पूर्वोत्तर के राज्यों में इस सप्ताह गणतंत्र दिवस समारोह की धूम रही। इसके अलावा सप्ताह की शुरुआत में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान जगह-जगह उत्सव आयोजित किये गये। इसके अलावा, राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा भी इस सप्ताह पूर्वोत्तर में रही और जिस तरह राहुल गांधी और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा एक दूसरे पर हमलावर रहे उससे यह यात्रा खासी सुर्खियों में रही। इसके अलावा भी पूर्वोत्तर भारत से कई बड़े समाचार रहे। आइये सब पर डालते हैं एक नजर लेकिन सबसे पहले बात करते हैं असम की।
असम
असम से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के तीन लोगों को इस वर्ष पद्मश्री पुरस्कारों के लिए नामित किया गया, जिनमें देश की पहली महिला महावत, एक लोक कलाकार और एक किसान शामिल हैं। महिला महावत पारबती बरुआ को सामाजिक कार्य श्रेणी में चुना गया जबकि सरबेश्वर बसुमतारी को कृषि में उनके योगदान के लिए नामित किया गया। वहीं लोक कलाकार द्रोण भुइयां को कला श्रेणी में पद्मश्री पुरस्कार के नामित किया गया। असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने ‘एक्स’ पर कहा, ‘एक बेहद अच्छी खबर। श्रीमती पारबती बरुआ, श्री सरबेश्वर बासुमत्रि और श्री द्रोण भुइयां असम की ढृढता और मेहनत को दर्शाया।’ उन्होंने कहा कि अलग-अलग पेशा होते हुए भी इन्होंने समुदाय को मजबूत करने के सामान्य लक्ष्य में विशाल योगदान दिया। पुरस्कार विजेताओं के बारे में शर्मा द्वारा साझा की गयी जानकारी के अनुसार, 67 वर्षीय पारबती ‘पहली महिला महावत हैं, जिन्होंने पुरानी परंपराओं को तोड़ते हुए सिर्फ 14 साल की उम्र में अपने पिता से यह कौशल सीखकर जंगली हाथियों को प्रशिक्षित करना शुरू किया। पोस्ट के मुताबिक, वह वैज्ञानिक तौर-तरीकों की मदद से मानव-हाथी संघर्ष को कम करने की दिशा में अपनी प्रतिबद्धता के लिए खड़ी हुईं। बासुमतारी के बारे में जानकारी साझा करते हुए शर्मा ने कहा कि बासुमतारी एक दिहाड़ी मजदूर से किसान बने और बाद में लोगों के लिए एक आदर्श बने। शर्मा ने कहा कि समुदाय-केंद्रित दृष्टिकोण का प्रदर्शन करते हुए उन्होंने (बासुमतारी ने) अपने ज्ञान और शिक्षा को अन्य किसानों तक पहुंचाया, जिससे अन्य लोगों की दक्षता तो बढ़ी ही साथ ही उन्हें अपनी आजीविका बढ़ाने में भी मदद मिली। चिरांग में खेती करने वाले बासुमतारी ने कहा, ‘एक किसान के रूप में पहचाने जाने पर मैं बहुत खुश हूं। अगर मैं एक किसान के रूप में पद्म पुरस्कार जीतने में सफल रहा, तो इससे ज्यादा खुशी मुझे किसी और किसी बात की नहीं।’ पद्मश्री के लिए नामित होने पर खुशी जाहिर करते हुए लोक कलाकार भुइयां ने कहा, ‘इस सम्मान ने मेरी जिम्मेदारी कई गुना बढ़ा दी है। मुझे सुनिश्चित करना है कि मैं अपने ज्ञान को नयी पीढ़ियों तक ठीक से पहुंचा सकूं।’ ‘ढोल’ बजाकर अपनी खुशी जाहिर करते हुए सिपाझार की रहने वाले कलाकार ने कहा कि पुरस्कार के लिए चुने जाने पर वह अधिकारियों के आभारी हैं। राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने गणतंत्र दिवस पर अपने संबोधन के दौरान तीनों विजेताओं को बधाई देते हुए कहा, ‘मुझे खुशी है कि पारबती बरुआ, सरबेश्वर बसुमतारी और द्रोण भुइयां को पद्मश्री के लिए नामित किया गया। मैं उन्हें बधाई देता हूं और केंद्र सरकार को भी धन्यवाद देता हूं।’ पुरस्कारों की घोषणा बृहस्पतिवार को की गई और वर्ष के अंत में राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे।
इसके अलावा, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उन सभी निर्वाचन क्षेत्रों में जीत हासिल करेगी जहां से राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ गुजरी है। शर्मा ने संवाददाताओं से बातचीत में कटाक्ष करते हुए कहा, “वह जहां भी प्रचार करेंगे, भाजपा को जीत मिलेगी। इस वजह से भाजपा को उनकी जरूरत है।” उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को गिरफ्तार किया जाएगा। असम पुलिस ने यात्रा के दौरान स्वीकृत मार्ग से हटकर गुवाहाटी शहर में प्रवेश करने के लिए अपने समर्थकों को बैरिकेड तोड़ने के लिए उकसाने के आरोप में राहुल गांधी और कई अन्य कांग्रेस नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया है। कर्नाटक कांग्रेस के नेता प्रियंक खरगे ने आश्चर्य जताया कि अगर राहुल गांधी ने कानून तोड़ा है तो उन्हें अभी गिरफ्तार क्यों नहीं किया जा रहा है। उन्होंने सोशल मीडिया में एक पोस्ट पर कहा, ‘‘हिमंत जी लोकसभा चुनाव का इंतजार क्यों? यदि राहुल गांधी जी ने कानून तोड़ा है, तो आप आगे बढ़कर आवश्यक कार्रवाई क्यों नहीं करते?” खरगे ने कहा, “आप ऐसा नहीं करेंगे, क्योंकि आप पूरी तरह से जानते हैं कि वह (राहुल गांधी) सच बोलते हैं, आप मणिपुर में अपने पड़ोसियों के लिए खड़े नहीं हुए और असम के लोगों को लूट रहे हैं। वह केवल लोगों की भावनाओं को दोहरा रहे हैं जिससे आप भयभीत हो जाते हैं।’’ उनके जवाब में शर्मा ने कहा, ‘‘चुनाव के दौरान हमें राहुल गांधी की जरूरत है, भाई।’’ शर्मा के जवाब के बाद खरगे ने कहा, ‘‘भाईसाहब! दस साल बाद भी आपको अपने स्टार प्रचारक गोदी मीडिया, सीबीआई, आईटी, ईडी की जरूरत है। उन्हें समीकरण से बाहर निकालें और देख लें कि आपके महल ढह रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आपका नेता संवाददाता सम्मेलन नहीं कर सकते और न ही टेलीप्रॉम्प्टर के बिना संबोधित कर सकते है, लोगों के साथ पदयात्रा की बात तो भूल ही जाइए।’’ शर्मा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस द्वारा राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान असम में यात्रा का आयोजन करना सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की राजनीतिक साजिश थी। उन्होंने कहा, ‘अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दिन उन्होंने (गांधी ने) सांप्रदायिक तनाव भड़काने के लिए अल्पसंख्यक बहुल जिलों नगांव और मोरीगांव की यात्रा करने का फैसला किया था।’ शर्मा ने कहा, “हमें गुवाहाटी में गड़बड़ी पैदा करने के उनके इरादे की झलक मिल गई और हमने ऐसी कोशिशों को नाकाम कर दिया। राज्य सरकार को कानून-व्यवस्था को नियंत्रण में रखना होता है।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस नेता के प्रति उनकी कोई व्यक्तिगत शिकायत है, मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा, ‘‘हां, मुझे राहुल गांधी पसंद नहीं हैं। यह व्यक्तिगत है, लेकिन यह राजनीतिक रूप से तब परिलक्षित होगा जब पार्टी को 2019 की तुलना में कम वोट मिलेंगे और कांग्रेस ज्यादातर निर्वाचन क्षेत्रों में भारी अंतर से हार जाएगी।’’ उन्होंने कहा कि एक मीडिया संगठन ने दावा किया है कि राहुल गांधी अपनी बस यात्रा के दौरान ‘बॉडी डबल’ का इस्तेमाल कर रहे थे, जिसका मतलब है कि जो व्यक्ति बस में बैठे थे और खिड़की से लोगों की ओर हाथ हिला रहे थे, वह ‘शायद राहुल गांधी नहीं थे’। यह पूछे जाने पर कि क्या राहुल गांधी ने वाकई ‘बॉडी डबल’ का इस्तेमाल किया था, शर्मा ने कहा कि इसकी जांच करना और सच्चाई का पता लगाना मीडिया का काम है। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस महात्मा गांधी के दर्शन से हटकर शहरी नक्सलियों के दर्शन को मानने लगी है। शर्मा ने असम में ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के दौरान राहुल गांधी के साथ चल रहे कंटेनर की तस्वीरें दिखाईं और दावा किया, ‘यह एक पांच सितारा यात्रा है जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। वहां एक भोजन कक्ष है और उन्होंने (राहुल गांधी) विभिन्न स्थानों पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा तैयार किया गया भोजन नहीं खाया।’’ राहुल की यात्रा राज्य में 18 जनवरी को शुरू हुई थी और बृहस्पतिवार को यात्रा पश्चिम बंगाल में प्रवेश कर गई।
इसके अलावा, कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ ने बृहस्पतिवार को असम का अपना पड़ाव पूरा कर लिया। राज्य में आठ दिनों तक चली यह यात्रा नाटकीय घटनाक्रमों से भरी रही तथा राहुल गांधी और मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा के बीच तीखे आरोप-प्रत्यारोप भी देखने को मिले। राहुल गांधी ने यात्रा की शुरुआत में ही शर्मा को ‘‘भारत का सबसे भ्रष्ट मुख्यमंत्री’’ करार दिया और फिर शर्मा द्वारा पलटवारा किए जाने के बाद इस यात्रा को लेकर सुर्खियां बनीं। असम में यात्रा के दाखिल होने के साथ ही उस वक्त इसे रुकावटों का सामना करना पड़ा जब जोरहाट और धेमाजी में रात्रि विश्राम के लिए दो सार्वजनिक मैदानों की अनुमति रद्द दी गई। कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाया और भाजपा के नेतृत्व वाली असम सरकार पर ‘‘अलोकतांत्रिक रवैया’’ अपनाने का आरोप लगाया। ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के दौरान उस वक्त नाटकीय घटनाक्रम को देखने को मिला जब 22 जनवरी को राहुल गांधी को असम के नौगांव जिले में वैष्णव संत श्रीमंत शंकरदेव के जन्मस्थान की ओर जाने से रोक दिया गया था। उसी दिन अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह आयोजित हुआ था। धार्मिक स्थल पर जाने से रोके जाने के बाद राहुल गांधी वहां धरने पर बैठ गए थे। गत 18 जनवरी को जब यात्रा नागालैंड से असम में दाखिल हुई तो राहुल गांधी ने भाजपा पर जमकर निशाना साधा और आरोप लगाया कि राज्य में शायद देश की ‘‘सबसे भ्रष्ट सरकार’’ और ‘‘सबसे भ्रष्ट मुख्यमंत्री’’ हैं। इसके बाद शर्मा ने पलटवार करते हुए गांधी परिवार को देश का ‘‘सबसे भ्रष्ट परिवार’ बताया। यात्रा के दौरान असम में राहुल गांधी और कांग्रेस के कई अन्य नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज की गई। ‘जय श्री राम’ के नारे लगाते हुए कई लोग राहुल गांधी के करीब पहुंच थे। कांग्रेस का कहना था कि ये लोग भाजपा से जुड़े थे और यात्रा को बाधित करना चाहते थे। जोरहाट में यात्रा का मार्ग बदले जाने को लेकर राहुल गांधी