असम में कई विपक्षी राजनीतिक दलों ने संशोधित नागरिकता कानून का विरोध करने का फैसला किया है तो दूसरी ओर मणिपुर में सबसे पुराने उग्रवादी समूह ने शांति समझौत पर हस्ताक्षर कर राज्य में शांति स्थापित होने की संभावनाओं को बलवती किया है। इस सप्ताह मणिपुर इसलिए भी सुर्खियों में रहा क्योंकि फिल्म अभिनेता रणदीप हुडा ने स्थानीय अभिनेत्री लिन लैशराम के साथ विवाह किया। मिजोरम में एग्जिट पोलों ने त्रिशंकु विधानसभा बनने का पूर्वानुमान व्यक्त किया तो अरुणाचल प्रदेश में नौकरशाही में अब तक का सबसे बड़ा परिवर्तन हुआ। साथ ही अमेरिकी राजदूत भी इस सप्ताह अरुणाचल प्रदेश के महत्वपूर्ण दौरे पर रहे। मेघालय में लोकसभा चुनावों के लिए पार्टियों ने कमर कसी तो नगालैंड ने धूमधाम से अपना राज्य स्थापना दिवस मनाया। वहीं त्रिपुरा में राज्य सरकार ने 1947 में विभाजन से पहले और उसके बाद राज्य और पूर्ववर्ती पूर्वी पाकिस्तान के लोगों के बीच भूखंडों की अदला-बदली की स्थिति का पता लगाने के लिए गहन सर्वेक्षण शुरू किया है। इसके अलावा भी पूर्वोत्तर भारत से कई प्रमुख समाचार रहे। आइये डालते हैं सभी पर एक नजर लेकिन सबसे पहले बात करते हैं असम की।
असम
असम से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि गुवाहाटी स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान(आईआईटी-जी) ने सशस्त्र बलों की अभियानगत तैयारियों के आधुनिकीकरण के लिए जूनियर कमीशन अधिकारियों (जेसीओ) और अन्य अधिकारियों के लिए ड्रोन प्रौद्योगिकी के संबंध में तीन महीने का प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है। यह पाठ्यक्रम प्रशिक्षण लेने वाले अधिकारियों को सेवानिवृत्ति के बाद के कॅरियर विकल्प चुनने में भी मदद करेगा क्योंकि इससे उन्हें विविध ड्रोन उद्योग या प्रौद्योगिकी उद्यमियों के रूप में सफल होने के लिए आवश्यक ज्ञान, दृष्टिकोण और सोच मिलेगी। आईआईटीजी के ड्रोन प्रौद्योगिकी केंद्र के डीन परमेश्वर के. अय्यर ने कहा कि देश में अपनी तरह का यह पहला कार्यक्रम ड्रोन प्रौद्योगिकियों, पायलट प्रशिक्षण, सॉफ्टवेयर संचालन और अनुप्रयोगों के संबंध में संपूर्ण प्रशिक्षण प्रदान करने पर केंद्रित होगा। कार्यक्रम के वर्तमान बैच में विभिन्न सशस्त्र बलों के 30 कर्मी हैं। शैक्षणिक प्रौद्योगिकी केंद्र के प्रमुख टी.वी. भरत ने कहा, ‘‘आईआईटी-जी ड्रोन प्रौद्योगिकी के जरिए सशस्त्र बलों को कुशल बनाने और सेवानिवृत्ति के बाद उनके करियर के अवसरों को बढ़ाने के लिए इस प्रमाणपत्र कार्यक्रम की पेशकश कर रहा है।’’
इसके अलावा, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने 12वीं कक्षा की राज्य बोर्ड परीक्षा कम से कम 60 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण करने वाली छात्राओं और 75 फीसदी अंकों से उत्तीर्ण करने वाले छात्रों को बृहस्पतिवार को स्कूटर वितरित किए। साहित्यकार और भाषाविद् डॉ. बाणीकांत काकति की याद में 2023 स्थापित इस पुरस्कार योजना के तहत 35,770 छात्रों को दोपहिया वाहन बांटे गये। इस अवसर पर शर्मा ने कहा कि शिक्षा के माध्यम से युवाओं को सशक्त बनाना राज्य सरकार की प्रतिबद्धताओं में से एक रहा है।
इसके अलावा, केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने बृहस्पतिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ऊर्जावान नेतृत्व में शुरू हुईं विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं ने देश में लोगों के जीवन की गुणवत्ता को सुधारने और उसे समृद्ध बनाने का कार्य किया है। प्रधानमंत्री मोदी के वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’ के लाभार्थियों से संवाद के दौरान सोनोवाल भी नलबाड़ी में देव ब्लॉक में दखिन पाकुआ जीपी कार्यालय ग्राउंड में इस कार्यक्रम में शामिल हुए। सोनोवाल ने कहा, ”प्रधानमंत्री के ऊर्जावान नेतृत्व में, यह ‘संकल्प यात्रा’ हमारे देश के लोगों के जीवन की गुणवत्ता को समृद्ध करने के उद्देश्य से विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का एहसास कराने का एक ईमानदार प्रयास है और साथ ही इसका लक्ष्य 2047 तक आत्मनिर्भर भारत के उनके सपने को साकार करने की दिशा में सामाजिक तंत्र को सक्षम बनाना है।’’ उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य ‘पीएम किसान’, ‘पीएम आवास योजना’, ‘पीएम स्वनिधि’, ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’, ‘जन धन योजना’ और कई अन्य पहलों जैसी विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के जरिए गरीबों की सेवा करना, हाशिए पर मौजूद लोगों का सम्मान करना और किसानों का कल्याण सुनिश्चित करना है। केंद्रीय मंत्री ने कहा, ”प्रधानमंत्री ने स्पष्ट रूप से आह्वान किया है कि भारत की ‘आत्मनिर्भरता’ केवल महिलाओं को सशक्त बनाकर ही हासिल की जा सकती है। इसके लिए सरकार ने ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’, ‘प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना’ (पीएमएमवीवाई) और कई अन्य योजनाएं शुरू कीं और साथ ही राष्ट्र निर्माण के लिए महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए तीन तलाक जैसी सामाजिक बुराइयों को समाप्त किया।’’
इसके अलावा, असम सरकार को सितंबर-अक्टूबर में बड़े स्तर पर चलाये गये एक पौधारोपण अभियान के लिए बुधवार को नौ गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड प्रमाणपत्र मिले। असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने राज्य के ‘अमृत वृक्ष आंदोलन’ के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के निर्णायक स्वप्निल डांगरीकर से प्रमाण पत्र प्राप्त किया। अभियान के हिस्से के रूप में, 17 सितंबर को एक ही दिन में राज्य भर में वृक्ष प्रजातियों के कुल 1,11,17,781 पौधे लगाए गए थे। यह पूरा अभियान स्वयं सहायता समूहों, आशा कार्यकर्ताओं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, शैक्षणिक संस्थानों, पुलिसकर्मियों, चाय बागान श्रमिकों, सरकारी अधिकारियों और अन्य नागरिकों की भागीदारी के माध्यम के जरिये ‘जनभागीदारी’ के तहत की गई थी। शर्मा ने प्रमाणपत्र प्राप्त करते हुए कहा, ‘‘अमृत वृक्ष आंदोलन केवल जनभागीदारी के कारण सफल हुआ है। नागरिकों और सरकारी पदाधिकारियों दोनों के सामूहिक प्रयासों ने असंभव को संभव में बदल दिया।’’
इसके अलावा, उग्रवादी संगठन यूनाइटेड लिब्रेशन फ्रंट ऑफ असोम (उल्फा-इंडिपेंडेंट) के चार सदस्यों ने बुधवार को असम के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। इस दौरान उन्होंने कुछ हथियार तथा गोला-बारूद भी सौंपे। डीजीपी ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने उग्रवादी संगठन के सदस्यों का मुख्यधारा में स्वागत करते हुए कहा, ‘‘आपको यह नहीं सोचना चाहिए कि आपने आत्मसमर्पण किया है। बल्कि यह कहें कि आप सभी ने घर वापसी की है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व उग्रवादियों को सरकारी नियम और सुविधाओं के अनुसार पुनर्वास किया जाएगा। आत्मसमर्पण करने वाले उल्फा (आई) उग्रवादियों ने थाईलैंड निर्मित दो हथगोले, एक ऑस्ट्रिया निर्मित पिस्तौल और नौ मिमी पिस्तौल की 25 गोलियां पुलिस को सौंपे। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (विशेष शाखा) हिरेन चंद्र नाथ ने कहा कि उल्फा (आई) के कुल 14 सदस्य इस साल अपने हथियार डालकर मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि इन पूर्व उग्रवादियों ने अपने आत्मसमर्पण के दौरान विभिन्न प्रकार के हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटक भी सौंपे हैं। नाथ ने बताया, ‘‘2023 में उल्फा (आई) द्वारा कुल पांच वारदातों को अंजाम दिया गया।समूह के कुल 16 उग्रवादी गिरफ्तार किए गए और पुलिस कार्रवाई में एक उग्रवादी मारा गया।”
