Prabhasakshi Exclusive: Pakistan में सरकार गठन का फॉर्मूला तो निकल गया मगर अब Pak Army को Imran Khan से किस बात का है डर लग रहा है?

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि चुनाव बाद पाकिस्तान के जो हालात बने हैं वह क्या दर्शा रहे हैं? हमने यह भी जानना चाहा कि क्या इस बार का पाकिस्तान का जनादेश वहां की सेना के खिलाफ है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं कि पाकिस्तान की जनता ने सेना के साथ ही नवाज शरीफ को भी सबक सिखाया है। उन्होंने कहा कि नवाज शरीफ ने अपने तीनों कार्यकाल में सिर्फ अपने परिवार के लिए दौलत कमाने के अलावा कुछ नहीं किया इसीलिए भले सेना ने उन्हें माफ कर दिया हो लेकिन जनता उन्हें माफ नहीं कर पाई है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा जिस तरह नवाज शरीफ ने लंदन में बैठे-बैठे अपने भाई शहबाज शरीफ के जरिये जिस तरह पाकिस्तान की निर्वाचित सरकार को गिरा कर इमरान खान को सेना की मदद से सलाखों के पीछे पहुँचाया उससे जनता बहुत नाराज है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के इतिहास में यह पहली बार है जब सेना के उद्देश्यों पर वहां की जनता ने पानी फेर दिया है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि अब पाकिस्तान में जिस तरह के हालात हैं उसके मुताबिक शहबाज शरीफ का नाम आगे कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि लेकिन यह नवाज शरीफ के राजनीतिक कॅरियर का अंत नहीं है क्योंकि वह अब रिमोट कंट्रोल से सरकार चलाएंगे। उन्होंने कहा कि यदि सब कुछ योजना के अनुसार हुआ, तो अगले महीने की शुरुआत में छह-दलीय गठबंधन सरकार के सत्ता संभालने की संभावना है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन), पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) समेत तीनों दलों में से किसी को भी आठ फरवरी को हुए आम चुनावों में नेशनल असेंबली में बहुमत हासिल करने के लिए आवश्यक सीटें नहीं मिली हैं। इसलिए इनमें से कोई भी दल अकेले सरकार बनाने में सक्षम नहीं है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि पाकिस्तान में राजनीतिक दलों के बीच इमरान खान को सत्ता से दूर रखने के लिए जो डील हुई है उसके मुताबिक पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) केंद्र में पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनाने पर सहमत हो गयी है लेकिन उसने अपने शीर्ष नेता आसिफ अली जरदारी के लिए राष्ट्रपति पद मांग लिया है। उन्होंने कहा कि अगर स्थिति में कोई बदलाव नहीं होता है तो देश में पीएमएल-एन पार्टी का प्रधानमंत्री और पीपीपी का राष्ट्रपति देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा कि पीपीपी अध्यक्ष जरदारी 2008 से 2013 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रह चुके हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के मौजूदा राष्ट्रपति डॉ. आरिफ अल्वी इस महीने के अंत तक अपना पद छोड़ने वाले हैं।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि चुनावों के साथ ही पाकिस्तान की सेना को वहां की शीर्ष अदालत से भी बड़ा झटका लगा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने शक्तिशाली सेना की कारोबारी गतिविधियों के प्रति कड़ा रुख अपनाते हुए सरकार से यह सुनिश्चित करने का आश्वासन मांगा है कि सशस्त्र बल कारोबार के बजाय केवल रक्षा संबंधी मामलों पर ध्यान दें। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की शीर्ष अदालत ने इस बात पर जोर दिया है कि देश के सभी संस्थानों को अपनी संवैधानिक सीमाओं के भीतर रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह मामला पूर्व सीजेपी गुलजार अहमद द्वारा 2021 में शुरू किया गया था जब अदालत का ध्यान कराची में छावनी बोर्ड की भूमि के अवैध उपयोग की ओर आकर्षित किया गया था। उन्होंने कहा कि इस भूमि का अधिग्रहण रणनीतिक उद्देश्यों के लिए किया गया था, लेकिन इसका उपयोग वाणिज्यिक लाभ के लिए किया गया था। उन्होंने कहा कि सेना ने सैन्य भूमि पर ‘मैरिज हॉल’ स्थापित किए हैं जोकि आश्चर्यजनक है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि लेकिन पाकिस्तान में पिक्चर अभी बाकी है क्योंकि वहां की सेना को लगता है कि 1970 जैसे हालात दोबारा पैदा हो सकते हैं जब मुजीबर रहमान को सताया जा रहा था तो जनता उनके साथ खड़ी हो गयी थी और पाकिस्तान का विभाजन हो गया था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सेना को लगता है कि यदि जनता ने विद्रोह किया और इमरान खान का साथ दिया तो कहीं देश का फिर से टुकड़ा ना हो जाये। उन्होंने कहा कि वैसे भी बलूचिस्तान समेत विभिन्न इलाकों में पहले से ही अशांति है और वहां के कई गुट सही मौके की ताक में हैं।

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