राज्यसभा चुनाव के बाद हिमाचल प्रदेश में उत्पन्न हुई सियासी संकट पर फिलहाल कुछ महीनो का ब्रेक लगता दिखाई दे रहा है। हालांकि, ऐसा नहीं है कि सुखविंदर सिंह सुक्खू के लिए मुश्किलों का दौर खत्म हो गया है। कांग्रेस के पर्यवेक्षक अभी भी शिमला में है। वह लगातार विधायकों से बातचीत कर रहे हैं। आगे के रास्ते को लेकर चर्चा की जा रही है। लेकिन कांग्रेस का फिलहाल जोर नंबर गेम को बरकरार रखने और सरकार को बचाने पर है। विक्रमादित्य सिंह के नरम रुख के बाद भी सुक्खू सरकार का संकट टलता हुआ दिखाई दे रहा है। खबर यह भी है कि फिलहाल लोकसभा चुनाव तक कांग्रेस आलाकमान सुखविंदर सिंह सुक्खू को मुख्यमंत्री बनाए रखना चाहता है। हालांकि, अभी भी हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के समक्ष कुछ चुनौतियां जरूर है।
नंबर गेम का फंस रहा पेंच
राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के 48 घंटे बाद पार्टी से बगावत करने वाले 6 विधायकों पर एक्शन ले लिया गया है। स्पीकर ने इन सभी 6 विधायकों को अयोग्य की घोषित कर दिया है। इसके बाद अब सदन की क्षमता 62 हो गई है। यानी कि बहुमत के आंकड़े के लिए 32 विधायकों की जरूरत है। ऐसे में फिलहाल कांग्रेस के पास सिर्फ 34 विधायक की है। इसमें से भी कई विधायक अभी भी नाराज बताए जा रहे हैं। तभी तो सीएम हाउस पर नाश्ते के दौरान भी गणित गड़बड़ हो गई। सुखविंदर सिंह सुक्खू ने जो नाश्ते का आयोजन किया था, उनमें तीन से चार विधायक नहीं पहुंचे। उनको अगर हटा दे तो कांग्रेस के पास सिर्फ 28 से 30 विधायकों का ही समर्थन बच रहा है। ऐसे में कहीं ना कहीं सरकार पर संकट अभी भी बरकरार है।
बच गई सुखविंदर सिंह सुक्खू की कुर्सी
सुखविंदर सिंह सुक्खू के लिए बड़ी राहत यह है कि कांग्रेस उन्हें लोकसभा चुनाव तक मुख्यमंत्री पद पर बने रहने की अनुमति दे सकती है। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस पार्टी को डर है कि इस बदलाव से सुक्खू खेमे के विधायक बगावत कर सकते हैं। साथ ही, चूंकि लोकसभा चुनाव में अब ज्यादा समय नहीं बचा है, इसलिए राज्य में स्थिरता बनाए रखने के लिए मौजूदा व्यवस्था को लागू करना ही बेहतर होगा। कांग्रेस पर्यवेक्षक डीके शिवकुमार ने कहा कि सब ठीक है। यह सरकार 5 साल तक रहेगी। सभी मुद्दे सुलझा लिये गये हैं। हम सभी विधायकों को सुन रहे हैं। सरकार में कोई दिक्कत नहीं है।
प्रतिभा सिंह का बड़ा बयान
हिमाचल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह से जब पूछा गया कि क्या विक्रमादित्य सिंह अभी भी हिमाचल प्रदेश के मंत्री पद से इस्तीफे के अपने फैसले पर कायम हैं। इस पर उन्होंने कहा कि कायम हैं, बिल्कुल कायम हैं। 6 कांग्रेस विधायकों की अयोग्यता के बारे में पूछे जाने प्रतिभा सिंह ने कहा निश्चित रूप से, क्यों नहीं? जब एक वर्ष से अधिक समय हो गया और आपने कोई संज्ञान नहीं लिया या उनकी बात नहीं सुनी तो उनका परेशान होना स्वाभाविक है। अगर आप उन्हें बैठाते, उनसे बात करते और कोई समाधान निकालते तो ये नौबत नहीं आती। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमने जो भी कदम उठाया, हिमाचल प्रदेश के लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए उठाया – लोग हमसे जुड़े हुए हैं। वीरभद्र सिंह की विरासत हमारे साथ है। वे राज्य के लिए जो चाहते थे, हम उनकी भावनाओं का अनुसरण करते हुए आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने पार्टी आलाकमान को बार-बार उस बारे में जानकारी दी जो हमें लगा कि वह सही नहीं है। ये बातें हमने कल की बैठक में भी उनके सामने कही थीं। हम इंतजार कर रहे हैं कि वे क्या निर्णय लेते हैं।