इसके अलावा, असम के विपक्षी दलों ने कहा है कि वो संशोधित नागरिकता अधिनियम को लागू करने के केंद्र सरकार के किसी भी कदम का विरोध करेंगे। एक दिन पहले ही केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा ने दावा किया था कि इस कानून का अंतिम मसौदा अगले साल मार्च तक तैयार हो जाने की संभावना है। विपक्षी दलों ने कहा कि राज्य के लोग एक ऐसे ‘असंवैधानिक’ कानून को थोपने के किसी भी प्रयास को बर्दाश्त नहीं करेंगे जो 1985 के असम समझौते के प्रावधानों के विरुद्ध है। उत्तर प्रदेश के भाजपा सांसद मिश्रा ने पश्चिम बंगाल में मतुआ समुदाय को संबोधित करते हुए कहा था कि सीएए लागू करने की प्रक्रिया तेज हुई है तथा अंतिम मसौदा मार्च तक तैयार हो जाने की संभावना है। उन्होंने कहा था कि कोई भी बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के चलते वहां से भागकर आये मतुआ लोगों से नागरिकता का अधिकार नहीं छीन सकता है। कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक ने कहा कि केंद्र को बांग्लादेश पर वहां रह रहे हिंदुओं की रक्षा करने का दबाव डालना चाहिए ताकि वे किसी धार्मिक उत्पीड़न के चलते भारत नहीं आयें। उन्होंने कहा, ”भारत खुले हाथों से बांग्लादेश को सहायता देता है लेकिन वह वहां की सरकार पर हिंदुओं की सुरक्षा के लिए दबाव नहीं डाल सकता है। उल्टे, हमारी भाजपा सरकार धार्मिक उत्पीड़न की आड़ में हिंदुओं को यहां लाने की कोशिश कर रही है।’’ बारपेटा के लोकसभा सदस्य खालिक ने आरोप लगाया कि हिंदुओं की हिमायती होने का दावा करने वाली भाजपा सरकार का लक्ष्य सीएए के जरिये बांग्लादेश में प्रसिद्ध ढाकेश्वरी मंदिर को बंद करना है। उन्होंने कहा, ‘‘यदि सभी हिंदुओं को सांप्रदायिक उत्पीड़न के नाम पर भारत में ले आया जाता है तो वहां इस मंदिर में दीया जलाने के लिए भी कौन बचेगा?’’ असम विधानसभा में विपक्ष के नेता देवव्रत सैकिया ने कहा कि कांग्रेस सीएए का विरोध करेगी क्योंकि यह असम समझौते के प्रावधानों के विरूद्ध है। उन्होंने कहा, ”असम समझौते ने राज्य में अवैध विदेशियों की पहचान के लिए तारीख 25 मार्च, 1971 तय की है। हम ऐसे किसी भी कानून को स्वीकार नहीं करेंगे जो उसके विरुद्ध है।’’ असम जैत्य परिषद के प्रमुख लुरिनज्योति गोगोई ने कहा कि राज्य के लोग सीएए जैसे ‘एक असंवैधनिक’ कानून को बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, ‘’लोग ऐसे असंवैधानिक कानून को थोपे जाने को कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे जो हमारे देश की धर्मनिरपेक्षता के मूल तत्व के विरुद्ध हो।’’ गोगोई ने कहा कि असम विदेशियों का अतिरिक्त बोझ उठाने को तैयार नहीं है तथा प्रधानमंत्री को देश में आये हिंदुओं को अपने गृहराज्य गुजरात में बसाना चाहिए। भाजपा विधायक जीतू गोस्वामी ने कहा, ”भाजपा अपने वादे पर हमेशा खरी उतरी है। चाहे अयोध्या में राममंदिर का आश्वासन हो या आयुष्मान भारत या सीएए।’’ हम आपको बता दें कि सीएए में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 या उससे पहले भारत में आये और यहां पांच साल से रह रहे हिंदुओं, जैनियों, ईसाइयों, सिखों और बौद्धों एवं पारसियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है।
इसके अलावा, असम के पुलिस महानिदेशक जीपी सिंह ने कहा है कि राज्य में उल्फा उग्रवादियों के परिवार के सदस्यों से सम्पर्क करने और उनके बच्चों को मुख्यधारा में वापस लाने में मदद करने के लिए एक पहल शुरू की गई है। सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) और भारतीय सेना के साथ मिलकर राज्य पुलिस की ओर से शुरू की गई इस संयुक्त पहल का उद्देश्य पूरे क्षेत्र में शांति और मेलमिलाप को बढ़ावा देना है। सिंह ने विभिन्न स्थानों पर उल्फा उग्रवादियों के परिवार के सदस्यों के साथ सुरक्षा कर्मियों की बातचीत की तस्वीरें साझा करते हुए सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया, ‘‘संघर्ष से सहयोग तक: शांतिपूर्ण भविष्य के लिए विश्वास-निर्माण की पहल।’’ डीजीपी ने कहा कि इस पहल के तहत, उल्फा उग्रवादियों के परिवारों को सेना या केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल शिविरों या पुलिस थानों में ‘‘विश्वास निर्माण और उनके बच्चों को मुख्यधारा में लाने में मदद करने’’ के लिए आमंत्रित किया जाता है। उन्होंने कहा, ‘‘विश्वास-निर्माण गतिविधियों के लिए उल्फा उग्रवादियों के परिवारों को आमंत्रित करने की पहल में क्षेत्र में शांति और सुलह को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं।’’ कार्यक्रम के उद्देश्यों में विश्वास और समझ का निर्माण करना है। डीजीपी ने कहा, ‘‘इस पहल का उद्देश्य सुरक्षा बलों और उल्फा उग्रवादियों के परिवारों के बीच अंतर को पाटना, आपसी सम्मान और समझ का आधार बनाना है।’’ परिवारों के साथ जुड़कर, इसका उद्देश्य उल्फा उग्रवादियों का पुनर्वास और समाज के मुख्यधारा में फिर से शामिल होने को प्रोत्साहित करना है। शीर्ष पुलिस अधिकारी सिंह ने कहा, ‘‘समग्र उद्देश्य क्षेत्र में शांति और मेल-मिलाप की भावना को बढ़ावा देना है, जिससे अधिक सामंजस्यपूर्ण और शांतिपूर्ण भविष्य का मार्ग प्रशस्त हो सके।’’ असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने 16 नवंबर को कहा था कि पिछले दो वर्षों में राज्य भर में विभिन्न संगठनों के 8,756 उग्रवादियों का पुनर्वास किया गया है।
मणिपुर
मणिपुर से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के उखरुल जिले में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक की एक शाखा से नकाबपोश हथियारबंद लुटेरों ने 18.80 करोड़ रुपये नकद लूट लिए। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। पंजाब नेशनल बैंक की यह शाखा उखरुल जिले के लिए ‘करेंसी चेस्ट’ है, जहां भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से बैंकों और एटीएम के लिए नकदी का भंडारण किया जाता है। अधिकारियों ने बताया कि बृहस्पतिवार की शाम इंफाल से लगभग 80 किलोमीटर दूर उखरुल शहर में अत्याधुनिक हथियारों से लैस लुटेरे बैंक पहुंचे। उन्होंने सुरक्षाकर्मियों को अपने कब्जे में लिया और बैंक के कर्मचारियों को धमका कर तिजोरी से रकम लूट ली। उन्होंने बताया कि कुछ लुटेरे वर्दी में थे। उन्होंने कर्मचारियों और सुरक्षाकर्मियों को बैंक के शौचालय के अंदर बंद कर दिया। अधिकारियों ने बताया कि वरिष्ठ कर्मचारियों में से एक को बंदूक दिखा कर तिजोरी खोलने के लिए कहा गया, जिसके बाद लुटेरों ने रकम लूटी। घटना की शिकायत उखरूल पुलिस थाने में दर्ज करवाई गई है। पुलिस ने अपराधियों की पहचान के लिए सीसीटीवी फुटेज की जांच शुरू कर दी है।
