या फिर है और कोई वजह

रिपोर्ट में कहा गया है कि वीवीआईपी विमानों के लिए उड़ान योजना पहले ही प्रस्तुत की जा चुकी है, हालांकि विदेश मंत्रालय द्वारा औपचारिक संचार का अभी भी इंतजार किया जा रहा है। भारत सरकार ने जी-20 शिखर सम्मेलन से राष्ट्रपति शी की अनुपस्थिति के पीछे के कारणों पर टिप्पणी नहीं करने का फैसला किया है।

भारत में जी20 सम्मेलन की तैयारियां जोरों पर हैं। दुनियाभर के तमाम बड़े नेता इसमें शामिल होंगे। लेकिन इस बीच खबर आई कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग नई दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेंगे। इसके बजाय, प्रीमियर ली कियांग 9-10 सितंबर के बीच होने वाले वैश्विक कार्यक्रम में चीन का प्रतिनिधित्व करेंगे। हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री ली कियांग 5-7 सितंबर तक जकार्ता में 43वें आसियान शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद सीधे नई दिल्ली जाएंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि वीवीआईपी विमानों के लिए उड़ान योजना पहले ही प्रस्तुत की जा चुकी है, हालांकि विदेश मंत्रालय द्वारा औपचारिक संचार का अभी भी इंतजार किया जा रहा है। भारत सरकार ने जी-20 शिखर सम्मेलन से राष्ट्रपति शी की अनुपस्थिति के पीछे के कारणों पर टिप्पणी नहीं करने का फैसला किया है। 

नक्शा विवाद है वजह? 

जिनपिंग के भारत नहीं आने का कदम चीन द्वारा हाल ही में जारी किए गए मानक मानचित्र के बाद उठाया गया है। इस मानचित्र में अक्साई चिन के कुछ हिस्सों और पूरे अरुणाचल प्रदेश को चीन के क्षेत्र के हिस्से के रूप में शामिल किया गया है, इस कदम को मानचित्रण विस्तार के रूप में देखा जाता है। इस मानचित्र के जारी होने के समय ने दिल्ली में आगामी शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति शी की उपस्थिति के बारे में महत्वपूर्ण सवाल उठाए थे। हाल ही में जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी नेता के साथ संक्षिप्त बातचीत की। इस आदान-प्रदान के दौरान, उन्होंने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त की।

प्रधानमंत्री ली कियांग करेंगे चीन का प्रतिनिधित्व

9-10 सितंबर को दिल्ली में होने वाली G20 समिट में शरीक होने के लिए समूह के सभी सदस्य देशों और आमंत्रित देशों के राष्ट्राध्यक्षों को न्योता भेजा गया है।दिल्ली में जी 20 की बैठक को एक ऐसे मंच के रूप में देखा जा रहा था जहां चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन मुलाकात कर सकते थे। अमेरिका और चीन दोनों ही भू राजनीतिक तनाव और व्यापार को स्थिर बनाना चाहते हैं। इससे पहले बाइडन और शी ने नवंबर में इंडोनेशिया के बाली में G20 शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात की थी। रूस ने पहले ही साफ कर दिया कि राष्ट्रपति पुतिन समिट में हिस्सा लेने दिल्ली नहीं आएंगे। उनकी जगह विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भारत आएंगे। महज दो दिन पहले ही रूसी राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टेलिफोन पर हुई बातचीत में दिल्ली ना आने की सूचना भी दी थी। वहीं जिनपिंग की जगह प्रधानमंत्री ली कियांग जी20 में अपने देश का प्रतिनिधित्व करेंगे।

वसुधैव कुटुंबकम से आपत्ति

इससे पहले अगस्त के महीने में चीन ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ (दुनिया एक परिवार है) को भारत की जी20 अध्यक्षता की थीम के रूप में शामिल करने पर आपत्ति जताई थी। G20 ऊर्जा मंत्रिस्तरीय बैठक के साथ-साथ कई अन्य समान G20 दस्तावेजों के दौरान आउटकम डॉक्यूमेंट में इस वाक्यांश और इसके उपयोग का विरोध किया था, मुख्य रूप से क्योंकि संस्कृत संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त छह आधिकारिक भाषाओं में से एक नहीं थी। इसी तरह से G20 के बाकी डॉक्यूमेंट्स में भी इस शब्द का उपयोग है। चीन ने तर्क दिया कि जी-20 दस्तावेज आधिकारिक तौर पर ‘वसुधैव कुटुंबकम’ शब्द का उपयोग नहीं कर सकते। उसका कहना है कि यह एक संस्कृत भाषा का शब्द है और इस भाषा को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की तरफ से मान्यता दी गई। छह आधिकारिक भाषाओं में शामिल नहीं किया गया है।  

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