
Prabhasakshi
अपनी कला के प्रति डार के समर्पण और कालीन बनाने की सदियों पुरानी परंपरा को संरक्षित करने की प्रतिबद्धता के चलते उन्होंने स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा अर्जित की है। उनके गलीचे गुणवत्ता, सुंदरता और जटिल पैटर्न के जरिये कश्मीरी संस्कृति और कलात्मकता को दर्शाते हैं।
कश्मीरी कारीगर गुलाम मुहम्मद डार छोटे गलीचे बनाते हैं जोकि प्रार्थना करने के दौरान उपयोग किये जाते हैं। उनके द्वारा हस्तनिर्मित गलीचों की मांग लगभग आधी सदी से यूरोप और अरब में बनी हुई है। श्रीनगर के डाउनटाउन में रहने वाले 63 वर्षीय गुलाम मुहम्मद डार 49 वर्षों से कश्मीर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दुनिया के सामने प्रदर्शित करते हुए उत्कृष्ट प्रार्थना गलीचे तैयार कर रहे हैं। पारंपरिक तकनीकों और जटिल डिजाइनों के साथ सावधानीपूर्वक बुनी गई उनकी उत्कृष्ट कृतियों की यूरोप और मध्य पूर्व के पवित्र स्थानों में खूब मांग है। इसके अलावा दुनिया के जिन देशों में कश्मीरी शिल्प की मांग है वहां भी गुलाम मुहम्मद डार के गलीचे प्रसिद्ध हैं।
अपनी कला के प्रति डार के समर्पण और कालीन बनाने की सदियों पुरानी परंपरा को संरक्षित करने की प्रतिबद्धता के चलते उन्होंने स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा अर्जित की है। उनके गलीचे गुणवत्ता, सुंदरता और जटिल पैटर्न के जरिये कश्मीरी संस्कृति और कलात्मकता को दर्शाते हैं। प्रभासाक्षी संवाददाता से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि हाल के वर्षों में उन्होंने अपने कौशल में कुछ बदलाव भी किया है।
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