Poorvottar Lok: Manipur में गिरफ्तारियों पर NIA, CBI ने दी सफाई, Arunachal में LAC के पास बनीं दो फायरिंग रेंज, Assam में बाल विवाह के खिलाफ अभियान तेज

असम में बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई के खिलाफ अभियान और तेज हुआ तो साथ ही राज्य सरकार ने प्रदेश के पांच मूल मुस्लिम समुदायों का सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण कराने का फैसला किया। इसके अलावा मणिपुर में अशांति की खबरें रुक-रुक कर आती रहीं और एनआईए तथा सीबीआई ने राज्य से हुई प्रत्येक गिरफ्तारी पर सफाई दी तो दूसरी ओर मेघालय में भारत और बांग्लादेश ने सैन्य अभ्यास शुरू किया। त्रिपुरा में राज्य सरकार ने अधिकारियों का बड़े पैमाने पर तबादला किया तो अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने ऐलान किया कि उनकी सरकार 1,500 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण करायेगी जिसे ‘फ्रंटियर हाइवे’ (सीमांत राजमार्ग) के नाम से जाना जाएगा। इसके अलावा भी पूर्वोत्तर भारत से कई बड़ी खबरें रहीं आइये सब पर डालते हैं एक नजर और सबसे पहले बात करते हैं असम की।

असम

असम से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के सिलचर में एक निजी अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा मृत घोषित किए गए नवजात के जिंदा पाए जाने से इलाके में हंगामा हो गया। एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। अधिकारी के मुताबिक, नवजात के पिता रत्न दास ने दावा किया कि वह अपनी पत्नी को मंगलवार शाम को एक निजी अस्पताल ले गया था, जहां चिकित्सकों ने बताया कि डिलिवरी में दिक्कत है और वे मां या फिर बच्चे में से किसी एक को ही बचा सकते हैं। दास ने बताया कि हमने उन्हें (चिकित्सकों को) डिलिवरी की इजाजत दे दी और उन्होंने हमें बताया कि मेरी पत्नी ने एक मरे हुए बच्चे को जन्म दिया है। उन्होंने बताया कि बुधवार सुबह अस्पताल प्राधिकारियों ने मृत्यु प्रमाण पत्र के साथ एक थैले में हमें बच्चा सौंप दिया। उन्होंने बताया कि जब परिवार के सदस्य अंतिम संस्कार के लिए श्मशान पहुंचे और थैला खोला तो बच्चे ने रोना शुरू कर दिया। दास ने बताया कि हम नवजात को अस्पताल ले गए, जहां उसका इलाज किया जा रहा है। अस्पताल और चिकित्सक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने वाले परिवार के सदस्यों ने दावा किया कि अस्पताल कर्मियों ने नवजात को आठ घंटे से ज्यादा एक थैले में रखा और वो भी बिना जांच किए कि बच्चा मरा हुआ है या फिर जिंदा। शहर के मैनाबिल इलाके में गुस्साएं लोग अस्पताल के बाहर एकत्र हुए और बुधवार को प्रदर्शन किया। अस्पताल प्राधिकारियों का कहना है कि उन्होंने मृत घोषित करने से पहले आठ घंटे तक बच्चे को निगरानी में रखा था। अस्पताल के प्रवक्ता ने बताया, ‘हमने कई बार बच्चे की जांच की और वह हरकत नहीं कर रहा था। हमने सभी जरूरी प्रक्रिया का पालन करने के बाद बच्चे को मृत घोषित किया और उसे परिवार को सौंप दिया। हमारी तरफ से कोई गलत मंशा नहीं थी।’

इसके अलावा, असम में बाल विवाह की सामाजिक बुराई के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के दूसरे चरण में 915 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) जी.पी. सिंह ने बुधवार को यह जानकारी दी। उन्होंने संवाददाताओं को बताया कि सोमवार शाम को अभियान का दूसरा चरण शुरू किया गया था और कुल 710 मामले पंजीकृत किए गए हैं। डीजीपी ने बताया कि गिरफ्तार 915 लोगों में 546 पति, 353 रिश्तेदार और 16 विवाह कराने वाले हैं। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में किए गए अध्ययन से खुलासा हुआ है कि इस साल फरवरी में पहले चरण के अभियान के बाद बाल विवाह के मामलों में उल्लेखनीय कमी आई है। राज्य के शीर्ष पुलिस अधिकारी ने बताया कि बाल विवाह के खिलाफ अभियान के पहले चरण में कुल 4,515 मामले दर्ज किए गए थे और 3,483 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। सिंह ने बताया कि पहले चरण में दर्ज कुल प्राथमिकी में से 95.5 मामलों में आरोप पत्र दाखिल किए जा चुके हैं। बाल विवाह के खिलाफ राज्यव्यापी अभियान के दूसरे चरण की शुरुआत के बाद मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने मंगलवार को कहा था कि 1,039 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और यह संख्या और बढ़ सकती है क्योंकि अभियान देर रात तक चलेगा। आंकड़ों के मुताबिक सबसे अधिक 192 लोगों को धुबरी में गिरफ्तार किया गया है जबकि बारपेटा में 143, कामरूप में 50, करीमगंज में 47, हैलाकांडी में 40 और कछार जिले में 34 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। डीजीपी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने हमें राज्य में इस सामाजिक बुराई के पूरी तरह से खत्म होने तक अभियान जारी रखने का विशेष निर्देश दिया है।

इसके अलावा, असम सरकार ने मंगलवार को कहा कि वह राज्य के पांच मूल मुस्लिम समुदायों का सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण कराएगी ताकि उनके उत्थान के लिए कदम उठाए जा सकें। राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने इस संबंध में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री चंद्र मोहन पटवारी और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ राज्य सचिवालय में बैठक की। वहीं, विपक्षी दल कांग्रेस ने इस कदम को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार की विभाजनकारी रणनीति करार दिया और मांग की कि ‘‘चयनात्मक सर्वेक्षण’’ के बजाय, यह कवायद सभी समुदायों, विशेषकर पिछड़े लोगों के लिए आयोजित की जानी चाहिए। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘जनता भवन में एक बैठक के दौरान मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने संबंधित अधिकारियों को असम के मूल मुस्लिम समुदायों (गोरिया, मोरिया, देशी, सैयद और जोल्हा) की सामाजिक-आर्थिक स्थिति की समीक्षा करने का निर्देश दिया है।’’ इसमें कहा गया है कि इस समीक्षा के निष्कर्ष अल्पसंख्यक समुदायों के व्यापक सामाजिक-राजनीतिक और शैक्षणिक उत्थान के उद्देश्य से उपयुक्त कदम उठाने में राज्य सरकार का मार्गदर्शन करेंगे। यह कदम ऐसे समय उठाया गया है, जब बिहार में नीतीश कुमार नीत सरकार ने सोमवार को बहुप्रतीक्षित जाति आधारित गणना के आंकड़े जारी किए, जिसके अनुसार राज्य की कुल आबादी में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) की हिस्सेदारी 63 प्रतिशत है। विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया ने कहा कि असम में सभी समुदायों खासतौर पर पिछड़े वर्ग से जुड़े लोगों का सर्वेक्षण किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘गोरिया और मोरिया मूल मुस्लिम समुदाय हैं और ओबीसी श्रेणी से संबंधित हैं। फिर सरकार चयनात्मक सर्वेक्षण क्यों कर रही है? यदि उनका इरादा अच्छा है तो ओबीसी के साथ-साथ एससी और एसटी सभी के लिए सर्वेक्षण होना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘केवल मुसलमानों, मुख्य रूप से ओबीसी मुसलमानों के लिए सर्वेक्षण करना भाजपा सरकार की विभाजनकारी रणनीति है। यह बिहार सरकार के जाति सर्वेक्षण के बाद प्रतिक्रिया स्वरूप कदम है।’’ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि सर्बानंद सोनोवाल के नेतृत्व वाली असम सरकार ने मूल मुस्लिम समुदायों के सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण के लिए धन आवंटित किया था, लेकिन यह कभी हुआ नहीं। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार असम में कुल मुस्लिम आबादी 1.07 करोड़ थी, जो राज्य के कुल 3.12 करोड़ निवासियों का 34.22 प्रतिशत थी। राज्य में 1.92 करोड़ हिंदू थे, जो कुल जनसंख्या का लगभग 61.47 प्रतिशत था।

इसके अलावा, असम के कछार जिले में मंगलवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गौरव गोगोई के काफिले में शामिल वाहनों की भिड़ंत में पार्टी के कई कार्यकर्ता घायल हो गए। पुलिस ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गोगोई को कोई चोट नहीं आई, जबकि दो महिलाओं समेत पार्टी के नौ कार्यकर्ताओं को मामूली चोटें आईं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह दुर्घटना मोइनारबॉन्ड में तब हुई, जब पुलिस पायलट वाहन ने अचानक ब्रेक लगा दिया। उन्होंने कहा, “इसके बाद एक के बाद एक कई वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गए।” अधिकारी ने कहा, काफिले में लगभग 20 वाहन थे, जो कुंभीरग्राम हवाई अड्डे से सिलचर जा रहे थे और दुर्घटना में लगभग आठ वाहन क्षतिग्रस्त हो गए। पार्टी की जिला इकाई के अध्यक्ष अभिजीत पॉल ने कहा, “कांग्रेस की घायल महिला कार्यकर्ताओं को प्राथमिक उपचार के लिए स्थानीय अस्पताल ले जाया गया। अन्य लोग आगे की यात्रा के लिए रवाना हो गए।”

इसके अलावा, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार ने ब्रह्मपुत्र और बराक घाटी में चाय बागान श्रमिकों की दैनिक न्यूनतम मजदूरी 18 रुपये बढ़ाकर क्रमश: 250 रुपये और 228 रुपये करने का फैसला किया है। शर्मा की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल कर बैठक में एक अक्टूबर से ब्रह्मपुत्र और बराक दोनों घाटियों में मजदूरी बढ़ाने का निर्णय किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा, ”मंत्रिमंडल ने चाय बागान श्रमिकों की न्यूनतम दैनिक मजदूरी बढ़ाने का फैसला किया। ब्रह्मपुत्र घाटी में एक अक्टूबर से दैनिक वेतन 232 रुपये से बढ़ाकर 250 रुपये कर दिया गया है। बराक घाटी में अब श्रमिकों को 210 रुपये के बजाय 228 रुपये मिलेंगे।’’ शर्मा ने कहा कि सरकार ने आगामी दुर्गा पूजा के लिए उद्यान प्रबंधन को 20 प्रतिशत बोनस देने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा, ”तत्काल प्रभाव से चाय बागान श्रमिकों और आदिवासी लोगों के लिए सरकारी नौकरियों में तीन प्रतिशत आरक्षण भी होगा।’’

इसके अलावा, असम के गुवाहाटी के निवासियों को उस जमीन पर 59 करोड़ रुपये की लागत से बना एक वनस्पति उद्यान मिल गया, जहां कभी केंद्रीय जेल हुआ करती थी। मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने 2.58 एकड़ में स्थित जलाशयों सहित 36 बीघा (लगभग 12 एकड़) के क्षेत्र में फैले वनस्पति उद्यान का उद्घाटन किया। उद्यान में 230 से अधिक देशी प्रजातियों की वनस्पतियों से संबंधित 85,000 पौधे हैं। साथ ही परिसर के अंदर औषधीय पौधों के लिए लगभग 2.08 एकड़ का एक समर्पित स्थान रखा गया है। उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए शर्मा ने कहा, ‘‘गुवाहाटी केंद्रीय जेल को लोखरा में स्थानांतरित करने के बाद शुरू में यह निर्णय लिया गया था कि खाली जमीन पर एक शॉपिंग मॉल का निर्माण किया जाएगा। 2016 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार के सत्ता में आने पर यह निर्णय लिया गया कि वहां एक सार्वजनिक उद्यान बनाया जाए।” उन्होंने कहा कि वनस्पति उद्यान गुवाहाटी के निवासियों के लिए व्यापक खुली जगह प्रदान करेगा। शर्मा ने कहा, ‘‘इसे एक उद्यान के रूप में संदर्भित करने के बजाय क्षेत्र की वनस्पतियों की स्वदेशी और दुर्लभ प्रजातियों के भंडार में बदलने के उद्देश्य से वनस्पति उद्यान का नाम दिया गया है।’’ उन्होंने कहा कि उद्यान में ‘गाइड’ तैनात किए जाएंगे ताकि युवा पीढ़ी के लोगों को क्षेत्र की समृद्ध वनस्पति विरासत से परिचित कराया जा सके। मुख्यमंत्री ने गुवाहाटी को ‘‘दक्षिण-पूर्व एशिया का प्रवेश द्वार’’ बनाने के लिए जारी और आगामी परियोजनाओं की भी जानकारी दी।

इसके अलावा, असम पुलिस ने कहा है कि राज्य के चार जिलों में सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम (अफस्पा) का छह और महीनों के लिए विस्तार कर दिया गया है। गुवाहाटी में असम पुलिस दिवस 2023 के मौके पर आयोजित एक समारोह में पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि चार अन्य जिलों से ‘‘अशांत क्षेत्र’’ का दर्जा हटा लिया गया है, जिसके कारण अफस्पा लगाया जाता है। उन्होंने कहा, ‘‘आज से असम के केवल चार जिलों में अफस्पा रहेगा। ये जिले डिब्रूगढ़, तिनसुकिया, शिवसागर और चराइदेव हैं।’’ सिंह ने कहा कि जोरहाट, गोलाघाट, कार्बी आंगलोंग और दीमा हसाओ से एक अक्टूबर से अफस्पा हटा लिया गया है। असम सरकार ने इससे पहले इन आठ जिलों में एक अप्रैल से और छह महीने के लिए अफस्पा के तहत ‘अशांत क्षेत्र’ अधिसूचना का विस्तार किया था। अफस्पा के तहत, किसी पूर्व वारंट के बगैर सुरक्षा बलों को अभियान चलाने और किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार होता है। साथ ही किसी व्यक्ति को गोली मारने पर उन्हें गिरफ्तारी या अभियोजन से छूट मिलती है। डीजीपी ने कहा, ‘‘पिछले 30-40 वर्षों के दौरान अस्थिर दौर से गुजरने के बाद असम शांतिपूर्ण स्थिति में पहुंच गया है। असम पुलिस, सेना और अर्धसैनिक बलों की कड़ी मेहनत के कारण, हमारे पास यह शांतिपूर्ण माहौल है। मैं उन सभी को धन्यवाद देता हूं।’’ उन्होंने कहा कि इस अवधि के दौरान, सभी बलों के कांस्टेबल जैसे निचले स्तर के कर्मियों से अधिकतम योगदान प्राप्त हुआ। सिंह ने कहा, ‘‘मैं कहना चाहूंगा कि हम होमगार्ड और वीडीपी (ग्राम रक्षा दल) के योगदान को नहीं भूल सकते। हमारे पास लगभग 25,000 वीडीपी और 10,000 होम गार्ड हैं।’’ उन्होंने यह भी कहा कि असम पुलिस राज्य की समग्र कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार की दिशा में लगातार काम कर रही है। गत नौ सितंबर को मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा था कि कैबिनेट ने शेष आठ जिलों से अफस्पा के तहत ‘अशांत क्षेत्र’ हटाने की सिफारिश को मंजूरी दे दी है। अफस्पा पहली बार नवंबर 1990 में असम में लगाया गया था और तब से राज्य सरकार द्वारा समीक्षा के बाद इसे हर छह महीने की अवधि के बाद बढ़ाया जाता है।

इसके अलावा, तोक्यो ओलंपिक पदक विजेता लवलीना बोरगोहेन को एशियाई खेलों में बुधवार को एकतरफा फाइनल में हारने के बाद रजत पदक से संतोष करना पड़ा जबकि परवीन हुड्डा को कांस्य पदक मिला। मौजूदा एशियाई चैम्पियन लवलीना को दो बार की ओलंपिक पदक विजेता लि कियान ने 75 किलो फाइनल में हराया। इसके साथ ही मुक्केबाजी में भारत की चुनौती समाप्त हो गई। भारत ने एक रजत और चार कांस्य समेत पांच पदक जीते। लवलीना ने मुकाबले के बाद कहा कि मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया लेकिन स्वर्ण नहीं जीत सकी। मैं अपने प्रदर्शन से खुश हूं। ओलंपिक में पदक का रंग बदलने की कोशिश करूंगी।’’ दूसरी ओर, लवलीना के पदक जीतने की खुशी में असम स्थित उनके घर पर जमकर जश्न मनाया गया और उनके पिता ने अपनी बेटी के प्रदर्शन को सराहा।

त्रिपुरा

त्रिपुरा से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य सरकार ने चार जिलाधिकारियों का तबादला कर दिया है और कई सचिवों के विभागों में बदलाव किया है। एक सरकारी बयान में इसकी जानकारी दी गयी है। बुधवार की रात सरकार ने बयान जारी कर कहा कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव देबाशीष बसु को वर्तमान पद से मुक्त कर दिया गया है और वह एके भट्टाचार्य के स्थान पर सामान्य प्रशासन (सचिवालय प्रशासन) एवं सामान्य प्रशासन (राजनीतिक) विभागों का कार्यभार दिया गया है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी राठौड़ संदीप रेवाजी को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग का सचिव बनाया गया है। बयान में कहा गया है कि पश्चिम त्रिपुरा के जिलाधिकारी (डीएम) देबप्रिय बर्धन को स्थानांतरित कर उत्तर त्रिपुरा का जिलाधिकारी नियुक्त किया गया है। सिपाहीजला के जिलाधिकारी विशाल कुमार को पश्चिम त्रिपुरा का जिलाधिकारी बनाया गया है। इसमें कहा गया है कि उत्तर त्रिपुरा के जिलाधिकारी नागेश कुमार बी को प्रदेश के सिपाहीजला जिले का कलेक्टर एवं जिलाधिकारी के पद पर नियुक्त किया गया है। उनाकोटी के जिलाधिकारी तारित कांति चकमा को गोमती जिले का जिलाधिकारी एवं कलेक्टर नियुक्त किया है। बयान के अनुसार उनाकोटि जिले के अतिरिक्त जिलाधिकारी एवं कलेक्टर राजीव दत्ता को इसी इसी जिले में जिलाधिकारी एवं कलेक्टर के पद पर तैनात किया गया है। ब्रह्मनीत कौर राज्य के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग में अतिरिक्त सचिव नियुक्त किया है। वह त्रिपुरा ग्रामीण आजीविका मिशन (टीआरएलएम) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एनयूएलएम) के मिशन निदेशक का प्रभार भी संभालेंगी।

इसके अलावा, त्रिपुरा की एक विशेष पॉक्सो अदालत ने छह साल की बच्ची से दुष्कर्म और उसकी हत्या के मामले में दो लोगों को मौत की सजा सुनाई है। यह मामला 2019 का है। सहायक लोक अभियोजक सुदर्शन शर्मा ने कहा कि 17 जून, 2019 को उत्तरी त्रिपुरा के धर्मनगर में बच्ची का उसके पड़ोसियों ने अपहरण कर लिया था। सुदर्शन शर्मा के मुताबिक बच्ची के माता-पिता ने बाद में पुलिस में उसकी गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद बच्ची का शव उसके घर से लगभग छह किलोमीटर दूर एक चाय बागान में मिला। पुलिस ने इस मामले में जांच कर दोनों को बच्ची से दुष्कर्म व उसकी हत्या का जिम्मेदार मानते हुए आरोप पत्र दाखिल किया। सहायक लोक अभियोजक सुदर्शन शर्मा ने कहा, ”चार साल की कानूनी लड़ाई 30 सितंबर को समाप्त हुई जब विशेष न्यायाधीश अंगशुमन देबबर्मा ने दोनों को दोषी करार दिया। आज यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) की विशेष अदालत ने फैसला सुनाते हुए दोनों दोषियों को मौत की सजा सुनाई है।’’

इसके अलावा, केंद्र ने मंगलवार को त्रिपुरा के उग्रवादी संगठनों नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (एनएलएफटी) और ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स (एटीटीएफ) के साथ-साथ उनके सहयोगी संगठनों पर विभिन्न विध्वंसक गतिविधियों में शामिल होने और देश की अखंडता एवं संप्रभुता को खतरे में डालने के लिए पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा कि एनएलएफटी और एटीटीएफ का मकसद इस उत्तर पूर्व राज्य के अन्य सशस्त्र अलगाववादी संगठनों के साथ मिलकर सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से त्रिपुरा को भारत से अलग करना और एक स्वतंत्र राष्ट्र की स्थापना करना और इस राज्य के मूल निवासियों को इस पृथक्करण के लिए भड़काना है। मंत्रालय के अनुसार केंद्र की राय है कि एनएलएफटी और एटीटीएफ विध्वंसक और हिंसक गतिविधियों में शामिल रहे हैं और इस तरह वे सरकार के अधिकारों की अवज्ञा करने एवं अपने उद्देश्यों को हासिल करने के लिए जनता के बीच आतंकवाद एवं हिंसा के प्रसार में शामिल रहे हैं। उसने कहा कि दोनों संगठनों ने विगत दिनों में ऐसी हिंसक और गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम दिया है जो भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए नुकसानदेह हैं। अधिसूचना में कहा गया कि ये समूह आम नागरिकों तथा पुलिस और सुरक्षा बलों के कर्मियों की हत्या में भी शामिल हैं और व्यापारियों, उद्यमियों समेत जनता से धन की वसूली में भी इनकी संलिप्तता रही है। गृह मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार इन संगठनों पर प्रतिबंध पांच साल के लिए प्रभावी रहेगा।

इसके अलावा, आदिवासी लोक संगीत एवं नृत्य क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित सत्यराम रियांग का दक्षिण त्रिपुरा जिले में संतिरबाजार में अपने घर में निधन हो गया। वह 88 वर्ष के थे। उनके परिवार में एक बेटा एवं चार बेटियां हैं। दक्षिण त्रिपुरा जिले के सुदूर गांव दशमी रियांग पाड़ा के निवासी रियांग को 2021 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। उन्होंने हाजागिरी नृत्य को बढ़ावा देने और आदिवासी लोक संस्कृति एवं परंपरा को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। मुख्यमंत्री माणिक साहा ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, “सत्यराम रियांग के निधन से मैं स्तब्ध हूं। उन्होंने आदिवासी लोक संस्कृति, खासकर हाजागिरी नृत्य को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।” केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री प्रतिमा भौमिक ने भी दिग्गज लोक कलाकार के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने फेसबुक पर एक पोस्ट में लिखा, “मैं आदिवासी संगीत के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित एक महान व्यक्ति के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करती हूं। उनकी आत्मा को शांति मिले।”

इसके अलावा, कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य सुदीप रॉय बर्मन ने सोमवार को टिपरा मोथा के प्रमुख प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा से मूल निवासियों की भलाई के लिए उनकी पार्टी का कांग्रेस में विलय करने का अनुरोध किया। इस साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव से पहले टिपरा मोथा में जाने वाले पूर्व मंत्री मणिंद्र रियांग और टिपरा मोथा व मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के 7,000 से अधिक कार्यकर्ताओं के कांग्रेस में शामिल होने के मौके पर रॉय बर्मन ने यह अनुरोध किया। उन्होंने पार्टी के एक कार्यक्रम में कहा, “कांग्रेस ने ही शाही महल को उचित मान्यता दी थी। महाराजा (किरीट बिक्रम माणिक्य) और महारानी (बिबू कुमारी देवी) को कांग्रेस ने सांसद बनाया था। टिपरा मोथा के प्रमुख को एआईसीसी का सचिव और त्रिपुरा प्रदेश कांग्रेस का प्रमुख बनाया था।” रॉय बर्मन ने कहा कि वह टिपरा मोथा के प्रमुख प्रद्योत किशोर का सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा कि वह अब भी प्रद्योत किशोर को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी)का सदस्य मानते हैं। रॉय बर्मन ने कहा, “मैं टिपरा मोथा के प्रमुख से उनकी पार्टी का कांग्रेस में विलय करने और प्रदेश कांग्रेस में अहम भूमिका लेने का अनुरोध करता हूं। हम हर संभव मदद करेंगे।” प्रद्योत किशोर ने सितंबर 2019 में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ दिया था और 2021 में अपनी खुद की पार्टी टिपरा मोथा बनाई थी। उनकी पार्टी ने उसी साल हुए त्रिपुरा आदिवासी क्षेत्र स्वशासी जिला परिषद (टीटीएएडीसी) का चुनाव जीता। इसके बाद फरवरी 2023 में 60 सदस्यीय राज्य विधानसभा के लिए हुए चुनावों में टिपरा मोथा ने 13 सीट जीतीं और वह राज्य में मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभरी।

मेघालय

मेघालय से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य पुलिस ने पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले में एक ट्रक से करीब 50 लाख रुपये मूल्य की प्रतिबंधित फेंसेडिल कफ सीरप की 44,000 से अधिक बोतलें जब्त की हैं। पुलिस ने बुधवार को यह जानकारी दी। पुलिस ने एक गुप्त सूचना के आधार पर लम्सनॉन्ग में विपरीत दिशा से आ रहे दो ट्रकों का पता लगाया, जिनका पंजीकरण नंबर एक ही था। जिले के पुलिस अधीक्षक जगपाल धनोआ ने बताया कि असम की ओर से जा रहे ट्रक को रोकने पर चालकों ने भागने का प्रयास किया और उन्हें पकड़ने की कोशिश के दौरान दोनों ट्रक को छोड़कर फरार हो गए। जब पुलिस ने ट्रक की तलाशी ली, तो प्रतिबंधित फेंसिडिल सीरप की 44,900 बोतले (100 मिलीलीटर की) बरामद हुईं। नवीनतम जब्ती मेघालय पुलिस द्वारा नजदीकी पश्चिम जयंतिया हिल्स जिले में एक नकली फेंसेडिल फैक्टरी का भंडाफोड़ करने के कुछ दिनों बाद हुई है, जिसमें तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया था।

इसके अलावा, भारत और बांग्लादेश ने मंगलवार को मेघालय के उमरोई में सैन्य अभ्यास शुरू किया जो दो सप्ताह तक चलेगा। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि अभ्यास- ‘सम्प्रीति-11’ भारत तथा बांग्लादेश के बीच रक्षा सहयोग को और बढ़ाने, गहरे द्विपक्षीय संबंधों, सांस्कृतिक समझ और साझा अनुभवों से पारस्परिक लाभ को बढ़ावा देने के लिए है। इसने कहा, “दोनों देशों द्वारा बारी-बारी से आयोजित किया जाने वाला यह अभ्यास मजबूत द्विपक्षीय रक्षा सहयोग पहल का प्रतीक है। 2009 में असम के जोरहाट में इसकी शुरुआत के साथ, इस अभ्यास के 2022 तक 10 सफल संस्करण हो चुके हैं।” अभ्यास में दोनों देशों के लगभग 350 कर्मी भाग ले रहे हैं। बांग्लादेशी दल में 170 कर्मी शामिल हैं, जिनका नेतृत्व 52 बांग्लादेश इन्फैंट्री ब्रिगेड के कमांडर ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद मफिज़ुल इस्लाम राशिद कर रहे हैं। बांग्लादेश की सेना की ओर से अभ्यास में भाग ले रही प्रमुख इकाई 27 बांग्लादेश इन्फैंट्री रेजिमेंट है। भारतीय दल में मुख्य रूप से राजपूत रेजिमेंट की एक बटालियन के सैनिक शामिल हैं। माउंटेन ब्रिगेड के कमांडर ब्रिगेडियर एस के आनंद भारतीय दल का नेतृत्व कर रहे हैं।

इसके अलावा, मेघालय और आस-पास के राज्यों में सोमवार को 5.2 तीव्रता का भूकंप आया। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने यह जानकारी दी। भूकंप के कारण किसी प्रकार के जान-माल के नुकसान की कोई खबर नहीं है। भूकंप का झटका शाम छह बजकर 15 मिनट पर राज्य के नॉर्थ गारो हिल्स जिले में महसूस किया गया। भूकंप का केंद्र जिला मुख्यालय रेसुबेलपारा से लगभग तीन किमी दूर जमीन की सतह से 10 किलोमीटर की गहराई में स्थित था। भूकंप का झटका आस-पास के राज्यों जैसे असम और पश्चिम बंगाल के उत्तरी हिस्से और सिक्किम में भी महसूस किया गया। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘भूकंप के कारण हमें जानमाल के नुकसान या संपत्ति के नुकसान की कोई रिपोर्ट नहीं मिली है।’’ पूर्वोत्तर राज्य उच्च भूकंपीय क्षेत्र में आते हैं और इस क्षेत्र में अक्सर भूकंप आते रहते हैं।

मणिपुर

मणिपुर से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के इंफाल वेस्ट जिले में फिर हिंसा भड़क उठी जहां कम से कम दो घरों में आग लगा दी गई और कई राउंड गोलीबारी हुई। पुलिस ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। पुलिस ने बताया कि यह घटना बुधवार रात करीब 10 बजे पटसोई पुलिस थाना क्षेत्र के न्यू कीथेलमनबी की है। उन्होंने बताया कि हमले के बाद आरोपी मौके से भाग गए, जिसके बाद से इलाके में तनाव है। पुलिस ने बताया कि सुरक्षाबलों और अग्निशमन विभाग के कर्मचारियों ने आग पर काबू पा लिया। उन्होंने बताया कि घटना के बाद इलाके में इकट्ठा हुईं मेइती समुदाय की महिलाओं को सुरक्षा बलों ने आगे बढ़ने से रोक दिया। पुलिस ने बताया कि इलाके में अतिरिक्त सुरक्षाबल तैनात कर दिया गया है और स्थिति नियंत्रण में है। मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में जनजातीय एकजुटता मार्च के बाद तीन मई को जातीय हिंसा भड़क गई थी। हिंसा की घटनाओं में अब तक 180 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। मणिपुर की आबादी में मेइती समुदाय के लोगों की जनसंख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी आदिवासियों की आबादी करीब 40 प्रतिशत है और वे ज्यादातर पर्वतीय जिलों में रहते हैं।

इसके अलावा, मणिपुर में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक आर.के. इमो सिंह ने राज्य में लंबे समय से चल रहे जातीय संघर्ष को बढ़ावा देने और मणिपुर तथा देश की छवि खराब करने के लिए विदेशी आतंकवादी समूहों को जिम्मेदार ठहराया है। भाजपा विधायक आर.के. इमो सिंह ने मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लिखे पत्र में कहा कि देश में आतंकवाद फैलाने और अलगाववादी एजेंडे का प्रचार करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों का इस्तेमाल करने में शामिल सभी लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। आर.के. इमो सिंह ने गृह मंत्री से मिजोरम सरकार द्वारा म्यांमा से अवैध अप्रवासियों के बायोमेट्रिक आंकड़ा संग्रह को रद्द करने से इनकार करने को गंभीरता से लेने का भी आग्रह किया और कहा कि यह क्षेत्र की संपूर्ण जनसांख्यिकी को बदल सकता है। सिंह ने अमित शाह से अवैध अप्रवासियों की आमद को नियंत्रित करने में मदद करने के लिए मिजोरम में पूरी भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने का भी अनुरोध किया ताकि मूल निवासियों की रक्षा की जा सके और देश की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत किया जा सके। सिंह ने दो छात्रों की हत्या की जांच के लिए राज्य में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की टीम भेजने और उसके बाद हत्याओं में कथित रूप से शामिल चार लोगों की गिरफ्तारी के फैसले के लिए केंद्र सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया।

इसके अलावा, मणिपुर के चुराचांदपुर में ‘एंग्लो-कुकी युद्ध’ की याद में बनाए गए एक द्वार पर एक पुतला लटका हुआ मिला है, जिस पर ‘न्याय’ लिखा है। यह पुतला कथित तौर पर राज्य सरकार द्वारा कुकी समुदाय के साथ किये जा रहे गलत सलूक और आदिवासी युवकों को गिरफ्तार किए जाने के विरोध में लटकाया गया है। आदिवासी बहुल चुराचांदपुर जिले में मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के खिलाफ पोस्टर लगाए जाने के बाद यह पुतला लगाया गया है। चुराचांदपुर के जॉइंट स्टूडेंट बॉडी (जेएसबी) के सदस्यों ने 1917 से 1919 के बीच लड़े गए ‘एंग्लो-कुकी युद्ध’ की शताब्दी के अवसर पर बनाए गए द्वार के शीर्ष भाग से यह पुतला लटकाया है, जिसके गले में फंदा लगा हुआ है। टेडिम रोड पर लेइसांग गांव के निकट बनाए गए द्वार के पास खड़े एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “हमने उन आदिवासियों की पीड़ा को दर्शाने के लिए यह किया है, जिन्हें मार दिया गया, बलात्कार किया गया और नग्न घुमाया गया और जिनके घरों को आग लगा दी गई।” मुख्यमंत्री की तस्वीर वाले और उन्हें “मानवता के खिलाफ अपराध” के आरोपी के रूप में दिखाने वाले पोस्टर भी जिले में लगाए गए हैं। केंद्रीय एजेंसियों सीबीआई और एनआईए ने दो युवाओं की हत्या और एक अन्य मामले में पिछले कुछ दिन में जिले से सात लोगों को गिरफ्तार किया है। मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में जनजातीय एकजुटता मार्च के बाद तीन मई को जातीय हिंसा भड़क गई थी। हिंसा की घटनाओं में अब तक 180 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। मणिपुर की आबादी में मेइती समुदाय के लोगों की जनसंख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी आदिवासियों की आबादी करीब 40 प्रतिशत है और वे ज्यादातर पर्वतीय जिलों में रहते हैं।

इसके अलावा, गुवाहाटी की एक विशेष अदालत ने दो लापता मणिपुरी विद्यार्थियों की हत्या की जांच के सिलसिले में गिरफ्तार चार आरोपियों को पांच दिन के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की हिरासत में भेज दिया है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। इस साल छह जुलाई को युवक फिजाम हेमनजीत (20) और किशोरी हिजाम लिनथोइंगांबी (17) लापता हो गए थे। उनके शवों की तस्वीरें 25 सितंबर को सामने आईं। इसके बाद हिंसक प्रदर्शन हुए। सीबीआई ने 23 अगस्त को दर्ज किए गए मामलों के सिलसिले में रविवार को दो पुरुषों पाओमिनलुन हाओकिप और स्मालसॉम हाओकिप के अलावा दो महिलाओं लिंगनेइचोंग बैतेकुकी और टिननेइलिंग हेंथांग को गिरफ्तार किया था। अधिकारियों के मुताबिक आरोपियों को गुवाहाटी में एक विशेष अदालत के समक्ष पेश किया गया। अदालत ने कहा कि आरोपियों को पांच दिन के लिए सीबीआई हिरासत में भेजने की खातिर ‘प्रथम दृष्टया’ पर्याप्त सामग्री मौजूद हैं। आरोपियों को अब सात अक्टूबर को दोबारा अदालत में पेश किया जाएगा। अदालत ने कामरूप के जिला बाल कल्याण अधिकारी को एक आरोपी की दो नाबालिग बेटियों की उचित देखभाल सुनिश्चित करने का भी आदेश दिया, जिन्हें सुरक्षा कारणों से उनके साथ गुवाहाटी लाया गया था। सीबीआई सूत्रों ने कहा कि एजेंसी ने आरोपियों की गिरफ्तारी के दौरान पर्याप्त महिला अधिकारियों को तैनात किया था और सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी की गईं। सीबीआई के विशेष निदेशक अजय भटनागर के नेतृत्व में सीबीआई अधिकारियों की एक टीम 27 सितंबर को मणिपुर पहुंची और मामले की जांच शुरू की।

इसके अलावा, मणिपुर के उपभोक्ता मामलों के मंत्री लीशांगथेम सुशींद्रो ने मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को हटाने और राज्य के हित में काम करने के लिए एक नयी क्षेत्रीय पार्टी बनाने की युवाओं के एक समूह की मांग को खारिज कर दिया है। यूथ ऑफ मणिपुर (वाईओएम) के बैनर तले युवाओं के समूह ने शनिवार को नयी दिल्ली के मणिपुर भवन में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 23 विधायकों और मंत्रियों तथा कांग्रेस नेता ओकराम इबोबी सिंह के साथ बैठक की। लीशांगथेम ने दिल्ली से इंफाल पहुंचने पर पत्रकारों से कहा, “मुख्यमंत्री बदलने की मांग राज्य में राष्ट्रपति शासन को आमंत्रित करने के समान है। निर्वाचित प्रतिनिधि मुख्यमंत्री को चुनते हैं। सिर्फ इसलिए कि उन्होंने मुख्यमंत्री को बदलने की मांग की है, इसका मतलब यह नहीं है कि ऐसा करना होगा।” उन्होंने कहा, “विधायक को लोग चुनते हैं। अगर युवाओं की मांग मुख्यमंत्री को बदलने की है तो मैं उनसे कोई बातचीत नहीं करूंगा।”

इसके अलावा, राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने सोमवार को कहा कि मणिपुर में प्रत्येक गिरफ्तारी जांच टीम द्वारा एकत्र किए गए सबूतों पर आधारित है। एनआईए और सीबीआई का यह बयान ऐसे समय में आया है जब आदिवासी समूह मणिपुर में एनआईए और सीबीआई पर मनमानी और ज्यादती करने का आरोप लगा रहे हैं। केंद्रीय एजेंसियों ने कहा कि जातीय आरोप वाले माहौल में यहां काम कर रहे एनआईए और सीबीआई के अधिकारियों को 2015 में सेना के जवानों पर हुए हमलों सहित विभिन्न मामलों में जांच पूरी करने के कठिन काम का सामना करना पड़ रहा है। इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फ्रंट (आईटीएलएफ) द्वारा लगाए गए आरोपों का खंडन करते हुए दोनों एजेंसियों के अधिकारियों ने कहा कि किसी भी समुदाय, धर्म या संप्रदाय के खिलाफ कोई पक्षपात नहीं किया गया है और केवल भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की नियम पुस्तिका का पालन किया गया है। आईटीएलएफ मणिपुर पहाड़ियों के कुकी-ज़ो समुदाय का प्रतिनिधित्व करने का दावा करता है। अधिकारियों ने हाल ही में एक आदिवासी सेमिनलुन गंगटे की गिरफ्तारी का जिक्र करते हुए कहा कि वह 21 जून को बिष्णुपुर जिले के क्वाक्टा इलाके में हुए एसयूवी विस्फोट मामले में मुख्य आरोपियों में से एक है। इस विस्फोट में तीन लोग घायल हुए थे। अधिकारियों के मुताबिक अदालत से उसकी ट्रांजिट रिमांड हासिल करने के बाद उसे नयी दिल्ली लाया गया। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में आरोपी को एक निर्दिष्ट अदालत के समक्ष पेश किया गया, जिसने उसे एनआईए की हिरासत में भेज दिया। अधिकारियों ने कहा कि उचित कानून का पालन किया जा रहा है और आतंकवाद निरोधी एजेंसी द्वारा एकत्र किए गए सबूत सक्षम अदालत के समक्ष रखे जाएंगे। उन्होंने कहा कि केवल जांच को पटरी से उतारने और आम जनता के बीच भ्रम पैदा करने के लिए ही आधारहीन आरोप लगाए जा रहे हैं। एनआईए ने 22 सितंबर को मोइरांगथेम आनंद सिंह को एक अलग मामले में इंफाल से गिरफ्तार किया था। सिंह को चार अन्य लोगों के साथ मणिपुर पुलिस ने पुलिस शस्त्रागार से लूटे गए हथियार रखने के आरोप में गिरफ्तार किया था।

अरुणाचल प्रदेश

अरुणाचल प्रदेश से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के ईटानगर में एक मंत्री के बंगले में तैनात सिपाही ने बृहस्पतिवार को गोली मारकर कथित रूप से आत्महत्या कर ली। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। ईटानगर पुलिस अधीक्षक रोहित राजबीर सिंह ने बताया कि अरुणाचल सशस्त्र पुलिस बटालियन के सिपाही कबक सोनी, पर्यावरण एवं वन मंत्री मामा नटुंग के आवास पर तैनात थे। उन्होंने बताया कि सोनी ने अपनी बंदूक से बिल्कुल नजदीक से अपने सिर में गोली मारी। सिंह ने बताया कि उसने मंदिर में खुद को एक गोली मारी। उन्होंने बताया कि 33 वर्षीय सिपाही राज्य के पापुम पारे जिले का रहने वाला था। उन्होंने बताया कि निति विहार थाने द्वारा पूछताछ की गई है। अधिकारी ने बताया कि पुलिसकर्मी के शव को यहां नजदीक तोमो रिबा इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ एंड मेडिकल साइंसेस (टीआरआईएचएमएस) में पोस्टमार्टम किए जाने के बाद उसके परिवार को सौंप दिया गया।

इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा कि सरकार 1,500 किलोमीटर लंबी सड़क के निर्माण, जिसे ‘फ्रंटियर हाइवे’ (सीमांत राजमार्ग) के नाम से जाना जाएगा, और राज्य के दूरदराज के इलाकों को जोड़ने के लिए एक अतिरिक्त 1,000 किलोमीटर लंबी सड़क बनाने की योजना बना रही है। इस ‘‘अत्याधुनिक राजमार्ग’’ को ‘‘भारत-तिब्बत-चीन-म्यांमा’’ सीमा पर बनाया जाएगा और यह वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) तथा अंतरराष्ट्रीय सीमा से महज 20 किलोमीटर दूर स्थित होगा। खांडू ने कहा, ‘‘सीमांत राजमार्ग की सामरिक रूप से काफी अहमियत है। यह अरुणाचल प्रदेश में सड़क संपर्क में परिवर्तनकारी बदलाव लाएगा। यह सेना के लिए भी फायदेमंद होगा।’’ यह सीमांत राजमार्ग बोमडिला से शुरू होगा और नफ्रा, हुरी तथा मोनीगोंग से होकर गुजरेगा जो एलएसी या मैकमोहन लाइन के करीब है। यह सड़क भारत-म्यांमा सीमा के समीप विजयनगर में खत्म होगी। इस सड़क के जरिए जिन महत्वपूर्ण स्थानों को जोड़ा जाएगा, उनमें तवांग, मागो, अपर सुबनसिरी, अपर सियांग, मेचुका, तुतिंग, दिबांग घाटी, किबिथू, चांगलांग और डोंग शामिल हैं। योजना के अनुसार, यह सड़क तवांग में अरुणाचल प्रदेश के उत्तरी-पश्चिमी सिरे को राज्य के दक्षिण-पूर्वी अंतिम बिंदू कानुबारी से जोड़ने वाले करीब 1,811 किलोमीटर लंबे निर्माणाधीन राष्ट्रीय राजमार्ग ‘ट्रांस-अरुणाचल हाइवे’ से भी जोड़ेगी। यह सड़क असम में डिब्रूगढ़ के समीप बोगीबील पुल के समीप अकाजन के समीप एनएच-52 पर समाप्त होगी। मुख्यमंत्री खांडू ने कहा कि सड़क का निर्माण पूरा होने पर सीमावर्ती इलाकों से विस्थापन रुकेगा और दूरदराज के इलाकों में रह रहे लोगों के घर तक विकास पहुंचेगा। इसके अतिरिक्त सशस्त्र बलों की सुचारू आवाजाही और सीमावर्ती इलाकों तक उपकरण पहुंचाने के लिए जिला मुख्यालय, महत्वपूर्ण स्थानों और कुछ गांवों को जोड़ने वाली 1,000 किलोमीटर लंबी सड़क का भी निर्माण किया जाएगा। खांडू ने कहा, ‘‘पूरी परियोजना की लागत करीब 40,000 करोड़ रुपये होगी।’’ सीमांत राजमार्ग यांग्त्से के निकट बनेगा जहां पिछले साल नौ दिसंबर को चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने घुसपैठ की थी। पीएलए सेना के यांग्त्से में घुसने के बाद उसकी भारतीय सेना के साथ झड़प हुई थी जिसमें दोनों पक्षों के सैनिकों को चोटें आयी थीं। राज्य सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि सीमांत राजमार्ग से राजधानी ईटानगर और घनी आबादी तथा आर्थिक गतिविधियों वाले महत्वपूर्ण स्थानों समेत प्रमुख पनबिजली ऊर्जा परियोजनाओं वाले स्थानों तक कनेक्टिविटी में सुधार आएगा।

इसके अलावा, अत्यंत संवेदनशील वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से 50 किलोमीटर के हवाई दायरे के भीतर अरुणाचल प्रदेश में विभिन्न तरह के हथियारों और निगरानी उपकरणों के अभ्यास के लिए इस अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्र में स्थित दो ‘फायरिंग रेंज’ को सशस्त्र बलों को उपलब्ध कराया गया है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। दस हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित मंडला और कामराला फायरिंग रेंज की जमीन सशस्त्र बलों को सौंपने की पहल मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने की थी। सुरक्षा सूत्रों ने बताया कि ‘बुलंद भारत’ नाम का पहला एकीकृत निगरानी और मारक क्षमता प्रशिक्षण अभ्यास मई में मंडला में किया जा चुका है, जबकि कामराला फायरिंग रेंज में अभी एक बड़ा फायरिंग अभ्यास किया जाना बाकी है। दोनों सुपर हाई एल्टीट्यूड फायरिंग रेंज एलएसी से 50 किलोमीटर की हवाई दूरी के भीतर स्थित हैं। अरुणाचल प्रदेश चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के साथ 1,129 किलोमीटर लंबी एलएसी साझा करता है। क्षेत्र में तैनात एक शीर्ष सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में दोनों फायरिंग रेंज मुख्यमंत्री खांडू की व्यक्तिगत पहल पर सशस्त्र बलों को उपलब्ध कराई गईं। संपर्क करने पर खांडू ने कहा, ‘‘राष्ट्रीय हित पहले आते हैं। हमने सशस्त्र बलों की जरूरत को ध्यान में रखते हुए दो फायरिंग रेंज के लिए जमीन सौंपने का फैसला किया है।’’ पिछले साल नौ दिसंबर को यांगस्ते में पीएलए (चीनी) सैनिकों ने घुसपैठ की थी। यह क्षेत्र तवांग जिले में मुख्यमंत्री के अपने विधानसभा क्षेत्र मुक्तो के अंतर्गत आता है। पीएलए सैनिकों के यांग्स्ते में प्रवेश करने के बाद वे भारतीय सेना से भिड़ गए थे, जिसके परिणामस्वरूप दोनों पक्षों के सैनिक घायल हुए थे। सूत्रों ने कहा कि दोनों फायरिंग रेंज सशस्त्र बलों के लिए बेहद फायदेमंद होंगे क्योंकि लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में ऊंचाई वाले रणनीतिक स्थानों पर तैनात सैनिक गोलीबारी का अभ्यास कर सकते हैं और इसमें कुशल बन सकते हैं। सूत्रों ने बताया कि यह अभ्यास विशेष बलों, अरुणाचल प्रदेश के कामेंग और तवांग में तैनात वायु एवं केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के साथ निकट समन्वय में किया गया।

इसके अलावा, भारतीय सर्वेक्षण विभाग ने केंद्र सरकार की स्वामित्व योजना के तहत सर्वेक्षण करने के लिए अरुणाचल प्रदेश सरकार के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। केंद्रीय मंत्री कपिल मोरेश्वर पाटिल ने मंगलवार को यह जानकारी दी। पंयाचती राज मंत्रालय ने अप्रैल 2021 में स्वामित्व योजना शुरू की थी, जिसका मकसद ड्रोन का उपयोग करके भूखंड का मानचित्रण करके और मालिकों को ‘अधिकारों का रिकॉर्ड’ प्रदान करके ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्ति का स्पष्ट स्वामित्व स्थापित करना है। पंचायती राज राज्य मंत्री पाटिल ने पत्रकारों से कहा कि भारतीय सर्वेक्षण विभाग मानचित्रण और राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों का एक विस्तृत स्थानिक डेटाबेस तैयार करेगा। उन्होंने अरुणाचल राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एआरएसआरएलएम) के अलावा ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्रालय के तहत राज्य में लागू की जा रही सभी केंद्रीय योजनाओं की समीक्षा की। मंत्री ने कहा, “अगले पांच वर्षों में, भारतीय सर्वेक्षण विभाग राज्य के लोगों को संपत्ति कार्ड वितरित करेगा।”

इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश में सुरक्षाबलों ने तिराप जिले से एक अभियान में यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असोम-इंडिपेंडेंट (उल्फा-आई) के दो उग्रवादियों को गिरफ्तार किया। पुलिस ने सोमवार को यह जानकारी दी। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि असम राइफल्स की खोंसा बटालियन और अरुणाचल पुलिस के एक संयुक्त दल ने खुफिया सूचना पर कार्रवाई करते हुए म्यांमा से राज्य में आए दो उग्रवादियों को गिरफ्तार किया जो असम जा रहे थे। अधिकारी ने बताया कि दोनों की पहचान नीलुतपाल असोम उर्फ मोनजीत गोगोई और उपेन असोम उर्फ रुहिनी गोगोई के रूप में हुई है। दोनों उग्रवादी असम के रहने वाले हैं और बीते वर्ष संगठन में शामिल हुए थे। उनके पास से एक 0.32 पिस्तौल और नौ मिलीमीटर की एक पिस्तौल बरामद हुई। अधिकारी ने बताया कि उग्रवादियों का आधार शिविर म्यांमा है और वे विध्वंसक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए भारतीय क्षेत्र में घुसने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस वर्ष अकेले अरुणाचल प्रदेश के दक्षिणी इलाकों में उल्फा (आई) के उग्रवादियों की कई गिरफ्तारियां और आत्मसमर्पण हुए हैं, जिससे प्रतिबंधित संगठन की गतिविधियों को गंभीर झटका लगा है।

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