इसके अलावा, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने बृहस्पतिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इससे एक दिन पहले केंद्र सरकार ने राज्य के बहुसंख्यक मेइती समुदाय के दबदबे वाले सबसे पुराने उग्रवादी संगठन यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) के साथ एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए। सिंह ने कहा कि वह शांति समझौते के लिए शाह के बेहद आभारी हैं और इस बात पर जोर दिया कि गृह मंत्री के नेतृत्व और प्रयासों ने सुलह को बढ़ावा देने और पूर्वोत्तर में अधिक शांतिपूर्ण और एकजुट भविष्य का मार्ग प्रशस्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। शाह के कार्यालय ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह से मुलाकात की।’’ मणिपुर के मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां गृह मंत्री से मिलना सम्मान की बात है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं मणिपुर की बेहतरी के लिए सहयोगात्मक रूप से काम करने की उनकी प्रतिबद्धता और शांति वार्ता के माध्यम से यूएनएलएफ को मुख्यधारा में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए उनका बेहद आभारी हूं।’’
इसके अलावा, अभिनेता रणदीप हुड्डा और उनकी पत्नी लिन लैशराम ने अपनी शादी की तस्वीरें साझा कीं। दोनों बुधवार को मणिपुर की राजधानी इंफाल के चुमथांग सनापुंग में मणिपुरी के मैतेई समुदाय के पारंपरिक रीति रिवाजों के अनुसार परिणय सूत्र में बंधे थे। हुड्डा और लैशराम ने अपने-अपने इंस्टाग्राम पेज पर शादी समारोह की तस्वीरों के साथ लिखा, ‘आज से, हम एक हैं।’ ‘साहेब बीवी और गैंगस्टर’, ‘जन्नत 2’, ‘हाईवे’ और ‘सरबजीत’ जैसी फिल्मों में दमदार अभिनय करने वाले हुड्डा ने शादी के मौके पर पारंपरिक मणिपुरी सफेद धोती (फीजोम), कुर्ता और पगड़ी (कोकीट) पहनी थी। वहीं मणिपुरी मॉडल लैशराम भी पारंपरिक मणिपुरी पोशाक ‘पोटलोई’ में थीं। ‘पोटलोई’ एक घनी कसीदाकारी वाला सुर्ख लाल रंग का बेलनाकार घाघरा होता है जो मोटे कपड़े से बनाया जाता है। इसके ऊपर उन्होंने गहरे हरे रंग का पारंपरिक ब्लाउज पहना था। इसके साथ ही उन्होंने सोने के बहुत से आभूषण पहने हुए थे। विवाह पारंपरिक मैतेई रीति-रिवाजों के साथ संपन्न हुआ, जिसमें दुल्हन ने पूरी गरिमा के साथ दूल्हे के चारों ओर सात फेरे लिए, वहीं दूल्हा व दुल्हन ने एक-दूसरे को चमेली के फूलों से बनी माला पहनाई। हुड्डा (47) और लैशराम (37) पिछले कुछ समय से प्रेम संबंध में थे। लिन एक मॉडल, अभिनेता और व्यवसायी महिला हैं, जिन्होंने “मैरी कॉम”, “रंगून” और हाल ही में ‘जाने जां’ जैसी फिल्मों में अभिनय किया है। हुडा को आखिरी बार फिल्म ‘सार्जेंट’ में देखा गया था और उनकी आगामी फिल्म ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ है, जिसका उन्होंने निर्देशन भी किया है।
इसके अलावा, मणिपुर के कई जिलों में कुकी जो समुदाय के हजारों लोगों ने अलग प्रशासन की मांग को लेकर बुधवार को सड़कों पर रैलियां निकालीं। चुराचांदपुर में कुकी-जो समुदाय के संगठन ‘जो यूनाइटेड’ के तत्वावधान में आंदोलनकारियों ने लमका पब्लिक ग्राउंड से उपायुक्त कार्यालय के पास ‘वॉल ऑफ रिमेंबरेंस’ तक तीन किलोमीटर लंबा मार्च निकाला। उन्होंने केंद्र से कुकी जो समुदाय के प्रभुत्व वाले राज्य के क्षेत्रों में एक अलग प्रशासन स्थापित करने की प्रक्रिया में तेजी लाने का आग्रह भी किया। आंदोलनकारियों ने इस संबंध में उपायुक्त के माध्यम से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक ज्ञापन भी सौंपा। जो यूनाइटेड ने ज्ञापन में कहा कि एक अलग प्रशासन की आवश्यकता है क्योंकि इंफाल, जिसमें प्रमुख सरकारी प्रतिष्ठान, शैक्षणिक संस्थान, स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं और राज्य का एकमात्र हवाई अड्डा है, कुकी-जो समुदाय के लोगों के लिए दुर्गम हो गया है। आंदोलनकारियों के मुताबिक मई में राज्य में जातीय संघर्ष शुरू होने और इंफाल घाटी से कुकी-जो समुदाय के निष्कासन के बाद से ही यह सभी सुविधाएं सरकारी अधिकारियों, जनजातीय समुदाय के विधायकों समेत लोगों के लिए दुर्गम हो गई हैं। ज्ञापन में संसाधन आवंटन को लेकर दावा किया गया कि 2017-18 और 2020-21 के बीच पहाड़ियों के लिए केवल 419 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जबकि इस अवधि के दौरान घाटी के लिए 21,481 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। इसमें यह भी आरोप लगाया गया कि मेइती समुदाय के लोगों द्वारा राजमार्गों को अवरुद्ध किया जा रहा है, जिससे पहाड़ी इलाकों पर आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति में बाधा उत्पन्न हो रही है। कुकी-जो लोगों के संगठन ने पुलिस सहित राज्य सरकार पर मेइती समुदाय के साथ गठजोड़ करने का आरोप लगाया। ज्ञापन में कुकी-जो समुदाय के छात्रों के खिलाफ भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा गया कि सरकारी भर्ती के मामलों में समुदाय के लिए समान व्यवहार की संभावनाएं धूमिल हो रही हैं। जो यूनाइटेड के संयोजक अल्बर्ट रेंथली ने कहा कि इस मुद्दे पर पहले केंद्र को एक और ज्ञापन सौंपा गया था लेकिन कोई जवाब नहीं मिला था। अल्बर्ट रेंथली ने कहा, ”कुकी-जो समुदाय के लिए एक अलग प्रशासन जरूरी है क्योंकि तीन मई से हमारे खिलाफ अत्याचार हो रहे हैं… अब हम मेइती समुदाय के साथ केवल अच्छे पड़ोसियों के रूप में रह सकते हैं।’’ आदिवासी एकता समिति (सीओटीयू) के नेतृत्व में कांगपोकपी जिले में भी रैलियां निकाली गईं। इसके अलावा मिजोरम की सीमा से सटे फिरजॉल जिले में भी रैलियां निकाली गयीं। इसी तरह की रैलियां टेंग्नौपाल, सैकुल और जम्पुइटलांग तथा दिल्ली, अगरतला, बेंगलुरु और चेन्नई में भी निकाली गईं। मणिपुर में तीन मई को जातीय हिंसा भड़कने के बाद से सितंबर में कुछ दिनों को छोड़कर, मोबाइल इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा हुआ है। राज्य में मेइती समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद जातीय हिंसा भड़क गई थी, जिसमें अब तक 180 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। मणिपुर की आबादी में मेइती समुदाय की हिस्सेदारी लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत है और वे ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं।
इसके अलावा, मणिपुर में सक्रिय उग्रवादी समूह यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) ने बुधवार को सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किये और हिंसा त्यागने पर सहमति जताई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसकी घोषणा की। यूएनएलएफ मणिपुर की इंफाल घाटी में सक्रिय सबसे पुराना सशस्त्र समूह है। अमित शाह ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की गयी!!! पूर्वोत्तर में स्थायी शांति स्थापित करने के मोदी सरकार के अथक प्रयासों में एक नया अध्याय जुड़ गया है क्योंकि यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट ने आज नयी दिल्ली में एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मणिपुर की घाटी में सक्रिय सबसे पुराना सशस्त्र समूह यूएनएलएफ हिंसा त्याग कर मुख्यधारा में शामिल होने पर सहमत हो गया है। मैं लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में उनका स्वागत करता हूं और शांति और प्रगति के पथ पर उनकी यात्रा के लिए शुभकामनाएं देता हूं।’’ शाह ने कहा कि भारत सरकार और मणिपुर सरकार द्वारा यूएनएलएफ के साथ किया गया शांति समझौता छह दशक लंबे सशस्त्र संघर्ष के अंत का प्रतीक है। उन्होंने कहा, ‘‘यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के सर्व-समावेशी विकास के दृष्टिकोण को साकार करने और पूर्वोत्तर भारत में युवाओं को बेहतर भविष्य प्रदान करने की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।’’ इस बीच, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया, ‘‘आज नयी दिल्ली में यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर माननीय केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जी के कुशल नेतृत्व में संभव हुआ।’’ मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘उनके निरंतर मार्गदर्शन से, मणिपुर में शांति और प्रगति का एक नया युग शुरू हुआ है। कई लोग भाजपा सरकार के प्रति अपना भरोसा और विश्वास बढ़ा रहे हैं, जिससे अब विकास और प्रगति का एक अध्याय खुल गया है।’’
