तृणमूल कांग्रेस के सांसद महुआ मोइत्रा को कैश फॉर क्वेरी मामले में लोकसभा से शुक्रवार को निष्कासित कर दिया गया। एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट चर्चा के बाद पारित हुई। हालांकि, महुआ मोइत्रा के निष्कासन को लेकर राजनीति जबरदस्त तरीके से जारी है। विपक्षी दलों का दावा है कि महुआ मोइत्रा के साथ नाइंसाफी हुई है। उन्हें सदन में अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया। इसके साथ ही विपक्षी दलों की ओर से दावा किया जा रहा है कि यह लोकतंत्र के साथ विश्वास घात हुआ है। महुआ मोइत्रा के निष्कासन के बाद विपक्षी सांसद एकजुट नजर आए। उन्होंने गांधी प्रतिमा के समक्ष विरोध प्रदर्शन भी किया जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी मौजूद रहे।
विपक्षी एकता को संजीवनी
ऐसे में इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि महुआ मोइत्रा की निष्कासन ने क्या विपक्षी एकजुटता को फिर से मजबूत कर दिया है? क्या इंडिया गठबंधन को मोदी सरकार को घरने के लिए बड़ा हथियार मिल गया है? पिछले कुछ समय से इंडिया गठबंधन को लेकर लगातार तकरार की खबरें आ रही हैं। 6 दिसंबर को इंडिया गठबंधन की चौथी बैठक कांग्रेस की ओर से दिल्ली में रखी गई थी। लेकिन कई बड़े नेताओं के मना करने के बाद इस संस्थागित कर दिया गया। बताया जा रहा है कि क्षेत्रीय दलों ने कांग्रेस के रवैये पर आपत्ति जताई है। जिस तरीके से हाल में संपन्न पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने क्षेत्रीय दलों का अपमान किया, उसकी वजह से इंडिया गठबंधन के कुछ नेताओं ने खुलकर कांग्रेस का विरोध किया। यही कारण है कि लगातार इंडिया गठबंधन में खटपट की स्थिति चल रही थी। हालांकि, महुआ मोइत्रा प्रकरण विपक्षी एकता को संजीवनी दी है।
2024 का मंच तैयार
एक दिन पहले तक जो इंडिया गठबंधन और उसके सदस्य बिखरे नजर आ रहे थे, इस प्रकरण के बाद वह पूरी तरह एकजुट रहे। राज्य चुनावों में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के कारण गठबंधन तनाव में दिख रहा था। तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल (यूनाइटेड) ने भाजपा से मुकाबला करने की कांग्रेस की क्षमता पर सवाल उठाए। लेकिन महुआ मोइत्रा प्रकरण ने माहौल बदल दिया है और इंडिया ब्लॉक की एक और सौहार्दपूर्ण बैठक के लिए माहौल तैयार कर दिया है। टीएमसी नेता द्वारा उठाए गए मुद्दों पर राहुल गांधी ने भी आवाज उठाई है, जहां उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार पर एक व्यापारिक घराने का पक्ष लेने का आरोप लगाया है। कांग्रेस उनसे ज्यादा दिनों तक दूरी नहीं बना सकी। साथ ही, वह टीएमसी को नाराज करने से भी सावधान थी, जिसने हाल तक उनके मामले पर काफी हद तक चुप्पी साध रखी थी। लेकिन सोनिया गांधी ने खुद एकजुटता दिखाते हुए टीएमसी और ममता बनर्जी को खुश कर दिया है। कांग्रेस ने महुआ के समर्थन में अपने सांसदों को लोकसभा में मौजूद रहने का व्हिप जारी किया था। इतना ही नहीं, ममता के विरोधी माने जाने वाले अधीर रंजन चौधरी ने महुआ के साथ खड़े होने और स्पीकर को पत्र लिखकर आचार समिति की रिपोर्ट पर चर्चा के लिए और समय मांगा।
विपक्षी नेताओं के बयान
– तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि इस कदम को देश के संसदीय लोकतंत्र के साथ ‘‘विश्वासघात’’ करार दिया। उन्होंने कहा कि आज मुझे बीजेपी पार्टी का रवैया देखकर दुख हो रहा है…उन्होंने लोकतंत्र को कैसे धोखा दिया…उन्होंने महुआ को अपना रुख स्पष्ट करने की अनुमति नहीं दी। सरासर अन्याय हुआ है। ममता ने कहा कि मैं आपको बता रही हूं कि महुआ (मोइत्रा) परिस्थितियों की शिकार हुई हैं। मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं…हमारी पार्टी महुआ से साथ है हमारी पार्टी INDIA गठबंधन के साथ मिलकर लड़ेगी…यह लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।
– कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने कहा कि महुआ मोइत्रा को अपराधी बताने के बाद एथिक्स कमेटी ने पूछताछ की मांग की। आप अपराधी मिलने के बाद जांच की मांग कैसे कर सकते हैं? आपको पहले जांच करनी चाहिए और फिर किसी को अपराधी कहना चाहिए… आपको(एथिक्स कमेटी) कानून की प्रक्रिया का पालन करना चाहिए।
– पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री डॉ. शशि पांजा ने कहा कि एक महिला का सत्ता में होना ऐसी चीज है जिसे भाजपा बर्दाश्त नहीं कर सकती…. उन्होंने(भाजपा) कैसे सोचा कि यह निष्कासन उन्हें(महुआ मोइत्रा) चुप कराने के लिए काफी है? वे 2024 में फिर चुनाव लड़ेंगी।
– कांग्रेस नेता अब्दुल खालिक ने कहा, “जो भी अडानी पर सवाल उठाता है ये सरकार उसके खिलाफ कार्रवाई करती है। महुआ मोइत्रा के केस में भी हमने वही देखा। ये सरकार डरती है… सरकार लोकतंत्र को खत्म कर रही है।”
– कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, “सबसे बड़ा विरोधाभास है कि एक व्यक्ति पर आपने कुछ आरोप लगाए, सभी उस पर बोल रहे थे पर महुआ मोइत्रा बोलने और सफाई देने का मौका नहीं दिया गया। मुझे लगता है कि ये न्यायोचित नहीं है…भाजपा सशक्त महिलाओं से घबराती हैं। अडानी पर अगर कोई बात कर ले तो सदन में आपके लिए जगह नहीं है। अडानी और मोदी के रिश्तों पर जो भी सवाल उठाएगा उसके खिलाफ हर प्रकार की मनमानी कार्रवाई की जाएगी।”
– आप के राज्यसभा सांसद संदीप पाठक कहते हैं, ”एक लक्ष्य रखा गया था कि उन्हें (महुआ मोइत्रा) को हटाना है और फिर एक रणनीतिक योजना बनाई गई… उन्हें फंसाया गया… हर कोई जानता था कि यह सब उन्हें निलंबित करने के लिए किया गया था। ..हम महुआ मोइत्रा के साथ हैं…।” आप की प्रियंका कक्कर ने कहा कि बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज बृजभूषण सदन में है, और महुआ मोइत्रा को बाहर किया गया है। यह BJP की सोची समझी साजिश है।
– ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में, अखिलेश यादव ने किसी का नाम लिए बिना कहा, सत्ताधारी दल विपक्ष के लोगों की सदस्यता लेने के लिए किसी सलाहकार को रख ले, जिससे मंत्रियों एवं सत्ता पक्ष के सासंदों और विधायकों का समय षड्यंत्रकारी गतिविधियों में न लगकर लोकहित के कार्यों में लगे। जिन आधारों पर सांसदों की सदस्यता ली जा रही है, अगर वही आधार सत्ता पक्ष पर लागू हो जाएं तो शायद उनका एक दो सांसद-विधायक ही सदन में बचेगा। कुछ लोग सत्ता पक्ष के लिए सदन से अधिक सड़क पर घातक साबित होते हैं।