Prajatantra: संसद के विशेष सत्र का एजेंडा हुआ साफ, फिर भी विपक्ष क्यों कहा रहा- परदे के पीछे कुछ और है

बुधवार को लोकसभा और राज्यसभा द्वारा जारी बुलेटिन के अनुसार, विशेष सत्र का पहला दिन – 18 सितंबर – संविधान सभा से शुरू होने वाली 75 वर्षों की संसदीय यात्रा पर चर्चा के लिए आरक्षित होगा। बुलेटिन के अनुसार, इसमें संविधान सभा से लेकर आज तक संसद की 75 वर्षों की यात्रा, उपलब्धियों, अनुभवों, स्मृतियों और सीख पर चर्चा के अलावा चार विधेयकों का भी उल्लेख है।

आखिरकार सस्पेंस खत्म हो गया। 18 सितंबर से शुरू होने वाले संसद के विशेष सत्र को बुलाने के एजेंडे के बारे में एक सप्ताह से अधिक की चर्चा, विचार-विमर्श और अटकलों के बाद, केंद्र ने आखिरकार खुलासा कर दिया है कि क्या होने वाला है। संयोग से, विशेष सत्र का कार्यक्रम सरकार द्वारा 17 सितंबर को सर्वदलीय बैठक बुलाए जाने के फैसले के कुछ ही घंटों बाद आया। इससे पहले विपक्ष ने संसद का विशेष सत्र बुलाने लेकिन इसके लिए किसी कार्यक्रम की रूपरेखा नहीं बताने को लेकर केंद्र की आलोचना की थी। 

संसद का एजेंडा

बुधवार को लोकसभा और राज्यसभा द्वारा जारी बुलेटिन के अनुसार, विशेष सत्र का पहला दिन – 18 सितंबर – संविधान सभा से शुरू होने वाली 75 वर्षों की संसदीय यात्रा पर चर्चा के लिए आरक्षित होगा। बुलेटिन के अनुसार, इसमें संविधान सभा से लेकर आज तक संसद की 75 वर्षों की यात्रा, उपलब्धियों, अनुभवों, स्मृतियों और सीख पर चर्चा के अलावा चार विधेयकों का भी उल्लेख है। इनमें एडवोकेट संशोधन विधेयक 2023 और प्रेस एवं आवधिक पंजीकरण विधेयक 2023 राज्यसभा से पारित एवं लोकसभा में लंबित हैं। वहीं, डाकघर विधेयक 2023 के अलावा मुख्य निर्वाचन आयुक्त, अन्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति, सेवा शर्त विधेयक 2023 सूचीबद्ध है, जिसे पिछले मानसून सत्र में राज्यसभा में पेश किया गया था। लोकसभा और राज्यसभा सचिवालयों ने हाल में अपने बुलेटिन में कहा था कि संसद का विशेष सत्र 18 सितंबर से शुरू होगा और सरकार के कामकाज को देखते हुए यह 22 सितंबर तक चलेगा। इसमें कहा गया कि सत्र आमतौर पर पूर्वाह्न 11 बजे से अपराह्न एक बजे और फिर अपराह्न दो बजे से शाम छह बजे तक चलेगा। सचिवालय सूत्रों के अनुसार, विशेष सत्र के दौरान दोनों सदनों में प्रश्नकाल और गैर-सरकारी कामकाज नहीं होगा। कार्य सूची अस्थायी है और इसमें अधिक विषय जोड़े जा सकते हैं।

नए भवन में कार्यवाही

विशेष सत्र की शुरुआत पुराने संसद भवन से होगी और अगले दिन कार्यवाही नए भवन में होने की संभावना है। नए भवन का उद्घाटन 28 मई को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। इसके अलावा, नई इमारत के साथ, संसद कर्मचारियों को भी भारतीय स्पर्श के साथ नई वर्दी दी गई है। अधिकारियों के अनुसार, नई वर्दी में दोनों सदनों के मार्शलों के लिए मणिपुरी हेडगियर और टेबल ऑफिस, नोटिस कार्यालय और संसदीय में अधिकारियों के लिए कमल की आकृति वाली शर्टशामिल होगी। सभी महिला अधिकारियों को नये डिजाइन वाली साड़ियां मिलेंगी। 

विपक्ष सावधान

आश्चर्यजनक रूप से, केंद्र ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’, या समान नागरिक संहिता या यहां तक ​​कि महिला आरक्षण के मुद्दों पर बिल का कोई उल्लेख नहीं किया, जैसा कि पहले अनुमान लगाया गया था। नई दिल्ली में हाल ही में संपन्न जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान कई आधिकारिक संचारों में “भारत” के बार-बार उपयोग के कारण देश का नाम इंडिया से भारत में बदलने का भी कोई उल्लेख नहीं किया गया है। 