की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले केबी बायजू, असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख भूपेन कुमार बोरा और कुछ अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। जोरहाट पुलिस ने नामित आरोपी व्यक्तियों को नोटिस जारी कर दिया है और उन्हें 31 जनवरी को उसके सामने पेश होने के लिए कहा है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने आरोप लगाया कि 20 जनवरी को लखीमपुर के जिला मुख्यालय उत्तरी लखीमपुर शहर में उपद्रवियों द्वारा कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर हमला किया गया, उनके वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया और यात्रा के सभी होर्डिंग्स और पोस्टरों को नष्ट कर दिया गया। बोरा को 21 जनवरी को कुछ अज्ञात लोगों ने मुक्का मारा था, जिससे उनकी नाक से खून बहने लगा था, जबकि एक अन्य घटना में पार्टी के केंद्रीय नेता जयराम रमेश की कार पर भी सोनितपुर जिले में हमला किया गया था। कांग्रेस और प्रदेश सरकार के बीच विवाद उस वक्त और गहरा गया गया जब राहुल गांधी और अन्य वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पुलिस अवरोध हटा दिए। इसके बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच झड़प भी हुई। इस मामले में राहुल गांधी और कई अन्य कांग्रेस नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई।
मणिपुर
मणिपुर से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के कांगपोकपी जिले में शनिवार सुबह दो सशस्त्र समूहों के बीच मुठभेड़ में एक ग्रामीण स्वयंसेवक की मौत हो गई और दो अन्य लोग घायल हो गए। पुलिस ने यह जानकारी दी। मुठभेड़ तब शुरू हुई, जब हथियारबंद बदमाश सतांग कुकी के पहाड़ी गांव में घुस आए और उन्होंने बंदूकों और बम से हमला कर दिया। पुलिस ने बताया कि सतांग गांव में अतिरिक्त बलों के पहुंचने के बाद हमलावर पीछे हट गए, जिसके बाद लड़ाई रुक गई। घायलों को इम्फाल के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अस्पताल के सूत्रों ने बताया कि घायलों में से एक के चेहरे पर और दूसरे की जांघ पर छर्रे लगे हैं।
इसके अलावा, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने शुक्रवार को कहा कि चुराचांदपुर को छोड़कर प्रत्येक जिले के सभी समुदायों के सदस्यों ने मणिपुर राइफल्स मैदान में 75वें गणतंत्र दिवस समारोह में हिस्सा लिया। उन्होंने इसके साथ ही सभी से एकता और शांति का आह्वान किया। सिंह ने स्वीकार किया कि इस वर्ष छात्र समुदाय की भागीदारी पिछले वर्षों की तुलना में कम थी लेकिन उन्होंने आशा व्यक्त की है कि अगले वर्ष इसमें सुधार होगा। सिंह ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर अपने राज्य और देश के लोगों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन में देश विश्व में महाशक्ति बन गया है। मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में ऐसे महत्वपूर्ण समय के दौरान उनकी उपस्थिति के लिए सरकारी अधिकारियों, पुलिस और सभी उपस्थित लोगों का आभार व्यक्त किया। सिंह ने एक-दूसरे का सम्मान करने और अधिकारों का उल्लंघन करने से बचने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने राज्य में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को स्वीकार किया लेकिन एकता और शांति का आह्वान किया।
इसके अलावा, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह ने हिंसा प्रभावित राज्य में अनुच्छेद 355 लगाये जाने की खबरों पर शुक्रवार को चुप्पी साधे रखी। हालांकि, एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार को बर्खास्त किये बगैर राज्य की कानून व्यवस्था को अपने अधीन करने की केंद्र को शक्ति देने वाला यह अनुच्छेद नहीं लगाया गया है। गणतंत्र दिवस समारोह के बाद यहां संवाददाताओं से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने इस बारे में पूछे जाने पर कोई टिप्पणी नहीं की। कांग्रेस की मणिपुर इकाई के प्रमुख कैशम मेघचंद्र ने कुछ दिन पहले यह दावा किया था कि सिंह ने एक बैठक के दौरान उनसे कहा था कि राज्य में अनुच्छेद 355 लगाया गया है। अनुच्छेद 355 केंद्र सरकार को राज्यों को बाहरी आक्रमण और आंतरिक अशांति से बचाने का अधिकार देता है। यह प्रावधान राज्य सरकार को बर्खास्त किए बिना राज्य की कानून व्यवस्था पर को अपने अधीन करने की केंद्र को शक्ति देता है। पिछले साल मई में राज्य में हिंसा भड़कने के बाद से अनुच्छेद 355 लगाने को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में पिछले साल 3 मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किये जाने के बाद भड़की हिंसा में 180 से अधिक लोग मारे गए हैं। इस बीच, मणिपुर के पुलिस महानिदेशक राजीव सिंह ने कहा कि राज्य एवं केंद्रीय बल पूर्वोत्तर राज्य में स्थिरता और शांति लाने के लिए समन्वय के साथ काम कर रहे हैं। सिंह ने कहा, ‘‘हम (राज्य और केंद्रीय बल) हमेशा संपर्क में रहते हैं।राज्य मुख्यालय और जिला स्तर पर हमारी समन्वय समितियां हैं।’’ मोरेह के पुलिस उपाधीक्षक की हत्या की जांच पर सिंह ने कहा, “जांच जारी है और कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। मैं अभी विवरण नहीं दे पाऊंगा। पुलिस को काम करने दें।” पिछले साल अक्टूबर में टेंग्नौपाल जिले में संदिग्ध आतंकवादियों ने मोरेह के पुलिस उपाधीक्षक चिंगथम आनंद की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
