रिपोर्ट के अनुसार, ये संरक्षित हैं और एएसआई द्वारा उनकी देखभाल की जाती है। ये कब्रें लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर जॉन अल्बर्ट कोप (मृत्यु 1880 में) और हेनरी गैसेन (मृत्यु 1877) की हैं, जो एक कपास ओटने वाली कंपनी के लिए काम करते थे।
संसद की एक समिति ने कहा है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित स्मारकों की सूची में कई छोटे स्मारक शामिल हैं और सिफारिश किया कि सूची में स्मारकों को उनके राष्ट्रीय महत्व, वास्तुशिल्प मूल्य और विशिष्ट विरासत तत्वों के आधार पर वर्गीकृत किया जाना चाहिए।
परिवहन, पर्यटन और संस्कृति विभाग संबंधी संसद की स्थायी समिति की यह रिपोर्ट एएसआई के कामकाज पर केंद्रित है जिसे बृहस्पतिवार को संसद में पेश किया गया।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘समिति का मानना है कि केंद्रीय संरक्षित स्मारकों की सूची में कई समस्याएं हैं। सूची में बड़ी संख्या में ऐसे छोटे स्मारक शामिल हैं जिनका कोई राष्ट्रीय महत्व नहीं है।’’
समिति ने कहा कि सभी संरक्षित स्मारकों और पुरातात्विक स्थलों और अवशेषों के आसपास 100 मीटर के निषिद्ध क्षेत्र और 300 मीटर के विनियमित क्षेत्र का प्रावधान आम जनता के लिए असुविधा का कारण है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘यह प्रावधान इसके आसपास रहने वाले स्थानीय समुदाय के लिए समस्या का कारण बनता है। कुछ मामलों में, पूरा गांव 300 मीटर के दायरे में है जिससे पूरे गांव के लिए अपनेघरों की आवश्यक मरम्मत कराना भी मुश्किल हो जाता है।’’
समिति ने सुझाव दिया है कि प्रासंगिक नियमों की समीक्षा और उन्हें यथार्थवादी बनाना आज समय की मांग है।
उसने कहा कि देखा गया है कि आज तक, 3,693 केंद्रीय संरक्षित स्मारकों में से 531 स्मारकों यानी 14.4 प्रतिशत का अतिक्रमण किया गया है।
समिति ने कहा कि 3,691 स्मारकों की वर्तमान सूची में औपनिवेशिक युग के सैनिकों या बिना किसी विशेष महत्व के अधिकारियों की 75 कब्रें शामिल हैं। इसका एक उदाहरण कर्नाटक के कुमटा में स्थित एक छोटी ईंट की दीवार का घेरा है जिसमें दो कब्रें हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, ये संरक्षित हैं और एएसआई द्वारा उनकी देखभाल की जाती है। ये कब्रें लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर जॉन अल्बर्ट कोप (मृत्यु 1880 में) और हेनरी गैसेन (मृत्यु 1877) की हैं, जो एक कपास ओटने वाली कंपनी के लिए काम करते थे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस संरचना का कोई वास्तुशिल्पीय महत्व नहीं है, और उन व्यक्तियों का भी कोई ऐतिहासिक महत्व नहीं है।
समिति ने सिफारिश की कि एएसआई के पास मौजूद स्मारकों की सूची को उनके राष्ट्रीय महत्व, अद्वितीय वास्तुशिल्प मूल्य और विशिष्ट विरासत तत्वों के आधार पर वर्गीकृत किया जाना चाहिए।
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