प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के असम दौरे के दौरान जहां राज्य को बड़ी सौगातें मिलने जा रही हैं वहीं मणिपुर में अब पहले की अपेक्षा शांति दिखाई दे रही है हालांकि हिंसा की छिटपुट घटनाएं अब भी सामने आ रही हैं। वहीं मेघालय के मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि जो भी उग्रवादी संगठन हथियार डालना चाहता है उसे अलग से कोई राहत नहीं दी जायेगी। इसके अलावा अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के लिए इस सप्ताह अदालत के एक आदेश के बाद मुश्किलें बढ़ती नजर आईं। इसके अलावा भी पूर्वोत्तर भारत से कई समाचार रहे। आइये डालते हैं सब पर एक नजर और सबसे पहले बात करते हैं असम की।
असम
असम से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तीन फरवरी को दो दिवसीय दौरे पर असम पहुंचेंगे और इस दौरान वह 11,000 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण करेंगे। यह जानकारी असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने बुधवार को दी। शर्मा ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री के दौरे से पहले कई तैयारी बैठकों की अध्यक्षता की। मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मैं अत्यंत प्रसन्नता के साथ यह साझा करता हूं कि हमारे लिए बड़े सम्मान की बात है कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने असम आने और यहां के लोगों के साथ एक दिन बिताने के हमारे निमंत्रण को विनम्रतापूर्वक स्वीकार कर लिया है।’’ उन्होंने बताया कि मोदी कई कल्याणकारी परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण करेंगे जो 11,000 करोड़ रुपये से अधिक की हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक अलग पोस्ट में कहा कि शर्मा ने प्रधानमंत्री के निर्धारित दौरे के मद्देनजर सचिवालय में विभिन्न विभागों के साथ कई बैठकें कीं। इसमें कहा गया है कि शर्मा ने दौरे से संबंधित सभी व्यवस्थाओं की समीक्षा की और अधिकारियों को इसकी सफलता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
इसके अलावा, असम पुलिस ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन कुमार बोरा से जोरहाट में ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ का मार्ग बदलने में उनकी भूमिका के बारे में बुधवार को पूछताछ की। पुलिस ने जोरहाट में यात्रा के लिए स्वीकृत मार्ग को कथित रूप से बदलने के लिए कांग्रेस के कई नेताओं के खिलाफ 18 जनवरी को प्राथमिकी दर्ज की थी। भारतीय दंड संहिता की नौ धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया, जिनमें कुछ धाराएं गैर-जमानती हैं। प्राथमिकी में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में सार्वजनिक संपत्ति क्षति रोकथाम अधिनियम, 1984 की धारा तीन को भी शामिल किया गया है। इसके बाद पुलिस ने बोरा, पूर्व विधायक राणा गोस्वामी, कांग्रेस की जोरहाट जिला इकाई के अध्यक्ष प्रतुल बोरगोहांई, जिला सचिव अभिजीत फुकन के साथ ही राहुल गांधी के करीबी नेता केबी बायजू को नोटिस जारी किये। जोरहाट सदर थाने के प्रभारी राहुल देवरी ने कहा, ‘‘बोरा आज आए और उनसे मामले में पूछताछ की गई। आगे पूछताछ के लिए उन्हें 12 फरवरी को दोबारा बुलाया गया है।’’ उन्होंने बताया कि गोस्वामी और बायजू को भी पूछताछ के लिए नोटिस जारी किए गए, लेकिन उन्होंने पुलिस को अपने आने में असमर्थता की सूचना दी और किसी और तारीख पर आने की अनुमति मांगी। अधिकारी ने बताया कि उन्हें 10 फरवरी को आने को कहा गया है। प्रदेश कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने बताया कि बोरगोहांई और फुकन से 29 जनवरी को पूछताछ की गई थी और उन्हें पांच फरवरी को जोरहाट सदन थाने में दोबारा आने को कहा गया है। बोरा ने थाने से निकलकर संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह राजनीति से प्रेरित मामला है। जिस जगह से हम पर जान-बूझकर अलग मार्ग पर जाने का आरोप लगाया गया है, वहां पर हमें रास्ता बताने के लिए कोई पुलिस नहीं थी।’’ जब उनसे पूछा गया कि क्या जमानत की मांग करेंगे तो उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कुछ गलत नहीं किया है। मुझे जमानत क्यों मांगनी चाहिए। पूरा देश और पूरा राज्य देख रहा है। सच की जीत होगी।’’ सोनितपुर जिले में यात्रा के दौरान बोरा पर हमला होने और उनकी नाक से खून बहने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘जिन दो गुंडों ने मुझ पर हमला किया और मेरे साथ मारपीट की, वे खुलेआम घूम रहे हैं, लेकिन हमारा उत्पीड़न हो रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री और उनके परिवार द्वारा असम में चल रही अंधाधुंध लूट को उजागर कर दिया था।’’
इसके अलावा, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से भेंट की और उनके साथ राज्य में गुवाहाटी रिंगरोड समेत विभिन्न आगामी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर चर्चा की। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। एक बयान के मुताबिक मुख्यमंत्री ने मंगलवार रात को हुई गडकरी से मुलाकात के दौरान पूर्वोत्तर क्षेत्र के अन्य राज्यों एवं देश के बाकी हिस्सों के साथ असम की ‘कनेक्टिविटी’ बढ़ाने के लिए बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के महत्व पर बल दिया। बयान में कहा गया है कि यह मुलाकात इस मायने में अहम है कि इसका संबंध इस क्षेत्र में सड़क संपर्क में सुधार की संपूर्ण कोशिश से है तथा उन्नत सड़क संपर्क क्षेत्र की तीव्र आर्थिक वृद्धि एवं क्षेत्रीय एकीकरण के लिए जरूरी है। बयान में एक अधिकारी के हवाले से कहा गया है, ”यह चर्चा इस साल के आखिर तक सुचारू कनेक्टिविटी के वास्ते पूर्वोत्तर क्षेत्र में अमेरिका जैसी सड़कों के निर्माण की व्यापक दिशादृष्टि का हिस्सा है।’’ गुवाहाटी रिंग रोड परियोजना शर्मा की प्रिय परियोजना है क्योंकि वह असम में आर्थिक वृद्धि एवं विकास की गति तेज करने के वास्ते राज्य के बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी को बढ़ाना चाहते हैं। बाद में ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में मुख्यमंत्री ने कहा, ”दिल्ली में अल्पकालिक ठहराव के दौरान मेरी आगामी गुवाहाटी रिंगरोड से संबंधित मामलों एवं कुछ महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर माननीय केंद्रीय मंत्री श्री नितिन गडकरी जी के साथ अच्छी चर्चा हुई। मेरे लिए वक्त निकालने एवं उचित मार्गदर्शन के लिए मैं उनका आभारी हूं।”
इसके अलावा, छोटे चाय उत्पादकों के लिए ‘ब्रांडिंग’ मौजूदा समय में सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। बाइसेन्टेनरी असम टी इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस 2024 के उद्घाटन के मौके पर ‘असम और भारत में लघु चाय उत्पादकों की क्रांति’ विषय पर चर्चा के दौरान वक्ताओं ने यह बात कही। इस दो दिवसीय कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि चाय बागान मालिकों के लिए यह एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है, इसलिए उनके उत्पाद की ‘ब्रांडिंग’ से उनके द्वारा उत्पादित खराब गुणवत्ता वाली पत्तियों के आरोप को काफी हद तक दूर करने में मदद मिलेगी। कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन स्मॉल टीम ग्रोअर्स एसोसिएशन (सीआईएसटीए) के बिजॉय गोपाल चक्रवर्ती ने कहा, ”गुणवत्ता बनाए रखना हमारे सामने एक बड़ा मुद्दा है। इसे दूर करने के लिए ‘ब्रांडिंग’ सबसे महत्वपूर्ण है।’’ उन्होंने दावा किया कि देश में सालाना उत्पादित होने वाली चाय में छोटे चाय उत्पादकों का योगदान 50 प्रतिशत से अधिक है, लेकिन खराब गुणवत्ता वाली पत्तियों के आरोप उनके खिलाफ अक्सर लगते रहते हैं। चक्रवर्ती ने कहा कि उचित ‘ब्रांडिंग’ काफी हद तक गुणवत्ता अनुपालन के मुद्दे से निपटने में मदद कर सकती है। चाय विनिर्माण ‘कंसल्टेंसी’ चलाने वाले सिद्धार्थ थार्ड ने कहा, ”छोटे चाय उत्पादकों को ज्यादातर ‘बैकएंड उत्पादक’ के रूप में देखा जाता है और उन्हें कम कीमत वसूली की समस्या का सामना करना पड़ता है, जो उनकी आय तथा आजीविका को गंभीर रूप से प्रभावित करता है।’’ टी बोर्ड इंडिया के पूर्व अध्यक्ष पीके बेजबोरूआ ने कहा कि ‘‘कीमत’’ बेहतर गुणवत्ता वाली पत्तियों के लिए एक महत्वपूर्ण चालक के रूप में काम कर सकती है। उन्होंने कहा, ”कुछ छोटे उत्पादक उच्च गुणवत्ता वाली हरी पत्तियों का उत्पादन करते हैं और उन्हें बहुत अच्छी कीमतें मिलती हैं। ऐसे परिदृश्य में ‘‘कीमत’’ गुणवत्तापूर्ण उत्पादन के लिए चालक बन जाती है।’’
इसके अलावा, असम पुलिस ने रविवार को उल्फा (आई) के उस आरोप को खारिज कर दिया कि पुलिस ने प्रतिबंधित संगठन में एक जासूस को भेजा था। कुछ घंटे पहले ही उल्फा (आई) ने अपने दावे के समर्थन में एक वीडियो जारी किया था। असम पुलिस के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) ने वीडियो को पूरी तरह से झूठा बताते हुए खारिज कर दिया और संगठन के किसी भी सदस्य के रूप में अपने कर्मियों की संलिप्तता से इंकार किया। इससे पहले, प्रतिबंधित संगठन ने 16 मिनट का एक यूट्यूब वीडियो प्रसारित किया था, जिसमें उनके शिविर के भीतर हिरासत में लिए गए एक युवक ने कथित तौर पर असम पुलिस की विशेष शाखा में उप-निरीक्षक होने की बात कबूल की थी। वीडियो में, युवक ने कथित तौर पर स्वीकार किया कि उसे 2021 में पुलिस द्वारा भर्ती किया गया था और उसने उल्फा (आई) में घुसपैठ करने और इसकी गतिविधियों को बाधित करने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी इकट्ठा करने के वास्ते अन्य लोगों के साथ प्रशिक्षण लिया था। वीडियो के आधार पर सामने आईं मीडिया रिपोर्ट के जवाब में, पुलिस सीपीआरओ ने विशेष शाखा के अधिकारी होने के युवक के दावे को ‘‘पूरी तरह से झूठा’’ करार दिया।
मणिपुर
मणिपुर से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के चंदेल जिले के सोकोम गांव में एक युवक का क्षत-विक्षत शव बरामद किया गया है। आशंका है कि शव पिछले साल मई में लापता हुए 19 वर्षीय युवक का है। पुलिस ने यह जानकारी दी। काकचिंग जिले के सुगनू के नगनगोम नेवी पिछले साल 28 मई से लापता थे और उन्हें मृत मान लिया गया था। मंगलवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आने के बाद बुधवार को नगनगोम की तलाश फिर से शुरू की गई। वीडियो में संदिग्ध उग्रवादी उसका सिर धड़ से अलग करते हुए दिख रहे हैं। मणिपुर पुलिस ने उस स्थान की पहचान की जहां वीडियो बनाया गया था और नए सिरे से खोज की गई। इसी दौरान बुधवार को युवक का क्षत विक्षत शव बरामद हुआ। पुलिस ने कहा कि वीडियो में दिख रहे कपड़े बरामद किए गए कपड़ों से मेल खाते प्रतीत होते हैं। उन्होंने कहा कि पहचान की पुष्टि के लिए फोरेंसिक विशेषज्ञ अवशेषों की जांच कर रहे हैं। अवशेषों को जवाहरलाल नेहरु आयुर्विज्ञान संस्थान (जेएनआईएमएस) के शवगृह में रखा गया है।
इसके अलावा, मणिपुर में मंगलवार को एक शिविर पर अज्ञात बंदूकधारियों के हमले में दो ग्रामीण स्वयंसेवकों की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए। पुलिस ने यह जानकारी दी। पुलिस ने बताया कि यह घटना इंफाल पश्चिम और कांगपोकपी जिलों की सीमा पर लमशांग इलाके में कडांगबंद गांव के पास स्थित शिविर में हुई। पुलिस के अनुसार मृतकों की पहचान 33 वर्षीय एन. माइकल और 23 वर्षीय एम. खाबा के रूप में हुई है। पुलिस नियंत्रण कक्ष ने एक बयान में कहा, “कांगपोकपी और इंफाल पश्चिम जिलों के सीमावर्ती इलाके में सशस्त्र हमलावरों की गोलीबारी में दो लोगों की