इसके अलावा, मणिपुर के चंदेल जिले में असम राइफल्स के एक जवान ने अपने साथियों पर गोलीबारी करने के बाद आत्महत्या कर ली। इस घटना में कम से कम छह जवान घायल हो गए। पुलिस ने बुधवार को बताया कि यह घटना मंगलवार देर रात को साजिक तमपक इलाके में हुई। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि असम राइफल्स के जवान ने अपने साथियों पर गोलियां चलाने के बाद खुद को गोली मार ली और उसकी मौत हो गई। मणिपुर पुलिस ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘…इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना को राज्य में चल रहे जातीय संघर्ष से नहीं जोड़ा जाना चाहिए क्योंकि घायलों में से कोई भी मणिपुर से नहीं है। तथ्यों का पता लगाने के लिए घटना की जांच के आदेश दिए गए हैं।’’ अधिकारी ने बताया कि घायल कर्मियों का इलाज किया जा रहा है और उनकी ‘‘हालत स्थिर’’ बतायी गयी है।
इसके अलावा, मणिपुर में सत्तारुढ़ गठबंधन के सात नगा विधायकों सहित 34 विधायकों ने केंद्र से कुकी उग्रवादी समूहों के साथ किए गए ‘सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन’ (एसओओ) समझौते को रद्द करने और असम राइफल्स को हटाकर किसी अन्य सुरक्षा बल की तैनाती करने की मांग की है। विधायकों ने दावा किया कि कई क्षेत्रों में जब निहत्थे नागरिक (जिनमें अधिकतर किसान थे) हथियारबंद लोगों के हमले का शिकार हुए, तो असम राइफल्स ‘‘मूक दर्शक’’ बनी रही। विधायकों ने एक बयान में दावा किया, ‘‘आतंकवादी समूहों के साथ एसओओ समझौते और इसके तहत केंद्रीय बलों से उन्हें मिलने वाली छूट हिंसा के कभी न खत्म होने वाले चक्र का मुख्य कारण है, इसलिए एसओओ को तुरंत निरस्त किया जाना चाहिए। इसे 29 फरवरी 2024 की समाप्ति तिथि से आगे नहीं बढ़ाया जाना चाहिए।’’ ‘एसओओ’ समझौता केंद्र, मणिपुर सरकार और कुकी उग्रवादी संगठनों के दो समूहों – कुकी नेशनल ऑर्गेनाइजेशन और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट के बीच किया गया था। यह समझौता पहली बार 2008 में किया गया था और समय-समय पर इसकी अवधि बढ़ायी गई।
मेघालय
मेघालय से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) देश के आधार पर हमला कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ भारत की अवधारणा की रक्षा के लिए शुरू की गई है। गांधी ने यात्रा के असम से मेघालय में प्रवेश करने के बाद यहां एक जनसभा में यह बात कही। उन्होंने कहा कि भारत में सभी धर्मों के लोगों के सौहार्द के साथ रहने और सभी समुदायों, भाषाओं तथा परंपराओं का सम्मान किए जाने की अवधारणा पर हमला किया जा रहा है। गांधी ने कहा, ‘‘भारत की अवधारणा की रक्षा के लिए हम कन्याकुमारी में समुद्र से लेकर कश्मीर के पहाड़ों तक (2022-23 में) चले। हमने किसानों, मजदूरों और युवाओं की आवाज सुनी।’’ उन्होंने कहा कि उस ‘भारत जोड़ो’ यात्रा के बाद बहुत से लोग चाहते थे कि ‘‘हम पूर्वोत्तर, ओडिशा, बंगाल, उत्तर प्रदेश और बिहार में रहने वाले लोगों की आवाज भी बनें इसलिए हमने मणिपुर से महाराष्ट्र तक एक और यात्रा शुरू करने का फैसला किया।’’ पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कई लोग इस बात को लेकर हैरान हैं कि यात्रा मणिपुर से क्यों शुरू हुई और इसका कारण यह है कि आरएसएस और भाजपा की विचारधारा ने मणिपुर की अवधारणा को नष्ट कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘नफरत और हिंसा की राजनीति ने राज्य को टुकड़ों में बांट दिया है, जिसके कारण सैंकड़ों लोगों की मौत हो गई और हजारों लोगों को अपनी संपत्ति गंवानी पड़ी है। यह त्रासदी है इसलिए हम शेष भारत को यह बताना चाहते हैं कि मणिपुर के लोग कितनी पीड़ा महसूस कर रहे हैं।’’ गांधी ने कहा, ‘‘मैं इस बात से हैरान हूं कि भारत के प्रधानमंत्री ने अभी तक मणिपुर का दौरा नहीं किया है। क्या मणिपुर भारत का राज्य नहीं है? क्या मणिपुर के लोग भारत का हिस्सा नहीं हैं?’’ कांग्रेस नेता ने दावा किया कि अगर प्रधानमंत्री मणिपुर में हिंसा रोकना चाहते तो वह तीन दिन में ऐसा कर सकते थे। उन्होंने कहा, ‘‘अगर उन्होंने भारतीय सेना से कहा होता कि मणिपुर में हिंसा रोकी जानी चाहिए तो मुझे विश्वास है कि भारतीय सेना कुछ ही दिनों में इसे रोक देती। सच तो यह है कि उन्हें मणिपुर में हिंसा खत्म करने में कोई दिलचस्पी नहीं है। भारत सरकार मणिपुर को जलने देने और यहां के लोगों को पीड़ा में देखकर खुश है।’’ गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कई राज्यों का दौरा किया है लेकिन उन्होंने मणिपुर जाने से इंकार कर दिया। यात्रा मणिपुर से नगालैंड, असम, अरुणाचल प्रदेश होते हुए अब मेघालय में प्रवेश कर गई है। कांग्रेस नेता ने सभा में कहा, ‘‘हम आपकी संस्कृति, भाषा और परंपराओं का सम्मान करते हैं और हमारा मानना है कि मेघालय का शासन मेघालय से होना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेघालय, मणिपुर और अरुणाचल की आवाज को कुचला जा रहा है। आपकी परंपरा, इतिहास और जीवन शैली पर आरएसएस द्वारा हमला किया जा रहा है।’’ पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मेघालय सरकार को देश की सबसे भ्रष्ट सरकार बताया था और इस बयान के कुछ ही देर बाद उन्होंने 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए सत्तारूढ़ नेशनल पीपुल्स पार्टी के साथ साझेदारी कर ली। गांधी ने कहा कि मेघालय की खासी और गारो भाषाएं आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं हैं और स्वायत्त परिषदों की शक्ति छीन ली गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मासिक रेडियो कार्यक्रम का परोक्ष जिक्र करते हुए राहुल गांधी ने कहा, ‘‘ये कुछ मुद्दे हैं जिन्हें हम भारत जोड़ो न्याय यात्रा में उठाना चाहते हैं लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसका उद्देश्य आपसे बात करना और आपकी बात सुनना है। मैं यहां अपने ‘मन की बात’ बताने नहीं आया हूं बल्कि आपके ‘मन की बात’ सुनने आया हूं।’’ गांधी ने कहा कि वह दिल्ली में उनके ‘‘सिपाही’’ हैं। उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली में आपको मुझसे जो भी जरूरत होगी, मैं हमेशा उसके लिए तैयार रहूंगा।”
इसके अलावा, गणतंत्र दिवस परेड में शुक्रवार को मेघालय की झांकी में राज्य के चेरी ब्लॉसम के फूलों का मनमोहक नजारा देखने को मिला। धीरे-धीरे लहराते फूलों से सजे चेरी ब्लॉसम के पेड़ मंत्रमुग्ध कर देने वाला दृश्य पैदा करते हैं। कोमल पंखुड़ियां जमीन पर शांति और सुंदरता का एहसास कराती हैं। यह चित्रण मेघालय के चेरी ब्लॉसम मौसम का प्रतीक है। झांकी डावकी में उमंगोट नदी के किनारे मीठे पानी के एक स्कूबा डाइविंग स्थल को भी दर्शा रही थी। झांकी में मेघालय की कालजयी गुफाओं का भी प्रदर्शन किया गया। इसमें राज्य के समृद्ध अभ्यारण्य पर भी प्रकाश डाला गया। साथ ही इसमें एशिया के सबसे साथ-सुथरे गांव ‘मावलीनोंग’ में सामुदायक स्वच्छता पहल को भी दिखाया गया।
मिजोरम
मिजोरम से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि मिजोरम पुलिस ने एक स्थानीय निवासी की हत्या के आरोप में म्यांमा के चार नागरिकों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने बताया कि तीन संदिग्धों को बृहस्पतिवार को पकड़ा गया जबकि चौथे को शुक्रवार को दक्षिण मिजोरम के सियाहा शहर के बाहरी इलाके से हिरासत में लिया गया। पुलिस ने बताया कि सियाहा शहर के रहने वाले पीड़ित के.एल. जोशा ने बुधवार को म्यांमा के नागरिकों को अपने ऑटो-रिक्शा में म्यांमा सीमा के पास लांगतलाई शहर में बिठाया था। पुलिस ने कहा कि जोशा जब बुधवार की रात घर नहीं लौटा और उसका फोन भी बंद हो गया तो परिवार के लोगों को उसकी चिंता हुई। बृहस्पतिवार की सुबह उनके वाहन को सियाहा के बाहरी इलाके में देखा गया और बाद में दिन में उनका शव लांगतलाई शहर के पास मिला। मिजोरम के प्रमुख छात्र संगठन मिजो जिरलाई पावल (एमजेडपी) ने आरोप लगाया है कि अपराधी म्यांमा के रखाइन प्रांत से हैं और सशस्त्र संगठन अराकान आर्मी से संबंधित हैं। एमजेडपी ने यह भी कहा कि संदिग्ध शरणार्थी नहीं हैं और व्यापार के लिए मिजोरम आए थे।
इसके अलावा, म्यांमा के सैन्य विमान के आइजोल के पास मिजोरम के एकमात्र लेंगपुई हवाई अड्डे पर उतरने के दौरान दुर्घटनाग्रस्त होने के एक दिन बाद बुधवार को पड़ोसी देश के 92 सैनिकों वापस भेज दिया गया। असम राइफल्स ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि म्यांमा की वायु सेना का वाई-8 मालवाहक विमान हवाई अड्डे की पट्टी से आगे निकल गया और इंजन में खराबी के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विमान में 14 लोग सवार थे और यह म्यांमा के उन 92 सैनिकों को वापस लेने आया था जो पिछले सप्ताह एक जातीय विद्रोही समूह के साथ मुठभेड़ के बाद भारत आ गए थे। अधिकारी ने बताया कि चालक दल के 14 सदस्य इस दुर्घटना में बाल-बाल बचे, उन्हें दिन में म्यांमा के एक अन्य विमान द्वारा लेंगपुई से पड़ोसी देश के रखाइन प्रांत के तटीय शहर सितवे ले जाया गया। मिजोरम से भेजे गए इन सैनिकों को मिलाकर पिछले साल के नवंबर से म्यांमा सेना के कुल 635 जवानों को उनके देश वापस भेजा गया है। विद्रोही समूह द्वारा उनके शिविरों पर कब्जा कर लेने के बाद जवान अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर मिजोरम में प्रवेश कर गए थे। अधिकारियों ने इस बीच कहा कि विमान के दो इंजनों में से एक में खराबी के कारण यह दुर्घटना हुई। पायलट अनुभवी था और वह पहले भी लेंगपुई हवाईअड्डे पर विमान उतार चुका था। मिजोरम और म्यांमा 510 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते है।
