Prabhasakshi Exclusive: G20 Virtual Summit का क्या निष्कर्ष रहा, यह सम्मेलन कैसे दुनिया के लिए लाभदायक रहा?

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि जी-20 वचुर्अल समिट के निष्कर्षों को कैसे देखते हैं आप? हमने यह भी जानना चाहा कि भारत ने अपनी अध्यक्षता के दौरान जी-20 में क्या प्रमुख योगदान दिया। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि भारत ने दुनिया को दिखा दिया है कि वह विभिन्न मुद्दों पर बंटी हुई दुनिया को एक साथ ला सकता है और वैश्विक मुद्दों का समाधान निकाल सकता है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जी-20 के डिजिटल शिखर सम्मेलन में कई नेताओं ने इजराइल-हमास संघर्ष पर बात की और समय पर मानवीय सहायता प्रदान करने, हिंसा को फैलने नहीं देने तथा फलस्तीन मुद्दे का दीर्घकालिक समाधान खोजने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में डिजिटल तरीके से आयोजित जी-20 बैठक में अफ्रीकी संघ, नौ अतिथि देशों और 11 अंतरराष्ट्रीय संगठनों सहित सभी 21 सदस्यों ने भाग लिया। उन्होंने कहा कि इसमें सितंबर में नयी दिल्ली में आयोजित शिखर सम्मेलन के एजेंडे की प्रगति पर चर्चा हुई। बैठक में पश्चिम एशिया, गाजा की स्थिति पर विस्तार से चर्चा हुई और कुछ हद तक यूक्रेन संघर्ष और उसके परिणामों पर भी विचार-विमर्श किया गया। यह डिजिटल शिखर सम्मेलन इसलिए भी बहुत महत्वपूर्ण था क्योंकि पश्चिम एशिया में संघर्ष शुरू होने के बाद यह विश्व नेताओं की पहली बैठक थी।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि बैठक में आतंकवाद की निंदा की गई, नागरिकों के जीवन के नुकसान पर गहरी चिंता जताने के साथ समय पर और पर्याप्त मानवीय सहायता प्रदान करने, संघर्ष को फैलने न देने और फलस्तीन मुद्दे का दीर्घकालिक समाधान खोजने की दिशा में चर्चा की गई। कुल मिलाकर जी-20 सदस्यों ने बंधकों की रिहाई, गाजा में राहत सामग्री पहुंचाने और कुछ समय के लिए संघर्ष विराम पर बनी सहमति का स्वागत किया।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि यदि आप इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन को देखेंगे तो इजराइल-हमास संघर्ष पर भारत की नीति का स्पष्ट पता चल जायेगा। उन्होंने कहा कि बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि इजराइल-हमास युद्ध क्षेत्रीय संघर्ष का रूप न ले और इस बात पर जोर दिया कि इजराइल-फलस्तीन मुद्दे को दो-राष्ट्र समाधान के साथ हल करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पश्चिम एशिया में व्याप्त असुरक्षा और अस्थिरता पर चिंता जताते हुए जी-20 नेताओं के डिजिटल शिखर सम्मेलन में मोदी ने कहा कि आतंकवाद हर किसी के लिए अस्वीकार्य है और नागरिकों खासकर बच्चों और महिलाओं की मौत चाहे कहीं भी हो, निंदनीय है। प्रधानमंत्री ने बंधकों की रिहाई की घोषणा की खबर का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि उन्हें जल्द ही रिहा कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मानवीय सहायता यथाशीघ्र प्रभावी ढंग से और सुरक्षित रूप से पहुंचाई जानी चाहिए।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जी-20 के सभी नेताओं के विचार सुनने के बाद मोदी ने कहा कि पश्चिम एशिया की गंभीर स्थिति के संबंध में कई मुद्दों पर उनके बीच सहमति है और सर्वसम्मति के बिंदुओं का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने नेताओं के बीच सहमति के सात बिंदुओं में से एक का जिक्र करते हुए कहा कि क्षेत्रीय-राजनीतिक तनाव को कम करने का एकमात्र साधन कूटनीति और बातचीत है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जी20 इन मुद्दों पर हर संभव सहायता देने के लिए तैयार है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि पिछले एक साल में हमने ‘एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य’ पर भरोसा जताया है और विवादों से दूर जाते हुए हमने एकता और सहयोग के साथ काम किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि मैं उस क्षण को कभी नहीं भूल सकता जब दिल्ली में हम सभी ने जी20 में अफ्रीकी संघ का स्वागत किया था। जी20 द्वारा दुनिया को दिया गया समावेशिता का यह संदेश अभूतपूर्व है। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने कहा कि 21वीं सदी के विश्व को आगे बढ़ते हुए ‘ग्लोबल साउथ’ की चिंताओं को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी क्योंकि ‘ग्लोबल साउथ’ के देश ऐसी अनेक कठिनाइयों से गुजर रहे हैं जिनके लिए वे जिम्मेदार नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने ब्राजील के अगले महीने जी-20 की अध्यक्षता संभालने की तैयारी के बीच, लूला को अपनी शुभकामनाएं दीं और विश्वास जताया कि वह वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए ‘‘वसुधैव कुटुंबकम’’ की भावना के साथ एकजुट होकर काम करेंगे।

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