मौत हो गई।” इससे पहले पुलिस के एक अधिकारी ने बताया, “अज्ञात बंदूकधारियों के हमला करने के बाद, ग्रामीण स्वयंसेवकों ने जवाबी कार्रवाई की। जवाबी कार्रवाई के बाद पीछे हटे हमलावर दोबारा इकट्ठा हुए और फिर से हमला किया।” उन्होंने बताया कि गोलीबारी शुरू होने के बाद कडांगबंद और पड़ोसी कौट्रुक गांव की कई महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग सुरक्षित इलाकों की ओर भाग गए। अधिकारी ने बताया कि स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए अतिरिक्त सुरक्षाकर्मियों को इलाके में भेजा गया है। घायलों को इंफाल के क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान ले जाया गया है।
इसके अलावा, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने सोमवार को कहा कि राज्य कठिन दौर से गुजर रहा है और अब समय आ गया है कि लोग एकजुट हों और पहचानें कि असली दुश्मन कौन है। इंफाल रिंग रोड परियोजना के उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हम आज एक कठिन दौर से गुजर रहे हैं। यह पहली बार नहीं है कि हम कठिन दौर का सामना कर रहे हैं। 1992-1993 के जातीय संघर्ष के दौरान 1,000 से अधिक लोगों की जान चली गई थी। आज हम संघर्ष कर रहे हैं। हम उन तत्वों से निपट रहे हैं जो 2,000 साल से अधिक के इतिहास वाले राज्य को तोड़ना चाहते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘राज्य पिछले नौ महीने से अधिक समय से सोया नहीं है।’’ सिंह ने कहा, ‘‘हम उन्हें कभी भी जीतने या उनके मंसूबों में कामयाबी हासिल करने की अनुमति नहीं देंगे। सीमा क्षेत्रों में 3,000 से अधिक राज्य बलों को तैनात किया गया है।’’ उन्होंने लोगों से अपील की कि वे ‘‘इंफाल घाटी में अशांति न फैलाएं। घाटी को शांतिपूर्ण रहने दें। मणिपुर की रक्षा ही हमारा एकमात्र कर्तव्य है। अब और रैलियां नहीं। आइए राज्य के असली दुश्मनों की पहचान करें और उनका सामना करें।’’ उन्होंने दावा किया कि पिछले छह वर्षों में राज्य में काफी सुधार हुआ है और पुलिस एवं जनता के बीच संबंध बेहतर हुए हैं। सिंह ने कहा, ‘‘हम उन तत्वों को बर्दाश्त नहीं कर सकते जो नशीली दवाओं की आपूर्ति करते हैं तथा बड़े पैमाने पर वनों की कटाई और अफीम की खेती में संलग्न होकर और बाहर से अवैध अप्रवासियों को लाकर राज्य को नष्ट करना चाहते हैं।’’ मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हमें एकजुट होने और आरोप लगाना बंद करने की जरूरत है। गलतियां हो सकती हैं लेकिन अपनी धरती को बचाने के लिए हमें माफ करना होगा और गलतियों को भूला देना होगा।’’ इंफाल रिंग रोड परियोजना पर सिंह ने कहा कि 1,700 करोड़ रुपये की परियोजना बढ़ती आबादी और राजधानी इंफाल के भीतर बढ़ती यातायात भीड़ के कारण शुरू की गई। परियोजना 2015-16 से ही शुरू होने वाली थी लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हस्तक्षेप के बाद 2020 में इसमें तेजी लाई गई। परियोजना एशियाई विकास बैंक द्वारा वित्त पोषित है।
इसके अलावा, मणिपुर के चुराचांदपुर जिले के एक जनजातीय संगठन ने कहा कि वह भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने के केंद्र के फैसले का ‘‘विरोध’’ करेगा। इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) ने एक बयान में कहा कि संगठन ने जिला मुख्यालय में स्थानीय लोगों का विचार जानने के लिए शनिवार को एक सभा का आयोजन किया था। इस दौरान भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने और दोनों देशों के बीच मुक्त आवागमन व्यवस्था को रद्द करने के केंद्र के फैसले का ‘‘विरोध’’ करने का संकल्प लिया गया। मुक्त आवागमन व्यवस्था सीमा के दोनों ओर रहने वाले लोगों को बिना वीजा के एक-दूसरे के क्षेत्र में 16 किलोमीटर तक की यात्रा करने की अनुमति देती है। भारत के चार राज्य- अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मणिपुर