इसके अलावा, कांग्रेस ने मणिपुर में सक्रिय उग्रवादी समूह यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) ने बुधवार को सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किये जाने संबंधी गृह मंत्री अमित शाह की घोषणा के बाद कटाक्ष करते हुए कहा कि पूर्वोत्तर में शांति स्थापित करने के सरकार के तथाकथित ‘अथक प्रयासों’ के तहत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मणिपुर यात्रा भी जरूरी है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने यह कटाक्ष उस वक्त किया जब शाह ने यह घोषणा की कि पूर्वोत्तर में स्थायी शांति स्थापित करने के मोदी सरकार के अथक प्रयासों में एक नया अध्याय जुड़ गया है, क्योंकि यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट ने आज नयी दिल्ली में एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए। रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘गृह मंत्री ने देश का ध्यान ‘प्रधानमंत्री के पूर्वोत्तर में स्थायी शांति स्थापित करने के अथक प्रयासों’ की ओर आकर्षित किया है। निश्चित रूप से इन तथाकथित अथक प्रयासों के तहत मणिपुर में प्रधानमंत्री की यात्रा की जरूरत है। मणिपुर ने साढ़े छह महीने से अधिक समय से बहुत उथल-पुथल, गड़बड़ी और हिंसा देखी है।’’ मणिपुर में सक्रिय उग्रवादी समूह यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) ने बुधवार को सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किये और हिंसा त्यागने पर सहमति जताई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यहां इसकी घोषणा की। यूएनएलएफ मणिपुर की इंफाल घाटी में सक्रिय सबसे पुराना सशस्त्र समूह है। अमित शाह ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की गयी!!! पूर्वोत्तर में स्थायी शांति स्थापित करने के मोदी सरकार के अथक प्रयासों में एक नया अध्याय जुड़ गया है क्योंकि यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट ने आज नयी दिल्ली में एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए।”
इसके अलावा, केंद्र सरकार ने मणिपुर में संचालित नौ मैतेई उग्रवादी समूहों और उनके सहयोगी संगठनों पर प्रतिबंध पांच साल और बढ़ाने के फैसले पर विचार के लिए एक न्यायाधिकरण का मंगलवार को गठन किया। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देश विरोधी गतिविधियों और सुरक्षा बलों पर घातक हमले करने के लिए लगभग 15 दिन पहले मैतेई उग्रवादी समूहों और उनके सहयोगी संगठनों पर प्रतिबंध बढ़ा दिया था। मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा कि गैरकानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम, 1967 की धारा 5 की उप-धारा (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए, केंद्र सरकार ने गोहाटी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश संजय कुमार मेधी की सदस्यता में “गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) न्यायाधिकरण” का गठन किया है, जो यह फैसला करेगा कि मणिपुर के मैतेई उग्रवादी संगठनों के साथ-साथ उनके गुटों, विंग और फ्रंट संगठनों को “गैरकानूनी” घोषित करने के लिए पर्याप्त कारण हैं या नहीं।
इसके अलावा, इंफाल घाटी में शुक्रवार को काम बंद करने वाले पत्रकारों ने मंगलवार से कामकाज फिर शुरू कर दिया है। ऑल मणिपुर वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन और एडिटर्स गिल्ड के एक बयान में कहा गया, ‘‘दोनों मीडिया संस्थानों की आम सभा की बैठक के बाद आज से पत्रकारिता गतिविधियां बहाल करने का फैसला किया गया।’’ अखबारों और स्थानीय टेलीविजन चैनलों ने एक उग्रवादी समूह के ‘हस्तक्षेप’ के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए इंफाल घाटी में अपना कामकाज रोक दिया था। इंफाल में पिछले तीन दिन में अखबार नहीं छपने और स्थानीय टीवी चैनलों का प्रसारण नहीं होने के बारे में पूछे जाने पर मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि उन्हें इस बारे में शनिवार को पता चला। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उन्होंने सीआईडी विभाग से एक रिपोर्ट मांगी है और इस संबंध में जरूरी कार्रवाई करेंगे।
इसके अलावा, उच्चतम न्यायालय ने मणिपुर में मुर्दाघरों में रखे शवों को दफनाने या दाह-संस्कार सुनिश्चित करने के लिए मंगलवार को निर्देश जारी किए। पूर्वोत्तर राज्य में मई में भड़की जातीय हिंसा में कई लोग मारे गए थे। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्र की पीठ ने उल्लेख किया कि शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) गीता मित्तल की अध्यक्षता वाली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीशों की सर्व-महिला समिति द्वारा दायर रिपोर्ट में मणिपुर में मुर्दाघरों में पड़े शवों की स्थिति का संकेत दिया गया है। पीठ ने कहा कि रिपोर्ट में कहा गया है कि 175 शवों में से 169 की पहचान कर ली गई है और छह की पहचान नहीं हो पाई है। इसने उल्लेख किया कि पहचाने गए 169 शवों में से 81 पर उनके परिजनों ने दावा किया है जबकि 88 पर दावा नहीं किया गया है। पीठ ने कहा कि राज्य सरकार ने नौ स्थलों की पहचान की है जहां दफन या दाह संस्कार किया जा सकता है। इसने कहा, “इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि मणिपुर राज्य में मई 2023 में हिंसा हुई थी, जिन शवों की पहचान नहीं हुई है या जिन पर दावा नहीं किया गया है, उन्हें मुर्दाघर में अनिश्चितकाल तक रखना उचित नहीं होगा।” शीर्ष अदालत में कई याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें राहत और पुनर्वास के उपायों के अलावा हिंसा के मामलों की अदालत की निगरानी में जांच की मांग भी शामिल है। पीठ ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान निर्देश दिया कि परिवार के सदस्यों द्वारा पहचाने गए या दावा किए गए शवों का अंतिम संस्कार किसी भी अन्य पक्ष की बाधा के बिना नौ में से किसी भी स्थान पर किया जा सकता है।
इसके अलावा, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने सोमवार को कहा कि चुराचांदपुर जिले में लगभग एक एकड़ भूमि पर लगे अफीम के पौधों को नष्ट कर दिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सिंगनगाट उपमंडल के सुआंगकुआंग में अफीम की खेती का पता उन क्षेत्रों के निरीक्षण के दौरान चला, जहां पूर्व में उन्हें नष्ट कर दिया गया था। सिंह ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया, ‘‘चुराचांदपुर में पूर्व में अफीम की खेती को नष्ट करने वाले स्थानों पर किए गए संयुक्त सर्वेक्षण के तीसरे दिन सोमवार को पुलिस, वन विभाग और जिला प्रशासन द्वारा कुल पांच स्थानों को चिह्नित किया गया।’’ उन्होंने पोस्ट में कहा, ‘‘संभागीय वन अधिकारी चुराचांदपुर समेत संयुक्त टीम ने पाया कि पांच में से चार स्थानों पर अफीम की खेती नहीं हुई है। चार स्थान हैं पोनलेन, मोंगकेन, टीसेंग-जोंगमाकोट और डुमलियान।’’ मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘इनमें से एक केंद्र यानी सिंगनगाट उपमंडल (चुराचांदपुर जिला) के अंतर्गत सुआंगकुआंग में लगभग एक एकड़ में अफीम की खेती पाई गई। आज पौधों को नष्ट कर दिया गया।’’
