प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि पाकिस्तान में धमाकों के बीच हुए चुनाव को कैसे देखते हैं आप? हमने यह भी जानना चाहा कि पाकिस्तान में हुए संसदीय चुनाव कितने निष्पक्ष हैं? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से जो खबरें आ रही हैं वह दर्शा रही हैं कि चारों ओर धमाके हो रहे हैं। इन धमाकों के चलते अधिकांश मतदाता अपने घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं और जो मतदान केंद्र पर जा भी रहे हैं उन्हें वहां मौजूद सुरक्षाकर्मी एक खास पार्टी को वोट देने के लिए धमका रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह सब दर्शाता है कि लोकतंत्र के नाम पर सिर्फ दिखावा किया जा रहा है। वहां सेना पहले ही तय कर चुकी है कि कौन प्रधानमंत्री होगा और कौन किस विभाग का मंत्री होगा। वहां चुनाव के नाम पर सिर्फ और सिर्फ दिखावा ही किया जा रहा है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि आप पाकिस्तान का इतिहास उठा कर देखेंगे तो पाएंगे कि उसके गठन के बाद से वहां 43 सालों में 23 प्रधानमंत्री हुए हैं और 33 साल सेना का राज रहा है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा जिन 43 सालों में सरकार ने शासन किया उस दौरान भी सेना की पसंद का प्रधानमंत्री ही पाकिस्तान में रहा है। उन्होंने कहा कि सेना के अधिकारी भारत विरोधी भावनाएं भड़का कर और भारत विरोधी अभियान चला कर अपना स्वार्थ सिद्ध करते रहे। उन्होंने कहा कि सेना का भारी भरकम बजट रख कर पाकिस्तानी सेना के अधिकारी जम कर भ्रष्टाचार करते रहे और विदेशों में अपनी काफी संपत्तियां बना लीं। उन्होंने कहा कि कौन भूल सकता है जब परवेज मुशर्रफ ने निर्वाचित सरकार का तख्ता पलट किया था तो वह सीईओ के साथ ही सेनाध्यक्ष भी बन गये। उन्होंने कहा कि यह पहली बार था कि किसी देश का सीईओ था जैसे कि पाकिस्तान कोई देश नहीं बल्कि एक कंपनी हो। उन्होंने कहा कि आज पाकिस्तान पर जितना कर्ज है उतना तो हमारा इस साल का जम्मू-कश्मीर का बजट है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि यह चुनाव कैसे निष्पक्ष हो सकते हैं जब एक व्यापक रूप से लोकप्रिय नेता और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को चुनाव लड़ने से ही रोक दिया गया है। उन्होंने कहा कि इमरान खान के समर्थन में जिस तरह जनता सड़कों पर उतरी थी और सेना के अधिकारियों के घरों पर ही हमले किये गये थे उसके बाद लोगों पर अत्याचार बढ़े हैं जिससे डर कर लोग मुंह नहीं खोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह डर ही था कि इमरान खान की पार्टी के कई नेताओं ने राजनीति से ही तौबा कर ली तो कई नेता पार्टी ही छोड़ कर चले गये। उन्होंने कहा कि विपक्ष को दबा कर वहां जिस तरह का चुनाव कराया जा रहा है उसका कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि वैश्विक समुदाय देख रहा है कि एक भगोड़े नेता नवाज शरीफ को वापस लाकर उनके खिलाफ मुकदमे समाप्त किये गये और प्रधानमंत्री पद पर रहे इमरान खान की सरकार जबरन गिरा कर उन्हें सलाखों के पीछे धकेल दिया गया और गंभीर प्रकृति के मुकदमे उनके खिलाफ थोप कर उन्हें चुनाव लड़ने से वंचित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि इस चुनाव के बाद पाकिस्तान की किसी प्रकार की विश्वसनीयता बढ़ेगी।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि मतदान में एक साल की देरी हुई जिससे आम लोगों की भी चुनावों के प्रति रुचि खत्म हो चुकी है। उन्होंने कहा कि दुनिया देख रही है कि यह संभवतः एकमात्र ऐसा देश है जहां 76 साल के इतिहास में किसी भी लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित प्रधानमंत्री ने कभी भी कार्यकाल पूरा नहीं किया है। उन्होंने कहा कि दशकों से आतंकवाद का पनाहगाह रहा यह देश अब खुद भी आतंकवाद और अलगाववाद से जूझ रहा है जिसका लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर काफी असर पड़ा है। चुनाव प्रचार से लेकर मतदान तक यही सब देखने को मिला। उन्होंने कहा कि ऐसे चुनावों का क्या मतलब है जहां घोषित आतंकवादी अपना दल बना कर चुनाव लड़ रहे हैं?
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि 74 वर्षीय पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को यदि चौथा कार्यकाल मिलता है तो यह उनकी ऐतिहासिक वापसी होगी क्योंकि इससे पहले वह भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में रहे और लंबे समय तक विदेशों में वर्षों के आत्म-निर्वासन में भी रहे। उन्होंने कहा कि यह भी देखना होगा कि प्रधानमंत्री पद के एक और उम्मीदवार बिलावल भुट्टो जरदारी क्या नवाज शरीफ के साथ जुड़ते हैं या फिर वह उनके प्रतिद्वंद्वी के रूप में सामने रहते हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की अधिकांश आबादी में निराशा की भावना है क्योंकि वह बेहद गरीबी के दौर में जी रहे हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को बांग्लादेश से सीख लेनी चाहिए जहां सेना प्रभावी भूमिका में तो है लेकिन नीतियां सरकार ही बनाती है और उन नीतियों की बदौलत बांग्लादेश आज एक सफल राष्ट्र है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि पाकिस्तान की मतदाता सूची को देखेंगे तो पाएंगे कि अधिकांश वोटर युवा हैं। उन्होंने कहा कि यह युवा भारत से दुश्मनी नहीं चाहते बल्कि पूछ रहे हैं कि हम भारत से अलग क्यों हुए? उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी युवा भी आगे बढ़ना चाहता है लेकिन इसके मौके उन्हें पाकिस्तान में दिख नहीं रहे हैं साथ ही वहां कोई ऐसा नेता भी नहीं बचा है जो उनका मार्गदर्शन कर सके और यह विश्वास दिला सके कि वह पाकिस्तान को आगे बढ़ायेगा। उन्होंने कहा कि युवाओं की पसंद इमरान खान थे जिन्होंने देश को क्रिकेट विश्व कप दिलाया और परिवारवादी राजनीति से मुक्ति दिलाई लेकिन उन्हें सलाखों के पीछे डाल दिया गया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में सुदूर क्षेत्रों में ही नहीं बल्कि राजधानी इस्लामाबाद में भी चुनाव के प्रति लोगों की अरुचि दिखी जो दर्शाता है कि यह चुनाव सिर्फ एक खानापूर्ति भर है।