शिक्षा विभाग के ACS केके पाठक लगातार एक्शन में नजर आ रहे हैं. एक बार फिर शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर केके पाठक का डंडा चला है.
एक्शन में केके पाठक (Photo Credit: फाइल फोटो)
highlights
- सिवान के डीईओ निलंबित
- छापेमारी में मिली करोड़ों की अवैध संपत्ति
- बिहार को नहीं मिला विशेष राज्य का दर्जा
Patna:
शिक्षा विभाग के ACS केके पाठक लगातार एक्शन में नजर आ रहे हैं. एक बार फिर शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर केके पाठक का डंडा चला है. बुधवार को केके पाठक ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में सिवान के डीईओ को निलंबित कर दिया. दरअसल, निगरानी विभाग की छापेमारी के बाद जब उन पर लगे आरोप सही साबित हुए, उसके बाद शिक्षा विभाग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उन्हें पद से निलंबित कर दिया. केके पाठक ने जो आदेश जारी किया है, उसमें कहा गया है कि कैसे सिवान के डीईओ के ऊपर शोध व प्रशिक्षक निदेशक के निर्देश के बाद भी अनुपालन में रुकावट डालने, अनुचित मांग को लेकर उन पर लगे आरोप सही साबित हुए हैं. आपको बता दें कि निलंबन अवधि में मिथिलेश कुमार का मुख्यालय क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक कार्यालय मुंगेर प्रमंडल होगा.
सिवान के डीईओ निलंबित
बता दें कि 8 दिसंबर को आय से अधिक संपत्ति मामले में डीईओ को धर दबोचा था. उनके सीवान के आवास व कार्यालय के अलावा पटना, नोएडा समेत कई ठिकानों पर छापेमारी की गई थी, जहां करोड़ों रुपये के साथ ही कई अवैध संपत्ति कागजात भी मिले थे. वहीं, सिवान से 14 लाख रुपये कैश भी बरामद किए गए.
छापेमारी में मिली करोड़ों की अवैध संपत्ति
दरअसल, सिवान के डीइओ पर आय से अधिक संपत्ति मामले में केस नंबर 036\ 23 के तहत केस दर्ज किया गया है. जिसे लेकर निगरानी विभाग ने छापेमारी की थी. वहीं, जैसे ही छापेमारी की गई मिथिलेस कुमार तुरंत छु्ट्टी पर चले गए और अब विभाग ने उनपर कार्रवाई करते हुए निलंबित कर दिया. वहीं, छापेमारी में करोड़ों रुपये की अवैध संपत्ति से जुड़ा हुआ कागजात और लाखों रुपये बरामद किए गए हैं.
बिहार को नहीं मिला विशेष राज्य का दर्जा
वहीं, आपको बता दें कि बिहार सरकार पिछले लंबे समय से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर रही हैं. वहीं, सीएम नीतीश कुमार को केंद्र सरकार की तरफ से बड़ा झटका लगा है. आपको बता दें कि वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने इसे लेकर बताया कि बिहार ने विशेष राज्य का दर्जा देने वाले सभी जरूरी मानदंडों को पूरा नहीं किया है. साथ ही राज्य मंत्री ने लिखित में जवाब देते हुए कहा कि आईएमजी की रिपोर्ट जो 30 मार्च, 2012 को पेश की गई, उसके आधार पर बिहार ने विशेष श्रेणी के अंतर्गत आने के लिए आवश्य मानदंडों को पूरा नहीं किया है. जिस वजह से यह मांग 2012 में ही खारिज हो चुकी है.
First Published : 13 Dec 2023, 05:26:30 PM