इसके अलावा, मणिपुर के सबसे बड़े नगा समुदाय ‘तांगखुल नगा’ के कई प्रमुख संगठनों ने सोमवार को कहा कि वे मौजूदा संघर्षों को लेकर अपने क्षेत्रों में किसी भी रैली या आंदोलन की अनुमति नहीं देंगे। यह कदम मणिपुर में अलग प्रशासन की मांग को लेकर कुकी संगठनों के 29 नवंबर को राष्ट्रव्यापी रैलियों के आह्वान के मद्देनजर उठाया गया है। इनमें उखरूल की रैली भी शामिल है। एक संयुक्त बयान में, तांगखुल कटमनाओ सकलोंग, तांगखुल नगा वुंगनाओ लांग, तांगखुल मयार नगाला लांग और तांगखुल शानाओ लांग ने कहा कि वे “सभी समुदायों के साथ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के लिए खड़े हैं और मौजूदा सांप्रदायिक संकट में तटस्थता के सिद्धांत के लिए प्रतिबद्ध हैं।” प्रमुख संगठनों ने चेतावनी दी कि किसी भी अनुचित स्थिति को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और तटस्थता के सिद्धांत का अनुपालन न करने को जानबूझकर अवज्ञा माना जाएगा, जिसके लिए कड़ी कार्रवाई की जाएगी।” तांगखुल नगा दो पहाड़ी जिलों उखरुल और कामजोंग में केंद्रित हैं।
मिजोरम
मिजोरम से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि तेल एवं गैस नियामक पीएनजीआरबी ने खुदरा सीएनजी और पाइप से रसोई गैस की आपूर्ति के लिए आमंत्रित बोली के नए दौर में मिजोरम को भी शामिल कर लिया है। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) ने एक नोटिस में कहा है कि सात भौगोलिक क्षेत्रों में शहरी गैस वितरण नेटवर्क के विकास के लिए 13 अक्टूबर को आमंत्रित बोलियों के क्रम में मिजोरम के लिए भी इलेक्ट्रॉनिक बोलियां मंगाई गई हैं। गैस वितरण का लाइसेंस पाने के लिए बोली लगाने की आखिरी तारीख 23 फरवरी है। पीएनजीआरबी ने सीएनजी की खुदरा बिक्री और पाइप से घरों और उद्योगों तक गैस पहुंचाने के लिए आयोजित 12वें शहरी गैस वितरण (सीजीडी) बोली दौर में अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, नगालैंड, सिक्किम और केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख के सात भौगोलिक क्षेत्रों की पेशकश की थी। उस समय मिजोरम को भी इस दौर में शामिल करने के लिए चिह्नित किया गया था लेकिन वहां पर विधानसभा चुनावों का ऐलान हो जाने से ऐसा नहीं हो पाया था। मिजोरम में सात नवंबर को मतदान संपन्न हो चुका है जिसके बाद उसे शहरी गैस वितरण के नए दौर में शामिल कर लिया गया है। इस दौर के सफल होने पर अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह और लक्षद्वीप को छोड़कर देश का समूचा भौगोलिक क्षेत्र और आबादी तक गैस वितरण की पहुंच हो जाएगी।
इसके अलावा, मिजोरम निर्वाचन आयोग हाल में राज्य में हुए विधानसभा चुनाव की मतगणना के लिए अधिकारियों को प्रशिक्षण दे रहा है। मिजोरम के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) मधुप व्यास ने कहा कि एनकोर पोर्टल के माध्यम से बृहस्पतिवार को मतगणना का पूर्ण अभ्यास होगा। अतिरिक्त सीईओ एच. लियानजेला ने कहा कि तीन दिसंबर को होने वाली मतगणना में 4,000 से अधिक कर्मी शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि राज्यभर के 13 मतगणना केंद्रों पर वोटों की गिनती होगी जिसमें 40 हॉल होंगे। लियानजेला ने कहा, ‘मतगणना के लिए 399 ईवीएम मेजें और 56 डाकपत्र मेजें और 4000 से अधिक कर्मी होंगे।’ पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अनिल शुक्ला ने कहा,’मतगणना के लिए सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए गए हैं।’ उन्होंने कहा था कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ), भारतीय आरक्षित वाहिनी और मिजोरम सशस्त्र पुलिस को तैनात किया गया है। मिजोरम में 40 विधानसभा सीटों के लिए सात नवंबर को शांतिपूर्ण ढंग से मतदान हुआ था जिसमें रिकॉर्ड 80 प्रतिशत वोट डाले गए। विधानसभा चुनाव में 18 महिला उम्मीदवारों समेत 174 उम्मीदवार मैदान में हैं। सत्तारुढ़ मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ), मुख्य विपक्षी दल जोराम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) और कांग्रेस ने सभी 40 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं जबकि भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) ने 23 और आम आदमी पार्टी ने चार सीटों पर उम्मीदवार उतारकर अपनी किस्मत आजमाई है। मणिपुर में वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में एमएनएफ ने 26 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि जेडपीएम को आठ सीटें, कांग्रेस को पांच और भाजपा को एक सीट मिली।
मेघालय
मेघालय से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के ऊपरी शिलांग में गत शनिवार को मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा के काफिले की पायलट कार को एक पिक-अप ट्रक ने टक्कर मार दी। पुलिस ने यह जानकारी दी। पुलिस के एक अधिकारी ने कहा, ‘मुख्यमंत्री बिल्कुल सुरक्षित हैं।’ अधिकारी ने बताया, ‘दुर्घटना सुबह करीब साढ़े नौ बजे ऊपरी शिलांग में उस समय की है, जब मुख्यमंत्री एक आधिकारिक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए भारत-बांग्लादेश सीमा के करीब दाउकी कस्बे की ओर जा रहे थे।’ पुलिस के मुताबिक, एक पिक-अप ट्रक ने मुख्यमंत्री के काफिले की पायलट कार को टक्कर मार दी। इस हादसे में दोनों वाहन मामूली रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं।
इसके अलावा, नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने शुक्रवार को कहा कि आगामी लोकसभा चुनावों में मेघालय की कैबिनेट मंत्री अम्पारीन लिंगदोह तथा तुरा से सांसद अगाथा के. संगमा क्रमशः शिलांग और तुरा सीटों से उसकी उम्मीदवार होंगी। एनपीपी शिलांग में कांग्रेस के तीन बार से लोकसभा सदस्य विंसेंट एच. पाला को हराना चाहती है। एनपीपी के प्रदेश अध्यक्ष प्रेस्टोन तिनसोंग ने यहां पार्टी मुख्यालय में कहा, “मुझे शिलांग और तुरा लोकसभा सीटों के लिए आधिकारिक उम्मीदवारों के रूप में कैबिनेट मंत्री डॉ. अम्पारीन लिंगदोह और सांसद अगाथा के. संगमा के नामों की घोषणा करते हुए प्रसन्नता हो रही है।”
अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य सरकार ने नौकरशाही में बड़ा फेरबदल करते हुए 23 वरिष्ठ अधिकारियों को नयी जिम्मेदारी दी है। अरुणाचल प्रदेश सिविल सेवा (एपीसीएस) के कुल 23 अधिकारियों को राज्य के विभिन्न जिलों और विभागों में स्थानांतरित और तैनात किया गया है। मुख्य सचिव धर्मेंद्र ने बुधवार को जारी एक आदेश में कहा कि यह फेरबदल निर्वाचन आयोग के निर्देश पर किया गया है। अगले साल अरुणाचल प्रदेश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव होने हैं। मुख्य सचिव ने संबंधित पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे स्थानांतरित किये गये अधिकारियों को बृहस्पतिवार तक कार्यमुक्त कर दें। आदेश के अनुसार, लोअर सुबानसिरी जिले के उपायुक्त बामिन निमे और पेक्के केसांग जिले के उनके समकक्ष चीचुंग चुखू को यहां सिविल सचिवालय में संयुक्त सचिव के रूप में नियुक्त किया गया है। आदेश में कहा गया है कि लोंगडिंग जिले के उपायुक्त बानी लेगो को पक्के केसांग का उपायुक्त नियुक्त किया गया है।
