देश में इस साल लोकसभा के चुनाव होने हैं। लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारियां लगातार जारी है। बड़े राज्यों की राजनीति पर लगातार चर्चाएं हो रही है। लेकिन लोकसभा चुनाव में छोटे राज्य भी काफी अहम साबित होते हैं। यही कारण है कि आज हमने प्रजातंत्र में हिमाचल प्रदेश जैसे छोटे राज्य को भी शामिल किया है। हिमाचल प्रदेश में भले ही लोकसभा की चार सीटें हैं। लेकिन इन्हें काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। हिमाचल प्रदेश में मुख्य मुकाबला हमेशा भाजपा और कांग्रेस के बीच ही रहा है और लोकसभा चुनाव में भी इसी तरह की उम्मीद जताई जा रही है। हालांकि, आम आदमी पार्टी वहां भी अपना दावा ठोकने की तैयारी में है।
वर्तमान स्थिति
वर्तमान में देखें तो हिमाचल प्रदेश में चार लोकसभा की सीटे हैं। कांगड़ा, मंडी, हमीरपुर और शिमला। 2019 के चुनाव में यह चारों सीटें भाजपा के कब्जे में आई थी। लेकिन 2021 में मंडी में हुए उपचुनाव में कांग्रेस की प्रतिभा सिंह ने शानदार जीत हासिल की। 2014 के चुनाव में भी चारों सीटों पर भाजपा ने कब्जा जमाया था। लोकसभा चुनाव के हिसाब से देखें तो हिमाचल प्रदेश में हाल के दिनों में भाजपा को बढ़त मिलती आई है। हिमाचल प्रदेश कोटा से अनुराग ठाकुर केंद्र में ताकतवर मंत्री भी हैं। उन्हें खेल और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंप गई है। उन्हें मोदी-शाह का विश्वासपात्र भी माना जाता है।
भाजपा को बढ़त
भले ही राज्य में कांग्रेस की सरकार है। लेकिन कहीं ना कहीं राजनीतिक विश्लेषकों का दावा है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा राज्य में अपनी बढ़त को बरकरार रख सकती हैं। भाजपा के बढ़त का कारण यह भी है कि चारों ही सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों के लिए जीत का अंतर काफी बड़ा था। हालांकि, 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को यहां हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में बीजेपी हिमाचल में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। यही कारण है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा हिमाचल प्रदेश का लगातार दौरा करते रहते हैं। दरअसल, हिमाचल प्रदेश जेपी नड्डा का गृह राज्य है। ऐसे में वहां पार्टी की जीत सुनिश्चित करना उनकी पहली जिम्मेदारी भी बनती है। कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि हिमाचल प्रदेश के किसी सीट से इस बार जेपी नड्डा लोकसभा चुनाव में उतर सकते हैं। राम लहर भी यहां एक बड़ा मुद्दा रहने वाला है।
कांग्रेस के लिए मुश्किलें
अगर देखा जाए तो राज्य में कांग्रेस के लिए लोकसभा चुनाव के दौरान कई मुश्किलें खड़ी हो सकती है। कांग्रेस के नुकसान का सबसे बड़ा कारण राज्य में पार्टी के भीतर हावी गुटबाजी भी हो सकता है। दरअसल, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और राज्य कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह की तकरार लगातार सामने आती रहती हैं। हाल में प्रतिभा सिंह ने संगठन के लोगों को सरकार में महत्व न देने की बात कही थी। इसके बाद पार्टी की ओर से डैमेज कंट्रोल किया गया। लेकिन यह नई बात नहीं है। प्रतिभा सिंह अक्सर सरकार के प्रति अपना असंतोष जताती रहती है। इसका बड़ा कारण यह भी है कि जब हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री बनाने की बारी आई तो कांग्रेस आलाकमान ने प्रतिभा सिंह की जगह सुखविंदर सिंह सुक्खू को महत्व दिया। एक खबर यह भी है कि कांग्रेस राज्यसभा चुनाव के लिए यहां से सोनिया गांधी या प्रियंका गांधी को प्रत्याशी बना सकती है।