वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि विपक्षी दल खासकर कांग्रेस विषय की पूरी समझ के बिना ही इस विषय का राजनीतिकरण कर रही है। गोयल ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने अभी जवाबी शुल्क हटा दिया है…इस कदम का घरेलू सेब उत्पादकों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।”
कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि अमेरिकी सेब और अखरोट पर से अतिरिक्त शुल्क हटा कर मोदी सरकार ने घरेलू उत्पादकों की कमर तोड़ने का काम किया है। इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस के तमाम बड़े नेता प्रेस कांफ्रेंस और सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से मोदी सरकार को घेर रहे हैं तो दूसरी तरफ जम्मू-कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी ने भी मोदी सरकार पर हमला बोला है। लेकिन सरकार ने इस मुद्दे पर विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा है कि उसे ना तो किसी विषय की समझ है ना ही वह किसी मुद्दे पर अपनी बात सही से जनता के समक्ष रख पाता है। सरकार ने कहा है कि अमेरिकी सेब, अखरोट और बादाम के आयात पर अतिरिक्त जवाबी शुल्क हटाने से घरेलू उत्पादकों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि विपक्षी दल खासकर कांग्रेस विषय की पूरी समझ के बिना ही इस विषय का राजनीतिकरण कर रही है। गोयल ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने अभी जवाबी शुल्क हटा दिया है…इस कदम का घरेलू सेब उत्पादकों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। कीमतों पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उपभोक्ताओं को अधिक विकल्प मिलेंगे।’’ उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘इस उपाय से घरेलू सेब, अखरोट और बादाम उत्पादकों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा। बल्कि, इसके परिणामस्वरूप सेब, अखरोट और बादाम के प्रीमियम बाजार खंड में प्रतिस्पर्धा होगी, जिससे हमारे भारतीय उपभोक्ताओं के लिए प्रतिस्पर्धी कीमतों पर बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित होगी।’’ उन्होंने कहा कि अतिरिक्त शुल्क हटाने से अब उन देशों के बीच निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित होगी जो भारत को इन उत्पादों का निर्यात कर रहे हैं। हम आपको बता दें कि सरकार का यह स्पष्टीकरण विपक्षी कांग्रेस द्वारा सेब पर आयात शुल्क कम करने के सरकार के फैसले की आलोचना के बीच आया है।
इससे पहले वाणिज्य विभाग में अतिरिक्त सचिव पीयूष कुमार ने कहा कि अमेरिकी सेब और अखरोट पर 50 प्रतिशत और 100 प्रतिशत का ‘सबसे तरजीही देश’ (एमएफएन) का शुल्क लागू रहेगा क्योंकि केवल 20 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क हटाया गया है। उन्होंने कहा कि सेब, अखरोट और बादाम पर एमएफएन शुल्क में कोई कटौती नहीं की गई है, जो अब भी अमेरिकी मूल के उत्पादों सहित सभी आयातित उत्पादों पर लागू है।
हम आपको बता दें कि अमेरिकी सेब और अखरोट के आयात पर अतिरिक्त जवाबी शुल्क लगाने से अन्य देशों को लाभ होने के कारण अमेरिकी सेब की बाजार हिस्सेदारी घट गई थी। सेब पर 50 प्रतिशत का नियमित शुल्क और 50 रुपये प्रति किलोग्राम का न्यूनतम आयात मूल्य लगता है।
जहां तक इस मुद्दे पर राजनीतिक प्रतिक्रियाओं की बात है तो आपको बता दें कि कांग्रेस ने कहा कि केंद्र ने वॉशिंगटन सेब पर आयात शुल्क कम कर दिया है, जिसका सीधा असर बागवानों पर भी पड़ेगा, जिससे उन्हें नुकसान होगा। कांग्रेस ने दावा किया कि सरकार ने अमेरिका को उपहार देते हुए अमेरिकी सेब (वाशिंगटन एपल) पर आयात शुल्क को 70 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत करने का फैसला किया है जो जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बागवानों एवं किसानों पर चाबुक चलाने वाला कदम है। पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने यह भी कहा कि सरकार को भारतीय किसानों एवं बागवानों के हित में इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो उस वक्त कहा करते थे कि विदेशी सेब पर 100 प्रतिशत आयात ड्यूटी लगा देंगे। लेकिन अब खबरें हैं कि मोदी जी ने अमेरिका के सेब पर आयात शुल्क को 15 प्रतिशत करने का फैसला किया है जो पहले 70 प्रतिशत हुआ करता था।’’ कांग्रेस प्रवक्ता ने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘मेजबान हो तो नरेन्द्र मोदी जी जैसा। अमेरिका के राष्ट्रपति (जो बाइडन) हिंदुस्तान आते हैं और अपने देश के किसानों के लिए उपहार लेकर चले जाते हैं।’’
उधर, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने केंद्र से अमेरिका से आयातित सेब, अखरोट और बादाम पर अतिरिक्त शुल्क हटाने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील करते हुए कहा कि सरकार को विदेशियों को खुश करने के बजाय अपने लोगों को खुश करने की कोशिश करनी चाहिए।