इसके अलावा, उग्रवादी संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (के) के आंग माई धड़े ने अरुणाचल प्रदेश के लोंगडिंग जिले से एक ग्राम प्रमुख और ग्राम प्रधान (गांव बूरा) को अगवा कर लिया। पुलिस ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। लोंगडिंग के पुलिस उपाधीक्षक बांगहांग तांगजांग ने बताया कि मंगलवार रात साढ़े आठ बजे कम से कम 15 उग्रवादी चॉप गांव में आए और दो लोगों ग्राम प्रधान चोपखू गंगसा तथा गांव प्रमुख छिगसान वांघम को अगवा करके पड़ोसी देश म्यांमा की ओर ले गए। तांगजांग ने बताया कि इन लोगों ने 50,000 रुपये की रंगदारी नहीं दी थी और इस कारण उग्रवादियों ने इन लोगों का अपहरण किया। ग्राम प्रधान आधिकारिक पद है वहीं ग्राम प्रमुख पारंपरिक पद है। उन्होंने कहा कि पुलिस और असम राइफल्स ने अपहृत व्यक्तियों का पता लगाने और उन्हें बचाने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाया है। इस महीने जिले में उग्रवादियों द्वारा अपहरण की यह दूसरी घटना है। एनएससीएन-केवाईए के उग्रवादियों ने 16 नवंबर को एक निजी निर्माण कंपनी के दो कर्मचारियों को अगवा किया था। इन दोनों को 28 नवंबर को मुक्त करा लिया गया था।
इसके अलावा, अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने बुधवार को अरुणाचल प्रदेश के पासीघाट में एक संग्रहालय का उद्घाटन किया, जिसका मकसद भारत-अमेरिका से जुड़े द्वितीय विश्व युद्ध के इतिहास को संरक्षित करना है। गार्सेटी ने कहा कि क्षेत्र के लोग “शांति और लोकतांत्रिक सिद्धांतों की रक्षा” में जो भूमिका निभा रहे हैं, यह संग्रहालय उस महत्वपूर्ण भूमिका का प्रमाण है। गार्सेटी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा, “हैलो अरुणाचल प्रदेश! यहां की अपनी पहली यात्रा को लेकर उत्साहित हूं और लोगों की गर्मजोशी से मैं अभिभूत हूं। पासीघाट का परिदृश्य आश्चर्यजनक है!’’ गार्सेटी की अरुणाचल प्रदेश की यात्रा महत्वपूर्ण है क्योंकि विदेशी दूत आम तौर पर अरुणाचल प्रदेश की यात्रा से बचते हैं। चीन ऐसी यात्राओं पर आपत्ति जताता है। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताकर उस पर दावा करता रहा है। ऐसे दावों को लगातार खारिज करते हुए भारत कहता रहा है कि राज्य उसका अभिन्न अंग है। पासीघाट में ‘‘हंप: द्वितीय विश्व युद्ध संग्रहालय’’ का उद्घाटन करने के बाद गार्सेटी ने कहा कि वह इसका का उद्घाटन करते हुए सम्मानित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘…यह अविश्वसनीय स्थल, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका-भारत के साझा इतिहास को संरक्षित करने के लिए समर्पित है।’’ उन्होंने कहा, ‘यह संग्रहालय अमेरिका-भारत साझेदारी एवं शांति और लोकतांत्रिक सिद्धांतों की रक्षा में इस क्षेत्र के लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका का प्रमाण है।’
इसके अलावा, केंद्रीय बिजली मंत्री आर. के. सिंह ने कहा कि 13,000 मेगावाट की कुल उत्पादन क्षमता वाली 13 निर्माणाधीन जलविद्युत परियोजनाएं अरुणाचल प्रदेश में करीब 1.4 लाख करोड़ रुपये का निवेश लाएंगी। विद्युत मंत्रालय के एक बयान के अनुसार सिंह ने सोमवार को अरुणाचल प्रदेश/असम में स्थित 2,000 मेगावाट की सुबनसिरी लोअर जलविद्युत परियोजना का मुआयना किया। मंत्री ने असम के गेरुकामुख में सुबनसिरी परियोजना निर्माण स्थलों, अर्थात बांध, संरचनाओं और ‘डायवर्जन’ सुरंगों का भी निरीक्षण किया। उन्होंने जारी निर्माण गतिविधियों का जाय़जा लिया। उन्हें अभी तक हुई प्रगति के बारे में जानकारी भी दी गई। मंत्री ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश सरकार ने सुबनसिरी के अलावा 13 परियोजनाओं के लिए केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (सीपीएसई) के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इससे अरुणाचल में 13,000 मेगावाट की जलविद्युत क्षमता उत्पन्न होगी। उन्होंने कहा, ‘‘इन परियोजनाओं से राज्य में करीब 1.4 लाख करोड़ रुपये का निवेश आएगा। इससे प्रति व्यक्ति आय चौगुनी हो जाएगी और देश को स्वच्छ ऊर्जा मिलेगी।’’ सिंह ने कहा कि इसी तरह जम्मू-कश्मीर में पांच जल विद्युत परियोजनाओं पर काम जारी है। उन्होंने कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर में भी हमारी जलविद्युत क्षमता आगे बढ़ रही है और बहुत सारा निवेश आ रहा है।’’ परियोजना का मुआयना करने के बाद पर संतोष व्यक्त करते हुए मंत्री ने कहा कि जलविद्युत परियोजनाओं का महत्व बढ़ गया है क्योंकि जलविद्युत के बिना चौबीसों घंटे नवीकरणीय ऊर्जा संभव नहीं है। सिंह ने कहा, ‘‘मैंने सभी विवरणों पर गौर किया और मेरा मानना है कि कुल मिलाकर परियोजना सही दिशा में आगे बढ़ रही है। हमें नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बढ़ने और उत्सर्जन कम करने की आवश्यकता है। इसलिए भी जलविद्युत परियोजनाओं का महत्व बढ़ गया है।’’ उन्होंने कहा, ”हमारे पास नवीकरणीय ऊर्जा के साथ सौर और पवन भी हैं, तब भी जलविद्युत के बिना चौबीसों घंटे नवीकरणीय ऊर्जा संभव नहीं है। हमारी जलविद्युत क्षमता बढ़ रही है।’’ बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने कहा, ”आज हमारी जलविद्युत क्षमता 47,000 मेगावाट है, जो हमारी उपलब्ध जलविद्युत क्षमता का 35 प्रतिशत है। हालांकि विकसित देशों ने अपनी उपलब्ध जलविद्युत क्षमता का करीब 70 प्रतिशत से 80 प्रतिशत इस्तेमाल किया है।’’ सिंह ने कहा, ”पिछले वर्ष की तुलना में अगस्त, सितंबर और अक्टूबर 2023 में हमारी बिजली की मांग 20 प्रतिशत बढ़ी। हमारी मांग इसी दर से बढ़ती रहेगी, क्योंकि नीति आयोग के अनुसार हमारी अर्थव्यवस्था अगले दो दशकों तक 7.5 प्रतिशत की दर से बढ़ती रहेगी। 2013 में अधिकतम मांग करीब 1.35 लाख मेगावाट थी, जबकि आज यह करीब 2.31 लाख मेगावाट है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘2030 तक हमारी बिजली की मांग दोगुनी हो जाएगी। आज हमारी कुल खपत 1,600 अरब यूनिट है, जो लगभग 3,000 अरब यूनिट हो जाएगी।’’ मंत्री ने कहा कि हालांकि अब भी विकसित देशों की तुलना में बिजली की खपत कम है। यूरोप की प्रति व्यक्ति बिजली खपत आज हमसे करीब तीन गुना अधिक है। उन्होंने कहा, ”हमारी चुनौती बिजली मांग में वृद्धि के साथ-साथ उतनी ही तेजी से बिजली क्षमता बढ़ाने की है।’’ सिंह ने कहा कि पहले हमारे देश में बिजली की कमी थी, लेकिन सरकार ने पिछले साढ़े नौ वर्षों में 1.9 लाख मेगावाट बिजली क्षमता बढ़ाई है। अब हमारे पास पर्याप्त बिजली है और हम बांग्लादेश तथा नेपाल जैसे पड़ोसी देशों को भी इसका निर्यात कर रहे हैं। सिंह ने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा में हमारी निर्माणाधीन क्षमता करीब 70,000 मेगावाट है, जबकि ताप विद्युत (थर्मल) में यह 27,000 मेगावाट है। उन्होंने कहा कि देश 2030 की बिजली मांग को पूरा करने के लिए निर्माणाधीन ताप विद्युत क्षमता में 53,000 मेगावाट और जोड़ने जा रहा है।
इसके अलावा, उग्रवादी संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (के) के आंग माई धड़े ने अरुणाचल प्रदेश के लोंगडिंग जिले से एक ग्राम प्रमुख और ग्राम प्रधान (गांव बूरा) को अगवा कर लिया। पुलिस ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। लोंगडिंग के पुलिस उपाधीक्षक बांगहांग तांगजांग ने बताया कि मंगलवार रात साढ़े आठ बजे कम से कम 15 उग्रवादी चॉप गांव में आए और दो लोगों ग्राम प्रधान चोपखू गंगसा तथा गांव प्रमुख छिगसान वांघम को अगवा करके पड़ोसी देश म्यांमा की ओर ले गए। तांगजांग ने बताया कि इन लोगों ने 50,000 रुपये की रंगदारी नहीं दी थी और इस कारण उग्रवादियों ने इन लोगों का अपहरण किया। ग्राम प्रधान आधिकारिक पद है वहीं ग्राम प्रमुख पारंपरिक पद है। उन्होंने कहा कि पुलिस और असम राइफल्स ने अपहृत व्यक्तियों का पता लगाने और उन्हें बचाने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाया है। इस महीने जिले में उग्रवादियों द्वारा अपहरण की यह दूसरी घटना है। एनएससीएन-केवाईए के उग्रवादियों ने 16 नवंबर को एक निजी निर्माण कंपनी के दो कर्मचारियों को अगवा किया था। इन दोनों को 28 नवंबर को मुक्त करा लिया गया था।
इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल के टी परनाइक (सेवानिवृत्त) ने सुरक्षाबलों से सतर्क रहने और संवेदनशील सीमाओं की रक्षा में भारतीय सशस्त्र बलों की वीरतापूर्ण परंपराओं को बनाए रखने का आह्वान किया। राज्यपाल ने पूर्वोत्तर राज्य के अंजाव जिले में वालोंग के अपने दौरे पर भारतीय सेना, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) और राज्य पुलिस के कर्मियों के साथ संवाद करते हुए शनिवार को कहा कि राज्य की अंतरराष्ट्रीय सीमा राष्ट्र की सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील एवं सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। राजभवन की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में बताया गया कि परनाइक ने सुरक्षाबलों के साथ सीमा प्रबंधन से जुड़े अहम बिंदुओं को साझा किया और उन्हें शारीरिक फिटनेस एवं पर्याप्त मानसिक सतर्कता बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने सीमा को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक आधुनिक सुरक्षा प्रारूप और कदमों पर भी कर्मियों के साथ बातचीत की। राज्यपाल ने सुरक्षाबलों को सतर्क रहने और लोगों के बीच सुरक्षा की भावना पैदा करने की सलाह दी। उन्होंने स्थानीय आबादी में सैन्यकर्मियों को लेकर सद्भावना बढ़ाने पर भी जोर दिया। अंजाव जिले के अपने एक दिवसीय दौरे के दौरान राज्यपाल ने वालोंग युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि भी अर्पित की। इससे पहले किबिथू में 2 डिवीजन जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल वी एस देशपांडे और 82 माउंटेन ब्रिगेड के कमांडर ब्रिगेडियर आर भंडारी ने उन्हें वास्तविक नियंत्रण रेखा की सुरक्षा के लिए अभियानगत तैयारियों और सुरक्षा उपायों के बारे में भी जानकारी दी। राज्यपाल ने किबिथू में ‘वाइब्रेंट बॉर्डर विलेज’ कार्यक्रम के तहत चयनित सीमावर्ती गांवों के निवासियों के साथ भी बातचीत की।
त्रिपुरा
त्रिपुरा से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की त्रिपुरा इकाई ने बृहस्पतिवार को अपने पूर्व विधायक अरुण चंद्र भौमिक को ‘पार्टी विरोधी’ गतिविधियों में कथित संलिप्तता के लिए छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया। यह निष्कासन भौमिक द्वारा यहां कांग्रेस भवन का दौरा करने और त्रिपुरा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख आशीष कुमार साहा के साथ बैठक किये जाने के एक दिन बाद हुआ है। भाजपा के मीडिया प्रभारी सुनीत साकार ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘अनुशासन का उल्लंघन करने और पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के लिए, दक्षिण त्रिपुरा में बेलोनिया निर्वाचन क्षेत्र से हमारे पूर्व विधायक अरुण चंद्र भौमिक को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है। यह तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।’’ अनुभवी वकील भौमिक 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे और बेलोनिया सीट से चुनाव जीते थे। वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया और तब से वह हाशिए पर हैं। कभी तृणमूल कांग्रेस के नेता रहे भौमिक ने अपने निष्कासन के बाद पत्रकारों से कहा, ‘‘इसे घर वापसी कहें… मैं पार्टी की वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी की उपस्थिति में कांग्रेस में शामिल होने जा रहा हूं, जो दिसंबर के मध्य में त्रिपुरा का दौरा करने वाली हैं।’’ प्रदेश भाजपा की गतिविधियों पर निराशा व्यक्त करते हुए भौमिक ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री माणिक साहा से दो बार मिलने की कोशिश की लेकिन असफल रहे। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि त्रिपुरा में भाजपा के पास मौजूदा मुख्यमंत्री की तुलना में कई बेहतर नेता हैं। मुझे नहीं पता कि सक्षम व्यक्तियों को महत्वपूर्ण पद पर मौका क्यों नहीं मिल रहा है।’’ भौमिक ने यह भी दावा किया कि कुछ ही समय में छह से सात भाजपा विधायक पार्टी छोड़ देंगे।
इसके अलावा, त्रिपुरा सरकार ने वित्त वर्ष 2026-27 तक 7000 हेक्टेयर भूमि पर पाम के पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है। एक मंत्री ने यह जानकारी दी। पाम के वृक्ष से बीज निकलते हैं जिससे तेल बनाया जाता है। कृषि मंत्री रतन लाल नाथ ने बताया कि अभी इस पूर्वोत्तर राज्य में 56.35 हेक्टेयर भूमि पर पाम के पौधे लगाए जाते हैं। उन्होंने कहा, ”राज्य में इसका विस्तार करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और भारतीय ऑयल पाम अनुसंधान संस्थान द्वारा 2020 में ‘डिजिटल मैपिंग’ की गई।’’ नाथ ने कहा, ”उसमें से 7000 हेक्टेयर भूमि पर 2026-27 तक पाम के पौधे लगाए जाएंगे।’’ उन्होंने बताया कि इसके लिए कृषि विभाग ने राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन के तहत गोदरेज एग्रोवेट लिमिटेड और पतंजलि फूड प्राइवेट लिमिटेड के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। देश में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, ओडिशा, कर्नाटक, गोवा, असम, त्रिपुरा, नगालैंड, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश में पात तेल के सबसे बड़े उत्पादक राज्य हैं। नाथ ने बताया कि इंडोनेशिया, मलेशिया, नाइजीरिया, कंबोडिया और थाईलैंड जैसे देश दुनिया में 90 प्रतिशत पाम तेल का उत्पादन करते हैं।
इसके अलावा, त्रिपुरा में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की जनजातीय शाखा गणमुक्ति परिषद (जीएमपी) ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) समर्थित संगठन ‘जनजाति सुरक्षा मंच’ की प्रस्तावित रैली का कड़ा विरोध किया है। जनजाति सुरक्षा मंच ने ईसाई धर्म अपनाने वाले जनजातीय लोगों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग के तहत लाभ नहीं देने की मांग को लेकर यहां 25 दिसंबर को एक रैली का आयोजन किया है। जीएमपी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश जमातिया ने सोमवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि ईसाई धर्म अपनाने वाले जनजातीय लोगों से एसटी का दर्जा वापस लेने की मांग करने वाली रैली का एजेंडा एक सांप्रदायिक अपील के अलावा और कुछ नहीं है। पूर्व मंत्री ने दावा किया कि आरक्षण धर्म के आधार पर नहीं दिया गया है और अगर लोगों को इस लाभ से वंचित किया जाता है तो यह आत्मघाती कदम होगा। उन्होंने कहा, ‘‘जीएमपी ने प्रतिबंधित संगठन नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (एनएलएफटी) से लड़ाई लड़ी, जिसने 90 के दशक के दौरान राज्य के जनजातीय इलाके में दुर्गा पूजा और लक्ष्मी पूजा जैसे समारोहों पर प्रतिबंध लगा दिया था। यह संगठन धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों को बनाए रखेगा।’’ जमातिया ने मणिपुर के संदर्भ में कहा कि पड़ोसी राज्य के लोग सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का खामियाजा भुगत रहे हैं और वहां छह महीने से अधिक समय से सांप्रदायिक संघर्ष जारी है।
