मध्य प्रदेश में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक जंग तेज हो गई है। एक ओर जहां भाजपा है तो दूसरी ओर कांग्रेस। भाजपा हर हाल में सत्ता में वापसी के लिए पूरी कोशिश में लगी है तो वहीं कांग्रेस किसी भी कीमत पर इस बार कोई मौका नहीं चूकना चाहती। दोनों ओर से आरोप-प्रत्यारोप का दौर लगातार जारी है। वहीं, आज भाजपा के चुनावी दम को और मजबूत करने के लिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचे थे। नरेंद्र मोदी का हाल में देखा जाए तो यह मध्य प्रदेश का तीसरा दौर था।
मोदी का कांग्रेस पर वार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस को विकास विरोधी पार्टी करार देते हुए कहा कि कांग्रेस ने अपना हित साधने के लिए लोगों को गरीब बनाए रखा। प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस ‘‘भ्रष्टाचार और तुष्टिकरण के इतिहास वाली परिवारवादी पार्टी’’ है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस जंग लगे उस लोहे की तरह है जिसे यदि बारिश में रख दिया जाए, तो वह खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस को मौका मिला तो वह मध्यप्रदेश को ‘‘बीमारू’’ बना देगी। उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस ने अपने हित के लिए लोगों को गरीब बनाए रखा जबकि भाजपा के शासन में पांच साल में 13.5 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी से बाहर आए।’’ मोदी ने कहा कि आजादी के बाद लंबे समय तक मध्यप्रदेश में कांग्रेस का शासन रहा और कांग्रेस ने समृद्ध मध्यप्रदेश को ‘‘बीमारू राज्य’’ बना दिया था। उन्होंने कहा कि पहली बार मतदान करने जा रहे मतदाता भाग्यशाली हैं क्योंकि उन्होंने मध्य प्रदेश में केवल भाजपा की सरकार देखी, जो भारत के विकास के दृष्टिकोण का अहम केन्द्र है।
भाजपा-कांग्रेस की चुनौती
मध्य प्रदेश में देखें तो हमेशा मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही रहा है। इस बार भी यही दिखाई देता है। हालांकि, उत्तर प्रदेश से लगे सीटों पर समाजवादी पार्टी और बसपा का दबदबा भी देखने को मिलता रहा है। तो वही इस बार आम आदमी पार्टी भी चुनावी दम लगाने की कोशिश में है। हालांकि, भाजपा और कांग्रेस के लिए चुनौतियां कई हैं। दोनों में गुटबाजी को लेकर लगातार खबरें आती हैं। गुटबाजी की वजह से तो कांग्रेस की सरकार तक चली गई थी। वहीं भाजपा के कई पुराने नेताओं के नाराजगी की भी खबर आती रहती है। दोनों ओर से डैमेज कंट्रोल की कोशिश की जा रही है। भाजपा की बात करें तो अमित शाह ने कई दौरे किए हैं। दोनों ओर के नेताओं के पाला बदलने का सिलसिला भी जारी है। मध्य प्रदेश में भाजपा लगातार शासन में रही है। यही कारण है कि उसके खिलाफ एंटी इनकन्वेंसी की भी चर्चा जोरों पर है। इसके अलावा सिंधिया खेमे की वजह से पार्टी कई नेताओं के अंदर असमंजस की स्थिति है। वहीं, विपक्षी दल लगातार शिवराज सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाता रहता है। दावा तो किया जाता है कि जनता में मुख्यमंत्री को लेकर कोई नाराजगी नहीं है। लेकिन भाजपा नेताओं को लेकर नाराजगी देखने को मिल जाती है।
सामूहिक नेतृत्व पर जोर
भले ही मध्य प्रदेश में भाजपा की ओर से शिवराज सिंह चौहान सबसे बड़ा चेहरा है। पिछले 15-16 सालों तक वे मुख्यमंत्री भी रहे हैं। हालांकि, भाजपा इस बार बिना किसी चेहरे के चुनावी मैदान में उतरने की कोशिश में है। भाजपा सरकार बनाने का दावा कर रही है। लेकिन यह नहीं बता रही की अगर वह चुनाव जीतती है तो क्या शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री रहेंगे या किसी नए चेहरे को लाया जाएगा? भाजपा राज्य सरकार के कामकाज को गिना रही है लेकिन प्रधानमंत्री का भी बढ़कर जिक्र कर रही है। इससे इस बात के संकेत लगातार मिल रहे हैं कि भाजपा सामूहिक नेतृत्व को ही राज्य में महत्व दे रही है। कांग्रेस की बात करें तो वहां भी हाल कुछ ऐसा ही है। एक ओर दिग्विजय सिंह का खेमा है तो दूसरी ओर कमलनाथ। इसके अलावा वहां कई और खेमे हैं। कमलनाथ राज्य में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री के सबसे बड़े दावेदार हैं। वह प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। बावजूद इसके कांग्रेस की ओर से गारंटी की घोषणा तो हो रही है। लेकिन कमलनाथ ही मुख्यमंत्री बनेंगे इसकी चर्चा फिलहाल कम है।
मध्य प्रदेश में अब चुनावी दंगल शुरू हो चुका है। भाजपा और कांग्रेस में आरपार की लड़ाई है। जनता को लुभाने और अपने पक्ष में करने के लिए दोनों ओर से गारंटीयों की बौछार की जा रही है। देखना दिलचस्प होगा की जनता किसी और अपना रुख करती है। यही तो प्रजातंत्र है।