Prajatantra: BJP की दूरी, Ajit Pawar के लिए जरूरी, आखिर Nawab Malik महाराष्ट्र में क्यों बने सियासी मजबूरी

महाराष्ट्र में एनसीपी नेता नवाब मलिक को लेकर भाजपा और एनसीपी अजित गुट आमने-सामने है। यह पूरा मामला मीडिया के सामने तब आया जब महाराष्ट्र उप मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने अपने समकक्ष अजित पवार को पत्र लिखकर साफ तौर पर कह दिया कि यह महायुती गठबंधन के लिए ठीक नहीं रहेगा। अजित को लिखे पत्र में फडणवीस ने कहा कि वह नवाब मलिक को अपने गुट में शामिल नहीं करें क्योंकि उनके खिलाफ कई बड़े गंभीर आरोप है। इसके बाद से अजित पवार गुट की ओर से भी पलटवार किया गया। फिलहाल भाजपा और अजित गुट के बीच तलवारें खींचती हुई दिखाई दे रही हैं।

कैसे शुरू हुआ मामला

दरअसल, महाराष्ट्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र का 7 दिसंबर से आगाज हुआ। नवाब मलिक एनसीपी के विधायक हैं। वह शीतकालीन सत्र में शामिल होने के लिए विधान भवन पहुंचे थे। शुरू में असमंजस की स्थिति रही कि वह किसी ओर बैठेंगे। लेकिन बाद में वह अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट के सदस्यों के बगल में पिछले पंक्ति के बेंच पर वह बैठे नजर आए। अजित पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी नेताओं ने नवाब मलिक का जोरदार स्वागत भी किया। यहीं से नवाब मलिक को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई। विपक्षी दलों के नेताओं में कानाफूसी भी देखने को मिली। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता अंबादास दानवे और सुषमा अंधारे ने मलिक के सत्ता पक्ष में शामिल होने को लेकर सरकार पर निशाना साधा था। सत्ता पक्ष में बैठे नवाब मलिक की फोटो सोशल मीडिया पर भी वायरल हुई। 

फडणवीस ने पत्र में क्या लिखा

फडणवीस ने अजित पवार को लिखे अपने पत्र में कहा कि मलिक को एक विधायक के रूप में विधानसभा की कार्रवाई में भाग लेने का अधिकार है। उन्होंने कहा ,‘‘ हमारी (भाजपा) उनके खिलाफ कोई व्यक्तिगत दुश्मनी या द्वेष नहीं है। लेकिन जिस प्रकार के आरोपों का वह सामना कर रहे हैं, उसे देखते हुए हमारा मानना है कि उन्हें महायुती में शामिल करना उचित नहीं होगा।’’ भाजपा नेता ने साफ तौर पर कहा कि सत्ता आती है और जाती है। लेकिन सत्ता से ज्यादा महत्वपूर्ण देश है। फिलहाल वह सिर्फ मेडिकल आधार पर जमानत पर बाहर हैं। अगर उन पर लगे आरोप साबित नहीं हुए तो हमें उनका स्वागत करना चाहिए। भगोड़े गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों से जुड़े धनशोधन के मामले में ईडी ने मलिक को फरवरी 2022 में गिरफ्तार किया था। फिलहाल वह चिकित्सकीय आधार पर जमानत पर हैं।गिरफ्तारी के समय मलिक उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। 

अजित पवार गुट ने क्या कहा

फडणवीस के पत्र के मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए अजित पवार ने कहा है कि नवाब मलिक को इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि एनसीपी में हमारे गुट ने महायुति के साथ जाने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि विधानसभा के शीतकालीन सत्र के मौके पर वह पहली बार हॉल में आये थे। अजित पवार ने कहा कि वह किस गुट के साथ हैं, इसे लेकर उन्होंने अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है। उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा है कि मैं इस सब पर उनसे स्थिति स्पष्ट करने के बाद प्रतिक्रिया दूंगा। अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा के प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे ने स्पष्ट किया कि नवाब मलिक के साथ कोई राजनीतिक चर्चा नहीं हुई है। उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि आज विधानसभा में आने के बाद उनका पुराने सहयोगियों से मिलना-जुलना स्वाभाविक है। 

विपक्ष का तंज

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को “भ्रष्ट जुमला पार्टी” बताया है और उस पर महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री नवाब मलिक का “अपमान” करने व अजित पवार समूह को फंसाने का आरोप लगाया है। शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के सांसद संजय राउत ने कहा, “… जब प्रफुल्ल पटेल UPA की सरकार में मंत्री थे तब इसी मुद्दे पर भाजपा ने सोनिया गांधी पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा कि फडणवीस जी की प्रफुल्ल पटेल के बारे में क्या राय है? उन्होंने कहा कि हसन मुश्रीफ, अजित पवार, भावना गवली… ऐसे कितने ही नाम हम ले सकते हैं। आपने जिसके साथ सरकार बनाई है वह तो पूरी करप्ट पार्टी आपके साथ बैठी है तो सिर्फ नवाब मलिक के ऊपर हमला क्यों?”

भाजपा की दूरी, अजित के लिए जरूरी

नवाब मलिक एनसीपी के बहुत पुराने नेता हैं और अजित पवार के करीबी भी रहे हैं। जेल से बाहर निकालने के बाद अजित पवार और शरद पवार दोनों ही गुट उन्हें अपने पाले में करने की कोशिश में लगे रहे। छगन भुजबल और अजित पवार तो नवाब मलिक के घर पर पहुंचे थे। एनसीपी के लिए नवाब मलिक इसलिए जरूरी है क्योंकि अल्पसंख्यकों के बीच उनकी शानदार पकड़ है। वह कांग्रेस के मुस्लिम वोट बैंक में जबरदस्त सेंधमारी करने के लिए जरूरी साबित हो सकते हैं। हालांकि, भाजपा उनसे इसलिए दूरी बना रही है क्योंकि देवेंद्र फडणवीस जब नेता प्रतिपक्ष थे तो उन्होंने जमीन सौदा मामले में डी कंपनी से जोड़ते हुए नवाब मलिक पर गंभीर आरोप लगाए थे। इतना ही नहीं आर्यन खान ड्रग्स केस मामले के बाद नवाब मलिक ने देवेंद्र फडणवीस की पत्नी अमृता पर भी निशाना साधा था। इसके बाद फडणवीस नवाब मलिक पर और भी हमलावर हो गए थे। भाजपा लगातार हिंदुत्व और राष्ट्रवाद की नीति पर चलती है। उसने नवाब मलिक पर डी कंपनी से संबंध के आरोप लगाए थे। ऐसे में नवाब मलिक को अपने पाले में रखने पर भाजपा पर भी कई बड़े सवाल उठ सकते हैं।

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