इसके अलावा, मिजोरम के शीर्ष छात्र संगठन मिजो जिरलाई पावल (एमजेडपी) ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने और मुक्त आवाजाही व्यवस्था (एफएमआर) को खत्म करने के केंद्र सरकार के फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है। राज्य के राज्यपाल हरि बाबू कंभमपति के माध्यम से भेजे गए पत्र में एमजेडपी ने भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने के केंद्र के फैसले पर चिंता व्यक्त करते हुए विरोध प्रकट किया। इसमें कहा गया है कि भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने और एफएमआर को खत्म करने से भारत एवं म्यांमा में रहने वाले मूलनिवासी ‘जो’ लोग “विभाजित” हो जाएंगे। संगठन ने सोमवार को पत्र में कहा, “हालांकि ‘जो’ लोगों को औपनिवेशिक काल से ही प्रशासनिक प्रभाग और औपनिवेशिक युग के बाद अंतरराष्ट्रीय सीमा द्वारा विभाजित किया गया है लेकिन हम अलग महसूस नहीं करते हैं।” इसमें कहा गया, ‘यह (एफएमआर) हमें एक-दूसरे के अंतिम संस्कार, विवाह समारोहों में भाग लेने, मरीजों से मिलने, धार्मिक बैठकों में भाग लेने और स्थानीय स्तर के खेल प्रतिस्पर्धा में शामिल होने में सक्षम बनाता है। एफएमआर को समाप्त करने का फैसला इस आवश्यक सुविधा को छीन लेगा और दुनिया भर के अन्य समुदायों की तरह हमें, मनुष्य के रूप में हमारे अधिकारों से वंचित कर देगा।’ संगठन ने केंद्र सरकार से भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने और एफएमआर को खत्म करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह करते हुए कहा कि स्वदेशी ‘जो’ समुदायों को विभाजित करने वाली कार्रवाइयों का सहारा लिए बिना मादक पदार्थ और अन्य चीजों की तस्करी जैसी चिंताओं को दूर करने के लिए वैकल्पिक उपायों का पता लगाया जा सकता है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को गुवाहाटी में कहा था कि सरकार म्यांमा सीमा पर लोगों की मुक्त आवाजाही को बंद करेगी और इसकी पूरी तरह से बाड़बंदी करेगी। शाह के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहावमा ने कहा था कि राज्य सरकार के पास केंद्र सरकार के फैसले को रोकने का अधिकार नहीं है लेकिन वह अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बाड़ लगाने और एफएमआर को खत्म करने का कड़ा विरोध करती है।
त्रिपुरा
त्रिपुरा से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य में सिपाहीजाला जिले की एक अदालत ने बृहस्पतिवार को त्रिपुरा राज्य राइफल्स (टीएसआर) के एक जवान को 10 वर्षीय एक लड़की के साथ बलात्कार करने के जुर्म में 20 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनायी। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश देबाशीष कार ने टीएसआर जवान बाबुल दास पर दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। दास ने 17 सितंबर, 2020 को इस लड़की को अपने घर बुलाया था और उसके साथ बलात्कार किया था। विशेष सरकारी वकील रिपोन कार ने संवाददाताओं से कहा, ”इस अपराध के दो दिन बाद लड़की के परिवार ने विशालगढ़ थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी। प्राथमिकी के आधार पर जांच अधिकारी ने जांच की तथा टीएसआर जवान के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया।”
इसके अलावा, मुख्यमंत्री माणिक साहा ने बृहस्पतिवार को कहा कि फरवरी 2023 में शांतिपूर्ण ढंग से विधानसभा चुनाव कराना तथा आदिवासियों एवं गैर-आदिवासियों के बीच संबंध मजबूत करना त्रिपुरा पुलिस की पिछले 150 साल की यात्रा की बड़ी उपलब्धियां हैं। तत्कालीन त्रिपुरा रियासत में 1873 में महाराजा बीर बिक्रम माणिक्य ने कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए त्रिपुरा पुलिस की स्थापना की थी। साहा ने प्रज्ञा भवन में पुलिस बल के मुख्य कार्यक्रम का उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में कहा, ”पिछले (साल) फरवरी में (हिंसक) घटना से मुक्त विधानसभा चुनाव कराना त्रिपुरा पुलिस की सबसे बड़ी उपलब्धि है। उसने यह भी सुनिश्चित किया कि लोग किसी व्यवधान के बिना वोट डालें।’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य पुलिस ने जनोन्मुखी नीति अपनाकर आदिवासियों एवं गैर-आदिवासियों के बीच संबंध को मजबूत किया एवं बड़ी सफलता हासिल की। उन्होंने कहा, ”इस कार्यक्रम की पृष्ठभूमि में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ मैंने बैठक की । हमने राज्य में मादक पदार्थ की बुराई का डटकर मुकाबला करने का संकल्प लिया।’’ पुलिस की भूमिका की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि विकास, वृद्धि एवं समृद्धि के लिए शांति पूर्व शर्त है। साहा ने कहा, ”यदि कानून व्यवस्था अनुकुल नहीं होगी तो विकास के लिए निवेश से किसी उद्देश्य की पूर्ति नहीं होगी। इसलिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों को उन लोगों के खिलाफ जरूर कार्रवाई करनी चाहिए जो कानून का उल्लंघन करते हैं। पुलिस को लोगों का दिल जीतने के लिए जनोन्मुखी नीति भी अपनानी चाहिए।’’ इस कार्यक्रम में पुलिस महानिदेशक अमिताभ राजन एवं अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अनुराग धनखड़ ने भी हिस्सा लिया।
