विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन और कनाडा के साथ भारत के संबंधों की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए उरी और पुलवामा हमले के बदले स्वरूप भारत की ओर से की गयी कार्रवाई के मुद्दे पर भी बड़ा बयान दिया है। हम आपको बता दें कि विदेश मंत्री एस जयशंकर सोमवार को टीवी9 नेटवर्क द्वारा आयोजित एक मीडिया शिखर सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उस दौरान उनसे कई प्रश्न भी किये गये जिसके जवाब में उन्होंने महत्वपूर्ण बातें कही हैं।
एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन तरक्की कर रहे हैं और इस प्रक्रिया में दोनों देश वैश्विक व्यवस्था को बदल रहे हैं। जयशंकर ने विगत वर्षों में मामल्लापुरम और वुहान में दोनों देशों के नेतृत्व के बीच हुई बातचीत का हवाला देते हुए कहा कि भारत ने कूटनीति के माध्यम से संबंधों में “संतुलन” बनाए रखने की कोशिश की, लेकिन 2020 में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर निर्धारित मानदंडों के उल्लंघन के तहत चीन के सैन्य जमावड़े के बाद दोनों देशों के संबंधों ने एक अलग मोड़ ले लिया। विदेश मंत्री ने वैश्विक भूराजनीतिक परिदृश्य में भारत और चीन के उदय को “महत्वपूर्ण” बताया।
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘आप पिछले 20-25 वर्षों में बदली हुई तीन से चार बड़ी चीजों की सूची बनाएं तो ज्यादातर लोग इस बात से सहमत होंगे कि यह चीन का उदय और भारत का उदय होगा।’ विदेश मंत्री ने कहा, ‘आप कह सकते हैं कि चीन ने इन चीजों को बहुत पहले ही शुरू कर दिया था क्योंकि हमारी अपनी राजनीति ने यहां सुधार के युग में देरी की। ठीक है, जो हो गया सो हो गया। लेकिन इस पर कोई सवाल नहीं है कि दोनों देश उभर रहे हैं और वैश्विक राजनीति के लिए यह एक बहुत ही दिलचस्प समस्या है।’ जयशंकर ने कहा, ‘समस्या यह है कि दोनों देश अपने उत्थान से वैश्विक व्यवस्था को बदल रहे हैं। इसलिए हर एक का दुनिया पर प्रभाव पड़ता है। लेकिन ये दोनों देश पड़ोसी भी हैं। बाकी दुनिया की तुलना में चीजें बदल रही हैं लेकिन इसके साथ ही दोनों देशों का रिश्ता भी बदल रहा है।’ विदेश मंत्री ने तर्क दिया कि इसलिए यह स्थिति संतुलन बनाए रखने के लिहाज से बेहद जटिल हो रही है।
जयशंकर से जब विशेष रूप से 2018 में चीनी शहर वुहान और 2019 में ममल्लापुरम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच अनौपचारिक शिखर सम्मेलन के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि ये मुलाकात “संतुलन बनाए रखने के अभ्यास” का हिस्सा थीं। उन्होंने कहा, ‘हमने पहले कूटनीति के माध्यम से उस संतुलन को स्वाभाविक रूप से बनाए रखने की कोशिश की। तो आपने वुहान और मामल्लापुरम आदि में जो देखा वह संतुलन बनाए रखने की कवायद थी।’ विदेश मंत्री ने कहा, ‘लेकिन चीन ने 2020 में जो किया वह यह था कि किसी भी कारण से उसने समझौतों की अवहेलना करते हुए सैन्य बलों को स्थानांतरित करने का विकल्प चुना। इस घटना ने संतुलन बनाए रखने के लिए एक अलग प्रतिक्रिया की मांग की।’ उन्होंने कहा, “हमारा इस पर तार्किक कदम यह था कि हमने अपने सैन्य कर्मियों को बहुत बड़े पैमाने पर भेजा। इसलिए 2020 से एक संतुलन बना हुआ है जिसका एक हिस्सा यह है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में सेना तैनात है। आज एक हिस्सा स्पष्ट रूप से सीमा स्थिति के कारण प्रभावित हुआ राजनीतिक संबंध है।” जयशंकर ने कहा, ‘इसका एक हिस्सा हमारे द्वारा उठाए गए आर्थिक कदम भी हैं।’ विदेश मंत्री ने एक अन्य प्रश्न के उत्तर में बताया कि 2014 तक चीन के साथ सीमा पर भारत का वार्षिक औसत खर्च लगभग 3,500 करोड़ रुपये था जो आज लगभग 15,000 करोड़ रुपये है।
इसके अलावा, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत को उम्मीद है कि पिछले साल लंदन में उसके उच्चायोग और सैन फ्रांसिस्को में वाणिज्य दूतावास पर हुए हमलों में शामिल दोषियों के साथ-साथ कनाडा में भारतीय राजनयिकों को धमकी देने में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत को कनाडा में वीजा जारी करना इसलिए निलंबित करना पड़ा क्योंकि उसके राजनयिकों को बार-बार “कई तरह से डराया और धमकाया गया” और हमें “उस समय कनाडाई तंत्र से बहुत कम कार्रवाई देखने को मिली।” हम आपको याद दिला दें कि भारत ने पिछले साल सितंबर में कनाडाई नागरिकों को वीजा जारी करना अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया था। देश ने यह कदम कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की “संभावित” संलिप्तता के आरोपों के कुछ दिनों बाद उठाया था। हालांकि, कुछ सप्ताह बाद वीजा सेवाएं फिर से शुरू हो गई थीं। भारत ने ट्रूडो के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था। भारत इस बात पर जोर देता रहा है कि कनाडा के साथ उसका “मुख्य मुद्दा” उस देश में अलगाववादियों, आतंकवादियों और भारत विरोधी तत्वों को दी गई जगह का है।
जयशंकर ने टीवी9 नेटवर्क द्वारा आयोजित एक शिखर सम्मेलन में कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि सैन फ्रांसिस्को में हमारे वाणिज्य दूतावास पर हमले के दोषियों को सजा दी जाएगी। हम उन लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई की उम्मीद करते हैं जिन्होंने लंदन में हमारे उच्चायोग में हमला किया था। हमें उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की उम्मीद है जिन्होंने (कनाडा में) हमारे राजनयिकों को धमकी दी थी।”
हम आपको यह भी बता दें कि सोमवार को ही दिन में विदेश मंत्री जयशंकर ने दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था कि उरी और बालाकोट में की गई सैन्य कार्रवाई पश्चिमी मोर्चे पर बढ़ते आतंकवाद के प्रति भारत का मुहंतोड़ जवाब थी। जयशंकर ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में ‘भारत और विश्व’ विषय पर पंडित हृदय नाथ कुंजरू मेमोरियल व्याख्यान-2024 में लोगों को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की थी। वैश्विक मंच पर भारत की मजबूत होती स्थिति के बारे में जयशंकर ने कहा था कि भारत ने उरी और बालाकोट में हमले करके दुनियाभर को अपना संदेश दिया। पश्चिमी मोर्चे के आतंकवाद को करारा जवाब मिला। विदेश मंत्री ने कहा था कि वैश्विक व्यवस्था के आर्थिक और राजनीतिक पुनर्संतुलन में स्पष्ट प्रगति हुई भले ही यह असमान हो। जी20 ने जी7 को पछाड़ दिया है और कई नए समूह और तंत्र अस्तित्व में आए हैं। उन्होंने कहा था कि दुनिया की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं की सूची में बदलाव आया है और भारत पिछले दशक में छह स्थान ऊपर पहुंच गया है।