और मिजोरम, म्यांमा के साथ 1,643 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं। बयान में कहा गया कि आईटीएलएफ ने ‘‘कुकी जो समुदाय के लोगों के राजनीतिक भविष्य’’ के लिए मिजोरम सरकार से मुलाकात करने का भी फैसला किया। म्यांमा में फरवरी 2021 में सैन्य तख्तापलट के बाद यहां के 31,000 से अधिक लोगों ने मिजोरम में शरण ली है। इनमें से ज्यादातर चिन राज्य से हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 20 जनवरी को गुवाहाटी में कहा था कि सरकार भारत-म्यांमा सीमा पर लोगों की मुक्त आवागमन व्यवस्था को समाप्त कर देगी और सीमा पर बाड़ लगाएगी।
मेघालय
मेघालय से आये समाचार की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के मुख्यमंत्री कॉनराड के. संगमा ने बुधवार को कहा कि सभी उग्रवादी संगठनों के लिए हथियार डालने के नियम और शर्तें समान हैं। संगमा ने कहा कि प्रतिबंधित हाइनीवट्रेप नेशनल लिबरेशन काउंसिल (एचएनएलसी) के नेताओं के खिलाफ मुकदमे वापस लेने पर मामला-दर-मामला के आधार पर विचार किया जाएगा। हाल ही में एचएनएलसी यह दावा करते हुए सरकार के साथ शांति वार्ता से हट गया था कि सरकार उसकी पांच मुख्य मांगों का समाधान करने में विफल रही है। इन मांगों में समूह के नेताओं और सदस्यों के खिलाफ सभी मुकदमे वापस लेना भी शामिल है। मुख्यमंत्री ने बताया, ‘‘नियम और शर्तें बदली नहीं जा सकतीं क्योंकि वे सभी उग्रवादी संगठनों के लिए समान हैं। माफी पर व्यक्तिगत आधार पर चर्चा और विचार किया जाएगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कुछ ऐसे मामले हैं जो विशेष रूप से जघन्य प्रकृति के हैं, इसलिए उन पर अलग से विचार किया जाएगा।’’
मिजोरम
मिजोरम से आये समाचार की बात करें तो आपको बता दें कि असम राइफल्स के जवानों ने मिजोरम वन विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर पूर्वी मिजोरम के चम्फाई शहर में विदेशी प्रजातियों के पक्षियों और जानवरों की तस्करी के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया है। असम राइफल्स ने बृहस्पतिवार को एक बयान में यह जानकारी दी। बयान के मुताबिक, यह घटना बुधवार को म्यांमा सीमा के पास हुई। गिरफ्तार किए गए दोनों लोगों की उम्र 20 और 29 वर्ष है। दोनों करीब 68.40 लाख रुपये मूल्य के विदेशी प्रजाति के जीवों की तस्करी कर रहे थे। असम राइफल्स ने बताया कि जानवरों और पक्षियों को लोहे के पिंजरों और प्लास्टिक की टोकरियों में छुपाया गया था और भारत-म्यांमा सीमा पर जोखावथर से आइजोल लाया जा रहा था। इस सिलसिले में बचाई गई विदेशी प्रजातियों के जीवों और आरोपियों को आगे की कानूनी कार्यवाही के लिए चम्फाई जिले में वन विभाग को सौंप दिया गया।
अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू के परिवार के सदस्यों के स्वामित्व वाली कंपनियों को सरकारी ठेके दिये जाने की सीबीआई या ‘एसआईटी’ जांच के लिए दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सोमवार को केंद्र, राज्य सरकार और अन्य से जवाब मांगा। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘सेव मोन रीजन फेडरेशन एंड वॉलंटरी अरुणाचल सेना’ द्वारा दायर याचिका पर केंद्र, राज्य सरकार, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो, खांडू और अन्य को नोटिस जारी किया। पेमा खांडू के पिता दोरजी खांडू की दूसरी पत्नी रिनचिन ड्रेमा और उनके भतीजे शेरिंग ताशी को मामले में पक्षकार बनाया गया है। दोरजी खांडू की 2011 में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। हादसे के वक्त वह मुख्यमंत्री थे। याचिका में दावा किया गया है कि हितों का स्पष्ट टकराव होने के बावजूद रिनचिन ड्रेमा की कंपनी ‘ब्रांड ईगल्स’ को बड़ी संख्या में सरकारी ठेके दिए गए हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण के मार्फत दायर याचिका में कहा गया है, ‘‘याचिकाकर्ताओं द्वारा संलग्न दस्तावेज से प्रदर्शित होता है कि यह सब पारिवारिक फर्मों के पक्ष में चुनिंदा निविदा आवंटित कर मनमाने ढंग से किया गया था…अन्य कंपनियों ने सिर्फ पारिवारिक फर्म को अपना नाम दिया और इसके लिए अपना कमीशन प्राप्त किया।’’ जनहित याचिका में दावा किया गया है कि जब सरकारी ठेके केवल मुख्यमंत्री के परिवार के सदस्यों और उनके करीबी सहयोगियों की फर्मों को दिए जाने के सबूत हैं, तो यह निष्कर्ष निकालना उचित है कि बड़े पैमाने पर सरकारी अनुबंध कार्यों के लिए इस तरह का लाभ दिया जाना संबंधित मंत्री की प्रत्यक्ष जानकारी, सहमति और सक्रिय समर्थन के बिना संभव नहीं है। याचिका में कहा गया है कि बाढ़ से हुए नुकसान की भरपाई के लिए कार्य अरुणाचल प्रदेश सरकार के राहत और पुनर्वास विभाग द्वारा आवंटित किए जाते हैं। याचिका के अनुसार, ‘‘2011 तक इस विभाग के मंत्री दोरजी खांडू (पूर्व मुख्यमंत्री)थे और उसके बाद यह कार्यभार उनके बेटे पेमा खांडू ने संभाला, जो मौजूदा मुख्यमंत्री हैं।’’
इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश में खोंसा वेस्ट से विधायक रहे युमसेम माटे के बेटे यांगसेन माटे ने कहा है कि वह अपने पिता के निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। अरुणाचल प्रदेश में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं। पिछले साल 16 दिसंबर को जिले के लाजू सर्कल में भारत-म्यांमा सीमा के पास अज्ञात हमलावरों ने युमसेम माटे की गोली मारकर हत्या कर दी थी। राज्य सरकार ने 21 दिसंबर को यह मामला राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण को सौंप दिया था। यांगसेन के पिता तिरप जिले की खोंसा वेस्ट सीट का प्रतिनिधित्व करते थे। हाल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए यांगसेन ने रविवार को कहा कि उन्हें उम्मीद है कि विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए उन्हें पार्टी का टिकट मिलेगा। यांगसेन (29) ने कहा, ‘‘मैं लोगों को एकजुट करना चाहता हूं, खासकर नोक्टे और ओलो जनजाति के लोगों को। मैं लोगों के बीच राजनीतिक मतभेदों को दूर करना और उन्हें एक साथ लाना चाहता हूं जो मेरे पिता का भी सपना था।’’ नोक्टे जनजाति के लोगों को नोक्टे नगा के नाम से जाना जाता है। इनका तिब्बती-बर्मी जातीय समूह से संबंध है और ये मुख्य रूप से पूर्वोत्तर भारत के अरुणाचल प्रदेश में रहते हैं। वहीं ओलो जनजाति के लोगों को लाजू नगा के नाम से जाना जाता है। ओलो जनजाति के लोगों का संबंध भी तिब्बती-बर्मी जातीय समूह से है। यांगसेन ने लोगों से अपील की कि वे राजनीतिक और वैचारिक मतभेदों के कारण एक-दूसरे के खिलाफ नहीं लड़ें।
इसके अलावा, केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार ने कहा कि केंद्र पूर्वोत्तर के विकास और इसे देश के अन्य राज्यों के बराबर लाने के लिए प्रतिबद्ध है। कुमार ने अरुणाचल प्रदेश सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पूरे देश में समान विकास के दृष्टिकोण के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि पीएम आवास, उज्ज्वला और जल जीवन मिशन जैसी योजनाओं के क्रियान्वयन से देश के गांव बदल रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार सभी को विभिन्न योजनाओं के दायरे में लाने का प्रयास कर रही है और इस प्रकार से किसी व्यक्ति के जीवन के सभी पहलुओं का ख्याल रखने की कोशिश कर रही है।’’ मंत्री ने राज्य के लोअर दिबांग वैली जिले में लागू की जा रही केंद्र की योजनाओं की स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों से कहा, ‘‘हम अपने देश को जैसा आकार देंगे वही अगली पीढ़ी के हमारे बच्चों को विरासत में मिलेगा। इसलिए सही समय और गति से विकास करना हमारा कर्तव्य है।’’