इसके अलावा, अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के उपलक्ष्य में सोमवार को असम और त्रिपुरा के विभिन्न मंदिरों में विशेष पूजा का आयोजन किया गया। साथ ही कई जगहों पर शोभायात्रा निकाली गईं। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने अगरतला के दुर्गाबाड़ी में एक विशेष यज्ञ किया। मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘आज, भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ 500 साल पुराना इंतजार खत्म हो गया है। इसके साथ ही देश ने राम राज्य की ओर अपनी यात्रा शुरू कर दी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राम भक्तों की सराहना के पात्र हैं। प्रधानमंत्री लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं और हम भी सर्वोत्तम तरीके से लोगों की सेवा करने का प्रयास कर रहे हैं।’’ केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री प्रतिमा भौमिक ने भी प्रगति रोड स्थित मेहर कालीबाड़ी में यज्ञ किया। प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर विभिन्न संगठनों ने भी त्रिपुरा में पूजा-अर्चना की। असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने सोमवार को अयोध्या स्थित राम मंदिर में ‘श्री राम लला’ के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को एक ‘निर्णायक मोड़’ तथा ‘राष्ट्रीय चेतना का पुनर्जागरण’ बताया। अयोध्या में भगवान राम के बाल स्वरूप के विग्रह की ‘प्राण प्रतिष्ठा’ के मौके पर असम के विभिन्न हिस्सों में कई कार्यक्रम आयोजित किये गये। शर्मा ने हरिजन कॉलोनी में प्राण प्रतिष्ठा समारोह देखा। विभिन्न स्थानों पर विशेष प्रार्थना आयोजित की गयी तथा लोगों ने पटाखे छोड़े। अयोध्या से प्राण प्रतिष्ठा समारोह का सीधा प्रसारण किया गया। असम के सबसे बड़े शहर गुवाहाटी में उत्सव जैसा माहौल रहा और बड़ी संख्या में लोगों ने पूरे दिन विभिन्न स्थानों पर शोभायात्रा में भाग लिया और पटाखे भी फोड़े। सुबह से ही मंदिरों के साथ-साथ आवासीय परिसरों में भी पूजा-अर्चना और यज्ञ का आयोजन किया गया। शहर में नीलाचल पहाड़ी पर स्थित शक्तिपीठ कामाख्या मंदिर की प्रबंध समिति ने कहा कि मंदिर में दिन के दौरान विशेष प्रार्थना और यज्ञ का आयोजन किया गया। राज्य के प्रमुख तीर्थ स्थल गोलाघाट जिले के श्री श्री अठखेलिया नामघर में 50,000 से अधिक मिट्टी के दीयों से परिसर को रोशन किया गया। वैष्णव संत और समाज सुधारक श्रीमंत शंकरदेव की जन्मस्थली बटद्रवा में भी विशेष प्रार्थना आयोजित की गई।
नगालैंड
नगालैंड से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के वोखा जिले में एक अवैध कोयला खदान के भीतर आग लगने की घटना में कम से कम छह मजदूरों की झुलसकर मौत हो गई और चार अन्य श्रमिक गंभीर रूप से घायल हो गए। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। भंडारी के विधायक अचुम्बेमो किकोन ने शुक्रवार को बताया कि दुर्घटना 25 जनवरी अपराह्न करीब एक बजे वोखा जिले के भंडारी उपमंडल के अंतर्गत रिचानयन गांव में हुई। स्थिति का जायजा लेने के लिए भंडारी पहुंचे किकोन ने कहा कि सभी मजदूर असम के रहने वाले थे, जो इस अवैध खदान में खुदाई का काम कर रहे थे कि तभी आग लगने से उनमें से छह की झुलसकर मौत हो गई और चार अन्य श्रमिक गंभीर रूप से घायल हो गए। एक अधिकारी ने बताया कि घायलों को दीमापुर के एक अस्पताल ले जाया गया। भंडारी में इस तरह की अवैध कोयला खदानों पर चिंता व्यक्त करते हुए विधायक ने राज्य के गृह विभाग से ऐसी खदानों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने का आग्रह किया।
इसके अलावा, नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफियू रियो ने शुक्रवार को कहा कि भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने के केंद्र के फैसले को लागू करने से पहले गहन चर्चा की जरूरत है। इस मुद्दे पर राज्य के रुख के बारे में पूछे गए सवाल पर रियो ने संवाददाताओं से कहा कि सरकार को लोगों से परामर्श करना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘अगर जरूरत पड़ी तो हमें एक फॉर्मूला तैयार करना होगा कि लोगों के लिए समस्या का समाधान कैसे किया जाए और घुसपैठ को कैसे रोका जाए, क्योंकि नगालैंड की सीमा म्यांमा से लगती है और दोनों तरफ नगा रहते हैं।’’ भाजपा के सहयोगी रियो ने कहा कि बहुत से लोग भारतीय सीमा में रहते हैं, लेकिन उनके खेत दूसरी तरफ हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए एक व्यावहारिक फॉर्मूला होना चाहिए।’’ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले सप्ताह कहा था कि सरकार भारत-म्यांमा सीमा पर लोगों की मुक्त आवाजाही को बंद करेगी और सीमा पर बाड़ लगाई जाएगी ताकि इसे बांग्लादेश के साथ देश की सीमा की तरह सुरक्षित किया जा सके।