अटकलें और अफवाहें

सूचीबद्ध एजेंडा उन अफवाहों पर विराम लगाता है कि केंद्र ने संसद का विशेष सत्र क्यों बुलाया है। पहले, कई लोगों का मानना ​​था कि यह ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर कानून को आगे बढ़ाने का सरकार का तरीका था – एक ऐसा विचार जिसे बड़े पैमाने पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन प्राप्त है। यह भी अनुमान लगाया गया है कि केंद्र ने समान नागरिक संहिता को आगे बढ़ाने के लिए यह सत्र बुलाया था – जो कई वर्षों से भाजपा के घोषणापत्र पर एक मुद्दा था। एक और अफवाह यह थी कि मोदी सरकार महिला आरक्षण विधेयक पारित करना चाहती थी, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नारी शक्ति पर बार-बार जोर देने के अनुरूप है। साथ ही साथ देश का नाम भारत करने को लेकर भी अटकलें लग रही थी। 

सावधान विपक्ष

हालाँकि, कुछ विपक्षी नेता सावधान हैं, उनमें से कुछ के हवाले से बताया गया है कि सत्र के पाँच दिनों में अभी भी कुछ आश्चर्य और “कुछ अधिक ठोस” हो सकता है। कांग्रेस के जयराम रमेश ने एजेंडे पर टिप्पणी करते हुए एक्स पर कहा कि फिलहाल जो एजेंडा प्रकाशित किया गया है, उसमें कुछ भी नहीं है और इन सबके लिए नवंबर में शीतकालीन सत्र तक इंतजार किया जा सकता था। रमेश ने कहा, मुझे यकीन है कि विधायी हथगोले हमेशा की तरह आखिरी क्षण में फूटने के लिए तैयार हैं। परदे के पीछे कुछ और है! उन्होंने यह भी कहा कि इसके बावजूद, इंडिया के घटक दल सीईसी विधेयक का डटकर विरोध करेंगे। सरकार द्वारा बुलाए गए विशेष सत्र पर CPM नेता वृंदा करात ने कहा, “क्या संसद रहस्य थ्रिलर है कि संसद में क्या होगा, क्या चर्चा होगी, (सरकार) क्या लेकर आ रही है। संसद की पारदर्शिता होती है लेकिन यह सरकार इसको रहस्य बनाना चाहती है। लोगों के दिमाग में एक प्रश्न पैदा करना चाहती है कि क्या होने वाला है। आपने मजाक बना रखा है। आप मुख्य मुद्दों से ध्यान भटकाना चाहते हैं।”

17 सितंबर को सर्वदलीय बैठक बुलाई

सरकार ने 18 सितंबर से शुरू होने जा रहे संसद के पांच दिवसीय विशेष सत्र से पहले 17 सितंबर को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर पोस्ट किया, ‘‘इस महीने 18 सितंबर से शुरू होने वाले ससंद के सत्र से पहले 17 सितंबर को शाम साढ़े चार बजे सभी दलों के सदन के नेताओं की बैठक बुलाई गई है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ इस संबंध में आमंत्रण संबंधित नेताओं को ई मेल से भेज दिये गए हैं। पत्र भी भेजे जायेंगे।’’ विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (इंडिया) ने इस सत्र को लेकर कहा है कि वह 18 सितंबर से बुलाए गए संसद के पांच दिवसीय विशेष सत्र में देश से जुड़े प्रमुख मुद्दों पर सकारात्मक सहयोग करना चाहता है, लेकिन सरकार को यह बताना चाहिए कि कि बैठक का विशेष एजेंडा क्या है। कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि 18 सितंबर से शुरू होने वाले संसद के विशेष सत्र के दौरान देश की आर्थिक स्थिति, जातीय जनगणना, चीन के साथ सीमा पर गतिरोध और अडाणी समूह से जुड़े नए खुलासों की पृष्ठभूमि में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने की मांग समेत नौ मुद्दों पर उचित नियमों के तहत चर्चा कराई जाए।

भले ही संसद सत्र का एजेंडा साफ हो गया है लेकिन विपक्ष का जो रुख है उससे इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि सरकार अभी भी कोई खास रणनीति अपना सकती है। यह सत्र इसलिए भी अहम माना जा रहा है क्योंकि अगले साल लोकसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में सरकार अपने समीकरणों को साधने के लिए कुछ मुद्दों को सामने ला सकती है। खैर, जनता सब देखती हैं, अपने भले में लाई गई चीजों का समर्थन भी करती है। यही तो प्रजातंत्र है। 

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