Prabhasakshi Exclusive: Rafah में Israel की सेना के तेजी से बढ़ते कदम Egypt की टेंशन क्यों बढ़ा रहे हैं?

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि इजराइल और हमास के बीच चल रहा संघर्ष अब किस दिशा में आगे बढ़ रहा है? हमने यह भी जानना चाहा कि क्या संघर्षविराम प्रस्ताव को मंजूर किये जाने के कोई आसार हैं? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि संघर्षविराम के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं क्योंकि इजराइली सेना लगातार आगे बढ़ती चली जा रही हैं। उन्होंने कहा कि इस समय स्थिति यह है कि इजरायली बमबारी और जमीनी हमलों के कारण लगभग 1.5 मिलियन फिलिस्तीनी नागरिक वर्तमान में दक्षिणी गाजा शहर राफा में फंसे हुए हैं।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इजराइल ने ताजा हमले में परिवारों और आवासीय परिसरों को निशाना बनाया, जिससे गाजा में कम से कम 103 लोग मारे गए। इसके साथ ही गाजा में मरने वालों की संख्या 29,600 हो गई है। उन्होंने कहा कि देखा जाये तो पिछले साल 7 अक्टूबर को शुरू हुए संघर्ष के बाद से अब तक लगभग 70,000 लोग घायल हो चुके हैं और संपत्ति के नुकसान का तो कोई सही आकलन ही नहीं है क्योंकि चारों ओर मलबे के ढेर ही ढेर नजर आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार इजराइल ने 10 हमलों में परिवारों को निशाना बनाया है जिनमें लोकप्रिय फिलिस्तीनी हास्य अभिनेता महमूद ज़तार का आवास भी शामिल था। बताया जा रहा है कि इन हमलों में कम से कम 160 लोग घायल हुए हैं जिनमें कई गंभीर थे। उन्होंने कहा कि बताया जा रहा है कि इज़रायली सैन्य हेलीकॉप्टर ने मध्य गाजा के दीर अल-बलाह क्षेत्र में घरों की ओर गोलीबारी की।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि गाजा पट्टी में लगातार हमलों से भोजन और पानी की आपूर्ति पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की मानवीय एजेंसी ने अपने बयान में कहा है कि पर्याप्त भोजन और पानी की आपूर्ति, साथ ही स्वास्थ्य और पोषण सेवाओं के बिना, गाजा में अकाल का खतरा बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि सबसे बुरे हालात महिलाओं और बच्चों के हैं और यह क्षेत्र एक बड़े मानवीय संकट की ओर बढ़ रहा है। 

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसके अलावा इजराइल जिस तरह वेस्ट बैंक में बस्तियां बसा रहा है वह गलत है। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने भी कहा है कि वेस्ट बैंक में नयी इजराइली बस्तियां अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने साफ कहा है कि हमें लगता है कि इससे इजराइल की सुरक्षा मजबूत नहीं बल्कि कमजोर होगी। उन्होंने कहा कि ब्लिंकन का यह बयान तब आया है जब इजराइल के धुर दक्षिणपंथी वित्त मंत्री बेलालेल स्मोटरिच ने बस्तियों में तीन हजार से अधिक मकान बनाने का संकेत दिया था। उन्होंने कहा कि जहां तक इस युद्ध के भविष्य की बात है तो एक चीज साफ है कि गाजा पर इजराइल का दोबारा कब्जा नहीं होना चाहिए। गाजा का आकार कम नहीं किया जाना चाहिए और जो भी योजना सामने आए वह निर्धारित सिद्धांतों के अनुरूप होनी चाहिए।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि वर्तमान में 15 लाख फिलस्तीनी नागरिक दक्षिणी गाजा के शहर रफह में फंसे हुए हैं। इस शहर की मूल आबादी 2,50,000 थी लेकिन यहां अब गाजा की पूरी आबादी के आधे से अधिक लोग हैं। उन्होंने कहा कि अब इस बात की आशंका बढ़ गई है कि रफह पर इजराइल के संभावित जमीनी हमले से नागरिक सीमा पार करके मिस्र के सिनाई प्रायद्वीप में प्रवेश कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि मूल रूप से सुरक्षित क्षेत्र माने जाने वाला रफह को अब इजराइली हवाई हमलों द्वारा भी निशाना बनाया जा रहा है। हिंसा से भाग रहे लोगों के पास जाने के लिए कोई सुरक्षित जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि देखा जाये तो इजराइल के अलावा मिस्र एकमात्र देश है जिसकी सीमा गाजा से लगती है। हालांकि मिस्र ने इजराइल द्वारा विस्थापित फिलस्तीनी शरणार्थियों को स्वीकार करने से इंकार कर दिया है। 

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि मिस्र के लिए एक और प्रमुख चिंता उसकी सुरक्षा है। यदि फिलस्तीनियों को सिनाई में फिर से बसाया गया, तो यह मिस्र के इस क्षेत्र में प्रतिरोध अभियान शुरू करने के लिए एक नया आधार बना सकता है। यह मिस्र को इजराइल के साथ सैन्य संघर्ष में घसीट सकता है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, मिस्र के राष्ट्रपति हाल के वर्षों में केवल उत्तरी सिनाई में इस्लामी विद्रोहियों पर नकेल कसने में कामयाब रहे हैं और संभवतः इसको लेकर चिंतित हैं कि शरणार्थियों की आमद अस्थिर कर सकती है। मिस्र के राष्ट्रपति का यह भी मानना है कि हमास उनके शासन का विरोध कर सकता है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2013 में एक सैन्य तख्तापलट में राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी को अपदस्थ करने के बाद, सिसी शासन ने मुस्लिम ब्रदरहुड पर कार्रवाई की और सभी तरह के असंतोष को दबा दिया था। उन्होंने कहा कि हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि वर्ष 2014 और 2016 के बीच, मिस्र की सेना ने गाजा को मिस्र से जोड़ने वाली सुरंगों पर बमबारी की और उसमें पानी भर दिया, साथ ही हमास पर मुस्लिम ब्रदरहुड के साथ सरकार के खिलाफ मिलीभगत करने का आरोप लगाया था।

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *