असम में 48 घंटे की हड़ताल के दौरान वाणिज्यिक और सार्वजनिक वाहन सड़कों से नदारद रहे जिससे आम जनता को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। मणिपुर में भ्रम से बचने के लिए एंबुलेंसों के लिए अलग प्रकार के सायरन लगाये जाएंगे साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा है कि यदि अफस्पा फिर लगाया जाता है तो हिंसा में लगे लोग ही इसके लिए जिम्मेदार ठहराये जाएंगे। इसके अलावा मेघालय में केंद्र और राज्य सरकार के साथ त्रिपक्षीय शांति वार्ता से एचएनएलसी संगठन पीछे हट गया है जिससे शांति प्रयासों को झटका लगा है। दूसरी ओर मिजोरम के मुख्यमंत्री ने कहा है कि म्यांमा के साथ लगती सीमा अंग्रेजों ने थोपी थी इसलिए बाड़ लगाना अस्वीकार्य है। वहीं अरुणाचल प्रदेश के तीन और उत्पादों को जीआई टैग मिल गया जिससे राज्य में खुशी का माहौल है। इसके अलावा भी पूर्वोत्तर राज्यों से कई प्रमुख समाचार रहे। आइये सब पर डालते हैं एक नजर और सबसे पहले बात करते हैं असम की।
असम
असम से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि ‘हिट-एंड-रन’ मामलों पर नए दंडात्मक कानून के विरोध में असम के परिवहन संघों द्वारा संयुक्त रूप से बुलाई गई 48 घंटे की हड़ताल के कारण शुक्रवार को राज्य के अधिकांश हिस्सों में वाणिज्यिक और सार्वजनिक परिवहन से जुड़े वाहन सड़कों से नदारद दिखे। हड़ताल के कारण बसें, टैक्सियां और ऐप संचालित कैब नहीं चलने के कारण ऑफिस जाने वाले लोगों को अपने कार्यस्थलों तक पहुंचने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। असम मोटर वर्कर एसोसिएशन के संयोजक रामेन दास ने कहा, ‘सरकार किसी भी दुर्भाग्यपूर्ण घटना के लिए केवल चालकों को दोषी ठहराना चाहती है, भले ही उसने अपराध नहीं किया हो। सड़क की स्थिति को सुधारने के बजाय, वे गरीब चालकों को दंडित कर रहे हैं।’ दास ने कहा, ‘हिट-एंड-रन’ मामलों पर नया कानून चालक विरोधी है और वाहनों के मालिकों के खिलाफ है। हम कानून वापस लेने की अपनी मांग पर दबाव बनाने के लिए शुक्रवार सुबह पांच बजे से रविवार सुबह पांच बजे तक सभी वाहनों की हड़ताल का आह्वान करते हैं।’ उन्होंने कहा कि बृहस्पतिवार रात को राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ हुई वार्ता में कोई रास्ता नहीं निकला। भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत लापरवाही से गाड़ी चलाने और पुलिस या प्रशासन को सूचित किए बिना मौके से भागने वाले चालकों को 10 साल तक की जेल की सजा या सात लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है। बीएनएस, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह लेगा। आईपीसी में ऐसे अपराधों के लिए दो साल की सजा का प्रावधान था। दास ने कहा कि हमने निजी कार मालिकों से भी इस आंदोलन में शामिल होने का आग्रह किया है क्योंकि यह कानून सभी पर लागू होता है फिर चाहे घटना किसी वाणिज्यिक वाहन से हुई या फिर छोटी कार से। हड़ताल के आह्वान के बीच राज्य भर के पेट्रोल पंपों पर लंबी-लंबी कतारें देखी गईं। ईंधन की आपूर्ति में कमी की आशंका के बीच लोग पेट्रोल-डीजल भरवाने के लिए कतार में खड़े दिखाई दिए।
इसके अलावा, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि राज्य को 2023 में 11,000 करोड़ रुपये से अधिक रिकॉर्ड निवेश प्रस्ताव मिले हैं। इससे 10,000 से अधिक नौकरियों का सृजन होने की उम्मीद है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2023 में निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाया गया और इस ‘‘ऐतिहासिक वर्ष’’ में असम की औद्योगिक तथा निवेश नीति (संशोधन) 2023 के तहत राज्य का औद्योगिक परिदृश्य बदल गया। शर्मा ने कहा, ”2023 में असम में हमारी अग्रणी अनुकूलित प्रोत्साहन नीति के दम पर 11,000 करोड़ रुपये से अधिक के रिकॉर्ड निवेश प्रस्ताव मिले, जिससे 10,000 से अधिक नौकरियों का सृजन होने की उम्मीद है।’’ योजना के तहत कई प्रोत्साहनों की पेशकश की गई जिसमें 77.1 करोड़ रुपये की बिजली सब्सिडी, 31.77 करोड़ रुपये की बिजली शुल्क प्रतिपूर्ति और 282.25 करोड़ रुपये की पूंजी सब्सिडी शामिल है।
इसके अलावा, उत्तर और मध्य भारत के अलावा देश के कुछ पूर्वी हिस्सों में कोहरे की मोटी परत छाई रही, जिससे दृश्यता का स्तर कम हो गया। इसके चलते असम में राष्ट्रीय राजमार्ग-715 पर डेरगांव के पास बालीजान में तब एक दुर्घटना हो गयी जब 49 यात्रियों को ले जा रही बस कोयले से लदे ट्रक से टकरा गई। गोलाघाट जिला आयुक्त पी उदय प्रवीण ने कहा, ‘‘जान गंवाने वाले 12 लोगों में से छह महिलाएं हैं। ये सभी बासा भरालुवा गांव के थे। असम के परिवहन मंत्री परिमल शुक्लावैद्य ने इस दुर्घटना की जांच के आदेश दिए और अपने विभाग के शीर्ष अधिकारियों को गोलाघाट जिले में दुर्घटनास्थल पर पहुंचकर हर संभव सहायता उपलब्ध कराने को कहा। परिवहन मंत्री ने कहा, ‘‘जांच से पता चलेगा कि सड़क पर उचित संकेत थे या नहीं… हम आवश्यक कदम उठाएंगे और अगर जरूरत पड़ी तो जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करेंगे।’’
इसके अलावा, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)-गुवाहाटी की चौथे वर्ष की एक छात्रा गुवाहाटी के एक होटल में मृत मिली। पुलिस के एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। पुलिस अधिकारी के मुताबिक छात्रा और उसके तीन अन्य सहपाठी नए साल का जश्न मनाने के लिए 31 दिसंबर की शाम को संस्थान से लगभग 25 किलोमीटर दूर गुवाहाटी आए थे। पुलिस अधिकारी ने कहा, ”उन्होंने ऑनलाइन माध्यम से एक होटल में दो कमरे बुक किए थे। आधी रात के बाद वे चेक-इन के लिए होटल पहुंचे। होटल के कर्मचारियों के मुताबिक वे नशे में थे। हम इसकी जांच कर रहे हैं।’’ अगली सुबह, छात्रा शौचालय में बेहोश मिली। उसे गौहाटी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल ले जाया गया जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। उन्होंने कहा, ”हमने अपनी जांच शुरू कर दी है और उसके सभी दोस्तों से पूछताछ कर रहे हैं। इस सिलसिले में अन्य लोगों से भी पूछताछ की जा रही है।’’ मृतक छात्रा की पहचान तेलंगाना की ऐश्वर्या पुल्लुरी के रूप में हुई है, जो इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार विभाग में बी.टेक चौथे वर्ष की छात्रा थी। ऐश्वर्या के अलावा एक अन्य महिला और दो पुरुष छात्रों ने होटल में चेक-इन किया था। इस बीच, आईआईटी-गुवाहाटी ने एक बयान जारी कर छात्रा के परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की है।
इसके अलावा, असम में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले लगभग 40 लाख विद्यार्थियों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिए सरकार की ओर से ‘गुणोत्सव 2024’ नामक एक राज्यव्यापी अभियान आयोजित किया जाएगा। असम के शिक्षा मंत्री रनोज पेगु ने मंगलवार को यह जानकारी दी। यह अभियान तीन जनवरी से आठ फरवरी तक चलेगा। रनोज पेगु ने एक संवाददाता सम्मेलन में इस वर्ष की मूल्यांकन प्रक्रिया की घोषणा करते हुए कहा कि इस अभियान से सीखने के बेहतर परिणामों के साथ विद्यार्थियों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, ”यह अभियान राज्य के 35 जिलों के 43,498 सरकारी स्कूलों में चलाया जाएगा, जिसमें 39,63,542 विद्यार्थी शामिल होंगे।’’ शिक्षा मंत्री ने कहा कि गुणोत्सव में शिक्षकों, विद्यार्थियों, प्रशासकों और स्थानीय समुदायों के सभी हितधारकों की भागीदारी होगी, जिससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए उनके बीच जवाबदेही बढ़ेगी। गुणोत्सव अभियान पहली बार 2017 में आयोजित किया गया था।
इसके अलावा, असम में पुलिस कर्मियों के लिए पेशेवर पोशाक सुनिश्चित करने की मुहिम के तहत ‘‘जरूरत से ज्यादा वजन’’ वाले पुलिसकर्मियों की मंगलवार को फिर से बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) जांच शुरू की गई। एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी। पुलिस महानिदेशक जी.पी. सिंह ने बताया कि जोरहाट, सिलचर और गुवाहाटी में 1,884 पुलिसकर्मियों की बीएमआई की समीक्षा शुरू की गई। राज्य पुलिस ने पिछले साल अगस्त में सभी पुलिसकर्मियों की बीएमआई जांच शुरू की थी और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ने सबसे पहले जांच कराई थी। सिंह ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘अगस्त 2023 में बीएमआई जांच के बाद के चरण में 1,884 पुलिस कर्मियों की फिर से जांच शुरू की गई जो मोटापे की श्रेणी (30 प्लस बीएमआई) में थे। इसकी शुरुआत गुवाहाटी, सिलचर और जोरहाट में दो जनवरी 2024 से हुई।’’ बॉडी मास इंडेक्स किसी व्यक्ति की लंबाई के अनुसार उसके वजन का माप है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 25 से अधिक बीएमआई को अधिक वजन माना जाता है और 30 से अधिक को मोटापा माना जाता है।
इसके अलावा, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि वह यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (इंडिपेंडेंट) गुट के वार्ता विरोधी धड़े के नेता परेश बरुआ के संपर्क में हैं लेकिन निकट भविष्य में उस धड़े के साथ बातचीत की संभावना नहीं है। शर्मा ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, “राज्य का राजनीतिक प्रमुख होने के नाते, मैं उनसे संपर्क बनाए रखूंगा। मैं आमतौर पर हर तीन या छह महीने में उनसे बात करता हूं और मैं जल्द ही उनसे फिर बात करने की योजना बना रहा हूं, लेकिन मुझे उम्मीद नहीं है कि वह तुरंत बातचीत के लिए आएंगे।” उन्होंने कहा कि बरुआ के लिए संप्रभुता का मुद्दा छोड़ना आसान नहीं है, लेकिन उन्हें यह समझना होगा कि असम के लोग अब इसे नहीं चाहते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, “वह राज्य के लोगों के लिए लड़ रहे हैं लेकिन लोग विकास चाहते हैं, स्वतंत्र असम नहीं।” शर्मा ने कहा, “उल्फा का मांगपत्र कई दशक पहले तैयार किया गया था और अगर बरुआ आते हैं तथा 15 दिन राज्य में रहते हैं, तो वह भी मांगों को बदल देंगे क्योंकि असम में अब शांति है।” उन्होंने कहा, “हमने बातचीत के रास्ते खुले रखे हैं लेकिन हमें निकट भविष्य में बातचीत की संभावना नहीं दिख रही है। यह एक लंबी प्रक्रिया है जो बनी रहेगी।” उल्फा के वार्ता समर्थक धड़े के साथ हाल ही में हस्ताक्षरित त्रिपक्षीय समझौते के संबंध में शर्मा ने कहा कि उस समझौते से एक झटके में राज्य के मूल लोगों को राजनीतिक और भूमि अधिकार प्राप्त हो गए है।
मणिपुर
मणिपुर से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य में मई 2023 में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से न्यू लाम्बुलेन इलाके में खाली पड़े चार मकान आग में जलकर नष्ट हो गए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आग की लपटों को बुझाने के लिए दमकल की कम से कम तीन गाड़ियों को भेजा गया। बृहस्पतिवार रात करीब नौ बजे आग लगने का पता चला। एक अधिकारी ने कहा, ‘‘अब तक स्पष्ट नहीं है कि आग कैसे भड़की, जिसने मकानों को अपनी चपेट में ले लिया। जांच से आग लगने का कारण पता चलेगा।’’ उन्होंने बताया कि संपत्ति के नुकसान का भी आकलन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि ये मकान एक विशेष समुदाय से आने वाले लोगों के हैं और पिछले साल मई से ये खाली पड़े हैं। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि घटना क्षेत्र में शांति भंग करने की शरारती तत्वों की साजिश है। पिछले साल मई से पूर्वोत्तर राज्य में कुकी और मेइती समुदायों के बीच जातीय संघर्ष के कारण 180 से अधिक लोग मारे गए और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं।
इसके अलावा, मणिपुर के थाउबल जिले के लिलोंग चिंगजाओ में प्रतिबंधित रिवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट (आरपीएफ) के सदस्यों की गोलीबारी में मारे गए पांच लोगों का बृहस्पतिवार को अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम संस्कार में भाग लेने वाले धार्मिक नेताओं व नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं ने लोगों से सोशल मीडिया पर भड़काऊ बयान न देने की अपील की। अधिकारियों के अनुसार राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख, गंभीर रूप से घायलों को पांच-पांच लाख और मामूली रूप से घायलों को एक-एक लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने पर सहमति जताई, जिसके बाद हत्याओं के संबंध में गठित संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) ने शवों को अंतिम संस्कार के लिए ले जाने का फैसला किया। जेएसी के संयोजक मोहम्मद हबीबुल्लाह ने पत्रकारों से कहा कि राज्य सरकार ने उन्हें मृतकों के परिजनों को नौकरी देने का आश्वासन दिया है। एक आधिकारिक अधिसूचना में, राज्य सरकार ने हत्याओं की जांच के लिए येरीपोक के एसडीपीओ मोहम्मद रियाजुद्दीन शाह की अध्यक्षता में छह सदस्यीय विशेष जांच दल के गठन की भी घोषणा की। थाउबल जिले के लिलोंग चिंगजाओ में सोमवार को आरपीएफ सदस्यों द्वारा कुछ स्थानीय लोगों पर की गई गोलीबारी में चार लोगों की मौत हो गई थी और 10 घायल हो गए। मंगलवार को एक और व्यक्ति की मौत हो गई। एक अधिकारी ने कहा कि आरपीएफ के सदस्य इलाके के एक व्यक्ति से “रंगदारी वसूलने” आए थे, जिसके कारण विवाद हुआ और फिर गोलीबारी हुई। हिंसा के बाद, थाउबल, इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिम, काकचिंग और बिष्णुपुर जिलों में फिर से कर्फ्यू लगा दिया गया। एक वीडियो संदेश में, मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने हिंसा की निंदा की और लोगों, विशेषकर लिलोंग के निवासियों से शांति बनाए रखने की अपील की। गौरतलब है कि पिछले साल मई में मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 180 से अधिक लोग मारे गए हैं और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं।
इसके अलावा, मणिपुर सरकार ने भ्रम से बचने के लिए एंबुलेंसों को अलग प्रकार के सायरन का उपयोग करने को कहा है जिसका उपयोग पुलिस या अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियां नहीं करती हैं। सरकार ने कहा है कि मौजूदा कानून व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए और प्रभावी तरीके से कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए यह कदम उठाया गया है। आयुक्त (गृह) टी रणजीत सिंह ने अपने बयान में कहा है कि मौजूदा कानून व्यवस्था की स्थिति को ध्यान में रखते हुए, राज्य सरकार एम्बुलेंस, पुलिस और कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे समान ध्वनि वाले सायरन के उपयोग से उत्पन्न होने वाले मुद्दों पर विचार कर रही है, क्योंकि इससे आम जनता के लिए बहुत भ्रम और घबराहट की स्थिति पैदा हो रही है। अधिसूचना में जानकारी दी गई है कि विभिन्न अधिकारियों द्वारा एक ही तरह के सायरन के उपयोग की संवेदनशील प्रकृति को ध्यान में रखते हुए और आम जनता के बीच होने वाली किसी भी प्रकार की संभावित गलतफहमी से बचने के लिए, मणिपुर के राज्यपाल ने आदेश जारी किया है कि एम्बुलेंस वाहन और अन्य एजेंसियों के वाहनों में लगे सायरन पुलिस या अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों के वाहनों के सायरन के समान नहीं होने चाहिए।
इसके अलावा, मणिपुर के थोउबल जिले में अल्पसंख्यक बहुल लिलोंग चिंगजाओ क्षेत्र में प्रतिबंधित संगठन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सदस्यों द्वारा गोलीबारी करके चार ग्रामीणों की हत्या किये जाने की घटना की वजह मादक पदार्थ से अर्जित धन को लेकर हुए विवाद को बताया जा रहा है। क्षेत्र में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किये गये हैं। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। हालांकि, लिलोंग चिंगजाओ क्षेत्र में स्थिति मंगलवार को शांतिपूर्ण रही। मुख्यमंत्री ने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का वादा किया है। अधिकारियों ने बताया कि घटना में घायल एक और व्यक्ति की मौत के बाद मृतकों की संख्या बढ़कर चार हो गई है। जबकि गंभीर रूप से घायल दो अन्य लोगों का इंफाल स्थित एक अस्पताल के आईसीयू में इलाज चल रहा है। घटना को लेकर अधिकारियों ने कहा कि प्रतिबंधित पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के कुछ सदस्य(कैडर) एक व्यक्ति के घर पहुंचे। उन्होंने कहा कि उसके मादक पदार्थों के कई मामले लंबित हैं। उन्होंने कहा कि इस दौरान विवाद होने पर कुछ ही मिनटों में लिलोंग चिंगजाओ गांव में संदिग्ध मादक पदार्थ विक्रेता के आवास के बाहर लगभग 1,000 लोग एकत्र हो गए और पीएलए के सदस्यों को खदेड़ने लगे। यह गांव थोउबल जिला मुख्यालय से 15 किमी दूर स्थित है। अधिकारियों ने बताया कि भागते समय पीएलए के सदस्यों ने स्थानीय लोगों पर अंधाधुंध गोलीबारी की जिसमें चार लोग मारे गए और कुछ अन्य घायल हो गए। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की राजनीतिक शाखा रिवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट (आरपीएफ) ने एक बयान जारी कर दावा किया कि बंदूकधारी उसके संगठन के थे और वे घटना की आंतरिक जांच कर रहे हैं। दोनों संगठनों को कड़े गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत प्रतिबंधित किया गया है। अधिकारियों ने कहा कि इस घटना को अवैध मादक पदार्थ के व्यापार के माध्यम से अर्जित धन को लेकर विवाद के परिणाम के रूप में देखा जा रहा है। घटना के बाद, पुलिस ने क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए नागरिक समाज के नेताओं और लिलोंग विधायक अब्दुल नासिर की उपस्थिति में एक अंतर-धार्मिक बैठक की। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने भी आश्वासन दिया कि दोषियों को गिरफ्तार किया जाएगा और कानून के मुताबिक सजा दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने राज मेडिसिटी अस्पताल का दौरा किया जहां घायलों का इलाज चल रहा था। अपनी यात्रा के बाद सिंह ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘हम सभी प्रकार की हिंसा की कड़ी निंदा करते हैं और राज्य सरकार ने दोषियों को पकड़ने के लिए बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू किया है। दोषियों को कानून के अनुसार दंडित किया जाएगा। कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।’’ वर्दीधारी अज्ञात बंदूकधारी सोमवार रात को एक व्यक्ति से ‘‘पैसे वसूलने’’ के लिए लिलोंग चिंगजाओ पहुंचे थे, जिसके बाद विवाद हुआ। उन्होंने बताया कि जब स्थानीय लोग उन्हें खदेड़ रहे थे तो बंदूकधारियों ने अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी, जिससे कई लोग हताहत हो गये। ‘‘कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने’’ के मद्देनजर इंफाल घाटी के पांच जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। सड़कों पर कुछ ही वाहन चलते दिखाई दिए ओर अधिकतर वाणिज्यिक प्रतिष्ठान बंद रहे। अधिकारी ने कहा कि जिन लोगों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए इंफाल के ‘जवाहरलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज’ में लाया गया है उनकी पहचान मोहम्मद दौलत (30), एम सिराजुद्दीन (50), मोहम्मद आजाद खान (40) और मोहम्मद हुसैन (22) के रूप में की गई। घटना में 10 अन्य घायल हो गए और फिलहाल इंफाल के एक अन्य अस्पताल में उनका इलाज हो रहा है। उन्होंने कहा कि उनमें से चार को गोली लगी है और चार में से दो आईसीयू में हैं जबकि दो अन्य चिकित्सकों की निगरानी में हैं। हमले के बाद गुस्साए स्थानीय लोगों ने उन चार गाड़ियों में आग लगा दी, जिनमें हमलावर आए थे। यह तत्काल स्पष्ट नहीं हो सका कि वे किस गुट से संबद्ध हैं। हिंसा के बाद थोउबल, इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिम, काकचिंग और बिष्णुपुर जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया। एक वीडियो संदेश में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने हिंसा की निंदा की और लोगों से, विशेषकर लिलोंग के निवासियों से शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘‘पुलिस हमले में शामिल लोगों को गिरफ्तार करने के लिए काम कर रही है। उन्हें जल्द गिरफ्तार किया जाएगा और कानून के अनुसार दंडित किया जाएगा।’’ स्थानीय विधायक अब्दुल नासिर ने कहा कि संबंधित अधिकारियों ने उन्हें स्थिति से अवगत कराया है और दोषियों को जल्द ही पकड़ लिया जाएगा।
इसके अलावा, मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह ने मंगलवार को कहा कि वह मणिपुर में चल रही हिंसा से ‘बेहद परेशान’ हैं तथा जो लोग इसमें लगे हैं उन्हें अफस्पा फिर लगाये जाने समेत किसी भी सरकारी कार्रवाई के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा। मणिपुर के थाउबाल जिले के लिलोंग चिंगजाओ में गोलीबारी में घायल हुए लोगों से मिलने के बाद सिंह ने कहा, ”समाज में अब जो कुछ भी हो रहा है, वह बहुत हो गया। यदि कोई व्यक्ति या संगठन अब भी कानून को हाथ में लेना जारी रखे हुए है तो सरकार के लिए यह बर्दाश्त करना वाकई कठिन है। सरकार महज इसे देखती ही नहीं रहेगी। यदि अफस्पा दोबारा लगाया जाएगा तो वे ही इसके लिए जिम्मेदार होंगे।’’ उन्होंने कहा, ”यदि सरकार अवांछनीय अफस्पा लगाने समेत कोई कठोर कार्रवाई करती है तो जो तत्व हिंसा में लगातार लगे हुए हैं उन्हें ही जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। मैं बेहद परेशान हूं । सरकार लगातार इसे देखते नहीं रह सकती है।’’ मुख्यमंत्री ने लोगों से कानून हाथ में नहीं लेने तथा कुछ भी संदिग्ध नजर आने पर संबंधित प्रशासन को सूचित करने का आह्वान किया ताकि जरूरी कानूनी कार्रवाई की जा सके। उन्होंने उनसे ‘मणिपुर के दुश्मनों’ को पहचानने तथा आपस में संघर्ष करने के बाद ऐसे तत्वों का एकजुट होकर मुकाबला करने का भी आह्वान किया। सिंह यहां निजी अस्पताल राज मेडिसिटी गये। गोलीबारी में चार लोगों को गोलियां लगी थी औ उनमें से दो गंभीर रूप से जख्मी हो गये। उनका इस अस्पताल के आईसीयू में उपचार चल रहा है।
इसके अलावा, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने मंगलवार को दावा किया कि मोरेह शहर में सुरक्षा बलों पर हुए हमले में म्यांमा से आए भाड़े के विदेशी लड़ाकों के शामिल होने की आशंका है। क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान (रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस) में उपचार करा रहे घायल सुरक्षा कर्मियों से मिलने के बाद सिंह ने कहा कि आतंकवादी ‘‘अत्याधुनिक हथियारों का उपयोग कर रहे हैं’’ और सरकार उनका माकूल जवाब दे रही है। सिंह ने कहा, ‘‘तलाश एवं घेराबंदी का अभियान जारी है और अतिरिक्त सुरक्षा बल भेजे जा रहे हैं। हमें म्यांमा की तरफ से आए भाड़े के विदेशी लड़ाकों के इसमें शामिल होने का संदेह है… हम इस तरह की आतंकवादी गतिविधियों के जवाब में आवश्यक कदम उठाएंगे।’’ उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ‘‘केंद्र के साथ संपर्क में है और राज्य एवं केंद्रीय सुरक्षा बल संयुक्त रूप से अभियान चला रहे हैं।’’ एक अधिकारी ने कहा कि सोमवार को उग्रवादियों एवं सुरक्षा कर्मियों के बीच हुई गोलीबारी के दौरान घायल हुए चार पुलिसकर्मियों और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के एक कांस्टेबल को बेहतर उपचार के लिए विमान से मोरेह शहर से राज्य की राजधानी लाया गया है। मोरेह शहर भारत-म्यांमा सीमा के निकट स्थित है और यहां पिछले साल 30 दिसंबर से सुरक्षा बलों एवं उग्रवादियों के बीच गोलीबारी की घटनाएं हुई हैं। पुलिस ने बताया कि तेंगनोउपल जिले में मंगलवार को सुबह सुरक्षा बलों और संदिग्ध उग्रवादियों के बीच फिर से गोलीबारी शुरू हो गई।
मेघालय
मेघालय से आये समाचार की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य में प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन हाइनीवट्रेप नेशनल लिबरेशन काउंसिल (एचएनएलसी) केंद्र सरकार और राज्य सरकार के साथ शांति वार्ता से बुधवार को यह कहते हुए पीछे हट गया कि उसके सदस्यों को क्षमा प्रदान करने की मांग नहीं मानी गई। संगठन के एक बयान में यह जानकारी दी गई है। संगठन के स्वयंभू प्रमुख और कमांडर-इन-चीफ बॉबी मार्विन ने केंद्र सरकार के वार्ताकार ए.के. मिश्रा को लिखे पत्र में कहा, “हमें आपको यह बताते हुए बेहद दुख हो रहा है कि न चाहते हुए भी हम आपकी सरकार के साथ शांति वार्ता से पीछे हट रहे हैं। यह निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थिति के कारण लिया गया है क्योंकि हमारी सामान्य मांगें पूरी नहीं हुई हैं।” मार्विन ने कहा, “भारी मन से यह फैसला लिया गया है क्योंकि हमने देखा है कि शांति प्रक्रिया बेहद महत्वपूर्ण मोड़ पर पहुंच चुकी है।” पत्र की एक प्रति मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा को भी भेजी गई है। सशस्त्र हिंसा या धमकी न देने की शर्त के विपरीत, संगठन ने हाल ही में मेघालय में सत्तारूढ़ नेशनल पीपुल्स पार्टी के विधायक गेविन माइलीमंगैप को जान से मारने की धमकी दी थी। सरकार ने पूर्वी खासी हिल्स जिले के सोहरा में एक सरकारी सीमेंट कंपनी को बंद करने का फैसला किया था जिसके बाद यह धमकी दी गई थी। एचएनएलसी के महासचिव सैनकुपर नोंगट्रॉ ने शुक्रवार को कहा, ‘अगर सरकार एमसीसीएल को बंद करने के फैसले पर अमल करती है तो गेविन को इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी। जैसे ही आप और आपकी सरकार एमसीसीएल को जिंदा दफनाने की हिमाकत करेंगे, हम आपको अपने हिसाब से जवाबदेह ठहराएंगे। लोगों से गद्दारी करने वालों को मौत की सजा दी जानी चाहिए।” पिछले साल शुरू हुई त्रिपक्षीय शांति वार्ता उस समय रुक गई थी जब राज्य सरकार ने संगठन के शीर्ष नेताओं को विचार-विमर्श में भाग लेने के लिए कहा था। पिछले साल जून में अपनी पहली बैठक के दौरान, संगठन ने बातचीत आगे बढ़ने से पहले अपने सदस्यों के खिलाफ सभी मामलों को वापस लेने की मांग की थी। शिलांग से 17 किलोमीटर दूर उमियाम में आयोजित बैठक में मिश्रा, राज्य सरकार के वार्ताकार पीटर डखार व रोनी वाहलांग और एचएनएलसी के प्रतिनिधि के रूप में सदोन ब्लाह ने भाग लिया था।
मिजोरम
मिजोरम से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने केंद्र सरकार से कहा कि उनके राज्य के लोग मानते हैं कि म्यांमा के साथ लगती 510 किलोमीटर लंबी सीमा उन पर अंग्रेजों की ओर से थोपी गई थी और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बाड़ स्वीकार्य नहीं है। वर्ष 2021 में म्यांमा में सैन्य तख्तापलट के बाद पड़ोसी देश के हजारों लोगों ने मिजोरम में शरण ली थी और इनमें से ज्यादातर की जातीयता मिजोस है। लालदुहोमा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से कहा, ‘‘मिजोरम की ओर भारत-म्यांमा सीमा का सीमांकन ब्रिटिश (शासन) ने प्रभावित लोगों की सहमति के बिना किया था।’’ पिछले महीने पूर्वोत्तर राज्य मिजोरम के मुख्यमंत्री बने लालदुहोमा ने दिन में नई दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी से उनके आधिकारिक आवास पर मुलाकात की। यह उनकी पहली मुलाकात थी। एक आधिकारिक बयान में लालदुहोमा के हवाले से कहा गया है, ‘‘मिजो की ‘जो’ सजातीय जनजातियां भारत-म्यांमा सीमा को एक थोपी हुई सीमा मानती हैं, जिसने भौगोलिक रूप से मिजो जनजातियों को अलग कर दिया है।’’ राज्य में शरण लेने वाले म्यांमा के लोगों का एक बड़ा वर्ग चिन, जिसे जो समुदाय के नाम से भी जाना जाता है, से संबंधित है। एक अन्य आधिकारिक बयान के अनुसार, लालदुहोमा ने एक अलग बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर को यह भी बताया कि भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने का कोई भी कदम मिजो लोगों को ‘‘अस्वीकार्य’’ है। यह बयान उन खबरों के बीच आया है कि केंद्र म्यांमा के साथ लगती बिना बाड़ वाली सीमा के 300 किलोमीटर के हिस्से में बाड़ लगाने और मुक्त आवाजाही व्यवस्था को समाप्त करने की योजना बना रहा है। बयान में कहा गया है कि मुख्यमंत्री ने फरवरी 2021 में सैन्य जुंटा द्वारा तख्तापलट के जरिए सत्ता पर कब्जा करने के बाद म्यांमा से शरणार्थियों के आने के बारे में भी प्रधानमंत्री को जानकारी दी। राज्य के गृह विभाग के अनुसार, फरवरी 2021 से म्यांमा के 31,000 से अधिक नागरिकों ने मिजोरम में शरण ली है। बाद में लालदुहोमा ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ आज सार्थक बैठक हुई। मिजोरम की प्रगति और विकास के लिए हमारे सहयोग को मजबूत करने से खुशी हुई। प्रमुख मुद्दों पर लगातार चर्चा के लिए उत्सुक हूं।’’ प्रधानमंत्री ने लालदुहोमा को सूचित किया कि केंद्र मिजोरम की सहायता करने और पूर्वोत्तर राज्य में विकास शुरू करने के लिए हमेशा तैयार है। लालदुहोमा ने केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से भी मुलाकात की और उनसे मिजोरम में सड़क निर्माण परियोजनाओं में तेजी लाने का आग्रह किया।
इसके अलावा, भारत-म्यामां सीमा के आसपास रह रहे लोगों को एक -दूसरे देश में बिना वीजा के 16 किलोमीटर तक जाने की अनुमति देने वाली मुक्त आवाजाही व्यवस्था (फ्री मूवमेंट रिजीम– एफएमआर) शीघ्र ही खत्म हो जाएगी। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। मिजोरम, मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश से गुजरने वाली 1,643 किलोमीटर लंबी भारत-म्यामां सीमा पर फिलहाल एफएमआर है। इसे भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ के तहत 2018 में लागू किया गया था। एफएमआर के तहत पर्वतीय जनजाति का हर सदस्य, जो भारत या म्यामां का नागरिक है एवं सीमा के किसी भी ओर 16 किलोमीटर के दायरे में रहता है, बॉर्डर पास दिखाने पर सीमा के आर-पार जा सकता है और दो सप्ताह तक वहां ठहर सकता है। इस बॉर्डर पास की वैधता साल भर की होती है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ”हम शीघ्र ही भारत-म्यामां सीमा पर एफएमआर खत्म करने जा रहे हैं। हम पूरी सीमा पर बाड़ लगाने जा रहे हैं। अगले साढ़े चार साल में बाड़ लगाने का काम पूरा हो जाएगा। सीमापार से आने वाले किसी भी व्यक्ति को इसके लिए वीजा लेना होगा।’’ इस विचार का मकसद न केवल एफएमआर का दुरुपयोग रोकना है बल्कि अवैध प्रवासियों की घुसपैठ पर पूर्ण विराम लगाना तथा मादक पदार्थों एवं सोने की तस्करी करने वाले नेटवर्क को बिल्कुल पंगु बनाना है। दरअसल, फिलहाल उग्रवादी संगठन एफएमआर का इस्तेमाल कर भारतीय भूमि में हमला करते हैं और फिर म्यामां भाग जाते हैं। यहां यह जिक्र करना प्रासंगिक होगा कि मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह ने सितंबर, 2023 में केंद्र से एफएमआर खत्म करने की अपील की थी। राज्य सरकार ने दलील दी है कि उग्रवादी अपनी गतिविधियां चलाने के लिए इस व्यवस्था का इस्तेमाल करते हैं। म्यामां में एक फरवरी, 2021 में सैन्य तख्तापलट के बाद से हजारों जुंटा विरोधी विद्राही मिजोरम में आ गये। सरकारी अनुमान के अनुसार तख्तापलट के बाद से मिजोरम के विभिन्न भागों में हजारों शरणार्थी रह रहे हैं।
इसके अलावा, म्यामां में जातीय उग्रवादी संगठन के साथ सशस्त्र संघर्ष के दौरान वहां से भागकर मिजोरम आ गये 151 सैनिकों मंगलवार को वापस भेज दिया गया। असम राइफल्स के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। इन सैनिकों को म्यामां की वायुसेना मिजोरम की राजधानी आइजोल से विमान से ले गयी। अधिकारी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय सीमा के समीप 29 दिसंबर को उग्रवादी संगठन अराकान आर्मी के लड़ाकों ने इन सैनिकों के शिविर को ध्वस्त कर दिया, जिसके बाद वे भारतीय सीमा पार कर मिजोरम के लानगतलाई जिले में आ गये थे। अपने हथियार लेकर भाग आये म्यामां सेना के इन जवानों ने ट्यूसेंटलांग में अर्धसैनिक बल असम राइफल्स से संपर्क किया था। वे तब से अंतरराष्ट्रीय सीमा के समीप पारवा में असम राइफल्स की अभिरक्षा में थे। नवंबर में भी लोकतंत्र समर्थक मिलिशिया द्वारा म्यामां-भारत सीमा के समीप सैन्य शिविर नष्ट कर दिये जाने के बाद म्यामां के 104 सैनिक भागकर मिजोरम में आ गये थे। उनसभी को वापस भेज दिया गया था।
त्रिपुरा
त्रिपुरा से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि केंद्र ने 9,000 से अधिक घरों को रोशन करने के लिए त्रिपुरा के दूरदराज के इलाकों में 274 सौर माइक्रो ग्रिड स्थापित करने के लिए राज्य को 81 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय की परियोजना के तहत ये माइक्रो ग्रिड धलाई, उनाकोटी और दक्षिण, पश्चिम और उत्तरी त्रिपुरा जिलों के गांवों में स्थापित किए जाएंगे, जहां पारंपरिक ऊर्जा का लाभ नही मिल पाता है। त्रिपुरा नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘मंत्रालय ने दूरदराज के इलाकों विशेषकर जनजातीय बस्तियों में 274 सौर माइक्रो ग्रिड स्थापित करने के लिए त्रिपुरा को 81 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं, जहां पारंपरिक बिजली आपूर्ति अब तक लोगों तक नहीं पहुंची है। परियोजना के तहत कुल 9,250 परिवार लाभान्वित होंगे। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर राज्य में अब भी कई जनजातीय और गैर-जनजातीय बस्तियां हैं जहां पृथक भौगोलिक स्थिति और कम जनसंख्या घनत्व के कारण बिजली अब तक नहीं पहुंची है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना में सौर ऊर्जा का उपयोग करके ऐसे घरों को रोशन किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘प्रत्येक सौर माइक्रो ग्रिड की क्षमता किसी विशेष बस्ती की आबादी के आधार पर दो किलोवाट से 25 किलोवाट तक होगी। शुल्क दर को अब तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है, लाभार्थी को बिजली की खपत के लिए एक छोटी राशि का भुगतान करना होगा।’’ चालू वित्त वर्ष में इस परियोजना का काम शुरू होने की उम्मीद है।
इसके अलावा, त्रिपुरा में अंतरराष्ट्रीय सीमा के जरिए बांग्लादेश से भारत में अवैध रूप से घुसने की कोशिश करने के दौरान सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने 112 रोहिंग्या समेत कुल 744 लोगों को गिरफ्तार किया। एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पिछले तीन साल में यह आंकड़ा सबसे अधिक है। वर्ष 2022 में बीएसएफ त्रिपुरा फ्रंटियर ने 369 घुसपैठियों को पकड़ा था और 2021 में यह संख्या 208 थी। अधिकारी ने बताया, ‘‘2023 में बीएसएफ ने कुल 744 घुसपैठियों को गिरफ्तार किया जिनमें 112 रोहिंग्या, 337 बांग्लादेशी और 295 भारतीय हैं। पिछले तीन साल में सीमावर्ती राज्य में गिरफ्तार किए गए घुसपैठियों की यह सबसे अधिक संख्या है।’’ उन्होंने कहा कि बीएसएफ कर्मियों ने करीब 41.82 करोड़ रुपये मूल्य की प्रतिबंधित कफ सिरप (खांसी की दवा), भांग, याबा टैबलेट (नशे की दवा) और मादक पदार्थ ब्राउन शुगर भी जब्त किया है। अधिकारी ने बताया कि इसके अलावा चार किलोग्राम सोना भी जब्त किया गया है। उन्होंने कहा कि इन वर्षों में बीएसएफ त्रिपुरा फ्रंटियर ने सुदूरवर्ती एवं दुर्गम क्षेत्रों में प्रतिकूल मौसमी परिस्थितियों के बीच घुसपैठ के खिलाफ लड़ाई, सीमा सुरक्षा और सीमा पार से होने वाले हर किस्म के अपराध को रोकने जैसी विभिन्न जिम्मेदारियों को निभाया है। त्रिपुरा बांग्लादेश के साथ 856 किलोमीटर अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है।
नगालैंड
नगालैंड से आये समाचार की बात करें तो आपको बता दें कि तीन नगा समूह एकजुट हो गये हैं और दशकों पुराने नगा राजनीतिक मुद्दे के समाधान के लिए केंद्र के साथ संयुक्त रूप से बातचीत करने का फैसला किया है। यह निर्णय एक बैठक के दौरान लिया गया जिसमें तीन समूहों- अकाटो चोफी के नेतृत्व वाले नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (एनएससीएन), खांगो के नेतृत्व वाले एनएससीएन और जेड रॉयिम के नेतृत्व वाले नगा नेशनल काउंसिल (एनएनसी) के नेताओं ने भाग लिया। ये तीनों विभाजित समूह हैं। अन्य दो समूहों के नेताओं की उपस्थिति में बैठक के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए अकाटो ने कहा, ‘‘तीन समूह 2024 में एक संयुक्त राजनीतिक प्रयास के लिए एक साथ आए हैं।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या वे बातचीत करने के अपने फैसले के साथ पहले ही केंद्र से संपर्क कर चुके हैं, उन्होंने कहा, ‘‘हमने पहले भी अलग-अलग पहल की है, लेकिन अब हम नगा मुद्दे पर एक संयुक्त प्रयास करेंगे।’’ अकाटो ने यह भी स्पष्ट किया कि वे केंद्र के साथ नागा नेशनल पॉलिटिकल ग्रुप्स (डब्ल्यूसी-एनएनपीजी) की कार्य समिति द्वारा की जा रही बातचीत से अलग बातचीत करेंगे। उन्होंने कहा कि एनएनपीजी केवल सात समूहों से बना है जबकि अन्य नगा समूहों को छोड़ दिया गया है। उन्होंने घोषणा की कि तीनों समूह नगा समुदाय के हित के लिए समान विचारधारा वाले संगठनों का उनके साथ जुड़ने का स्वागत करते हैं।
अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य की अदरक, हस्तनिर्मित कालीन और वांचो लकड़ी के शिल्प ने भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग हासिल कर लिया है। मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने यह घोषणा की। अरुणाचल प्रदेश में अदरक को स्थानीय तौर पर आदि केकिर के नाम से जाना जाता है। भौगोलिक संकेत या जीआई उन उत्पादों पर इस्तेमाल किया जाने वाला एक संकेत है जिनकी एक विशिष्ट भौगोलिक उत्पत्ति होती है। इस विशिष्ट भौगोलिक उत्पति के कारण उनमें विशेष गुण और उनका विशेष महत्व होता है। मुख्यमंत्री ने बृहस्पतिवार को कहा, ‘‘यह साझा करते हुए खुशी हो रही है कि आदि केकिर (अदरक), हस्तनिर्मित कालीन और वांचो लकड़ी के शिल्प को भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग दिए गए हैं। वास्तव में यह हमारे राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और कुशल शिल्प कौशल को मान्यता है। आइए अपनी अनूठी परंपराओं का जश्न मनाएं और उन्हें बढ़ावा दें।’’ आदि केकिर अदरक की एक किस्म है जिसकी पैदावार अरुणाचल प्रदेश के ईस्ट सियांग, सियांग और अपर सियांग जिलों में होती है। यह अपने स्वाद और आकार के लिए जानी जाती है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले तिब्बती शरणार्थियों द्वारा बनाए गए हस्तनिर्मित कालीन अपने विशिष्ट डिजाइन, रूपांकनों और बनावट के लिए जाने जाते हैं। वांचो लकड़ी से बनी शिल्प वस्तुएं अद्वितीय होती हैं। इनसे तंबाकू के सेवन के लिए विभिन्न आकृतियों वाली पाइप, पीने के मग बनाए जाते हैं। कारीगर भगवान बुद्ध की मूर्तियां और पशुओं की आकृतियां तथा गुड़िया भी बनाते हैं। अब तक अरुणाचल प्रदेश के छह उत्पादों को जीआई प्रमाणन प्राप्त हुआ है। इससे पहले याक चुरपी (अरुणाचली याक के दूध से तैयार पनीर), खामती चावल (नामसाई जिले में उत्पादित चिपचिपे चावल की एक किस्म) और चांगलांग जिले के तांगसा वस्त्र को जीआई टैग मिला था।
इसके अलावा, जनता दल (यूनाइटेड) ने बुधवार को अरुणाचल पश्चिम लोकसभा क्षेत्र के लिए अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी जिससे यह संकेत मिलता है कि ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल दलों के साथ पार्टी के मतभेद खत्म नहीं हुए हैं। विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस 2019 के चुनाव में इस सीट पर दूसरे स्थान पर रही थी। भाजपा ने राज्य की दोनों सीटों पर जीत हासिल की थी। अरुणाचल प्रदेश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ हुए थे। जद (यू) के महासचिव अफाक अहमद ने एक बयान में कहा कि पार्टी की राज्य इकाई की अध्यक्ष रूही तांगुंग निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार होंगी। उन्होंने कहा, “यह घोषणा पार्टी के अध्यक्ष श्री नीतीश कुमार के निर्देशानुसार की जा रही है।” बिहार के मुख्यमंत्री कुमार को हाल ही में जद (यू) का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया था। कुमार को ‘इंडिया’ गठबंधन में अब तक कोई भूमिका नहीं दिए जाने को लेकर उनकी पार्टी में “नाराजगी” की खबरें आ रही हैं। चूंकि कुमार दो अलग-अलग विचारधाराओं वाली पार्टियों के साथ गठबंधन सरकार चला चुके हैं, इसलिए उनके भविष्य के कदम के बारे में भी अटकलें लगाई गई हैं। उनकी पार्टी ने हाल ही में अपनी राष्ट्रीय परिषद की बैठक में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की आलोचना करने के साथ ही ‘इंडिया’ गठबंधन में कुमार को कोई महत्वपूर्ण भूमिका देने की वकालत की थी।