इसके अलावा, नगालैंड के राज्यपाल ला गणेशन ने शुक्रवार को इस बात को लेकर चिंता व्यक्त की है कि नगा राजनीतिक मुद्दे के कारण राज्य के विकास में बाधाएं आई हैं और सभी पक्षों से जल्द से जल्द इसका समाधान निकालने की अपील की। उन्होंने सचिवालय प्लाजा में गणतंत्र दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार समस्या का शीघ्र समाधान चाहती है। उन्होंने कहा, ‘‘नगालैंड का गठन छह दशक पहले विशेष संवैधानिक संरक्षण के तहत किया गया था जिससे हमारे लोगों की संस्कृति, पहचान और हितों की रक्षा होती हैं।’’ गणेशन ने कहा, ‘‘राज्य हमारे राष्ट्र के समग्र विकास और तरक्की में योगदान देने में सक्रिय भागीदार रहा है। हम हालांकि सभी नगा राजनीतिक मुद्दे से उत्पन्न बाधाओं से अवगत हैं, और विभिन्न प्रयासों के बावजूद अभी इसका समाधान नहीं हुआ है।’’ उन्होंने हालांकि उन सभी हितधारकों को धन्यवाद दिया जो इस मुद्दे का शांतिपूर्ण, सम्मानजनक और स्वीकार्य समाधान खोजने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘राज्य सरकार इस मुद्दे के शीघ्र समाधान के लिए उत्सुक और प्रतिबद्ध है।’’ नगा राजनीतिक मुद्दा देश की सबसे लंबी उग्रवाद समस्याओं में से एक माना जाता है, जबकि केंद्र 1997 से एनएससीएन-आईएम और 2017 से नगा राष्ट्रीय राजनीतिक समूहों की कार्य समिति (डब्ल्यूसी एनएनपीजी) के साथ बातचीत कर रहा है।
अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू ने चुनाव के दौरान धन के इस्तेमाल की संस्कृति को भ्रष्टाचार की जड़ बताते हुए युवा मतदाताओं से इससे दूरी बनाने की अपील की। ईटानगर में मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मुख्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में नए मतदाताओं से बातचीत में केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री रीजीजू ने युवा मतदाताओं से धन बल और अन्य गैरकानूनी साधनों में फंसे बगैर साफ-स्वच्छ चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, ‘‘जबरदस्ती वोटों पर कब्जा करना केवल राजनीति के लिए ही नहीं बल्कि लोकतंत्र के लिए भी खराब है।’’ रीजीजू ने कहा कि नए मतदाताओं की भूमिका कई गुना ज्यादा है और उन्हें एक उचित नेता चुनने के लिए जिम्मेदारीपूर्वक वोट देना चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने केंद्र और राज्य सरकारों की विभिन्न विकासात्मक पहलों का जिक्र किया और नए मतदाताओं से एक विकसित राज्य तथा देश के लिए सरकारों से हाथ मिलाने का अनुरोध किया। इस मौके पर भाजपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष बियुराम वाहगे ने कहा कि पार्टी की मंशा सत्ता पर कब्जा जमाना नहीं बल्कि लोगों के कल्याण के लिए काम करना है ताकि जनता का विश्वास हासिल किया जा सके। उन्होंने युवाओं से एक बेहतर भविष्य के लिए समाज में पारदर्शी चुनाव को लेकर जागरूकता फैलाने का अनुरोध किया।
इसके अलावा, राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के सहयोग से अरुणाचल प्रदेश के 12 विशिष्ट उत्पादों को भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग प्राप्त हुआ है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। नाबार्ड जिला विकास प्रबंधक कमल रॉय ने बुधवार को कहा कि इन उत्पादों में अपातानी, मोनपा, आदि, गैलो, ताई खामती और न्यीशी वस्त्र, मोनपा हस्तनिर्मित कागज, सिंगफो फलाप (सिंगफो चाय), आदि अपोंग, दाओ (धारदार अस्त्र), अंगन्यात मोटा अनाज और मारुआ अपो (मारुआ पेय) शामिल हैं। अधिकारी ने कहा कि यह उपलब्धि पारंपरिक और अद्वितीय उत्पादों को संरक्षित करने में स्थानीय समुदायों के समर्पण का प्रमाण है जो अरुणाचल प्रदेश की समृद्ध सामाजिक और सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है। रॉय ने कहा कि पिछले दो वर्षों में नाबार्ड ने इस क्षेत्र में विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ. रजनी कांत की विशेषज्ञता का लाभ उठाते हुए शुरू की गई जीआई पंजीकरण प्रक्रिया का सक्रिय रूप से समर्थन किया है।
इसके अलावा, गणतंत्र दिवस परेड में शुक्रवार को अरुणाचल प्रदेश की झांकी में 17 वर्ग किलोमीटर के जैव विविधता वाले क्षेत्र ‘सिंगचुंग बुगुन विलेज कम्युनिटी रिजर्व’ की झलक दिखाई गई। इस जैव विविधता वाले क्षेत्र को 2017 में बनाया गया था। यह गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण के लिए है। यहां लुप्त होने के खतरे का सामना कर रहे बुगुन लियोशिक्ला (लियोशिक्लाबुगुनोरम) पक्षी का संरक्षण किया जाता है। पक्षी का यह नाम एक जनजाति पर रखा गया है। ‘सिंगचुंग बुगुन विलेज कम्युनिटी रिजर्व’ में अन्य लुप्तप्राय: प्रजातियां जैसे रेड पांडा (ऐलुरुस्फुल्गेन्स) तथा जीवों एवं वनस्पतियों की दूसरी प्रजातियां भी हैं। झांकी में बुगुन लोक नृत्य दिखाया गया। इसके पिछले हिस्से में साहसिक खेलों को दर्शाया गया।