देशभर के तमाम संतों ने अयोध्या में निर्मित मंदिर में भगवान राम के विग्रह के 22 जनवरी को होने वाले प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का समर्थन किया है। यही नहीं देश के प्रमुख शंकराचार्यों ने भी प्राण प्रतिष्ठा समारोह के समर्थन में बयान दिया है। संतों ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का समर्थन करते हुए कहा है कि जब गुजरात के सोमनाथ मंदिर में ‘प्राण प्रतिष्ठा’ का आयोजन हुआ था, तो मंदिर पूरा नहीं बना था और इस बात पर जोर दिया कि अयोध्या में यह समारोह शास्त्रों के अनुरूप है। सरयू आरती के शशिकांत दास ने एक बयान में कहा कि अयोध्या में यह शुभ अवसर 500 वर्षों के इंतजार और संघर्ष के बाद आया है और ऐसा कुछ भी नहीं किया जाना चाहिए जिससे इस अवसर की भव्यता कम हो। उन्होंने कहा कि इसे संभव बनाने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के योगदान को स्वीकार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस अवसर पर पूरे देश में प्रसन्नता का माहौल होगा।
श्री दूधेश्वरनाथ मंदिर के महंत नारायण गिरि ने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह बड़े सौभाग्य का अवसर है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोग इस पर मुद्दा उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह के 14 साल बाद सोमनाथ मंदिर में पवित्र ‘कलश’ और ‘ध्वजा’ स्थापित की गई थी, जिसमें तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने भाग लिया था। उन्होंने कहा कि देश के तत्कालीन गृह मंत्री सरदार पटेल ने मंदिर के पुनर्निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। उन्होंने कहा कि अयोध्या में समारोह शास्त्रों के अनुसार शुभ समय पर हो रहा है और देश में खुशी का माहौल है और किसी को भी इसका विरोध नहीं करना चाहिए।
प्रवचन करने वाले देवकी नंदन ठाकुर ने कहा कि किसी को भी इस आयोजन को मुद्दा नहीं बनाना चाहिए। उन्होंने एक पुस्तक का हवाला देते हुए कहा कि सोमनाथ (प्राण प्रतिष्ठा) समारोह 1951 में हुआ था जब इसका गर्भगृह भी पूरी तरह से निर्मित नहीं हुआ था। उन्होंने कहा कि अयोध्या मंदिर का गर्भगृह तैयार है और इसकी पहली मंजिल भी तैयार है। उन्होंने कहा कि मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं जो ‘‘गर्व से एक सनातनी की तरह रहते हैं।’’
वहीं, पूर्वाम्नाय गोवर्धन मठ पुरी के शंकराचार्य अधोक्षजानंद देवतीर्थ ने कहा है कि 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह बहुत ही शुभ समय और गर्भगृह का निर्माण पूरा होने के बाद हो रहा है। उन्होंने कहा कि कुछ तत्व अपने ‘‘स्वार्थपूर्ण कारणों’’ से यह कहकर हिंदू समाज को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं कि शंकराचार्य समारोह के विरोध में हैं। उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘जब मुख्य पूजा स्थल, ‘गर्भगृह’ का निर्माण पूरा हो गया है, तो यह कहना गलत है कि मंदिर का निर्माण अधूरा है।’’ शंकराचार्य ने कहा कि 550 साल के संघर्ष के बाद उस स्थान पर एक भव्य मंदिर बनकर तैयार हो गया है, जहां भगवान फिर से विराजमान होंगे और यह हर भारतीय के लिए गर्व की बात है। उन्होंने कहा, ‘‘प्राण प्रतिष्ठा समारोह बहुत शुभ समय पर हो रहा है और शास्त्रों के अनुसार भी यह सर्वोत्तम समय है।’’
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन किये जाने का महत्व है और इसे लेकर कोई विवाद नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री एक महान योगी हैं जो मंदिर की ‘प्राण प्रतिष्ठा’ कर सकते हैं।’’ शंकराचार्य ने कहा कि सभी को इस ऐतिहासिक अवसर का गवाह बनना चाहिए और सभी से अपील की कि वे उस दिन अपने-अपने घरों में राम का नाम जपें, चाहे वे अयोध्या जाएं या नहीं। उन्होंने लोगों से दीप जलाकर इस दिन का जश्न मनाने का भी आग्रह किया। हम आपको यह भी बता दें कि इस प्रकार की खबरें हैं कि कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जा सकते हैं।