Prabhasakshi Exclusive: क्या Russia के आगे सरेंडर करेंगे जेलेंस्की? पश्चिमी देश भी खड़े कर रहे हाथ

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के 2 साल फरवरी में पूरे हो जाएंगे। बावजूद इसके अब तक इसके कुछ ठोस परिणाम नहीं आए हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध किस स्थिति में खड़ा है, आने वाले समय में दोनों देशों की रणनीति क्या होगी और पश्चिमी देश फिलहाल किस नीति के साथ आगे बढ़ रहे हैं, इसी को लेकर हमने हमेशा की तरह प्रभासाक्षी की खास कार्यक्रम शौर्य पथ में ब्रिगेडियर डी.एस.त्रिपाठी (आर) से सवाल पूछा। उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर कहा कि कहीं ना कहीं रूस ने इस युद्ध में अपनी पकड़ को पूरी तरीके से मजबूत कर लिया है। उन्होंने कहा कि यह युद्ध लंबा चला है। मैं हमेशा कहता रहा हूं कि जहां कहीं भी अमेरिका इंवॉल्व हुआ है, वहां युद्ध लंबा चला है। उदाहरण के तौर पर उन्होंने वियतनाम, इराक, अफगानिस्तान, सीरिया का जिक्र किया।

ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि शुरू में तो लोगों ने यही समझा कि वन साइडेड मुकाबला है। रूस एकतरफा इस युद्ध को जीत जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का एकमात्र शायद ऐसा देश है जिसे हर तरह की लड़ाई देखी है और इसके बावजूद भी हिंदुस्तान हिंदुस्तान बना रहा। इस दौरान उन्होंने प्रथम विश्व युद्ध से लेकर कारगिल युद्ध का जिक्र किया। साथ ही साथ भारत चीन सीमा तनाव का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अमेरिका दुनिया में मजबूत है। उसके अलग-अलग बेस है बावजूद इसके अगर उनके कंट्रोल में यह युद्ध नहीं है तो इसके कई मायने निकाले जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि रूस ने अभी तक कोई बड़ी लड़ाई नहीं लड़ी है। विश्व युद्ध की बात छोड़ दें तो रूस को अपनी ताकत दिखाने का वैसा मौका नहीं मिल पाया था। क्रीमिया की परिस्थितियां कुछ और थी और रूस के लिए वह आसान भी रहा। 

ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि रूस ने 20% यूक्रेन का कब्जा कर लिया है। रूस जहां पहुंच चुका है वहां से पीछे नहीं हट रहा है। ऐसे में चुनौतियां यूक्रेन के सामने ज्यादा है। रूस पर तमाम प्रतिबंध लगाए गए हैं। बावजूद इसके वह खुद को संभाले रखा हुआ है। रूस ने अपनी ताकत को मजबूत कर लिया है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन के पक्ष में कई पश्चिमी देशों ने अलग-अलग हथियार जरूर दिए लेकिन उनका इंपैक्ट दिखाई नहीं दे रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि यह इनडायरेक्ट तरीके से रूस और अमेरिका की लड़ाई है और परिस्थिति जस की तस बनी हुई है। रूस ने अपनी सैन्य शक्ति में इजाफा किया है। हालांकि, यूक्रेन को इसमें कामयाबी नहीं मिली है। यूक्रेन जो लोग छोड़कर जा चुके हैं वह वहां लौटना नहीं चाहते। यूक्रेन पूरी तरीके से तहस-नहस हो चुका है। इंफ्रास्ट्रक्चर उसका पूरा डैमेज हो चुका है।

त्रिपाठी ने कहा कि यूक्रेन को जिस तरीके से शुरुआत में पश्चिमी देशों का समर्थन मिल रहा था, वह भी उसे नहीं मिल रहा है। यूक्रेन के लोग पूरी तरीके से परेशान हो चुके हैं। इतनी लंबी लड़ाई चली है कि वहां के लोग टूट चुके हैं। 2 साल लड़ाई चली लेकिन आम लोगों को इससे क्या मिला? उन्होंने यह भी कहा कि यूक्रेन को जो मदद पश्चिमी देशों की ओर से दी जा रही है, अब उसमें कई देश अपने हाथ खड़े कर रहे हैं। कई देश तो इसके विरोध में भी खड़े हो चुके हैं। यूक्रेन की मदद करते-करते कई देशों की खुद की हालत खराब हो गई है। ऐसे में यूक्रेन के लिए आगे का रास्ता कठिन होने वाला है। 

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