इसके अलावा, केंद्रीय गृह मंत्रालय के सलाहकार (पूर्वोत्तर) ए. के. मिश्रा ने सोमवार को त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा से मुलाकात की और राज्य में आदिवासी विकास से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, त्रिपुरा में आदिवासी आबादी 11.62 लाख है। मुख्यमंत्री ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, “हमने राज्य के आदिवासी लोगों के समग्र विकास से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की।” उन्होंने कहा, “चर्चा केवल मूल निवासियों के विकास तक ही सीमित थी। त्रिपुरा में आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच सौहार्द की एक लंबी परंपरा है। यदि कोई मतभेद है, तो उसे बातचीत के माध्यम से दूर किया जा सकता है।”
इसके अलावा, पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में आत्मसमर्पण कर चुके उग्रवादियों के संगठन ‘द त्रिपुरा यूनाइटेड इंडीजीनस पीपुल्स काउंसिल’ (टीयूआईपीसी) ने मुख्यधारा में लौटने वाले लोगों के उचित पुनर्वास के लिए 500 करोड़ रुपये के विशेष केंद्रीय पैकेज की मांग की है। आत्मसमर्पण करने वाले एक नेता ने सोमवार को यह जानकारी दी। टीयूआईपीसी के अध्यक्ष रंजीत देबबर्मा ने यहां संवाददाताओं को संबोधित करते हुए दावा किया कि राज्य सरकार 1988 के त्रिपुरा नेशनल वालंटीयर्स (टीएनवी) शांति समझौते के वादों को पूरा करने में विफल रही है। प्रतिबंधित संगठन ‘ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स’ (एटीटीएफ) के पूर्व अध्यक्ष देबबर्मा ने कहा, ‘‘हम 22 नवंबर को दिल्ली में गृह मंत्रालय में विशेष सचिव ए के मिश्रा से मिले और राज्य में आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादियों की समस्याओं को रेखांकित करते हुए एक ज्ञापन सौंपा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘टीएनवी समझौते में वादा किया गया था कि अवैध तरीके से कब्जाई जमीन को बहाल किया जाएगा और त्रिपुरा भूमि सुधार अधिनियम, 1960 के तहत स्थानीय लोगों को सौंप दिया जाएगा। लेकिन इसे लागू नहीं किया गया है। इसके अलावा आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादियों को रोजगार भी नहीं दिया गया है। हमने मिश्रा के सामने इन मुद्दों को उठाया और उनसे हस्तक्षेप की मांग की।’’ देबबर्मा ने कहा कि परिषद के सदस्य राज्यपाल इंद्र सेन रेड्डी नल्लू, मुख्यमंत्री माणिक साहा और मुख्य सचिव जे के सिंघा से मिलकर इन मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
इसके अलावा, त्रिपुरा सरकार ने 1947 में विभाजन से पहले और उसके बाद राज्य और पूर्ववर्ती पूर्वी पाकिस्तान के लोगों के बीच भूखंडों की अदला-बदली की स्थिति का पता लगाने के लिए गहन सर्वेक्षण शुरू किया है। एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी। अंतरराष्ट्रीय सीमा के दोनों ओर बड़ी संख्या में लोगों ने इस अवधि में परस्पर संपत्तियों का आदान-प्रदान किया था। यह अदला-बदली मुख्य रूप से भारत आना चाह रहे हिंदुओं और पाकिस्तान में बसना चाह रहे मुसलमानों के बीच हुई थी। भूमि के आदान-प्रदान के बाद त्रिपुरा आए इनमें से कई लोगों ने जागरुकता और प्रशासनिक ढांचे की कमी के कारण संपत्तियों का पंजीकरण नहीं कराया। ऐसे कई भूखंड बेच भी दिए गए हैं। अधिकारी ने कहा, ‘‘राज्य सरकार ने बदले गए भूखंडों की स्थिति का पता लगाने और गैर-पंजीकृत भूखंडों की संख्या जानने के लिए सर्वेक्षण का आदेश दिया है। यह सर्वेक्षण शुरू हो गया है।’’ गैर-पंजीकृत भूखंडों की सूची तैयार होने पर राज्य सरकार इसे केंद्र को भेजेगी। अधिकारी ने कहा, ‘‘हम गृह मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार कार्रवाई करेंगे।’’ उन्होंने साफ किया कि जिनके पास उनके भूखंडों के संबंध में बैनामा या अन्य कोई कागजात है, उनका जमीन पर कब्जा माना जाएगा।
नगालैंड
नगालैंड से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य में नगालैंड में आयोजित होने वाला 10 दिवसीय सांस्कृतिक महोत्सव ‘होर्नबिल’ में इस साल असम भागीदार राज्य होगा। दोनों पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। कार्यक्रम के भागीदार देश जर्मनी, अमेरिका और कोलंबिया होंगे। नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफियू रियो ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा कि इस साल महोत्सव के लिए असम भागीदार राज्य होगा। उन्होंने कहा, ”असम के माननीय मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा जी की सकारात्मक प्रतिक्रिया और इस भागीदारी को वास्तविक बनाने के लिए उनके प्रति मेरा आभार।” महोत्सव में असम की भागीदारी पर रियो की पोस्ट साझा करते हुए शर्मा ने कहा, ‘यह महोत्सव पूर्वोत्तर की साझा सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने वाले सबसे बड़े मंचों में से एक बनकर उभरा है।’ यह कार्यक्रम राज्य की राजधानी कोहिमा से करीब 12 किमी दूर किसामा के ‘नगा हेरिटेज विलेज’ में हर साल एक से 10 दिसंबर तक आयोजित किया जाता है। इस साल इसका 24वां संस्करण है।
इसके अलावा, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का एक सामाजिक कार्यकर्ता रक्तदान के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए 21,000 किलोमीटर लंबी पैदल यात्रा पर निकला है। किरण वर्मा ने 28 दिसंबर, 2021 को केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से अपनी यात्रा शुरू की थी और 17,700 किमी की दूरी तय कर अब वह पूर्वोत्तर राज्य नागालैंड पहुंच गए हैं। वर्मा ने एक बयान में कहा कि उनका मिशन रक्तदान के महत्व पर जागरूकता फैलाना है ताकि रक्त के अभाव में किसी की मौत न हो। उन्होंने कहा कि अब तक उनके समर्थन में देश भर में 126 रक्तदान शिविर आयोजित किए गए हैं और 26,722 यूनिट रक्त एकत्रित हुआ है। वर्मा ने कहा कि शिविरों के अलावा इस अभियान में समर्थन देने वाले 9,000 से अधिक लोगों ने देश और विदेश के विभिन्न ब्लड बैंकों में रक्तदान किया है। सामाजिक कार्यकर्ता वर्मा ने रविवार को कोहिमा पहुंचने पर राज्य के पर्यटन और उच्च शिक्षा मंत्री तेमजेन इम्ना अलोंग से मुलाकात की। अलोंग अपने मजाकिया अंदाज के लिए पूरे देश में सोशल मीडिया पर बहुत लोकप्रिय हैं। अलोंग ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में वर्मा को शुभकामनाएं दीं और रक्तदान करने में सक्षम लोगों से रक्तदान के लिए अपील की। वर्मा, 17 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 229 जिलों से होकर कोहिमा पहुंचे। इसके बाद वह मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा और पूर्वोत्तर के अन्य हिस्सों का दौरा करेंगे। उन्होंने कहा कि वह कम से कम 50 लाख ने रक्तदाताओं को प्रोत्साहित करना चाहते हैं जिससे ब्लड बैंकों और अस्पतालों में खून की कमी न हो। वर्मा ने ‘चेंज विद वन फाउंडेशन’ की स्थापना की है, जिसके तहत वह दो कार्यक्रम ‘सिम्पली ब्लड’ और ‘चेंज विद वन मील’ चलाते हैं। उन्होंने दावा किया कि 29 जनवरी, 2017 को शुरू किया गया ‘सिंपली ब्लड’, दुनिया का पहला वर्चुअल रक्तदान मंच है जो एक ही समय पर रक्तदाताओं और इसके जरुरतमंदों को एक साथ लाता है। वर्मा ने कहा, ‘चेंज विद वन मील’ के तहत किसी भी व्यक्ति को 10 रुपये में भरपेट भोजन परोसा जाता है।
इसके अलावा, नगालैंड ने एक दिसंबर को अपना 61वां राज्य स्थापना दिवस समारोह धूमधाम से मनाया। इस अवसर पर नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने राज्य की जनता को संबोधित किया और कई नई योजनाओं की घोषणा की।